ब्लाग 4 वार्ता का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार
आएं मिलकर बांटते चले सबको प्यार
आएं मिलकर बांटते चले सबको प्यार
ब्लाग जगत में इन दिनों जिस तरह से जंग का माहौल बना हुआ है उससे हमें भी शक होने लगा है कि क्या ब्लागरों ने सचमुच में भांग पी रखी है। भांग नहीं पी है तो क्या ऐसा नशा कर रखा है जिसके कारण ये सब हो रहा है। अरे यारों जिंदगी बहुत कम है यहां दोस्ती के लिए समय निकालना कठिन है फिर क्यों कर दुश्मनी मौल ले रहे हैं। बहरहाल हम चलते हैं आज की चर्चा की तरफ
ब्लॉगरों ने तो लगता है पी ली भांग है , कुछ ठीक नहीं चल रहा सब उटपटांग है! निकले तो हिंदी की दुर्दशा सुधारने को थे, और खीच रहे बस एक-दूजे की टांग है!! लिखने का मकसद क्या सिर्फ वोट है? लगता है कि हिंदी में ही...
झा जी कहिन में अजय कुमार झा बता रहे हैं- जाने क्या क्या पढ गया , जो पढा सब यहां धर गया …(पोस्ट झलकियां)
पहले नवभारत टाईम्स ब्लोग से देखिए कि, जो है सो है होमवर्क खरीदने का जमानाराजेश कालरा Friday May 14, 2010 *मेरा आम तौर* पर यह प्रयास रहा है कि मैं ब्लॉग के लिए ऐसे टॉपिक उठाऊं जो हमें, यान...
35 रूपए में लेना है तो ले, उससे कम नहीं होगा। कंडरा बस्ती की उस महिला के मुंह से ऐसे कटु शब्द सुनकर उस आदमी का चेहरा बेचारगी की हद पार कर गया। उसने बेबस नजरों से महिला को देखा, पर महिला के चेहरे पर कोई भाव
एक लेखक के नाते **सामाजिक** सरोकारों से जुडा रहता हूँ. सामाजिक मोर्चे पर लेखक को एक नागरिक की तरह तैनात रहना चाहिए लेकिन कुछ लोग केवल लेखन तक सीमित रहते है. मै विनम्रतापूर्वक आगे बढ़कर समाज के लिए कुछ ...
मुझे ज्योतिष सम्बन्धी तनिक भी जानकारी नही है। फिर भी मै ज्योतिषीय किताबें पढ़ना पसन्द करता हूँ। दर असल ज्योतिष को शायद सही सही रूप मे जन-मानस के समक्ष किसी के द्वारा प्रस्तुत नही किया जा सका है। यद्यपि यह ...
शिल्पकार के मुख से में ललित शर्मा बता रहे हैं- देगें ईंट का जवाब उनको गोलों से-------ललित शर्मा
काल के कपाल पर नित प्रहार करेंगे, हम सिपाही है दुश्मन से नही डरेंगे । देगें ईंट का जवाब उनको गोलों से, हम बर्फ़ के नहीं है जो आग से डरेंगे। जिनकी पीढियाँ करते आई युद्ध यहां, हमेशा कफ़न बांध कर वो ही लड़ेगे...
नया जमाना में जगदीश्वर बता रहे हैं- नव्य उदार मार्ग का कुपरिणाम हैं चीनी बच्चों पर हमले
(चीन में हाल के कातिलाना हमलों में घायल 2 साल का बच्चा अस्पताल में)* चीन में विगत दो महीनों से बच्चों पर जिस तरह के कातिलाना हमले हो रहे हैं इससे समूचे चीन में हंगामा उठ खड़ा हुआ है। चीन के विशेषज्...
रायटोक्रेट कुमारेन्द्र में यौन शिक्षा - चुनौतीपूर्ण किन्तु आवश्यक प्रक्रिया - (भाग - 3)
यौन शिक्षा - चुनौतीपूर्ण किन्तु आवश्यक प्रक्रिया डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर (3) जिज्ञासा के साथ कौतूहल भी - दस वर्ष से ऊपर की अवस्था .
'जनजातीय समुदाय के उत्थान और विकास का कार्य ऐसे लोगों के हाथों होना चाहिए, जो उनके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और सामाजिक व्यवस्था को पूरी सहानुभूति के साथ समझ सकें.' गोंड जनजाति के आर्थिक जीवन पर शोध करत...
एक आलसी का चिठ्ठा में गिरिजेश राव बता रहे हैं- भाँग, भैया, भाटिन, भाभियाँ, गाजर घास ... तीन जोड़ी लबालब आँखें - 7
अब आपसे लेते हैं हम विदा
पहला भाग दूसरा भाग तीसरा भाग चौथा भाग पाँचवा भाग छठा भाग स्मृतियों से भरा मन। एक के बाद एक कालखण्ड आ रहे हैं जा रहे हैं - नहीं एक दूसरे से मिल से गए हैं - स्याह रंगों के कई टिंट, कई शेड ... बड़क...
गर्मियों के इस मौसम में स्वास्थ्य रक्षा के उपाय :- दोपहर के तेज गर्मी के समय छायादार जगह में रहें हलके और सादे रंग के ढीले कपडे पहने आँख की सुरक्षा के लिए धुप में चश्मा पहन क...
नुक्कड़ में अविनाश वाचस्पति बता रहे हैं- क्या अंग्रेजी बन गयी है राष्ट्रभाषा ? द संडे इंडियन पब्लिक में पढि़ए ओंकारेश्वर पांडेय की आमुख कथा
द संडे इंडियन का अभी यह अंक बाजार में आना है। आप प्रतीक्षा मत कीजिए, तुरंत पढ़ लीजिए। अपनी अच्छी बुरी जैसी भी हो, राय अवश्य दीजिए। पत्रिका 14 भाषाओं में एक साथ प्रकाशित होती है। एक एक इमेज पर क्लिक करते ...
उच्च विचार जिनके साथ रहते हैं वे कभी अकेले नहीं रहते हैं एक जैसे पंखों वाले पंछी एक साथ उड़ा करते हैं हंस-हंस के साथ और बाज को बाज के साथ देखा जाता है अकेला आदमी या तो दरिंदा या फिर फ़रिश्ता होता है तीन से भीड़ और दो के मिलने से साथ बनता है आदमी को उसकी
( कभी नहीं भूलूंगा इस अनुभव को : नाव से कोशी नदी पार कर गुलरिया जाते (ऊपर ) और ग्रामीणों से बात करते बिल गेट्स ) दहाये हुए देस का दर्द-64 वैषम्य (कंट्रास्ट) में अचरज होता है और हर अचरज समाचार होता है। इससे...
ठीक है कुछ पाने के लिए कुछ ना कुछ खोना ही पड़ता है,मगर ये नहीं जानता था कि मैं, कुछ पाने के लिए इतना कुछ खो दूंगा कि मेरे पास कुछ और पाने के लिए कुछ भी तो नहीं बचेगा,और मैं थोडा सा कुछ पाने के लिए अपना सब कुछ खोकर उनके चेहरों को पढता हुआजो मेरे पास कुछ
आखिर वहीं हुआ जिसकी आशंका थी। अपने को टी-20 क्रिकेट का शहंशाह कहने वाला भारत सेमीफायनल में भी नहीं पहुंच सका। श्रीलंका ने वेस्ट इंडीज में उसकी शर्मनाक विदाई कर दी। इस टी-20 विश्व टूर्नामेंट से यह जाहिर हो गया कि अब हमारे खिलाड़ियों में जीतने की भूख के
14 मई 2010 को डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट के नियमित स्तंभ 'ब्लॉग राग' में * आर्यावर्त* तथा *राजतंत्र* की
पोस्ट्स
कवि योगेन्द्र मौदगिल बता रहे हैं- ये दुनिया भी सर्कस जैसी........
मन की बातें, घर की बातें. जैसे हों नश्तर की बातें. नदिया के सपनों में आईं, रातों-दिन सागर की बातें. नाशवान क्योंकर करते हैं ? जीवन में नश्वर की बातें ! ये दुनिया भी सर्कस जैसी, बातें भी जोकर की बातें....
देखें कौन-कौन होता है इस चर्चा पर फिदा
8 टिप्पणियाँ:
...bahut khoob !!!
बढिया राजकुमार जी और लेख प्रकाशन की बधाई !
नारायण नारायण! आपके चर्चा लेखन का जवाब नही। अभी इनमे से कुछ पढ़ना शेष है।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
अच्छी लिंक्स हैं। कुछ को पढ़ा है। बाकी अब पढ़ूंगा।
धन्यवाद
बढ़िया चर्चा.
बहुत बढि्या चर्चा राजकुमार भाई,
लिंक देने के लिए शुक्रिया।
बहुत सुंदर जी
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