रविवार, 3 नवंबर 2013

रंगोली सजाएं, दीप जलाएं... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार....... किसी देहरी आज अँधेरा न रहने दें आओ बस्ती झोपड़ियों में दीप जलाएं। अपनों के तो लिये सजाये कितने सपने, सोचा नहीं कभी उनका जिनके न अपने, भूखे पेट गुज़र जाती हर रातें जिनकी, चल कर के उनमें भी एक आस जगाएं। बना रहे हैं जो दीपक औरों की खातिर, उनके घर में आज अँधेरा कितना गहरा, बिजली की जगमग में दीपक पड़े किनारे, इंतज़ार सूनी आँखों में, दीपक बिक जाएँ। महलों की जगमग चुभने लगती आँखों में, अगर अँधेरा रहे एक भी घर में बस्ती के, लक्ष्मी नहीं है घटती गर दुखियों में बाँटें, सूखे होठों पर कुछ पल को मुस्कानें लाएं। जब तक जगमग न हो घर का हर कोना, अर्थ नहीं कोई, एक कोने में दीप जलाएं. आप सभी को वार्ता परिवार की ओर से  मंगल पावनपर्व पर हार्दिक शुभकामनायें.... आइये अब चलें ब्लॉग  4 वार्ता की ओर कुछ उम्दा लिंक्स के साथ...  


उजाले की उजली शुभकामनाऐं------- प्रारंभ में एक दीपक जला उजाला दूर दूर तक फैला और भटकते अंधेरों से लड़ने लगा संवेदनाओं के चंगुल में फंसा जनमत के बाजार में नीलाम हुआ जूझता रहा आंधियों से नहीं ख़त्म होने दी अपनी,टिमटिमाहट बारूद के फूलों की पंखुड़ियों पर लिख रहा है अपने होने का सच ..शब्‍द-दीप जल गए....तुमने कहा... तुम मेरी दीप..तुमसे ही दीपावली देखो रौशन हो गया जहां.....शब्‍द-दीप ही जलने दो अभी होगी तब असली दीपावली जब हम मि‍ल जाएंगे..... ((..सभी मि‍त्रों को दीपोत्‍सव की बधाई व हार्दिक शुभकामनाएं...)) ...डरता है अंधियार.*जगमग हर घर-द्वार कि अब दीवाली आई,* *पुलकित है संसार कि अब दीवाली आई।* * * *दुनिया के कोने-कोने में दीप जले हैं, * *डरता है अंधियार कि अब दीवाली आई।* * * *गीत प्यार के गीत मिलन के गीत ख़ुशी के, * *गाओ मेरे यार कि अब दीवाली आई।* * * *जी भर जी लो गले लगालो सबको हंसकर,* *जीवन के दिन चार कि अब दीवाली आई।* *..

 

दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें ! दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !  भारतीय नारी ब्लॉग के सभी सम्मानित योगदानकर्ताओं व् पाठकों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें !दीपों का उत्सव आया है, दीपों का उत्सव आया है ...परिकल्पना ब्लॉगोत्सव-2013 का भव्य शुभारंभ आज से *भारतीय संस्कृति में उत्सव हो या उत्सव में भारतीय संस्कृति, ऐसी घुली मिली हुई है कि पूरा विश्व इस संस्कृति को झुककर सलाम करता है। क्यों न करे, भारत उत्सवों का देश जो है। हम अपने कर्म-कर्तव्य को भी उत्सव से जोड़कर देखते हैं और अपनी प्रगति को भी। ...दीप पर्व : हमारे देश और विदेशों में हमारे देश में दीपावली का पर्व बड़ी ख़ुशी उमंग और धूमधाम के साथ मनाया जाता है और यह हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है . धन की देवी श्री लक्ष्मी जी का पूजन अर्चन किया जाता है और उनके आने की ख़ुशी में फटाके फोड़े जाते हैं . .

 

 दीपावली पर्व पर शुभकामनाएँ दीपावली का इंतजार तो मुझे कई दिनों से रहता है। इस दिन मुझे ढेर सारे दीये जलना बहुत अच्छा लगता है। फिर उन्हें घर के हर कोने में और बहार सजाकर लगाना कित्ता सुन्दर लगता है। ऐसे लगता है जैसे धरती पर ढेर सारे तारे चमक रहे हों। और हाँ, गणेश-लक्ष्मी जी की पूजा करके उन्हें भोग चढ़ाना और फिर ढेर सारी मिठाइयां और चॉकलेट्स खाने का तो आनंद ही कुछ और है..दिया समर्पण का रखना !!! निश्‍चय की ड्योढ़ी पर दिया समर्पण का रखना, जब भी मन आंशकित हो तुम धैर्य हमेशा रखना । पूजन, वंदन आवाहन् होगा गौधूलि की बेला में जब, अपने और पराये की खातिर बस नेक भावना रखना । उत्‍सव की इस मंगल बेला में दीप से दीप जलाना जब, मन मंदिर में एक दिया संकल्‍प का भी जलाकर रखना । लम्‍हा-लम्‍हा उत्‍साहित है बच्‍चे पंच पर्व पर आनंदित हैं परम्‍पराओं के ज्ञान का दीप जलाकर उनके मन भी रखना ।..दीवाली के पर्व पर,बरस रहा है नूर..दीवाली के पर्व पर,बरस रहा है नूर. अहंकार तम का हुआ,फिर से चकनाचूर. अन्यायी को अंत में,मिली हमेशा मात. याद दिलाती है हमें,दीवाली की रात. घर घर पूजे जा रहे,लक्ष्मी और गणेश. पावन दीवाली करे,दूर सभी के क्लेश. दीवाली का पर्व ये, पुनः मनायें आज. और पटाखों से बचे,अपना सकल समाज।। यश-वैभव-सम्मान में,करे निरंतर वृद्धि. दीवाली का पर्व ये,लाये सुख-समृद्धि.. 


मन गई दिवाली गम की अमावस में न डाल हथियार तू एक दीप तो हौले से जरा उजियार तू। रोशनी की हर किरण चीरती है अंधेरा देख रख हौसला, न मान हार तू। मन में अगर हो आस तो पूरी करेंगे हम यह ठान के ह्रदय में, बढ आगे यार तू। जितनी है सोच काली उसे मांज के हटा फिर देख अपने मन को यूँ चमकदार तू। अपनी खुशी के फूल चमन में बिखेर दे तो बहेगी खुशबू वाली, लेना बयार तू। तेरे मन की रोशनी से हो उजास आस पास तब मन गई दिवाली ...आज खुशियों भरी दीवाली है दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ! हर घर के स्वागत द्वार पर छोटे-छोटे दीपों का हार है प्रभु की स्नेहिल अनुकम्पा का यह अनुपम उपहार है ! उर अंतर का हर कोना आज खुशियों के उजास से जगमगा रहा है दीप मालिकाओं का उज्जवल प्रकाश घनघोर तिमिर को परास्त कर गगन के सितारों को भी लजा रहा है ! आज मन से यही दुआ उच्छ्वसित होती है...दिये जलाओ कि.. दिये जलाओ कि कोई तिमिर हटे दिल मिलाओ कि कोई प्यार बटे जुगनुओं सी रोशनी भी यहा है काफी अंधेरा भगाओ कि कोई धुंध छटे टिमटिमाती रोशनी में नहा गया है घर खरीददारी से बहुत बेतरतीब भर गया है घर स्नेह की कुछ जगह बनाओ तो कुछ' बात बने दिये जलाओ कि कुछ तिमिर हटे ..

 

..अंतर्मन जो करे प्रकाशित, ऐसी दीप ज्योति जल जाये ।नहीं कामना हे प्रभु मेरे , तेज ज्योति जगमग प्रकाश की, निखरे छटा प्रभाष पुंज की जिससे आँखें चुधिया जायें, उसमें दर्प, घमंड समाये । इतना ही प्रकाश मेरे प्रभु ! जीवन में तुम कायम रखना , सहज शांत ल्यों दीपक ज्योति , सूर्य किरण संयम रख जलती, स्निग्ध चांदनी प्रकाश पथ देती....दीपावली हाईकुधनतेरस* *जलाएँ यमदीप* *प्रकाश लाएँ .....* * * *प्रकाश पर्व* *आनंद उल्लास का* *ख़ुशी का पर्व .....* * * *दीपक जले* *रौशनी को फैलाए* *खुशियाँ लाए .....* * * *मिठाई देख* *मनवा ललचाए* *मुँह में पानी ......* * * *लक्ष्मी कि पूजा* *गणेश कि आरती* *मन प्रसन्न .....* * * *मंगल पर्व* *ले लो नए संकल्प* *खुशी फैलाओ ....शुभ दीपावली ।

कार्टून :- पूजा छुप के करता तो बेहतर था

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgj-G8M7PMxfb-HIaUAUgHXBvux7kxpGSLVauYiDdBQJhpElPzR2QUg18xwlBLfqGOGY4g0p4Rv7CfN_QsvuhLCMMXuv1L2VCAMBtw3nAlAD5GwEInLXUQ7KzAfBNiVzvvEWnUBTx2XSN0/s1600/2.11.2013.jpg

मिलते हैं, अगली वार्ता में तब तक के लिए नमस्कार.....

मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

आ जाना चाँद ...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.... 'पूर्णस्य पूर्णमादाय ' कहने से तात्पर्य यह है की यदि तुम स्वयं इस सत्य की अनुभूति कर सको कि वही ' पूर्ण ' तुम्हारे साथ साथ इस विश्व ब्रह्माण्ड के कण कण में भी प्रविष्ट है तो फिर उस ' पूर्ण ' के बाहर शेष बचा क्या ? इसी को कहा गया - ' पूर्णमेवावशिष्यते '.... ! 'करवा चौथ' के मंगल पावनपर्व पर हार्दिक शुभकामनायें ....आइये अब चलें ब्लॉग  4 वार्ता की ओर कुछ उम्दा लिंक्स के साथ...



पिया का घर-रानी मैं  पिया का घर-रानी मैं …बचपन के गुड़िया घर से राजा का इंतज़ार और रानी होने का गुमां लड़कियों को व्रत करने की कर्मठता देते हैं - हरियाली तीज,तीज,सोलह सोमवार, …करवा चौथ इत्यादि कई व्रत हैं,जिसके आगे पति की दीर्घायु की कामना लिए पत्नी अन्न,जल ग्रहण नहीं करती,सावित्री बन जाने का संकल्प लेती हैं . चाँद हमारी हथेली में आ गया,विज्ञान ने कई दरवाज़े खोल दिए, …

 

कर लो थोड़ा इन्तजार……. *रूप दमके * *प्यार छलके * *जीवन महके……. सजनी तेरा……. * * मत हो उदास * *आऊंगा तेरे पास * *ले निशा का अनुपम श्रृंगार* *बदली में घिर गया अभी मैं * *कर लो थोड़ा इन्तजार……. * * ** सुहाग पर्व के इस अवसर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं * 

 

करवाचौथ दोहे आये कार्तिक माह में ,कृष्ण पक्ष की चौथ व्रत निर्जला सुहागिनें , करतीं करवाचौथ / दिन है यह सौभाग्य का, कमी न रखना शेष कर सोलह श्रृंगार लो, करवाचौथ विशेष / सब पति की दीर्घायु का,करती हैं उपवास प्रतीक्षा चंद्रोदय की ,इस दिन होती ख़ास / शुरू हो सूर्योदय से, चाँद देखके पूर्ण श्रद्धा और उत्साह से , करती हैं संपूर्ण / चंद्रोदय के बाद ही ,मिलता है संयोग अर्घ्य दे सभी चाँद को ,उसे लगाती भोग / निर्जल व्रत है चौथ का , करे सुहागिन नार जल पिए बाद अर्घ्य के , कर सोलह श्रृंगार // *

 

हरसिंगार की अभिलाषा इससे पहले कि मेरी निर्मल धवल कोमल ताज़ा पंखुड़ियाँ कुम्हला कर मलिन हो जायें , मेरी सुंदर सुडौल खड़ी हुई नारंगी डंडियाँ तुम्हारे मस्तक का अभिषेक करने से पहले ही मुरझा कर धरा पर बिखर जायें मुझे बहुत सारा स्थान अपने चरणों में और थोड़ा सा स्थान अपने हृदय में दे दो प्रभु कि मेरा यह अल्प जीवन सुकारथ हो जाये और मेरी इस क्षणभंगुर नश्वर काया को सद्गति मिल जाये 

 

अमृत बरसाती करवा चौथ की रात !!! हाँ ! बस सजने ही वाली है बड़े इंतज़ार से भरी सलोने से चाँद की अरमानों भरी वो करवा चौथ की रात ! वो सजे हुए करवे चार दिशाओं का भान कराती सींके मांडे चौक पर अमृत बरसाती रात ! सतरंगी सजी चूड़ियाँ मेहंदी से रची हथेलियाँ कलाइयों और हथेलियों में मनभावन रंग भरी आशीष सी रात ! वो नथ ,वो माँग का टीका बाजूबंद - करधनी - कंगना सहेजती अंगूठी की छुवन सी पायल की रुमझुम गुनगुनाती रात ! ख़ुश्क होते इन लबों से अंतर्मन तक तृप्त मन के रेशमी साड़ी की छुवन सी सुहाग की चमक भरी चूनर की रात ! सबसे बड़ी ,सबसे प्यारी आशाओं उम्मीदों भरी जन्मों के रिश्तों के नाज़ुक से एहसास सहेजती करवा चौथ की रात !!! ...

 


- न लाना तुम श्रृंगार सजन तुम आ जाना व्याकुल मेरे मन प्राण चैन तुम दे जाना हर दिन आकर ये चाँद तेरा दिलाता भान तुझको नित निहारा दर्श नयन को दे जाना कैसे करूँ ...

 

 आ जाओ चाँद... संध्या शर्मा - उषा की लाली संग अंगना रंगोली सजाकर घर का कोना -कोना स्नेह से महकाकर रसोई के सारे काम जल्दी से निबटाकर सोलह सिंगार कर अक्षत, चन्दन, फूल केसर, कुमकुम से..

 

कार्टून :- ओय होय करवा चौथ आयो रे 

 

 एक गीत हमारी पसंद का -


मिलते हैं, अगली वार्ता में तब तक के लिए नमस्कार.....

मंगलवार, 3 सितंबर 2013

बाबा बि‍ज़ी..अच्छे दिन के साईड-इफैक्ट....ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... जब-जब ओस की बूँदें बेचैन होंगी घास के मुरझाये पत्तों पर ढरकने को धीरे से धरती भी छलक कर उड़ेल देगी भींगा-भींगा सा अपना आशीर्वाद और बूँदों के रोम-रोम से घास का पोर-पोर रच जाएगा हरियाली की कविता से तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी उन तृप्ति की तारों में जब-जब आखिरी किरणों से सफ़ेद बदलियों पर बुना जाएगा रंग-बिरंगा ताना-बाना उसमें घुलकर फ़ैल जाएगा कुछ और , कुछ और रंग हौले से आकाश भी उतरकर मिला देगा अपनी सुगंध उन रंगों की कविता में तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी ..... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता .........

क्या हश्र हुआ शाहजहाँ के तख्ते ताऊस या मयूर सिंहासन का ? - *आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे. हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह उस मनों सोने का भी ...  कामिनी के श्रृंगार कभी - जीवन से तो मोह बहुत पर फीका है संसार कभी लगते हैं कुछ दिन फीके तो आ जाते त्योहार कभी सूरज आस जगाने आता और चाँदनी मुस्काती पल कुछ ऐसे भी मिलते जब बढ़ जाता है...मंज़र तेरी कब्र पर - दो दिन जुटेंगे मज़ार पर तेरे चाहने वाले दिन चार चक्कर लगायेंगे दुआ मांगने वाले सूखे फूल और सूखे अश्क फकत बाकी रहेंगे कुछ कबूतर के सुफेद जोड़े तेरे साथी ...  

कमिटमेंट ... - अपराधी, पुलिस, सरकार, तीनों हैं संशय में यारो सच ! अब 'खुदा' ही जाने कौन किस्से डर रहा है ? … अब तो सिर्फ … आसा-औ-राम … का है भरोसा वर्ना, जेल की कालकोठरी....पर्दे के पीछे कुछ ना कुछ तो जरूर है - श्रीगंगानगर-आइये, सरकारी हॉस्पिटल में चलें जहां मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास होने वाला है। मंच पर मौजूद हैं प्रदेश कांग्रेस की राजनीति के चाणक्य और मुख्यमंत्...बाबा का साक्षात्कार …. सिर्फ इस चैनल पर - प्रश्न .....बाबाजी आपके ऊपर यौन शोषण और दुष्कर्म के इलज़ाम लगे हैं, इस पर आपको क्या कहना है ? बाबा जी ....आप लोगों की सांसारिक शब्दावली हमारे पल्ले नहीं पड़त... 

 तीन कबिता - 1 ब्रम्ह मुहूरत में उठ जाबे . धरती माँ ल कर लेबे परनाम . सुमिरन करबे अपना कुल देवता ल , लेबे अपन इष्ट देव के नाम . बिहिनिया बिहिनिया नहाके , तुलसी मैया मा ..हाशिये पर रहे साहित्य-ऋषि लाला जगदलपुरी - साहित्य-सेवा को तन-मन-धन से समर्पित, यहाँ तक कि इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये चिर कुमार रहे लालाजी (लाला जगदलपुरी) का देहावसान साहित्य-जगत के लिये एक ....भाषाओं के अंत का आख्यान - भारत के नीति निर्धारकों ने राष्ट्र-राज्य की धारणा के तहत जातीयभाषा पर जोर देकर लोकल भाषाओं के साथ असमान व्यवहार को बढावा दिया और उसके भयावह परिणाम सामने  ... 

 निठल्लाई: साधो सहज समाधि भली - घुमक्कड़ी और लेखन का सिलसिला ही टूट गया, 4 महीने हो गए, जब से दिल्ली में चोट खाई तब दना-दन चोटें जारी हैं, एक ठीक होती है दूसरी लग जाती है। इनसे उबरने की .....गीतों की बहार 3 - वादा - गीतों की बहार 3 सीजी रेडि‍यो के श्रोताओं से वादे की बातें.......गीतों के साथ..... और साथ में हैं हमारी एंकर पद्मामणि ... पर्यटन शैली: दैनिक हिन्दुस्तान में ‘न दैन्यं न पलायनम्’ - हिंदी ब्लॉग -न दैन्यं न पलायनम् अंतर्गत पर्यटन शैली बताते आलेख को समाचारपत्र -दैनिक हिन्दुस्तान ने अपने स्तंभ पर स्थान दिया The post पर्यटन शैली: दैनिक ...  

तुम्हारे जाने के बाद - तुम्हारे जाने के बाद जानती हूँ कम पड़ जायेंगे शब्द नहीं कह पाएंगे उन भावों को जो उमड़ते रहे हैं भीतर जाने के बाद तुम्हारे ! एक-एक श्वास जुड... भीड़ चलती भेड़ जैसी... - यार तू वैसा नहीं है पास जब पैसा नहीं है। रात लिखता है सबेरा झूठ है! ऐसा नहीं है। भीड़ चलती भेड़ जैसी गड़रिया भैंसा नहीं है। कर रहा है संतई पर संत के जैसा ...फ़ुरसत में ... हम भी आदमी थे काम के - *फ़ुरसत में ... 112* *हम भी आदमी थे काम के *** *मनोज कुमार* *पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।*** *ढाई आखर प्रेम का, पढ़ै सो पंडित ... .....

जमाई - पुराने रीतिरिवाज लगते बहुत खोखले मन माफिक बात न होने पर वह झूठे तेवर दिखाता अपने को भूल जाता | है किस्सा नहीं अधिक पुराना फिर भी जब याद आता मन... अच्छे दिन के साईड-इफैक्ट - अच्छे लोगों के साथ अच्छा दिन बिताने के शायद कुछ साईड इफैक्ट भी होते हैं..इंसान इतना खुश होता है की उसे बहुत सी चीज़ों का होश ही नहीं रहता.....सुबह के दो रंग..... - मैं अकेला सही.....क़ायनात खिल उठी एक मेरी मौज़ूदगी से....... खि‍ली-खि‍ली थी सुबह मगर अब मुरझा गई ऐसी क्‍या बात हुई मायूसी सब तरफ छा गई जाने कहां गया वो..

कंकरीट के जंगल - *कभी इन्हीं जगहों पर हुआ करते थे* *बड़े- बड़े जड़ -लताओंवाले वृक्ष * *सुगन्धित फूलों के पौधे* *हरियाली फैलाती दूर तक बिछी घास * *तरह -तरह के पंछी और उनकी ..."दो और दो पांच" में एम. ए. शर्मा ’सेहर’ - *रामप्यारी ने आजकल ताऊ टीवी का काम संभालना शुरू कर दिया है. उसी की पहल पर ब्लाग सेलेब्रीटीज से "दो और दो पांच" खेलने का यह प्रोग्राम शुरू किया गया है....फूल बिछा न सको - "सवैया छंद" फूल बिछा न सको 1 पथ में यदि फूल बिछा न सको,तुम कंटक जाल बिछाव नही | यदि नेह नहीं दिखला सकते , कटु बैन सुना दुतराव नही | तुम राह सही ..

चोर नहीं चोरों के सरदार हैं पीएम ! - मनमोहन सिंह जी मैं आपके साथ हूं, मैं कह रहा हूं कि आप चोर नहीं है, आप चोरों के सरदार हैं। अगर विपक्ष कहता है कि प्रधानमंत्री चोर हैं तो मान लिया जाना ... औरत - अस्मत जो लुटी तो तुझको बेहया कहा गया, मर्जी से बिकी तो नाम वेश्या रखा गया, हर बार सलीब पर, औरत को धरा गया ... बेटे के स्थान पर, जब जन्मी है बेटी, या ... इस देश का यारो क्या कहना - जयराम शुक्ल इन्डिया दैट इज भारत के नीले गगन के तले सबसे ताकतवर परिवार को आलाकमान कहा जाता है। यह अलोकतांत्रिक तरीके से गठित ऐसा समूह होता है जिसे हर वक्त ..   


दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

सोमवार, 12 अगस्त 2013

सुनो भाई गप्प-सुनो भाई सप्प... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... रात की झील पर.....तैरती उदास कि‍श्‍ती हर सुबह आ लगती है कि‍नारे मगर न जाने क्‍यों ये जि‍या बहुत होता है उदास ..... ऐ मेरे मौला कहां ले जाउं अब अपने इश्‍क के सफ़ीने को तेरी ही उठाई आंधि‍यां हैं है तेरे दि‍ए पतवार.... कहती हूं तुझसे अब सुन ले हाल जिंदगी की झील पर उग आए हैं कमल बेशुमार उठा एक भंवर मुझको तो डूबा दे या मेरे मौला अब पार तू लगा दे....लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ...........

एक ऐतिहासिक दिन ... - *इंतज़ार की घड़ियाँ समाप्त ... सिर्फ 5 दिन बाद ... जी हां सिर्फ 5 दिन बाद 15 अगस्त को हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी... लगातार 1 घंटे बोलेंगे...उदास नुक्कड़, लाल चोंच वाली चिड़िया... - तो आज आखिर मेरी उससे मुलाकात हो ही गई. कितने दिनों से वो मुझे चकमा देकर निकल जाता है. कई बार तो उसकी बांह मेरे हाथ में आते-आते रह गई. और कई बार मेरा हाथ ..पागल - हाथ में पत्थर उठाये वह पगली अचानक गाड़ी के सामने आ गयी तो डर के मारे मेरी चीख निकल गयी. बिखरे बाल, फटे कपडे, आँखों में एक अजीब सी क्रूरता पत्थर लिए हाथ ऊपर..

आप चल रहे हैं न वर्धा? - वर्धा में महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय के तत्वावधान में ब्लागिंग पर एक और सेमीनार ( 2 0 -2 1 सितम्बर, 2013) का बिगुल बज चुका है। ..नेताओं की सुरक्षा हटा लेनी चाहिए सुरक्षा बलों को - श्रीगंगानगर-कोई भूमिका नहीं,बस आज सीधे सीधे यही कहना है कि जिन नेताओं के हाथ में देश सुरक्षित नहीं है,देश की रक्षा करने वाले जवान सुरक्षित नहीं है ..तुमको सलाम लिखता हूँ..... - याद करो वो रात.. वो आखिरी मुलाकात.. जब थामते हुए मेरा हाथ हाथों में अपने कहा था तुमने... लिख देती हूँ मैं अपना नाम हथेली पर तुम्हारी सांसों से अपनी...

सामयिक दोहे ! - बादल झाँकें दूर से,टिलीलिली करि जाँय। बरसें प्रीतम के नगर,हम प्यासे रह जाँय।। माटी की सोंधी महक,हमें रही बौराय। बदरा प्रियतम सा लगे,जाते तपन बुझाय।। ... वित्तमंत्री ... - *लघुकथा : वित्तमंत्री* चमचमाती कार से चार व्यक्ति उतर कर ढाबे में प्रवेश किये तो ढाबे का मालिक काउंटर से उठकर सीधा उनकी टेबल पर पहुँचा … क्या लेंगे हुजूर...दर्द ही दर्द - दर्द होने पर चेहरे पर विभिन्न तरह की भंगिमाएं बनती हैं। दर्दमंद मनुष्य के चेहरे को देख कर गुणी जन अंदाज लगा लेते हैं कि उसे शारीरिक या मानसिक किस तरह का ... 

धड़कन भी धड़क रही है...........!!! - हाथो में महेंदी लगी है.... कलाइयों में हरी चूड़ियाँ भी सजी है, फिर लगी सावन की झड़ी है..... कि हर आहट पर.... धड़कन भी धड़क रही है........ दस्तक - दस्तक रोती बिलखती हर गली मोहल्ले में, सांकल अपना पुराना घर ढूंढती है. सजी थी कभी मांग में जिसकी, वो चौखट वो दीवार ओ दर ढूंढती है. डाले बांहों में बांहे,...क्या से कया हो गयी - घुली मिली जल में चीनी सी सिमटी अपने घर में गमले की तुलसी सी रही शोभा घर आँगन की | ना कभी पीछे मुड़ देखा ना ही भविष्य की चिंता की व्यस्तता का बाना ओढ़े ...

रामप्यारी के चक्कर में डा. दराल ने बर्थ-डे मनाया "दो और दो पांच: के सेट पर ! - *रामप्यारी ने आजकल ताऊ टीवी का काम संभालना शुरू कर दिया है. उसी की पहल पर ब्लाग सेलेब्रीटीज से "दो और दो पांच" खेलने का यह प्रोग्राम शुरू किया गया है. ..जिन्दगी. - जिन्दगी जिन्दगी सिर्फ दो अक्षरों की कहानी है एक साँस आनी है एक साँस जानी है, मृत्यु समय धन दौलत याद नही आती याद आता है तो सिर्फ एक घूँट पानी है ....धीरज हिलता है ... - अब विश्व -यातना को और नहीं सह सकता है यह प्राण नहीं सह सकता है हे! प्रभो ...

होने को फसल ए गुल भी है, दावत ए ऐश भी है - बारिशें नहीं होती इसलिए ये रेगिस्तान है। इसका दूसरा पहलू ये भी है कि ये रेगिस्तान है इसलिए बारिशें नहीं होती। एक ही बात को दो तरीके से कहा जा सके तो हमें ... सुनो भाई गप्प-सुनो भाई सप्प – सुनो भाई गप्प-सुनो भाई सप्प मनमोहन की नाव में, छेद पचास हजार। तबहु तैरे ठाठ से, बार-बार बलिहार॥ नाव में नदिया डूबी नदी की किस्मत फूटी नदी में सिंधु डूबा जा....सिर्फ एक झूठ - आज डायरी के पन्नें पलटते हुये एक पुरानी कविता मिली.... लिजिये ये रही.. अगाध रिश्ता है सच झूठ का सच का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है सिर्फ़ एक झूठ से ।...


 


दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

अब बारी है परिकल्पना साहित्य **सम्मान की... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार....बड़ा बेदम निकलता है... - हँसी होंठों पे रख, हर रोज़ कोई ग़म निगलता है... मगर जब लफ्ज़ निकले तो ज़रा सा नम निकलता है... वो मुफ़लिस खोलता है रोटियों की चाह मे डिब्बे...लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता .......

आठ ब्लॉगरों को परिकल्पना साहित्य सम्मान - *विगत 26 जुलाई 2013 को उद्घोषित* "*परिकल्पना काव्य **सम्मान**" से आगे बढ़ते हुये : * *अब बारी है परिकल्पना साहित्य **सम्मान की.हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के लिए अविस्‍मरणीय होंगे यह दो दिन : 20-21 सितंबर, 2013 (शुक्रवार-शनिवार) - वर्धा में फिर होगा महामंथन *हिंदी विश्वविद्यालय की अनूठी पहल से हिंदी ब्लॉगिंग को मिलेगी नयी ऊर्जा* हिंदी ब्लॉगिंग का एक दशक पूरा हुआ। अब इसके लिए शैशव का..सौ टका टंच खबर ............. - राहुल गांधी ने कहा है कि वे आगामी चुनाव के लिए कमर कस रहे हैं और इन दिनों इंडियन आइडल जूनियर और डी आई डी जूनियर के सारे पिछले एपिसोड देख रहे हैं , ...

विचार उमड़े घुमड़े जरूर पर बरसे नहीं - वाकई हम फेसबुक व ब्लॉग दोनों से दूर चल दिए थे । चाहे वह छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी की नक्सलियों द्वारा किये गए भीषण नरसंहार की खौफ़नाक घटना हो ...तो क्या ............ यही है जीवन सत्य , जीवन दर्शन - पता नहीं एक अजीब सी वितृष्णा समायी है आजकल सब चाहते हैं अगले जनम हर वो कुंठा पूरी हो जाए जो इस जनम में न हुयी हो कोई कहे अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो ..न उदास हो मेरे हमसफर..... - दि‍वस के अवसान में इस अकेली सांझ में आंसुओं के उफान में बहुत याद आते हो तुम...... सूरज चल पड़ा अस्‍तचल की ओर...पक्षी भर रहे उड़ान अपने घोसलें की तरफ...

काजल कुमार भी उलझे "दो और दो पांच" में ! - *रामप्यारी ने आजकल ताऊ टीवी का काम संभालना शुरू कर दिया है. उसी की पहल पर ब्लाग सेलेब्रीटीज से "दो और दो पांच" खेलने का यह प्रोग्राम शुरू किया गया है. दो..सीजी रेडियो पर … बैरागी चित्तौड़ - सीजी रेडियो पर सुनिए राजस्थान के प्रसिद्ध लेखक "तन सिंह जी" की रचना "बैरागी चित्तौड़"। इसका धारावाहिक प्रसारण किया जा रहा है। ...थोपा हुआ या सच - बचपन में किसी पाठ्यपुस्तक में पढ़ा था कि इंग्लैण्ड बड़ा ही विकसित देश है, और वह इसलिये भी क्योंकि वहाँ के टैक्सीवाले भी बड़े पढ़े लिखे होते हैं, अपना समय ... 

चिराग ... - न तो उन्हें शर्म है, और न ही वे शर्मिन्दा हैं जात-धर्म का उन्ने, बिछाया चुनावी फंदा है ? ... सुनो 'उदय', कह दो सब से, कुत्तों की वफादारी पे सवाल न करें ..तुम्हे जीने का एहसास है.....मेरे पास.....!!! - एक अधूरे ख्वाब की, पूरी रात है.....मेरे पास... तुम हो ना हो, तुम्हे जीने का एहसास है.....मेरे पास.....! तुम्हे छोड़ कर ... जी चाहता है-------- - जी चाहता है-------- दिल को तोड के लिख दूँ कलम को मोड के लिख दूँ फ़लक को फ़ोड के लिख दूँ जमीँ को निचोड के लिख दूँ जी चाहता है------------- . 

 नेताजी कहीन है। यह मुम्बई -देल्ही -काश्मीर ढाबा नहीं है मुंबई में बारह रुपये ,दिल्ली में पांच रुपये भर पेट खाना खाइए ,बब्बर-रसीद कहीन है। बारह पांच के चक्कर में काहे पड़त हो भैया रूपया रूपया एक खाना खाओ. ...बच्चों की शिक्षा और हरिलाल गांधी - *गांधी और गांधीवाद-**152* *1909* *बच्चों की शिक्षा और हरिलाल गांधी*** जब गांधी जी 1897 में दक्षिण अफ़्रीका आए थे, तो उनके साथ 9 साल के हरिलाल और 5..अखिलेश सरकार अपनी विफलताओं को तुष्टिकरण की आड़ में छुपाना चाहती है !! - उतरप्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार अपनीं नाकामियों को मुस्लिम तुष्टिकरण के सहारे छुपाने की कोशिश करती देखी जा रही है ! ...

 औरत की आकांक्षा - बहुत तकलीफ देह था ख़्वाबों का टूटना उम्मीदों का मुरझाना आकांक्षाओं का छिन्न-भिन्न होना हर ख्वाब पूरे नहीं होते... हर आशा और उम्मीद फूल नहीं बनती सोच समझ कर..पीड़ा जब हिस्से आती है - पीड़ा जब हिस्से आती है एकाकी यात्रा नहीं करती बहुत कुछ अनचाहा, अनपेक्षित संग आता है उसके जो लाता है, कभी सब कुछ खंडित कर देने वाला जटिल चक्रवात तो.....सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ...संध्या शर्मा - सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ अपनो के मेले मे, कभी अकेले में, एक पल मुस्कुराऊँ, गीत एक गाऊँ सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ ...


  
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दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

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बुधवार, 24 जुलाई 2013

कइसे कही कि सावन आयल... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...लम्हा - लम्हा जिंदगी कुछ यूँ सिमट गई , जो मज़ा था इंतजार में अब सज़ा बन गई | दर्द और ख़ुशी के बीच दूरियां जो बड गई , दिलो के दरमियाँ मोहोब्बत कम हो गई | चिठ्ठी - तार बीते जमाने की बात हो गई , आधुनिक दौड़ में वो बंद किताब हो गई | कुछ सवाल हदों की सीमाएं पार कर गई , वक़्त के साथ अपने कई निशां छोड़ गई | खफा नहीं , जिंदगी हमपे मेहरबान हो गई , भडास निकली तो बात आई - गई हो गई |  पल - पल बदलता वक़्त ... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ......

सावन झूम के - मेरे मन के सावन को मैं अक्सर रोक लेती हूँ अपने ही भीतर. बंद कर देती हूँ आँखों के पट आंसुओं को समेट के . मार देती हूँ कुण्डी मुंह पे ,सिसकियों को उनमें ... .हौले से रखना कदम ओ सावन... - पूरनमाशी के रोज आषाढ़ ने सावन से कुछ शर्त लगा ली. आषाढ़ की बारिश का गुरूर ही कुछ और होता है और कैलेण्डर तो बस याद के पन्ने पलटता है. मगरूर आषाढ़ बोला कि..सावन है आया अब चले आओ .... - आज कोई भी बहाना न बनाओ पुकारा है तुम्हें, अब चले आओ तप्त सूरज सागर में समाये ... 

दिल्ली की कार वाली बाई और ठगों की जमात - नागपुर में डायमंड क्रासिंग दिल्ली में कार वाली बाई ने टक्कर क्या मारी सारा नक्शा ही बदल गया। छठी इंद्री जागृत हो गई, जैसे जापानी झेन गुरु अपने शिष्य के सिर.. मनोहारी सिंह का साक्षात्कार – ३ - (पिछली क़िस्त से आगे) उन दिनों आप म्यूजिक अरेंजिंग का काम भी कर रहे थे? ‘इंसान जाग उठा’ के बाद मैं बासु चटर्जी के साथ एस. डी. बर्मन का आधिकारिक अरे....स्कूलों के मध्याह्न भोजन की समस्या - *खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने वाली दुकानों का स्कूल के अधिकारियों से दूर-दूर का वास्ता न हो, इसका ध्यान रखा जाए. सप्लायर और स्कूल के गठबंधन पर नजर रखी जाए. ...

कइले कही कि सावन आयल ! - कत्तो बिजुरी नाहीं चमकल एक्को बुन्नी नाहीं बरसल धरती धूप ताप धधायल कइसे कही कि सावन आयल ! कउने डांड़े बदरा-बदरी खेलत हउवन पकरा-पकरी ? ... बन जाओ न नीला समंदर..... - जि‍न आंखों में थे कई सपने छलकता था प्‍यार और जि‍नमें गहरा गुलाबी हो चला था अनुराग का रंग अब वहां कैसे उमड़ आया रेत का समंदर क्‍यों आने दि‍या तुमने हमारे..दिल के टुकड़े - गुडिया गिर गई उसके हाथ ,पैर टूटकर अलग हो गये। फ़ेविक़ुइक लाया उस से जोड़ा , गुडिया ठीक हो गई। दिल के टुकड़े को किस से जोडू ? रिश्ते के मधुर बंधन से बंधा था... 

जीवन का कोई मोल नहीं - सड़क, स्कूल या घर का आँगन हमारे यहाँ सबसे सस्ती चीज़ अगर कोई है तो वो है जीवन । कोई घटना या दुर्घटना हो जाय उसे भूलने और फिर दोहराने में कोई हमारी बराबर...BJP के लिए खतरा बन रहे आडवाणी ! - भारतीय जनता पार्टी के काफी बड़े नेता हैं लालकृष्ण आडवाणी और आजकल वो पार्टी को नुकसान भी काफी बड़ा पहुंचा रहे हैं। दिग्गज और कद्दावर नेताओं का काम है कि वो...वेटिंग टिकट पर यात्रा - आख़िरकार आरक्षण कराकर अपने सफ़र को आरामदायक बनाने का यात्रियों का सपना अब रेलवे के एक नए आदेश के चलते साकार होने की तरफ बढ़ ही चला है... 

घुन लगी हत्यारन व्यवस्था ! - कल रात को टीवी पर खबरें देखते वक्त जब न्यूज एंकर ने दिल्ली के ग्रीनपार्क इलाके में एक ३३ वर्षीय डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता आनंद भास्कर मोरला की भरी दोपह...राहुल गांधी : तुम आये तो आया मुझे याद, गली में आज चाँद निकला - राहुल गांधी, युवा चेहरा। समय 2009 लोक सभा चुनाव। समय चार साल बाद । युवा कांग्रेस उपाध्‍यक्ष बना पप्‍पू। हफ्ते के पहले दिन कांग्रेस की मीडिया कनक्‍लेव। ...   बाइपास "............मेरा दृष्टिकोण - आयकर एवं वैट अधिवक्ता मलिक राजकुमार जी साहित्य जगत में एक जाना पहचाना नाम हैं । कितने ही कहानी संग्रह, कविता संग्रह उपन्यास , यात्रा वर्णन आदि ..  

आत्महत्या भाग २  *मैं जीना चाहता हूँ जिंदगी तेरे संग* ***** ज़िन्दगी तुझसे तंग आ गया हूँ? सोचता हूँ तुझसे होकर पृथक एक नई पारी को अंजाम दूँ बंध जाऊं नये बंधन में जिसे मैं चाहता हूँ अपनी जान से ज्यादा जो रहेगी बन सहचरी ....उसके बाद .....? गाँव दीना सर में आज एक अजीब सी ख़ामोशी थी लेकिन लोगों के मन में एक हड़कंपथा। होठों पर ताले लगे हुए थे और मनों में कोलाहल मचा था। कोई भी बोलना नहीं चाह रहा था लेकिन अंतर्मन शोर से फटा जा रहा था। दरवाज़े बंद थे घरों के लेकिन खिडकियों की ओट से झांकते दहशत ज़दा चेहरे थे ....अहसास... अहसास *माँ* ह्रदय में वात्सल्य का सागर होठों में दुलार कीमुस्कान आँखों में ममता केआँसू यही तो है माँकी पहचान *रंग* रंगों का संसार निरालाहै हर रंग में खुदको ढ़ाला है कुछ रंग से खुशीचुराई कुछ रंग में दर्दको पाला है *....

कार्टून :- हि‍जड़ों की कारगुजारि‍यां

 

दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

सोमवार, 17 जून 2013

बाबुल तुम बहुत याद आए.... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार......कभी जो हम नहीं होंगे ....!!! - .... कहो किस को बताओगे ...? वो अपनी उलझने सारी ... वो बेचैनी में डूबे पल ...? वो आँखों में छुपे आँसू ...? किसे फिर तुम दिखाओगे ...ब्लॉग जगत में कल का पूरा दिन पिता को समर्पित स्नेह से भरी सुन्दर रचनाओं का रहा उनमें से कुछ रचनाएँ पढ़िए आज की वार्ता में...ईश्वर से यही कामना है, कि हर बच्चे को पिता के स्नेह की छत्र छाया मिले  ..रोजगार के लिए बेटे के कभी घिसते अपना जूता, कहीं बेटी के रिश्ते की खातिर सिर झुकाते पिता, बच्चों के लिए ही जीवन भर होती है जिनकी शुभकामना, उनको भी समझो और प्यार दो बस यही है मेरी भावना.... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ......


ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू ... - (पूज्य बाबू जी को समर्पित ) * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * *छोड़ इस लोक को ऐ बाबुल* *परलोक में अब रहता है तू * *कैसे बताऊं तुझको ऐ...सुदृढ़ बाहें ...... ( पितृदिवस पर कुछ हाइकु ) - विशाल वृक्ष जैसे देता है छाया पिता ही तो हैं । पिता की गोदी आश्रय संबल का डर भला क्यों ? .पापा, मैं, कार्तिक और फादर'स डे - *आज फादर'स डे है ... मैं इस बहस में नहीं पड़ता कि यह रस्म देशी है या विदेशी ... मुझे यह पसंद है ! आज मैं खुद एक पिता हूँ और जानता हूँ एक पिता होना कैसा लगता.... 

आठ मास का आदि और फ़ादर्स डे.... - कभी सोचता हूं, यह मन जितना पाता है उससे अधिक की अभिलाषा कर बैठता है न। आज कल आदित्य की रोज नई हरकत मन को कितना सुख देती है। बेटे नें नया नया घिसकना शुरु कि..ओ मेरे पिता ! - ओ मेरे पिता तुमने हर दुःख सहा माँ से भी ना कहा कंधे पर लादकर बोझ मेरा सहा। घोड़ा बने, संग खेले मेरे, मैंने मारी दुलत्ती सब खिलौने मेरे। मुझको मेला घुमाया हर ...पिता - १ ६ जून *पितृ* दिवस है ,इस अवसर पिता को शत शत नमन। पिता धर्म ,पिता कर्म , पिता ही परमतप : पितरी प्रतिमापन्ने , प्रीयन्ते सर्व देवता। अर्थ : - पिता का सेवा..

भई यह पितृ दिवस ही है पितृ विसर्जन दिवस नहीं! - पितृ दिवस पर एक मित्र ने कुछ चुटीला सुनाया ...पत्नी ने अतिरिक्त प्यार का इज़हार करते हुए पति से पूछा कि अजी ये सत्य और विश्वास में क्या फर्क है? ... पितृ दिवस - छोटी छोटी उंगलियों से पकड़ कर हाथ चलना सीखा पिता के साथ, नहीं दे पाते थे छोटे छोटे पैर पिता के क़दमों का साथ, कर लेते अपने क़दम धीमे देने बेटे के कदमों का...तुम्हारे वरद-हस्त - पितृदिवस पर 15 बरस पुरानी एक कविता, अपने काव्यसंकलन "मैं चल तो दूँ" (2005) से तुम्हारे वरद-हस्त ©-*कविता वाचक्नवी ** *---

शिक्षा अभिभावकों के लिए ...अपने बच्चों की खातिर...भाग -२ - (वत्सल का लिया एक चित्र) *अगर आपके बच्चे स्कूल जा रहे हों या जाने वाले हों तो कॄपया ध्यान दें .......* *सुनें बच्चों व आपके हित में जारी पॉडकास्ट आपके लिए  ......पितृ दिवस पर कुछ कवितायेँ ....... - * पितृ दिवस** पर कुछ कवितायेँ *....... (१) *सूखती जड़ें .... * न जाने कितनी फिक्रों तले सूखे हैं ये पत्ते दूर-दूर तक बारिश की उम्मीद से भीगा है इनका ...ग़ज़ल : शीर्षक पिता "पितृ दिवस" पर सभी पिताओं को सादर प्रणाम नमन, सभी पिताओं को समर्पित एक ग़ज़ल. ग़ज़ल : शीर्षक पिता बह्र :हजज मुसम्मन सालिम ...................................................... घिरा जब भी अँधेरों में सही रस्ता दिखाते हैं । बढ़ा कर हाँथ वो अपना मुसीबत से बचाते हैं ।। बड़ों को मान नारी को सदा सम्मान ही देना । पिता जी प्रेम से शिक्षा भरी बातें सिखाते हैं ।। दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना । बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।  . .. 

आशंकाओं की बदली ....विक्रम ,सुधीर जी को कोटा से बस में बैठा कर , अपने बड़े भाई सुमेर को फोन किया कि उसने बाबूजी को बस में बैठा दिया और बस रवाना हो गयी है। बस शाम 4 बजे तक इंदौर पहुँच जाएगी । बाबूजी को हमेशा वह कार से ही छोड़ने जाता है। इस बार उसकी पत्नी शानू की छोटी बहन आने वाली थी तो कार की जरूरत उसे थी। ..आज का दिन तो सिर्फ पापा का है आज फादर्स डे है. हर साल जून माह के तीसरे रविवार को यह सेलिब्रेट किया जाता है.वैसे तो पापा से प्यार जताने के लिए किसी खास दिन की जरुरत नहीं, पर आज का दिन तो सिर्फ पापा का है..आज के दिन के लिए पापा को ढेर सारा प्यार और बधाई. U r the best Papa. मैं तो अपने पापा से बहुत प्यार करती हूँ।पिता १ ६ जून *पितृ* दिवस है ,इस अवसर पिता को शत शत नमन। पिता धर्म ,पिता कर्म , पिता ही परमतप : पितरी प्रतिमापन्ने , प्रीयन्ते सर्व देवता। अर्थ : - पिता का सेवा करना पुत्र का परम धर्म है ,यही उसका कर्म और यही उसका श्रेष्ट तपस्या है। पिता के स्वरुप में सब देवता समाहित है , इसीलिए पिता के प्रसन्न होने पर सब देवता प्रसन्न होते हैं...

मेरे पापा - माँ की ममता पिता का प्यार पर अंतर बड़ा दोनों में ममता की मूरत दिखाई देती पर पिता का प्यार छिपा रहता दीखता केवल अनुशासन | लगता था तब बहुत बुरा जब छोटी सी ...फादर डे स्पेशल - ** *भूली बिसरी यादें ......फादर डे...यानी फादर(पिता) का दिन ..ये सिर्फ एक दिन की यादों में नहीं सिमटा हुआ ....पर हर दिन उनकी याद में मेरा अपना है |...आज पिता सम्मान पा रहे हैं........... आज फादर्स डे पितृ दिवस नमन उनको आज पिता सम्मान पा रहे हैं कल किसने देखा.. और देखेगा भी कौन.. कि पिता किस हाल में हैं... खाना गरम मिला या नहीं ... दवा समय पर मिली या नहीं रात बिछौना का चादर बदला था या नहीं ये तो अच्छा है कि मेरे पिता की अब स्मृति शेष है..

बरसन लागी बरखा बहार ....!! - बुंदियन बुंदियन ... सुधि अमिय रस बरसन लागा ... पड़त फुहार ... नीकी चलत बयार ... पंछी मन डोले ... संग डार डार बोले .... आज सनेहु आयहु मोरे द्वार .... री .......तेरे आने से..... - *तेरे आने से सँवर जाउँगी* *तेरे जाने से बिखर जाउँगी ......* *सोना चाँदी , हीरा , मोती * *श्रृंगार नहीं है मेरा* *तेरी मीठी नजरों से * *अब खुद को सजाउंगी.....इसलिए मैं रुकी हूँ ... - इसलिए मैं रुकी हूँ कि मुझे तेल से पोसा हुआ एक मजबूत डंडा चाहिए और शोर-विहीन बड़ा सा डंका चाहिए... अपना हुनर तो दिखा ही दूंगी व बड़े-बड़े महारथियों को धकिया ... 


कार्टून :- ऊपर जाने वाली सीढ़ि‍यां थामे बैठे लोग  

दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

गुरुवार, 13 जून 2013

शांतता ठेवा भारत निर्माण चालू आहे... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार......करती रहती हूं भरने की कोशि‍श शब्‍द-बूंदो से उम्‍मीद का घड़ा टप-टप टपकती आस की बूंदों को गि‍नती-सहेजती हैं दो आतुर नि‍गाहें कि तभी पी जाता है आकर, संदेह का काला कौआ घड़े का सारा पानी भर जाती है देह में बेतरह थकान सोचती हूं कहां मि‍लेगा मुझे यकीन वाला वो लाल कपड़ा जो इस घड़े के मुंह पर कसकर बांध दूं क्‍योंकि ये काला कौआ तो मुझसे भागता ही नहीं....... तस्‍वीर....मेरी आंखों में आस्‍मां... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ......

आज कुछ गीत जो बहुत कुछ कहते है .................... - 1-जाने वो कैसे लोग थे --- 2-बड़ी सूनी-सूनी है --- 3-कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन--... रूत मिलन की - सागर की लहरों पर किरणें लेती है अंगडाई लिए साथ में मस्त समां बरखा की बूँदें आई .... प्यासी धरा की प्यास बुझी हर कली खिलखिलाई ... बागों में भौरे झूम रहे ..ओ मेरे !.............5 - *कभी कभी जरूरत होती है किसी अपने द्वारा सहलाये जाने की ............मगर हम, उसी वक्त ,ना जाने क्यूँ ,सबसे ज्यादा तन्हा होते है......

आखिर विद्यार्थी रूके कैसे? - एक बार एक प्राइमरी स्कूल के टीचर जी बोले, “आप यहां बच्चों के साथ क्या करवाना चाहेगें? यह तो यहां स्कूल में रूकते ही नहीं।" "ये स्कूल से भागकर जाते कहां है" ...खिड़की पर गिलहरी - घर की जिस मेज पर बैठ कर लेखन आदि कार्य करता हूँ, उसके दूसरी ओर एक खिड़की है। उसमें दो पल्ले हैं, बाहर की ओर काँच का, अन्दर की ओर जाली का, दोनों के बीच मे.....भारतीय समाज की विवशताएँ! - पहले तो मैंने इस पोस्ट के लिए भारतीय समाज की विडंबनाएं शीर्षक चुना था .मगर विचारों के प्रवाह में सहसा सूझा कि जिन्हें मैं विडंबनाएं समझ रहा हूँ .....

मेरा पहला कार्टून - पीएम इन वेटिंग ने टिकट केंसिल किया - आखिरकार पीएम इन वेटिंग ने खुद ही टिकट केंसिल करके वेटिंग लिस्ट से अपना नाम वापिस ले लिया... और कितना इंतज़ार किया जाए भाई? और वोह भी तब, जबकि टीटी पिछले... ये मानसून-मानसून क्या है - भीषण, झुलसा देने वाली गर्मियों के बाद सकून देने वाली बरसात धीरे-धीरे सारे देश को अपने आगोश में लेने को आतुर है. जून से सितंबर तक हिंद और अरब महासागर से ....समय की मार ... - उनकी ढेरों कवितायें अब भी आधी-अधूरी हैं लेकिन वो,................कवि पूरे हो गए हैं ? ... आज भी हम पागल हैं कल की तरह गर, तुम चाहो तो आजमा लो हमें ? ..... 

धीर धरो सखि पिया आवेंगे - धीर धरो सखि पिया आवेंगे गले लगावेंगे झूला झुलावेंगे मन के हिंडोलों पर पींग बढावेंगे नैनो से कहो नीर ना बहावें राह बुहारें चुन चुन प्रीत की कलियाँ..संगीत बन जाओ तुम! - कब तक इस नकली हवा की पनाह में घुटोगे तुम? आओ, सरसराती हवा में सुरों को पकड़ो तुम *संगीत बन जाओ तुम!* कब तक ट्रैफिक की ची-पों में झल्लाओगे तुम? आओ, उस सुदूर ...ठौर कहाँ ... - *उसे इंडिया वापस जाना है.* क्योंकि यहाँ उसे घर साफ़ करना पड़ता है , बर्तन भी धोने होते हैं , खाना बनाना पड़ता है. बच्चे को खिलाने के लिए आया यहाँ न..

 श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (५२वीं कड़ी) - मेरी प्रकाशित पुस्तक 'श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)' के कुछ अंश: तेरहवां अध्याय (क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभाग-यो...यह समकालीन हिन्‍दी कविता और विचार के इलाक़े में एक बेहद गम्‍भीर मामला है - *यहां गिरिराज किराड़ू का एक पत्र प्रकाशित किया जा रहा है, जिसे मैं आज की कविता और विचार के इलाक़े में एक बड़े हस्‍तक्षेप की तरह देखता हूं। ... .याद आया.. - रहा गुमनामियों में ताउम्र ना भूले भी किसी को याद आया मेरी रुखसती पर सबाब आया ख़त का जबाब आया - जब चला अंतिम सफ़र मितरां दौ..

आयी है घर में बहार - आयी है घर में बहार बात पिछली शताब्दी की है तब इंटरनेट भी नहीं था न मोबाईल सुबह सवेरे बैठ कर रिक्शे पर जाती थी छोटी सी बालिका स्कूल लगाये बालों मे..घट छलका - एक बदरा कहीं से आया मौसम पा अनुकूल उसने डेरा अपना फलक पर जमाया वहीं रुकने का मन बनाया | दूजे ने पीछा किया गरजा तरजा वरचस्व की लड़ाई में उससे जा टकराय..बारिश - फिर पसीना पोछ कर पढ़ने लगा उनके शहर में आज फिर बारिश हुई! देखा है हमने अपने शहर से बादलों को रूठकर जाते हुए औ. सुना है.. देखा है तुमने बादलों को झूमकर गात..

आड़वाणी की नहीं मानीं, आड़वाणी मान गए ! - आज की सबसे बड़ी खबर ! भारतीय जनता पार्टी के तमाम अहम पदों से इस्तीफा देने वाले वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की कोई बात नहीं मानी गई, लेकिन वो मान गए। .. कौन 'हिटलर-मुसोलिनी', कौन 'पोप'...खुशदीप - 9 जून को नरेंद्र मोदी की पैन इंडियन भूमिका पर मुहर लगाते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने उन्हें पार्टी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बना ...आडवाणी जी की शतरंजी चालों में चित हो गयी भाजपा !! - भाजपा में पिछले पांच दिनों में जो घटनाक्रम सामने आया उसनें भाजपा की जगहंसाई करवाने कोई कसर नहीं छोड़ी ! और खासकर लालकृष्ण आडवाणी जी नें तो मानो भाजपा की...

 ताऊ टीवी का "पति पीटो रियलीटी शो" - ताऊ डाट इन की एक पोस्ट "ताऊ टीवी का पति पीटो रियलीटी शो" *मेट्रो टच* के जून 2013 अंक में प्रकाशित हुई है जिसकी स्केन कापी नीचे दी है. स्केन कापी में छोटे .. कार्यकर्त्ता को कैसे पता लगे कि उसका कौन सा पदाधिकारी कब चवन्नी का हो गया "...???? - *" 24 केरेट गोल्ड " स्तर के सभी मित्रों को मेरा सादर -नमस्कार !!* * भाजपा में आये "टोरनेडो" तूफान के बाद सब कार्यकर्त्ता और जनता " मनन ..एक नागनाथ है तो दूसरा सांपनाथ...एक काटेगा तो दूसरा डसेगा - भाजपा ने मोदी के नाम की घोषणा चुनाव प्रचार अभियान के प्रमुख के रूप में की तो तमाम गैर-भाजपाइयों के दिल पर साँप लोट गया मानो उनके हाथ से आज ही सत्ता निकल ...

मैनें अपने कल को देखा, - मैनें अपने कल को देखा, मैनें अपने कल को देखा उन्मादित सपनों के छल से आहत था झुठलाये सच से, तृष्णा की परछाई से , उसको मैने लड़ते देखा,..राग-विराग - मेरे आँगन में पसरा एक वृक्ष वृक्ष तुम्हारे प्रेम का आलिंगन सा करतीं शाखें नेह बरसाते देह सहलाते संदली गंध से महकाते पुष्प कानों में घुलता सरसराते पत्तों ... पापा आई लव यू - पापा मेरी नन्ही दुनिया तुमसे मिल कर पली बढी आज तेरी ये नन्ही बढ़ कर तुझसे इतनी दूर खडी तुमने ही तो सिखलाया था ये संसार तो छोटा है तेरे पंखों में दम ..

कार्टून :- शांतता, भारत नि‍र्माण चालू आहे (1)

 

दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

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