सोमवार, 31 मई 2010

पुरुष की आंख कपड़ा माफिक है मेरे जिस्‍म पर, मरा सभी की आंख का पानी,, हे प्रभु!! ये कैसी दुनिया तेरी! - ब्लाग 4 वार्ता राजकुमार ग्वालानी

ब्लाग 4 वार्ता  का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार
चलिए आज सीधे बांटते हैं चर्चा का प्यार- नहीं करवाते ज्यादा इंतजार
कल मैंने एक सवाल पूछा था...आदिवासियों का नेता कौन...कोई साफ़ जवाब नहीं आया...ले दे कर एक नाम गिनाया गया *शिबू सोरेन*...तो जनाब शिबू सोरेन के नाम में ही सब कुछ छुपा है...*क्या ये अपने आप में ही भारतीय राजनी...
मैं लन्दन के जिस इलाके में रहती हूँ, वो शहर से काफी दूर है.हमारे कॉलोनी में एक लोकल इंडियन रेस्टरान्ट खुला अभी पिछले सप्ताह.पुरे लन्दन में तो भारतीय रेस्टरान्ट तो भरे पड़े हैं.हमारे एरिया में जो रेस्टरा

सर शेखर कुमावत जी को समर्पित है मेरी यह रचना। जो पुरुष मानसिकता की पोल खोलती है। नहीं दिया है जबकि नो ऑब्‍जेक्‍शन शेखर जी ने और वे जानते हैं कि मैंने यह कविता उन्‍हें ही क्‍यों समर्पित की है।* पहनती ह...
योगेन्द्र मौदगिल द्वारा 12 घंटे पहले पर पोस्ट किया गया
बिग-बी, राखी, एकता रानी घर-घर की बस यही कहानी टेली-वीज़न देख-देख कर बच्चों पर चढ़ रही जवानी सास बनी है बास अगर तो बहू स्वयंभू है पटरानी नाती-पोते कम्प्यूटर के देख फालतू दादी-नानी विग्यापन भी कैसे-कैसे म...
  
खुशदीप भाई के यहां से विदा लेते समय अविनाश जी ने फ़ोन पर बताया कि आज वे दांतों की दुकान में जाएंगे इसलिए विलंब हो जाएगा। अगर दिल्ली में कहीं घुमना हो तो बताएं। मैने कहा कि आप दांतों की दुकान से हो आएं फ़िर आपसे सम्पर्क करता हुँ। अविनाश जी ने दांत में नैनो
रीते आँगन का सूनापन भर जाता दसों दिशाओं में, विगलित हो जाता है कण-कण ! रीते आँगन का सूनापन ! नव पल्लव आच्छादित पीपल रक्तिम तन सिसकी सी भरता, सूने कोटर के पास बया चंचल हो परिक्रमा करता, उसके नन्हे-मुन्नों...
आज रवीवार है। आज आपको एक प्यारे से भोले से बंदे के बारे में बताता हूं। इनका नाम है नूरा। ये बड़े पिंड के रहने वाले हैं। इनकी खासीयत है कि ये जो भी काम हाथ में लेते हैं उसे पूरा करते हैं। चाहे कुछ भी हो जाए।.
साप्ताहिक अवकाश रविवार ब्लॉग जगत में " पापा जी " अवतरित हुए हैं दो चार ब्लॉग में जा बच्चों को डांट पिलाया है वैसे डांट पिलाने के पहले सहलाया है अभी तो सहलाया है, बाद में देखेंगे कहते हुए देखो कैसे मै...
अमीर धरती गरीब लोग में ज़िंदगी के लिये मौत की छलांग!
ज़िंदगी के लिये मौत की छलांग!जी हां ये सच है और उस छलांग की कीमत भी कितनी?आप कल्पना भी नही कर सकते कि इंसान की ज़िंदगी इतनी सस्ती है।महज़ कुछ सौ रूपये,बस।एक छ्लांग के लिये इतना और छलांग सही हुई तो दूसरी छलांग...
आप एक पोस्ट लिखते हैं और उसमें एक टिप्पणी भी आ जाती है कुछ इस तरह सेः "मेरे फलाँ ब्लोग में आकर कृपया अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें।" *याने कि आपने अपने पोस्ट में क्या लिखा है, क्यों लिखा है, सही लिखा है या ...
नई राह, नये हौसलेनये जज्बे, नये कदमचलो चलें हमनई सुबह के साथउस ओर, जहां हैमेरे ख्बाबों की बस्तीसच, आतुर हूं मैंपहुंचने के लियेअपनी नई मंजिल परख्बाबों के साथख्बाबों की बस्ती में !
  
पता नहीं किसका प्रभाव लज्जा के बन्धन खोले हैमन का इकतारा अब केवल तुमही तुमही बोले है ओढ़ी हुई एक कमली की छायायें हो गईं तिरोहितनातों की डोरी के सारे अवगुंठन खुल कर छितरायेबांधे अपने साथ सांस को द्रुत गति चले समय के पहिये उगी भोर के साथ साथ ही संध्या के
  
युवा लड़की भी चाहती है तितलियों की तरह उडना कोयल की तरह कूकना झरने की तरह बहना पर घर से गंतव्य तक नजरे झुकाए रास्ते पर चलती है युवा लड़की नेत्र रहकर भी नेत्रहीन हो जाती है,युवा लड़की. सूनसान रास्तों पर अकेले नहीं जा सकती युवा लड़की पदयुक्त होकर भी पदहीन
कमर का दर्द, वैसे तो अब काहे की कमर, कमरा ही कहो, हाय!! बैठने नहीं देता और ये छपास पीड़ा, लिखूँ और छापूँ, लेटने नहीं देती. कैसी मोह माया है ये प्रभु!! मैं गरीब इन दो दर्दों की द्वन्द के बीच जूझता अधलेटा सा - दोनों के साथ थोड़ा थोड़ा न्याय और थोड़ा थोड़ा
  
आखिरकार झारखण्ड में नेताओं की नौटंकी का पर्दा पड़ ही गया. अभी तक जिस तरह से शिबू सोरेन कुर्सी से चिपके हुए थे उससे तो यही लगता था की अभी यह मामला और खिंचने वाला है पर किसी भी दल द्वारा उनको समर्थन न दिए जाने से आखिर कार उनकी कुर्सी चली ही गयी. एक नया
  
प्रिय ब्लागर मित्रगणों,आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में प. डी.के. शर्मा "वत्स", की रचना पढिये.लेखक परिचय :-नाम:- पं.डी.के.शर्मा "वत्स"जन्म:- 24/8/1974 (जगाधरी,हरियाणा)स्थायी निवास:- लुधियाना(पंजाब)शिक्षा:- एम.ए.--(संस्कृ्त), ज्योतिष आचार्यकईं वर्षों
  
कूड़े के ढेर से जीवन चुनता है दिन भर खुद का बोझ ढोता है इस शहर को फख़्र है बड़प्पन का उफ ! यहाँ तो बचपन ऐसे सोता है चित्र : मोबाईल कैमरे से
  
कार से डरते दिल्‍ली के ऑटोसच कह रहा हूंइनसे लग रहा है डरनहीं मालूम क्‍यों हुए हैंइतने निडरमाफ कर देना ईश्‍वरनहीं जानतेये क्‍या कर रहे हैं ?आज दैनिक हरिभूमि में चिंता किसको है पेज 4 पर क्लिक करके असलियत जानिए।
अब आपसे लेते हैं हम विदा
 लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा

रविवार, 30 मई 2010

छुट्टी का ले मजा-आओ देखें किस ब्लाग में क्या है सजा- ब्लाग 4 वार्ता राजकुमार ग्वालानी

ब्लाग 4 वार्ता  का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार- आएं मिलकर बांटते चले सबको प्यार

आज रविवार यानी छुट्टी का दिन है। इस दिन सब मस्ती में रहते हैं। ऐसे में किस ब्लाग में किस तरह की मस्ती भर लेख है, उस पर एक नजर डालते हैं- 
मानव जीवन में बहुत से ऐसे विलक्ष्ण क्षण आते है जो अविस्मर्णीय होते है ऐसे ही विलक्ष्ण पलों का मौका था नागलोई जाट धर्मशाला में आयोजित हिंदी चिट्ठाकार सम्मलेन में बिताये चार घंटों का , जहाँ आभासी कही जाने
 
दिल्ली यात्रा 2, ब्लागर मिलन, संगठन एवं एक स्टींग आपरेशन.....!
...रास्ते में अविनाश जी ने पवन चंदन जी और त्रिपाठी जी को साथ लिया और ब्लागर मिलन स्थल की ओर चल पड़े। नांगलोई रेल्वे स्टेशन के पास राजीव जी पहुंच चुके थे हमें रास्ता बताने के लिए, जाट धर्मशाला पहुंचे तो वहां जय कुमार झा जी, संजु भाभी जी, माणिक(राजीव जी के
दादा दिनेश राय द्विवेदी की हार्दिक इच्छा थी कि कचैहरी के सामने भी आईना रखा जाये उन के आदेश पर मैंने प्रयास भर किया है विश्वास है कि दादा के साथ-साथ आप सब भी मेरा समर्थन करेंगें लंपट, चोर, लुटेरे, डाकू...
आंखों ने डाला मेरे शरीर पर भार जांच रही हैं मेरा हर एक उभार। सब कुछ नकद नहीं कुछ उधार आंखें हैं तेरी या चाकू तेज धार। सच है बिल्‍कुल मन तेरा लाचार कहूं इसे कैसे मैं व्‍यभिचार रेंग रही हैं आंखें शरीर पर मे...
वो कई सालों तक हमारे साथ रहा.. हम बच्चों के जिद पर ही उसे घर में लाया गया था.. पटना सिटी के किसी पंछियों के दूकान से पापाजी खरीद कर लाये थे.. उससे पहले भी हमने कई बार कोशिश कि थी तोता पालने कि, मगर हर बार ...
१. * क्या मैं (याने जनता) भारत का नागरिक हूँ. २. मुझे क्या सचमुच अपने वतन से अपने माँ बाप जितना प्यार है? ३. क्या मुझे राष्ट्र को समर्पित या गाँव शहर में जनता के पैसे से (कर के माध्यम से वसूले गए.

*दौड़ते हाथी की पीठ पर तुम्‍हें हंसता देखा था* *स्‍टेडियम के गोल मैदान पर खिंचे चॉक की* *फांक पर दौड़ता, बीच दौड़ गिरता देखा था * *सपने में दीखी हों नीली पहाड़ि‍यां, उसकी * *घुमराह रपटीली लाल पगडंडियों...
कल एक सवाल पूछा था...कई लोगों ने इसे पढ़ा, समझने की कोशिश की. वक़्त निकाला,और जबाब भी दिया. सबका शुक्रिया...सौरभ,राज जी, महफूज़ को लगा, अपने कॉलेज के सहपाठी ,जो पहला प्रेमी भी था, उसी से शादी करेगी...क्...
"सारे ज्योतिषी बेकार है ,यह ठगी का व्यापार है सब के सब धंधा करते है जिसको जैसा बन पड़ता है लूटता है ."आप फलां रत्न पहन लीजिये ,फलां पूजा ,अनुष्ठान करा लीजिये ,आपके कष्ट दूर हो जायेंगे " बस फिर क्या है ....
भले ही मोटे तौर पर यह प्रचारित किया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ी फिल्में बाजार में अच्छा बिजनेस कर रही है लेकिन हकीकत इससे अलहदा है। मोर छइंया-भुईयां की सफलता के बाद अब तक सैकड़ो फिल्में बन चुकी है लेकिन मात्र ...
एंकर-- सराय रोहिल्ला के शास्त्री नगर में बुधवार को बिजनेसमैन के घर में दिनदहाड़े हुई लूट की मास्टर माइंड थी उनकी ही नौकरानी। महेश कुमार अग्रवाल के घर में हुई इस लूट कि गुत्थी को सुलझाते हुए पुलिस ने पुलि...
कभी बेंगलूर, कभी दिल्ली, कभी हवाई जहाज, कभी बस, कभी रेल। वही वहशत, वही दरिंदगी, वही हैवनियत, वही बेगुनाहों की लाशें, वही मौत का नंगा नाच। वही आंकड़ों का जमा खाता। वही नेताओं के रटे-रटाए जुम्ले। वही दी जाने व...
  
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर इलाके मे इस बार मओवादियो के निशाने पर मुंबई -हावरा एक्सप्रेस ट्रेन आई .जिसके चपेट मे १०० से ज्यादा लोग बे मौत मारे गए .पश्चिम बंगाल पुलिस का दाबा है की नक्सली समर्थित पी सी पी ऐ यानि पीपुल्स कमिटी अगेंस्ट पुलिस अट्रोसिटी के दस्ते
  
महंगाई पर काबू पाने की कीमत सरकार अब किसानों से वसूलने जा रही है। खेती की लागत बढ़ने के बावजूद वह इस बार खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने नहीं जा रही है। धान का मूल्य किसानों को वही मिलेगा जो पिछले साल मिला था। जबकि दलहन के मूल्य में की
  
आज मालिक और ड्राइवर दोनो उदास और परेशन से नज़र आ रहे हैं . दोनो कुछ अपने ही सोच मे डूबे हुए हैं . दोनों के चेहरे पर चिंता की सिलवटें एक जैसी है (राज बाद में खुलेगा .. पढ़ते रहिये ) .२० मिनिट की लंबी यात्रा तक कोई बात नही हुई. दोनों का पूरा दिन बहुत बुरा
  
शेष नारायण सिंह भाई मंसूर नहीं रहे. पाकिस्तान के शहर कराची में मंसूर सईद का इंतकाल हो गया. मौलाना अहमद सईद का एक पोता और चला गया .मृत्यु के समय मंसूर सईद की उम्र 68 साल थी . वे जियों टी वी में बहुत ऊंचे पद पर थे. उनकी पत्नी आबिदा , कराची में एक मशहूर
  
भेजा था मैनें, उस दिन एक दस्तक तुम्हारे दरवाजे के नाम और तुम्हारा दरवाजा अनसुना कर गया था; तभी तो खुलने से मना कर गया था. मुझे पता है यह हौसला दरवाजे का नहीं हो सकता वह उन दिनों तुम्हारे 'फैसले' की सोहबत में था. शायद उसने यह बात तुमसे भी नहीं बतायी होगी
  
प्रिय ब्लागर मित्रगणों,आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर की रचना पढिये.लेखक परिचय नाम- डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर पिता का नाम- श्री महेन्द्र सिंह सेंगर माता का नाम- श्रीमती किशोरी देवी सेंगर शिक्षा- पी-एच0डी0, एम0एम0
  
जिसे ता उम्र सोचा वो लड़की शहर की थीउसने छोड़ा जिस जगह वो धूप दोपहर की थी।मुझको तसल्ली देती रही वक्ते रुख़सती परपर्चा दवा का हाथ में, शीशी ज़हर की थी।अरमाने इश्क मुझको ले आया था कहाँन पता था शाम का, न ख़बर सहर की थी।थक-हारके दरख्त के नीचे मैं आ गयाहालात
  
मेरी एक दोस्त घर जल्दी जाना चाहतीं थी। कल संडे हैं। उन्हें आज ही ब्यूटी पार्लर जाना है। जरूरी। कल उन्हें शादी के लिए एक लड़का देखने जाना है। उनकी शादी की तैयारियां जोरों से चल रही हैं। किसी रविवार वे दिखने जाती है। तो कभी लड़का देखने। शायद आपको यह बात
अब आपसे लेते हैं हम विदा
 लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा 
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शनिवार, 29 मई 2010

नक्सली हो गए है बदहवास- आम लोगों से बूझ रहे हैं खून की प्यास -ब्लाग 4 वार्ता राजकुमार ग्वालानी

ब्लाग 4 वार्ता  का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार- आएं मिलकर बांटते चले सबको प्यार 

नक्सली लगता है अब बदहवास हो गए तभी तो वे आम लोगों के खून के प्यासे हो गए हैं। जिस तरह से पहले बस्तर में एक बस पर हमला किया गया और अब ट्रेन पर हमला किया गया उससे तो यही लगता है। सरकार अब भी अगर नहीं जागी तो ऐसी सरकार से देश का भला क्या होगा। आम लोगों का विश्वास अब पूरी तरह से सरकार पर से उठ गया है। आज ब्लाग जगत में भी चौतरफा नक्सली हमले की चर्चा है यह एक अच्छी बात है। इसके पहले जब बस्तर में हमला हुआ था तो ब्लाग जगत में ज्यादा कुछ नहीं लिख गया था। चलिए देखें कौन क्या कहता है।  
 
 महिलाओं को भले ही आधी आबादी कहा जाता हो, समाज में उनकी बराबरी की बातें कही जाती हों, उनके उत्थान के लिए कई स्तर पर सरकारी प्रयास किये जा रहे हों फिर भी कुशलता से घर चल...
 
लाहौर में आतंकियों द्वारा लगभग 2000 लोगों को मस्जिद में बंधक बनाकर रखा जाना, इधर अपने देश में नक्सलियों द्वारा रेल की बोगियां उड़ा देना..... रोज रोज इस तरह की घटनाएं आम बात हो गयी हैं. क्या है इसका समाधान ...
 
आज (28 मई को) फिर 'अपने लोगों' (गृहमंत्री चिदंबरम के अनुसार) ने रेल कि पटरी उड़ा कर सत्तर लोगों को मौत के घाट उतर दिया। फिर वही सरकारी 'स्यापा' शुरू हो गया। भ्रष्ट सरकारी तंत्र और रीढ़विहीन नेताओं पर भरोसा ...

आज तडके हावडा -कुर्ला लोकमान्य तिलक ज्ञानेश्वरी सुपर डीलक्स एक्सप्रेस, जोकि महाराष्ट्रा जा रही थी, के १३ डिब्बे आतंकवादियों द्वारा जगराम से १३५ किलोमीटर दूर खेमसोली और सर्दिया रेलवे स्टेशनों के बीच तडके ...
 
noreply@blogger.com (Suresh Chiplunkar) द्वारा महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar) -
 
बी.बी.सी. कहता है........... ताजमहल........... एक छुपा हुआ सत्य.......... कभी मत कहो कि......... यह एक मकबरा है.......... प्रो.पी. एन. ओक. को छोड़ कर किसी ने कभी भी इस कथन को चुनौती नही दी कि........ "...
 
एंकर - दोनों भाइयों का जुनून आपको भले ही अजीब लगे लेकिन दोनों का यह जनून इस देश में आतंकवाद के प्रति उपजा असंतोष है... इन्होने आतंक वाद की त्रासदी आखों से देखि है तभी तो इन्हें आतंकवाद से इतनी घृणा है ......
 
प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम. ताऊ पहेली *अंक 76 *में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं क..
 
विवाह की रंगीन संध्या और खाने पीने के शुभ अवसर पर हम भी पंडित जी के घर इकठ्ठी भीड़ में शामिल थे… भीड़ के कोलाहल से थोड़ी दूर बैठे हम अपनी बारी का इन्तज़ार कर रहे थे… साथ ही यह सोच भी रहे थे कि माता श्री की आज्ञा का पालन किया जाय, (जिसमें सबको खिलाने पिलाने
  
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इस देश में बेटियों के लिए बड़े-बड़े प्रोत्साहन की घोषणाये करता है, राज्य सरकारें बेटी होने पर पता नहीं क्या-क्या खाते खुलवाकर इनाम बाटती फिरती है, उन्हें मुफ्त शिक्षा और पता नहीं क्या-क्या सुविधाए उपलब्ध
  
सुबह आँखें मलते सूरज को देखते मैं सच को टटोलती हूँये मैं , मेरे बच्चे और मेरी ज़िन्दगी फिर एक लम्बी सांस लेती हूँसारे सच अपनी जगह हैं अविश्वास नहींएक अनजाना भय कहो इसे हाँ भयउन्हीं आँधियों का जिसने मेरा घरौंदा ही नहीं तोड़ामुझे तिनके-तिनके में बिखराया

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने बहुत कोशिश की थी कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ियावाद उभरे लेकिन तमाम तरह की कोशिशों के बाद भी वे नाकाम साबित हुए। अब एक बार फिर कांग्रेस से जुड़े एक फिल्म निर्माता ने ...
 
 
 
 अब आपसे लेते हैं हम विदा- लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा
 
 
 
 
 
 

शुक्रवार, 28 मई 2010

विश्व में हिंदी भाषा का स्थान क्या है, हिंद का जिन्दा-ब्लाग 4 वार्ता राजकुमार ग्वालानी

ब्लाग 4 वार्ता  का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार- आएं मिलकर बांटते चले सबको प्यार  
 
आज हम सीधे चर्चा पर चलते हैं-
 
 हमारे देश की विशेषता क्या है यह प्रायः सभी जानते हैं. अनेकता में एकता इसी राष्ट्र में देखने को मिलती है. अलग अलग भाषा, अलग बोली, रहन सहन में भी भिन्नता पर बस एक अवधारणा "हम सब एक हैं" यही मुख्य विशेषता है...
 
इस कहानी का कोई पात्र काल्पनिक नहीं है.. या फिर ये भी कह सकते हैं कि यह कोई कहानी नहीं है.. यह असल जिंदगी कि कड़वी सच्चाई है.. वैसे भी मेरा मानना रहा है कि असल जिंदगी से बढ़कर कोई कहानी नहीं होती है.. यह म...
 
हिंद का जिन्दा क्या हिंद का जिन्दा कॉप रहा है ???? गूंज रही है तदबिरे, उकताए है शायद कुछ कैदी....... और तोड़ रहे है जंजीरे !!!!! दीवारों के नीचे आ आ कर यू जमा हुए है ज़िन्दानी ..... सी...
 
हिंदी ब्लॉगिंग की दुनिया किसी अखाड़े से कम नहीं लग रही! रोटी पर चिपुड़ने के लिए रखा हुआ घी चूल्हे की आग में गिर जाता हैं और आग भड़क उठती हैं! कुछ लोगो की राय में विवादों का उठाना हिंदी ब्लॉगिंग के लिए नुकसान...
 
भविष्य की एक ब्लोग बैठक का दृश्य सोचा था कि इस पोस्ट में दिल्ली ब्लोग्गर्स बैठक की तीसरी कडीं में उस बैठक की बची हुई बातें , भविष्य में आयोजित की जाने वाली बैठकों की रूपरेखा और इसके लिए एक निश्चित स्थान...
 
मैं शेरशाह सूरी का मकबरा हूं। वही शेरशाह जिसके बचपन का नाम फरीद था पर जिसने युवावस्था में ही एक आदम खोर शेर को मार यह नाम हासिल किया था। वैसे भी वह शेरों का शेर था। यह वही शेरशाह था जिसने मुगल सल्तनत को झक...
 
संस्कारधानी जबलपुर के प्रेस फोटोग्राफर भाई मदन सोनी जी फोटोग्राफी के क्षेत्र में बेमिसाल प्रतिभा के धनी है . समय समय पर ज्वलंत सामयिक घटनाओं के फोटो, नगर में चल रही सांस्कृतिक समारोहों के , सामाजिक कार्यक्...
 
जनवरी 2008 में हमने अपने आरंभ में किस्‍सानुमा छत्‍तीसगढ़ के इतिहास के संबंध में संक्षिप्‍त जानकारी की कड़ी प्रस्‍तुत की थी तब छत्‍तीसगढ़ के इतिहास पर कुछ पुस्‍तकों का अध्‍ययन किया था। हमारी रूचि साहित्‍य म...
  
उसने उस दिन मेरे गाल पर झन्नाटा लिखा था कोई ताड़ न पाये इसलिये मैनें सन्नाटा लिखा था . उसकी गली में आया था कुत्ते पीछे पड़ गये थे पढ़कर देखते मेरे चेहरे पर ज्वार-भाटा लिखा था . चमन में आया था मैं चश्मे-नम करने की ख़ातिर मेरे भाग्य में तो निगोड़ा यह सूखा कांटा
  
यह जो आप पढ रहे हैं यह लाइन सबसे अंत में लिखी गई है पहले हमें लगा इसे कोई श्रृंखला जैसा कोई नाम दे दें । फिर उसी चीज के एक दो तीन पढते पढते होने वाली ऊब के याद आने की वजह से एक शीर्षक दे दिया ।शीर्षक पर न जाऍं क्‍योंकि आपको पता ही है कि शीर्षक और पोस्‍ट
  
मैं अक्सर देखता चला आ रहा हू की लखनऊ  ब्लागर असोसिएसन पर आजकल धार्मिक जंग छिड़ी हुई है, कोई हिन्दू धर्म को बड़ा बता रहा है तो कोई इस्लाम को, मैं समझता हूँ प्रत्येक धर्म अच्छाई का रास्ता ही बताते हैं, मजहब नहीं सिखात आपस में बैर रखना फिर हम जिस जंग
  
किं चित, थोड़ा या अत्यल्प के अर्थ में हिन्दी में जरा शब्द सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। जरा सी बात, जरा सी चीज या जरा सा काम जैसे वाक्यांशों से साफ है कि बोलचाल में इस जरा का बहुत ज्यादा महत्व है। हिन्दी में किंचित, क्वचित की तुलना में सर्वाधिक लोकप्रिय
  
आज हमरी एकलौती बेटी सुबहे से बहुत उदास है.अभी पीछे जे हम पटना गए थे, त ऊ ऊहाँ हमरा बेटा (हमरा भाई का बेटा - हमरा संजुक्त परिवार में हम लोग भतीजा नहीं बोलते हैं) यानि अपना भाई से मिलकर बहुत खुस थी. बगले में हमरा भगिना अऊर भगिनी रहता है सब. एक जगह, एक साथ
  
जीने के कई तरीके हैं। अलग अलग लोग अलग अलग तरीके से जीते हैं। उपर उपर सरल गति से चलती जिन्दगी में भी सतह के अंदर तनाव और चिंता की लहरें मन को परेशां करती रहती हैं। हमें बहुत कुछ करना होता है। बहुत सारी चिंताएं होती हैं। एक काम करते हुए दुसरे काम के बारे
 
 अब आपसे लेते हैं हम विदा-  लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा
 
 
 
 
 
 
 
 

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