शनिवार, 29 मई 2010

नक्सली हो गए है बदहवास- आम लोगों से बूझ रहे हैं खून की प्यास -ब्लाग 4 वार्ता राजकुमार ग्वालानी

ब्लाग 4 वार्ता  का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार- आएं मिलकर बांटते चले सबको प्यार 

नक्सली लगता है अब बदहवास हो गए तभी तो वे आम लोगों के खून के प्यासे हो गए हैं। जिस तरह से पहले बस्तर में एक बस पर हमला किया गया और अब ट्रेन पर हमला किया गया उससे तो यही लगता है। सरकार अब भी अगर नहीं जागी तो ऐसी सरकार से देश का भला क्या होगा। आम लोगों का विश्वास अब पूरी तरह से सरकार पर से उठ गया है। आज ब्लाग जगत में भी चौतरफा नक्सली हमले की चर्चा है यह एक अच्छी बात है। इसके पहले जब बस्तर में हमला हुआ था तो ब्लाग जगत में ज्यादा कुछ नहीं लिख गया था। चलिए देखें कौन क्या कहता है।  
 
 महिलाओं को भले ही आधी आबादी कहा जाता हो, समाज में उनकी बराबरी की बातें कही जाती हों, उनके उत्थान के लिए कई स्तर पर सरकारी प्रयास किये जा रहे हों फिर भी कुशलता से घर चल...
 
लाहौर में आतंकियों द्वारा लगभग 2000 लोगों को मस्जिद में बंधक बनाकर रखा जाना, इधर अपने देश में नक्सलियों द्वारा रेल की बोगियां उड़ा देना..... रोज रोज इस तरह की घटनाएं आम बात हो गयी हैं. क्या है इसका समाधान ...
 
आज (28 मई को) फिर 'अपने लोगों' (गृहमंत्री चिदंबरम के अनुसार) ने रेल कि पटरी उड़ा कर सत्तर लोगों को मौत के घाट उतर दिया। फिर वही सरकारी 'स्यापा' शुरू हो गया। भ्रष्ट सरकारी तंत्र और रीढ़विहीन नेताओं पर भरोसा ...

आज तडके हावडा -कुर्ला लोकमान्य तिलक ज्ञानेश्वरी सुपर डीलक्स एक्सप्रेस, जोकि महाराष्ट्रा जा रही थी, के १३ डिब्बे आतंकवादियों द्वारा जगराम से १३५ किलोमीटर दूर खेमसोली और सर्दिया रेलवे स्टेशनों के बीच तडके ...
 
noreply@blogger.com (Suresh Chiplunkar) द्वारा महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar) -
 
बी.बी.सी. कहता है........... ताजमहल........... एक छुपा हुआ सत्य.......... कभी मत कहो कि......... यह एक मकबरा है.......... प्रो.पी. एन. ओक. को छोड़ कर किसी ने कभी भी इस कथन को चुनौती नही दी कि........ "...
 
एंकर - दोनों भाइयों का जुनून आपको भले ही अजीब लगे लेकिन दोनों का यह जनून इस देश में आतंकवाद के प्रति उपजा असंतोष है... इन्होने आतंक वाद की त्रासदी आखों से देखि है तभी तो इन्हें आतंकवाद से इतनी घृणा है ......
 
प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम. ताऊ पहेली *अंक 76 *में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं क..
 
विवाह की रंगीन संध्या और खाने पीने के शुभ अवसर पर हम भी पंडित जी के घर इकठ्ठी भीड़ में शामिल थे… भीड़ के कोलाहल से थोड़ी दूर बैठे हम अपनी बारी का इन्तज़ार कर रहे थे… साथ ही यह सोच भी रहे थे कि माता श्री की आज्ञा का पालन किया जाय, (जिसमें सबको खिलाने पिलाने
  
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इस देश में बेटियों के लिए बड़े-बड़े प्रोत्साहन की घोषणाये करता है, राज्य सरकारें बेटी होने पर पता नहीं क्या-क्या खाते खुलवाकर इनाम बाटती फिरती है, उन्हें मुफ्त शिक्षा और पता नहीं क्या-क्या सुविधाए उपलब्ध
  
सुबह आँखें मलते सूरज को देखते मैं सच को टटोलती हूँये मैं , मेरे बच्चे और मेरी ज़िन्दगी फिर एक लम्बी सांस लेती हूँसारे सच अपनी जगह हैं अविश्वास नहींएक अनजाना भय कहो इसे हाँ भयउन्हीं आँधियों का जिसने मेरा घरौंदा ही नहीं तोड़ामुझे तिनके-तिनके में बिखराया

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने बहुत कोशिश की थी कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ियावाद उभरे लेकिन तमाम तरह की कोशिशों के बाद भी वे नाकाम साबित हुए। अब एक बार फिर कांग्रेस से जुड़े एक फिल्म निर्माता ने ...
 
 
 
 अब आपसे लेते हैं हम विदा- लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा
 
 
 
 
 
 

7 टिप्पणियाँ:

नक्सलवाद पर अच्छी कवरेज !

नक्सलवाद जैसे विषय को लेकर आपकी तैयारी सार्थक है। आपने मेरी पोस्ट को भी इसमें शामिल किया। मैंने अपनी पोस्ट में भविष्य में घुसने वाली महीन किस्म की सांप्रदायिकता पर बात की है। आपका धन्यवाद।

यहां नक्सलवाद आतंकवाद जैसी विकट समस्या पर सभी के विचार का लिन्क देने के लिये आभार! इस ब्लोग जगत को चाहिये कि इस पर सार्थक कदम उठाये। शासन तक अपने सुझाव भेजें। और एक बात समझ नही आती आखिर व्यक्ति इतना क्रूर कैसे बन जाता है। क्या वे किसी दूसरी दुनिया के लोग हैं?

बढिया चर्चा राजकुमार भाई

नक्सलियों ने फ़िर शर्मनाक कृत्य किया है
धिक्कार है इनको

बढ़िया वार्ता लिख रहे है आप .......................

बहुत अच्छी लगी आप की आज की चर्चा

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