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शुक्रवार, 21 मई 2010

‘बुलेट’ वाले ‘बैलेट’ से क्यों लड़ेंगे दिग्गी राजा?, वाह !! मर्दानगी...जिंदाबाद.- ब्लाग 4 वार्ता राजकुमार ग्वालानी .

 
 
ब्लाग 4 वार्ता  का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार
 
आज सोच रहे हैं कि कुछ भी ज्यादा न लिखते हुए सीधे चलते हैं चर्चा की तरफ....
 
 
अमीर धरती गरीब लोग में अनिल पुसदकर कहते हैं-‘बुलेट’ वाले ‘बैलेट’ से क्यों लड़ेंगे दिग्गी राजा?
हरा - भरा बस्तर निर्दोष लोगों के खून से लाल हो रहा है और नेताओं में वाक्युद्ध चल रहा है। और इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं दिग्विजय सिंह उर्फ दिग्गी राजा! वही दिग्विजय सिंह, जो सालों बस्तर समेत पूरे छत्ती...
 
आलोक स्तम्भ में यही कहा जा सकता है कि उसने बहुतों की बलि दे दी
हम उपदेश सुनते हैं मन भर, देते हैं टन भर पर ग्रहण करते हैं कण भर - अलजर जो आदमी बिना आप पूरा हुए दूसरों को उपदेश देता है वह बहुतों का गला काटता है; पर जो आप पूरा होकर दूसरों को शिक्षा
 
हमारे मंत्र और श्लोक इत्यादि अपने में गुढार्थ लिए होते हैं। इनका उपयोग करने की शर्त होती है कि इनका उच्चारण शुद्ध और साफ होना साहिए। बहुत कम लोग ऐसे मिलते हैं जो उन्हें पढने या जाप करने के साथ-साथ उसका 
 
 
जानते हो !! वह घोषित चरित्रहीन है, क्योंकि : वो किसी को अपने पास फटकने नहीं देती, ईट का जवाब पत्थर से देती, तुम्हें आईना दिखा देती है, हर बार तुम हार जाते हो, अपनी ही नज़र में गिर जाते हो, फिर ऊपर उठने 
 
 गरमी की दुपहर की अपनी सुन्दरता होती है। आज मुझे एक गुजरा दौर याद आ गया। गाँव में तब संयुक्त परिवार थे और लोग डट कर खेती करते कराते थे। सिंचाई के लिए धनिक पट्टिदारों ने पक्की नालियों का जाल बनवाया था जो जमी...
 
बिगुल -  में राजकुमार सोनी बता रहे हैं- दो अनिवार्य कविताएं
*एक प्रार्थना* *शहर फट पड़ा बम के धमाकों से बाजूवाला शहर भी फटा* * फिर... बाजूवाला* * ईश्वर मुझे तुम्हारा नहीं बाजूवाले का साथ चाहिए* * * *बौने हाथ दिल की जमीं पर* *नफरत का यूरिया और फिर देखिए सांप-बिच्...
 
गिरीश पंकज  सुना रहे हैं- नई ग़ज़ल/ आंकड़ों में मुल्क ये खुशहाल लगता है
आंकड़ों में मुल्क ये खुशहाल लगता है * *पर हकीकत में बहुत कंगाल लगता है * *अब यहाँ आलोचनाएँ कौन सुनता है* *सच तनिक-सा बोलिए मुंह लाल लगता है* * * *झूठ की बुनियाद पर हैं कुरसियों के घर * *सत्य 
 
 
 
राजीव तनेजा*** [image: lathmar2] “ठक्क- ठक्क”…. “ठक्क……ठक्क- ठक्क”…. “आ जाओ भाई…आ जाओ…यहाँ तो खुला दरबार है…कोई भी आ जाओ"… “नमस्कार!…गुप्ता जी….कहिये अब तबियत कैसी है आपकी?”… “मेरी तबियत को क्या ...
 
"नमस्कार लिख्खाड़ानन्द जी!" "नमस्काऽर! आइये आइये टिप्पण्यानन्द जी!" "लिख्खाड़ानन्द जी! अभी हाल ही में हमने एक पोस्ट पढ़ी 'हिन्दी ब्लोगर्स - गूगल खोज परिणाम के अनुसार'। हमने सोचा कि लगे हाथों आपके भी गूगल खोज...
  
चल रहा प्रवचन वहांदिख रहा एक पंडाल घर सूना सूना पाके,खुश होवे चोर चंडाल  देखता हूँ बहुत बड़ा पांडाल लगा हुआ है.  प्रख्यात प्रवक्ता, संत शिरोमणि, धारा
  
बात देश की राजधानी दिल्ली की है... और कई साल पहले की है... एक मुस्लिम लड़की और एक हिन्दू लड़का विवाह करना चाहते थे, लेकिन मज़हब उनकी राह का रोड़ा बना हुआ था... लड़की के पिता के कुछ मुस्लिम दोस्त मदद को आगे आए... उन्होंने लड़के से कहा कि उसे लड़की से विवाह करना
  
वेशभूषा और पास पड़े बैग से वह कॉलेज की छात्रा प्रतीत होती थी। वह अपनी स्कूटी से गली से मुख्य सड़क पर पहुँची ही थी कि पीछे से तेजी से आने वाले मिनी ट्रक और एक सवारी बस की आगे निकल जाने की होड़ की शिकार बन गयी। बस के पिछले हिस्से से लगी सीधी [...]
  
उलझनें जिंदगी की बढ़ती ही जा रही हैं जैसे इनके बिना जीना दुश्वार हो उलझनें हों तभी प्रेम की कीमत सुलझन की कीमत पता चलती है क्यों इतने बेकाबू हो जाते हैं कुछ पल कुछ क्षण अपनी जिंदगी के कुछ बेहयाई भी छा जाती है पर फ़िर भी इम्तिहान खत्म नहीं होता कहीं झुरमुट
  
अब किसी पड़ोसी को इस बात की शिकायत नहीं होगी कि उसने छत पर सूखने के लिए टंगे कपड़ों को खींचकर ज़मीन पर गिरा दिया , कि उसने उनके कमरे के सामने पोटी या सुसु कर दी, अब किसी को छत पर जाने से भौंक-भौंककर कोई नहीं रोकेगा… अब मुझे भी रात में दो बजे [...]
 
 
 
 
 
 
 
अब आपसे लेते हैं हम विदा
 लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा 
 
 
 
 
 

 
 

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