गुरुवार, 14 जनवरी 2016

मकर संक्रांति 'तीळ गुळ घ्या आणि गोड गोड बोला' ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.........तिल और गुड की मिठास आप सभी के जीवन को मिठास और आनंद से भर दे और मकर संक्रांति के सूर्योदय के साथ एक नए सवेरे का शुभारम्भ हो इसी कामना के साथ आप सभी को ब्लॉग वार्ता परिवार की ओर से  मकरसंक्रांति, लोहड़ी एवं पोंगल की  हार्दिक शुभकामनायें.... लीजिये प्रस्तुत है, लम्बे अंतराल के बाद एक लेट लतीफ़ वार्ता ................



सूर्योपासना का पर्व है मकर संक्रांति -हमारे भारतवर्ष में मकर संक्रांति, पोंगल, माघी उत्तरायण आदि नामों से भी जाना जाता है। वस्तुतः यह त्यौहार सूर्यदेव की आराधना का ही एक भाग है।  मकर सक्रांति, एक पुण्य पर्व *बाप-बेटे में कितनी भी अनबन क्यों ना हो रिश्ते तो रिश्ते ही रहते हैं। अपने फर्ज को निभाने और दुनियां को यह * *समझाने के लिए ....



एक आस्था का गीत -यह प्रयाग है -चित्र -गूगल से साभार प्रयाग के संगम पर दुनिया का सबसे बड़ा अध्यात्मिक मेला लगता है |इसे तम्बुओं का शहर भी कहते हैं |बारह वर्ष पर महाकुम्भ और छः वर्ष पर ... सुख लौटा दो - शापित धन-यश नहीं चाहिये, व्यथा-जनित रस नहीं चाहिये । त्यक्त, कुभाषित जीवन, तेरा संग पाने को अति आकुल है । तेरी फैली बाहों में छिप जाने को रग रग व्याकुल है ।....


शुभाशंसा  जीवन जीने के लिये दो इतना अधिकार चुन कर दुःख तुम पर करूँ सुख अपने सब वार ! हर पग पर मिलती रहे तुम्हें जीत पर जीत फ़िक्र नहीं मुझको मिले कदम कदम पर हार ! बिखराने को पंथ में चुन कर लाई फूल सँजो लिये अपने हृदय काँटों के गलहार ! चुभे न भूले से कोई शूल तुम्हारे पाँव सुख मानूँ मुझको मिलें चाहे कष्ट अपार ! गहन तिमिर के कोष्ठ मैं रहूँ भले ही क़ैद तुम्हें मिले आलोकमय खुशियों का संसार ! मेरे शब्दों के है.......,!!! तुमसे रिश्ते मेरे सभी... शब्दों के है.... तुमने सुना नही कभी, मैंने कहा नही कभी..... तुम पढ़ लेते हो मुझको, मैं लिख लेती हूँ तुमको.. तुमसे एहसास मेरे सभी.... शब्दों के है.... हम सदा अंजान ही रहे इक दूजे से, तुम मिल लेते हो मुझसे मैं छु लेती हूँ तुमको, तुमसे बयाँ करते जज्बात मेरे सभी, शब्दों के है.... इक दुरी सी थी हमारे दरमियाँ, इक गहरी खामोशी की तन्हाईयाँ, तुम्हारे सवालो के जवाब सभी, मेरे शब्दों के है.......!!



अंतर्मन - हलकी सी आहट गलियारे में कहाँ से आई किस लिए किस कारण से लगा समापन हो गया निशा काल का तिमिर तो कहीं न था स्वच्छ नीला आसमान सा दृष्टि पटल पर छाया ...दूसरी दुनिया का कोई फाहा, जाग के कंधे पर -बंद आँखों में कभी-कभी चहचहाती हैं नीली- धूसर चिड़ियाँ. खुली आँखों में जैसे कभी बेवक्त चले आते हैं आंसू. सुबहें तलवों के नीचे तक घुसकर गुदगुदी करती हैं...

रामायणकालीन खरदूषण की नगरी : खरौद तपोभूमि छत्तीसगढ़ को प्राचीन काल में दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था।... स्वागत नवीनता का ... -परिवर्तन प्रकृति का नियम है, जो कभी परिवर्तित नहीं होता। सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए तो हर परिवर्तन नवीनता से भरपूर होता है, तो आइये इस नवीनता का स्वागत करें ...



दीजिये इजाज़त! नमस्कार........ 


सोमवार, 2 जून 2014

क्या "स्त्री" होना अपराध है ??? ब्लॉग 4 वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.... क्या "स्त्री" होना अपराध है ? दिन भर ताना सुन कर भी, कितनी खुश होती है वो... बिना 'खाने' के दिन गुजर जाता है उसका... बिना 'शिकायत' के जिंदगी गुजार देती है 'वो'... फिर भी उस पर ये 'इन्सान' इतना 'शैतान' क्यों है ? हैवान क्यों है ? क्या अपराध किया जो वो "स्त्री" हुयी ? राते बिता देती है वो रोटी से बाते करके... अगर एक दिन 'मै' देर से आया... घर में अकेले पूरी 'जिंदगी' बिता देती है 'वो' सीमा में खड़े 'पति' के लिए.... साथ कोई हो न हो 'वो' हमेशा साथ खड़ी होती है... कभी भी, कही भी, कैसे भी, फिर भी उसकी सांसो में चीत्कार क्यों ? क्या अपराध है उसका यही की वो "माँ", "पत्नी" या "बहिन" है ... एक प्रश्न.... कौन है औरत ??? आज समाज कितना भी  प्रगतिशील हो गया है फिर भी उसकी  सोच  पुरातन है  …इस प्रश्न का उत्तर अब उसे खुद खोजना होगाआइये अब चलें ब्लॉग  4 वार्ता की ओर कुछ उम्दा लिंक्स के साथ.....

जैसा यहाँ होता है वहाँ कहाँ होता है *कभी कभी बहुत अच्छा होता है जहाँ आपको पहचानने वाला कोई नहीं होता है कुछ देर के लिये ही सही बहुत चैन होता है कोई कहने सुनने वाला भी नहीं कोई चकचक कोई बकबक नहीं जो मन में आये करो कुछ सोचो कुछ और लिख दो शब्दों को उल्टा करो...जिंदगी के रंगमंच पर !!!जिंदगी के रंगमंच पर लगाकर आईना जिंदगी ने, हर लम्‍हा इक नया ही रंग दिखाया है जिंदगी ने । ख्‍वाब, हो ख्वाहिश हो या फिर हो कोई जुस्‍तजू, कदमों का साथ हर मोड़ पे निभाया है जिंदगी ने । मैं उदास हूँ..पानी में पानी का रंग तलाशना जता देना है कि मैं उदास हूँ। ख़ुशी में ग़म तलाशना जता देना है कि मैं उदास हूँ। ऊँची पहाड़ियों पर घाटियों को निहारना जता देना है कि मैं उदास हूँ।   

 चित्र-कविता - सूरज, की तरह स्थिर रहो सबके जीवन में नदी की तरह बह निकलो सबके जीवन से पेड़ जैसे छाया दो सबको जीवन में धरा सा बसेरा दो सबको अपने मन में ...हाशिया - हाशिये पर रहने वालों के न पेट होते हैं न जुबाँ न दिल न होती हैं उनकी जरूरतें आखिर सुरसा भी क्यों उन्ही के यहाँ डेरा जमाये तो क्या नहीं होती उनकी कोई ..बेसुध ... - कहीं थक न जाऊं खुद अपनी तकदीर लिखते लिखते 'उदय' तुम, … यूँ ही, … मेरा हौसला बनाये रखना ? … उनके झूठ पे, सौ लोगों ने सच होने की मुहर लगा दी है 'उदय' और सच... 

 प्रश्नोत्तर - प्रश्नचिन्ह मन-अध्यायों में, उत्तर मिलने की अभिलाषा । जीवन को हूँ ताक रहा पर, समय लगा पख उड़ा जा रहा ।।१।। ढूढ़ रहा हूँ, ढूढ़ रहा था, और प्रक्रिया फिर दोहरा...एक ब्लागर की चिट्ठी प्रधानमंत्री जी के नाम - क्या अब सचमुच शुद्ध हो पाएंगी गंगा? - प्रधान मंत्री जी गंगा के शुद्धिकरण को लेकर आप कटिबद्ध हैं। मगर तनिक रुकिए - गंगा शुद्ध हो यह कोटि कोटि जनों की मांग है। गंगा संस्कृति प्रसूता है ...कामयाबी और नकामी - कभी भी 'कामयाबी' को दिमाग और 'नकामी' को दिल में जगह नहीं देनी चाहिए। क्योंकि, कामयाबी दिमाग में घमंड और नकामी दिल में मायूसी पैदा करती है।क्यूट-क्यूट है दोस्त हमारी - बाल कविता - बिल्कुल इस गुड़िया के जैसी क्यूट-क्यूट है दोस्त हमारी जब हम कोई खेल खेलते देती मुझको अपनी बारी कभी न लड़ती, सदा किलकती बस खुशियाँ ही बरसाती है मीठी-मीठी...

अचानकमार : वनवासी की यात्रा - काफ़ी दिन हो गए थे जंगल की ओर गए, जैसे जंगल मेरा घर है जो हमेशा बुलाता है। कहता है आ लौट आ, मिल ले आकर मुझसे। अब पहले जैसा नहीं रहा, जैसा तू छोड़ कर गया था। ..कविता तुम्हारी - नही पढ पाता मैं भावोत्पादक कविताएं सीधे दिल में उतरती हैं और निर्झर बहने लगता है एक एक शब्द अंतर में उतर कर बिंध डालता है मुझे आप्लावित दृग देख नहीं पाते छवि...वन संपदा - 1--धानी चूनर पहनी धरती नें छटा असीम योवन छलकता मन छूना चाहता | 2--है हरीतिमा मनोरम दृश्य है महका वन पक्षी पंख फैलाते चैन की सांस लेते ...   

नियती... - नियती घट की अंतिम बूंदों सी विदा बेला पर जीवन रेखा के समाप्ति काल तक ऐसे लगी रहेगी दृष्टि उस द्वारे पर जैसे कोई मोर व्याकुल नेत्रों से बैठ तकता है .ख़ामोशी - तन्हाई में जिनको सुकून-सा मिलता है, आईना भी उनको दुश्मन-सा लगता है। दिल में उसके चाहे जो हो तुझको क्या, होठों से तो तेरा नाम जपा करता है। तेरी जिन आंखों मे...बंधन और बाँध - में फर्क है ! - कोई बंधन में डाले या हम स्वयं एक बाँध बनाएँ - दोनों में फर्क है ! तीसरा कोई भी जब रेखा खींचता है तो उसे मिटाने की तीव्र इच्छा होती है न मिटा पाए तो एक समय...

क्यों से क्यों तक....... - क्यों ? सबसे कमजोर क्षणों में तुम्हारी ही सबसे अधिक आवश्यकता होती है और आलिंगी सी तू फलवती होकर चूकी कामनाओं में भी सरसता बोती है..... क्यों ? जब मैं व्यर्थ... किताब का जादू - वो एक लम्बे अरसे से इस किताब को पढ़ रहा था।किताब जैसे उसके व्यक्तित्व का हिस्सा हो गयी थी। किताब उस आदमी में कुछ भी अतिरिक्त जोड़ती न थी। न कम ही करती थी। पर...याद की पगडंडियाँ और सुख - हवा हर कोने में रखती है ज़रा ज़रा सी रेत। रेत पढ़ती है रसोई की हांडियों को, ओरे में रखी किताबों को, पड़वे में खड़ी चारपाई को, हर आले को, आँगन के हर कोने को। ...

कार्टून :- जब हँसाने वाले मुखौटे डराने लगे ...

 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........

सोमवार, 13 जनवरी 2014

मकरसंक्रांति- तिल गुड़ खाओ पतंग उड़ाओ... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...."तिल और गुड घ्या गोड-गोड बोला"   त्यौहार की उमंग और आकाश में लहराती, हिचकोले खाती रंग - बिरंगी पतंग आप सभी के जीवन को नए उत्साह और आनंद से भर दे और मकर संक्रांति के सूर्योदय के साथ एक नए सवेरे का शुभारम्भ हो इसी कामना के साथ आप सभी को ब्लॉग वार्ता परिवार की ओर से  मकरसंक्रांति, लोहड़ी एवं पोंगल की  हार्दिक शुभकामनायें....  आइये अब चलें ब्लॉग  4 वार्ता की ओर कुछ उम्दा लिंक्स के साथ... 

 

मकर संक्रांति पर शुभकामनायें मकर राशि में सूर्य का हो रहा प्रवेश संक्रांति काल लेकर आया पर्व विशेष ! उत्तर में खिचड़ी कहें दक्षिण में है पोंगल लोहड़ी जो पंजाब में असम में बीहू मंगल ! लकड़ी का एक ढेर हो शीत मिटाए आग बैर कलुष जल खाक हों पर्व मनायें जाग ! मीठे गुड में तिल मिले नभ में उड़ी पतंग लोहड़ी की इस आग ने दिल में भरी उमंग ! दाने भुने मकई के भर रेवड़ियाँ थाल अंतर में उल्लास हो चमकें सबके भाल.... मकर संक्रांति पर शुभकामनायें - मकर राशि में सूर्य का हो रहा प्रवेश संक्रांति काल लेकर आया पर्व विशेष ! उत्तर में खिचड़ी कहें दक्षिण में है पोंगल लोहड़ी जो पंजाब में असम में बीहू मंगल...मिसफिट Misfit मकर संक्रान्ति : सूर्य उपासना का पर्व

ऐसा भी दान... - हमारी भारतीय संस्कृति में "दान" हमेशा छुपा कर करने में विश्वास किया जाता रहा है.कहा भी गया है कि दान ऐसे करो कि दायें हाथ से करो तो बाएं हाथ को भी खबर न ....मौन - मौन नहीं स्वीकृति हार की मौन नहीं स्वीकृति गलती की, मौन नहीं है मेरा डर और न ही मेरी कमजोरी, झूठ से पर्दा मैं भी उठा सकता हूँ और दिखा सकता हूँ आइना सच का, ... .आईना आँख चुराता क्यों है? - जबसे पहनी है अपने होने की महक आईना आँख चुराता क्यों है? तेरे आने और तेरे जाने का फर्क मिटता सा नज़र आता क्यों है? कोई आहट नहीं कहीं फिर भी दिल इस तरह..

 

कौन है औरत? - एक प्रश्न : कौन है औरत महज घर परिवार के लिए बलिदान देकर उफ़ न करने वाली और सारे जहाँ के दोष जिसके सिर मढ़ दिए जाएँ फिर भी वो चुप रहे क्या यही है औरत या यदि...  आदत ... - सच ! चाटुकारों की बातों पे तू एतबार न कर देख, आईना खुद बयां कर रहा है सूरत तेरी ? … खोखले हो चुके दरख्तों की, कोई हमसे उम्र न पूछे उनके बाजु से चलो … तो ... .भूख भूख भूख …4 - नेता की भूख पद के लालच में नहीं देख पाती बेबस जनता की तकलीफ़ें जनता का रुदन उसे चाहिये होता है एक उच्च पद जहाँ वो सारे कुकृत्य करके भी बच जाये स्वंय को ...

मध्य में सब ठीक हो - बड़े तन्त्रों में एक बड़ी समस्या होती है। उन्हें साधने के प्रयास में सारा का सारा ध्यान उनके अन्तिम छोरों में ही रहता है, अन्तिम छोर साध कर लगता है कि सारा... बदलावों की आहट - मैं जब भी कहीं दूर पहाड़ की चोटी की तरफ देखता हूँ तो मुझे उसमें कोई बदलाब नजर नहीं आता, और जब उस पहाड़ की चोटी से दुनिया को देखता हूँ तो बहत कुछ बदला हुआ नजर... .ये कोहरे कि धुंध........ - ये कोहरे कि धुंध, और बादलो से घिरा आसमां.... ठंड से कांपता सारा जहां, इन सब से दूर मैं तुम्हारे, ख्यालो में खोयी सी.....!...

 

 खोजूं कहाँ - खोजूं कहाँ तुझे ए मेरे मन न जाने कहाँ खो गया है चैन सारा हर लिया है | खैर मना कि मैंने दर्ज न कराई कोई शिकायत तेरे खो जाने की नहीं तो क्या ...ये औरत .... - एक वक़्त था जब उसे किसी ना किसी ऐसे इंसान की जरूरत पड़ती थी ...जिसे वो अपने दिल की बात बता सके...किसी के साथ अपने दिल की बातें बाँट सके, पर उस वक़्त किसी...चन्द्र तुम मौन हो ....... - मैं विकारी ... तुम निर्विकार ...!! निराकार मुझमे लेते हो आकार , रजनी के ललाट पर उज्ज्वल यूं मिटाते हो हृदय कलुष , मैं आधेय तुम आधार ....!! मेरे मन के एका...

 सरगुजा का रामगिरी - छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला मुख्यालय से 50 किलो मीटर की दूरी पर बिलासपुर सड़क मार्ग पर उदयपुर से दक्षिण में रामगढ़ पर्वत स्थित है। दण्डकारण्य के प्रवेश द्वार ... .कुसुम-काय कामिनी दृगों में, - कुसुम-काय कामिनी दृगों में. कुसुम-काय कामिनी दृगों में जब मदिरा भर आती है खोल अधर पल्लव अपने, मधुमत्त धरा ......अंतिम छोर... - प्रायवेट वार्ड नं. ३ जिन्दगी/मौत के मध्य जूझती संघर्ष करती गूंज रहे हैं तो केवल गीत जो उसने रचे जा पहुंची हो जैसे सूनी बर्फीली वादियों में वहाँ भी अकेल... 

 


 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........ 

रविवार, 3 नवंबर 2013

रंगोली सजाएं, दीप जलाएं... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार....... किसी देहरी आज अँधेरा न रहने दें आओ बस्ती झोपड़ियों में दीप जलाएं। अपनों के तो लिये सजाये कितने सपने, सोचा नहीं कभी उनका जिनके न अपने, भूखे पेट गुज़र जाती हर रातें जिनकी, चल कर के उनमें भी एक आस जगाएं। बना रहे हैं जो दीपक औरों की खातिर, उनके घर में आज अँधेरा कितना गहरा, बिजली की जगमग में दीपक पड़े किनारे, इंतज़ार सूनी आँखों में, दीपक बिक जाएँ। महलों की जगमग चुभने लगती आँखों में, अगर अँधेरा रहे एक भी घर में बस्ती के, लक्ष्मी नहीं है घटती गर दुखियों में बाँटें, सूखे होठों पर कुछ पल को मुस्कानें लाएं। जब तक जगमग न हो घर का हर कोना, अर्थ नहीं कोई, एक कोने में दीप जलाएं. आप सभी को वार्ता परिवार की ओर से  मंगल पावनपर्व पर हार्दिक शुभकामनायें.... आइये अब चलें ब्लॉग  4 वार्ता की ओर कुछ उम्दा लिंक्स के साथ...  


उजाले की उजली शुभकामनाऐं------- प्रारंभ में एक दीपक जला उजाला दूर दूर तक फैला और भटकते अंधेरों से लड़ने लगा संवेदनाओं के चंगुल में फंसा जनमत के बाजार में नीलाम हुआ जूझता रहा आंधियों से नहीं ख़त्म होने दी अपनी,टिमटिमाहट बारूद के फूलों की पंखुड़ियों पर लिख रहा है अपने होने का सच ..शब्‍द-दीप जल गए....तुमने कहा... तुम मेरी दीप..तुमसे ही दीपावली देखो रौशन हो गया जहां.....शब्‍द-दीप ही जलने दो अभी होगी तब असली दीपावली जब हम मि‍ल जाएंगे..... ((..सभी मि‍त्रों को दीपोत्‍सव की बधाई व हार्दिक शुभकामनाएं...)) ...डरता है अंधियार.*जगमग हर घर-द्वार कि अब दीवाली आई,* *पुलकित है संसार कि अब दीवाली आई।* * * *दुनिया के कोने-कोने में दीप जले हैं, * *डरता है अंधियार कि अब दीवाली आई।* * * *गीत प्यार के गीत मिलन के गीत ख़ुशी के, * *गाओ मेरे यार कि अब दीवाली आई।* * * *जी भर जी लो गले लगालो सबको हंसकर,* *जीवन के दिन चार कि अब दीवाली आई।* *..

 

दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें ! दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !  भारतीय नारी ब्लॉग के सभी सम्मानित योगदानकर्ताओं व् पाठकों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें !दीपों का उत्सव आया है, दीपों का उत्सव आया है ...परिकल्पना ब्लॉगोत्सव-2013 का भव्य शुभारंभ आज से *भारतीय संस्कृति में उत्सव हो या उत्सव में भारतीय संस्कृति, ऐसी घुली मिली हुई है कि पूरा विश्व इस संस्कृति को झुककर सलाम करता है। क्यों न करे, भारत उत्सवों का देश जो है। हम अपने कर्म-कर्तव्य को भी उत्सव से जोड़कर देखते हैं और अपनी प्रगति को भी। ...दीप पर्व : हमारे देश और विदेशों में हमारे देश में दीपावली का पर्व बड़ी ख़ुशी उमंग और धूमधाम के साथ मनाया जाता है और यह हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है . धन की देवी श्री लक्ष्मी जी का पूजन अर्चन किया जाता है और उनके आने की ख़ुशी में फटाके फोड़े जाते हैं . .

 

 दीपावली पर्व पर शुभकामनाएँ दीपावली का इंतजार तो मुझे कई दिनों से रहता है। इस दिन मुझे ढेर सारे दीये जलना बहुत अच्छा लगता है। फिर उन्हें घर के हर कोने में और बहार सजाकर लगाना कित्ता सुन्दर लगता है। ऐसे लगता है जैसे धरती पर ढेर सारे तारे चमक रहे हों। और हाँ, गणेश-लक्ष्मी जी की पूजा करके उन्हें भोग चढ़ाना और फिर ढेर सारी मिठाइयां और चॉकलेट्स खाने का तो आनंद ही कुछ और है..दिया समर्पण का रखना !!! निश्‍चय की ड्योढ़ी पर दिया समर्पण का रखना, जब भी मन आंशकित हो तुम धैर्य हमेशा रखना । पूजन, वंदन आवाहन् होगा गौधूलि की बेला में जब, अपने और पराये की खातिर बस नेक भावना रखना । उत्‍सव की इस मंगल बेला में दीप से दीप जलाना जब, मन मंदिर में एक दिया संकल्‍प का भी जलाकर रखना । लम्‍हा-लम्‍हा उत्‍साहित है बच्‍चे पंच पर्व पर आनंदित हैं परम्‍पराओं के ज्ञान का दीप जलाकर उनके मन भी रखना ।..दीवाली के पर्व पर,बरस रहा है नूर..दीवाली के पर्व पर,बरस रहा है नूर. अहंकार तम का हुआ,फिर से चकनाचूर. अन्यायी को अंत में,मिली हमेशा मात. याद दिलाती है हमें,दीवाली की रात. घर घर पूजे जा रहे,लक्ष्मी और गणेश. पावन दीवाली करे,दूर सभी के क्लेश. दीवाली का पर्व ये, पुनः मनायें आज. और पटाखों से बचे,अपना सकल समाज।। यश-वैभव-सम्मान में,करे निरंतर वृद्धि. दीवाली का पर्व ये,लाये सुख-समृद्धि.. 


मन गई दिवाली गम की अमावस में न डाल हथियार तू एक दीप तो हौले से जरा उजियार तू। रोशनी की हर किरण चीरती है अंधेरा देख रख हौसला, न मान हार तू। मन में अगर हो आस तो पूरी करेंगे हम यह ठान के ह्रदय में, बढ आगे यार तू। जितनी है सोच काली उसे मांज के हटा फिर देख अपने मन को यूँ चमकदार तू। अपनी खुशी के फूल चमन में बिखेर दे तो बहेगी खुशबू वाली, लेना बयार तू। तेरे मन की रोशनी से हो उजास आस पास तब मन गई दिवाली ...आज खुशियों भरी दीवाली है दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ! हर घर के स्वागत द्वार पर छोटे-छोटे दीपों का हार है प्रभु की स्नेहिल अनुकम्पा का यह अनुपम उपहार है ! उर अंतर का हर कोना आज खुशियों के उजास से जगमगा रहा है दीप मालिकाओं का उज्जवल प्रकाश घनघोर तिमिर को परास्त कर गगन के सितारों को भी लजा रहा है ! आज मन से यही दुआ उच्छ्वसित होती है...दिये जलाओ कि.. दिये जलाओ कि कोई तिमिर हटे दिल मिलाओ कि कोई प्यार बटे जुगनुओं सी रोशनी भी यहा है काफी अंधेरा भगाओ कि कोई धुंध छटे टिमटिमाती रोशनी में नहा गया है घर खरीददारी से बहुत बेतरतीब भर गया है घर स्नेह की कुछ जगह बनाओ तो कुछ' बात बने दिये जलाओ कि कुछ तिमिर हटे ..

 

..अंतर्मन जो करे प्रकाशित, ऐसी दीप ज्योति जल जाये ।नहीं कामना हे प्रभु मेरे , तेज ज्योति जगमग प्रकाश की, निखरे छटा प्रभाष पुंज की जिससे आँखें चुधिया जायें, उसमें दर्प, घमंड समाये । इतना ही प्रकाश मेरे प्रभु ! जीवन में तुम कायम रखना , सहज शांत ल्यों दीपक ज्योति , सूर्य किरण संयम रख जलती, स्निग्ध चांदनी प्रकाश पथ देती....दीपावली हाईकुधनतेरस* *जलाएँ यमदीप* *प्रकाश लाएँ .....* * * *प्रकाश पर्व* *आनंद उल्लास का* *ख़ुशी का पर्व .....* * * *दीपक जले* *रौशनी को फैलाए* *खुशियाँ लाए .....* * * *मिठाई देख* *मनवा ललचाए* *मुँह में पानी ......* * * *लक्ष्मी कि पूजा* *गणेश कि आरती* *मन प्रसन्न .....* * * *मंगल पर्व* *ले लो नए संकल्प* *खुशी फैलाओ ....शुभ दीपावली ।

कार्टून :- पूजा छुप के करता तो बेहतर था

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgj-G8M7PMxfb-HIaUAUgHXBvux7kxpGSLVauYiDdBQJhpElPzR2QUg18xwlBLfqGOGY4g0p4Rv7CfN_QsvuhLCMMXuv1L2VCAMBtw3nAlAD5GwEInLXUQ7KzAfBNiVzvvEWnUBTx2XSN0/s1600/2.11.2013.jpg

मिलते हैं, अगली वार्ता में तब तक के लिए नमस्कार.....

मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

आ जाना चाँद ...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.... 'पूर्णस्य पूर्णमादाय ' कहने से तात्पर्य यह है की यदि तुम स्वयं इस सत्य की अनुभूति कर सको कि वही ' पूर्ण ' तुम्हारे साथ साथ इस विश्व ब्रह्माण्ड के कण कण में भी प्रविष्ट है तो फिर उस ' पूर्ण ' के बाहर शेष बचा क्या ? इसी को कहा गया - ' पूर्णमेवावशिष्यते '.... ! 'करवा चौथ' के मंगल पावनपर्व पर हार्दिक शुभकामनायें ....आइये अब चलें ब्लॉग  4 वार्ता की ओर कुछ उम्दा लिंक्स के साथ...



पिया का घर-रानी मैं  पिया का घर-रानी मैं …बचपन के गुड़िया घर से राजा का इंतज़ार और रानी होने का गुमां लड़कियों को व्रत करने की कर्मठता देते हैं - हरियाली तीज,तीज,सोलह सोमवार, …करवा चौथ इत्यादि कई व्रत हैं,जिसके आगे पति की दीर्घायु की कामना लिए पत्नी अन्न,जल ग्रहण नहीं करती,सावित्री बन जाने का संकल्प लेती हैं . चाँद हमारी हथेली में आ गया,विज्ञान ने कई दरवाज़े खोल दिए, …

 

कर लो थोड़ा इन्तजार……. *रूप दमके * *प्यार छलके * *जीवन महके……. सजनी तेरा……. * * मत हो उदास * *आऊंगा तेरे पास * *ले निशा का अनुपम श्रृंगार* *बदली में घिर गया अभी मैं * *कर लो थोड़ा इन्तजार……. * * ** सुहाग पर्व के इस अवसर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं * 

 

करवाचौथ दोहे आये कार्तिक माह में ,कृष्ण पक्ष की चौथ व्रत निर्जला सुहागिनें , करतीं करवाचौथ / दिन है यह सौभाग्य का, कमी न रखना शेष कर सोलह श्रृंगार लो, करवाचौथ विशेष / सब पति की दीर्घायु का,करती हैं उपवास प्रतीक्षा चंद्रोदय की ,इस दिन होती ख़ास / शुरू हो सूर्योदय से, चाँद देखके पूर्ण श्रद्धा और उत्साह से , करती हैं संपूर्ण / चंद्रोदय के बाद ही ,मिलता है संयोग अर्घ्य दे सभी चाँद को ,उसे लगाती भोग / निर्जल व्रत है चौथ का , करे सुहागिन नार जल पिए बाद अर्घ्य के , कर सोलह श्रृंगार // *

 

हरसिंगार की अभिलाषा इससे पहले कि मेरी निर्मल धवल कोमल ताज़ा पंखुड़ियाँ कुम्हला कर मलिन हो जायें , मेरी सुंदर सुडौल खड़ी हुई नारंगी डंडियाँ तुम्हारे मस्तक का अभिषेक करने से पहले ही मुरझा कर धरा पर बिखर जायें मुझे बहुत सारा स्थान अपने चरणों में और थोड़ा सा स्थान अपने हृदय में दे दो प्रभु कि मेरा यह अल्प जीवन सुकारथ हो जाये और मेरी इस क्षणभंगुर नश्वर काया को सद्गति मिल जाये 

 

अमृत बरसाती करवा चौथ की रात !!! हाँ ! बस सजने ही वाली है बड़े इंतज़ार से भरी सलोने से चाँद की अरमानों भरी वो करवा चौथ की रात ! वो सजे हुए करवे चार दिशाओं का भान कराती सींके मांडे चौक पर अमृत बरसाती रात ! सतरंगी सजी चूड़ियाँ मेहंदी से रची हथेलियाँ कलाइयों और हथेलियों में मनभावन रंग भरी आशीष सी रात ! वो नथ ,वो माँग का टीका बाजूबंद - करधनी - कंगना सहेजती अंगूठी की छुवन सी पायल की रुमझुम गुनगुनाती रात ! ख़ुश्क होते इन लबों से अंतर्मन तक तृप्त मन के रेशमी साड़ी की छुवन सी सुहाग की चमक भरी चूनर की रात ! सबसे बड़ी ,सबसे प्यारी आशाओं उम्मीदों भरी जन्मों के रिश्तों के नाज़ुक से एहसास सहेजती करवा चौथ की रात !!! ...

 


- न लाना तुम श्रृंगार सजन तुम आ जाना व्याकुल मेरे मन प्राण चैन तुम दे जाना हर दिन आकर ये चाँद तेरा दिलाता भान तुझको नित निहारा दर्श नयन को दे जाना कैसे करूँ ...

 

 आ जाओ चाँद... संध्या शर्मा - उषा की लाली संग अंगना रंगोली सजाकर घर का कोना -कोना स्नेह से महकाकर रसोई के सारे काम जल्दी से निबटाकर सोलह सिंगार कर अक्षत, चन्दन, फूल केसर, कुमकुम से..

 

कार्टून :- ओय होय करवा चौथ आयो रे 

 

 एक गीत हमारी पसंद का -


मिलते हैं, अगली वार्ता में तब तक के लिए नमस्कार.....

मंगलवार, 3 सितंबर 2013

बाबा बि‍ज़ी..अच्छे दिन के साईड-इफैक्ट....ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... जब-जब ओस की बूँदें बेचैन होंगी घास के मुरझाये पत्तों पर ढरकने को धीरे से धरती भी छलक कर उड़ेल देगी भींगा-भींगा सा अपना आशीर्वाद और बूँदों के रोम-रोम से घास का पोर-पोर रच जाएगा हरियाली की कविता से तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी उन तृप्ति की तारों में जब-जब आखिरी किरणों से सफ़ेद बदलियों पर बुना जाएगा रंग-बिरंगा ताना-बाना उसमें घुलकर फ़ैल जाएगा कुछ और , कुछ और रंग हौले से आकाश भी उतरकर मिला देगा अपनी सुगंध उन रंगों की कविता में तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी ..... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता .........

क्या हश्र हुआ शाहजहाँ के तख्ते ताऊस या मयूर सिंहासन का ? - *आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे. हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह उस मनों सोने का भी ...  कामिनी के श्रृंगार कभी - जीवन से तो मोह बहुत पर फीका है संसार कभी लगते हैं कुछ दिन फीके तो आ जाते त्योहार कभी सूरज आस जगाने आता और चाँदनी मुस्काती पल कुछ ऐसे भी मिलते जब बढ़ जाता है...मंज़र तेरी कब्र पर - दो दिन जुटेंगे मज़ार पर तेरे चाहने वाले दिन चार चक्कर लगायेंगे दुआ मांगने वाले सूखे फूल और सूखे अश्क फकत बाकी रहेंगे कुछ कबूतर के सुफेद जोड़े तेरे साथी ...  

कमिटमेंट ... - अपराधी, पुलिस, सरकार, तीनों हैं संशय में यारो सच ! अब 'खुदा' ही जाने कौन किस्से डर रहा है ? … अब तो सिर्फ … आसा-औ-राम … का है भरोसा वर्ना, जेल की कालकोठरी....पर्दे के पीछे कुछ ना कुछ तो जरूर है - श्रीगंगानगर-आइये, सरकारी हॉस्पिटल में चलें जहां मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास होने वाला है। मंच पर मौजूद हैं प्रदेश कांग्रेस की राजनीति के चाणक्य और मुख्यमंत्...बाबा का साक्षात्कार …. सिर्फ इस चैनल पर - प्रश्न .....बाबाजी आपके ऊपर यौन शोषण और दुष्कर्म के इलज़ाम लगे हैं, इस पर आपको क्या कहना है ? बाबा जी ....आप लोगों की सांसारिक शब्दावली हमारे पल्ले नहीं पड़त... 

 तीन कबिता - 1 ब्रम्ह मुहूरत में उठ जाबे . धरती माँ ल कर लेबे परनाम . सुमिरन करबे अपना कुल देवता ल , लेबे अपन इष्ट देव के नाम . बिहिनिया बिहिनिया नहाके , तुलसी मैया मा ..हाशिये पर रहे साहित्य-ऋषि लाला जगदलपुरी - साहित्य-सेवा को तन-मन-धन से समर्पित, यहाँ तक कि इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये चिर कुमार रहे लालाजी (लाला जगदलपुरी) का देहावसान साहित्य-जगत के लिये एक ....भाषाओं के अंत का आख्यान - भारत के नीति निर्धारकों ने राष्ट्र-राज्य की धारणा के तहत जातीयभाषा पर जोर देकर लोकल भाषाओं के साथ असमान व्यवहार को बढावा दिया और उसके भयावह परिणाम सामने  ... 

 निठल्लाई: साधो सहज समाधि भली - घुमक्कड़ी और लेखन का सिलसिला ही टूट गया, 4 महीने हो गए, जब से दिल्ली में चोट खाई तब दना-दन चोटें जारी हैं, एक ठीक होती है दूसरी लग जाती है। इनसे उबरने की .....गीतों की बहार 3 - वादा - गीतों की बहार 3 सीजी रेडि‍यो के श्रोताओं से वादे की बातें.......गीतों के साथ..... और साथ में हैं हमारी एंकर पद्मामणि ... पर्यटन शैली: दैनिक हिन्दुस्तान में ‘न दैन्यं न पलायनम्’ - हिंदी ब्लॉग -न दैन्यं न पलायनम् अंतर्गत पर्यटन शैली बताते आलेख को समाचारपत्र -दैनिक हिन्दुस्तान ने अपने स्तंभ पर स्थान दिया The post पर्यटन शैली: दैनिक ...  

तुम्हारे जाने के बाद - तुम्हारे जाने के बाद जानती हूँ कम पड़ जायेंगे शब्द नहीं कह पाएंगे उन भावों को जो उमड़ते रहे हैं भीतर जाने के बाद तुम्हारे ! एक-एक श्वास जुड... भीड़ चलती भेड़ जैसी... - यार तू वैसा नहीं है पास जब पैसा नहीं है। रात लिखता है सबेरा झूठ है! ऐसा नहीं है। भीड़ चलती भेड़ जैसी गड़रिया भैंसा नहीं है। कर रहा है संतई पर संत के जैसा ...फ़ुरसत में ... हम भी आदमी थे काम के - *फ़ुरसत में ... 112* *हम भी आदमी थे काम के *** *मनोज कुमार* *पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।*** *ढाई आखर प्रेम का, पढ़ै सो पंडित ... .....

जमाई - पुराने रीतिरिवाज लगते बहुत खोखले मन माफिक बात न होने पर वह झूठे तेवर दिखाता अपने को भूल जाता | है किस्सा नहीं अधिक पुराना फिर भी जब याद आता मन... अच्छे दिन के साईड-इफैक्ट - अच्छे लोगों के साथ अच्छा दिन बिताने के शायद कुछ साईड इफैक्ट भी होते हैं..इंसान इतना खुश होता है की उसे बहुत सी चीज़ों का होश ही नहीं रहता.....सुबह के दो रंग..... - मैं अकेला सही.....क़ायनात खिल उठी एक मेरी मौज़ूदगी से....... खि‍ली-खि‍ली थी सुबह मगर अब मुरझा गई ऐसी क्‍या बात हुई मायूसी सब तरफ छा गई जाने कहां गया वो..

कंकरीट के जंगल - *कभी इन्हीं जगहों पर हुआ करते थे* *बड़े- बड़े जड़ -लताओंवाले वृक्ष * *सुगन्धित फूलों के पौधे* *हरियाली फैलाती दूर तक बिछी घास * *तरह -तरह के पंछी और उनकी ..."दो और दो पांच" में एम. ए. शर्मा ’सेहर’ - *रामप्यारी ने आजकल ताऊ टीवी का काम संभालना शुरू कर दिया है. उसी की पहल पर ब्लाग सेलेब्रीटीज से "दो और दो पांच" खेलने का यह प्रोग्राम शुरू किया गया है....फूल बिछा न सको - "सवैया छंद" फूल बिछा न सको 1 पथ में यदि फूल बिछा न सको,तुम कंटक जाल बिछाव नही | यदि नेह नहीं दिखला सकते , कटु बैन सुना दुतराव नही | तुम राह सही ..

चोर नहीं चोरों के सरदार हैं पीएम ! - मनमोहन सिंह जी मैं आपके साथ हूं, मैं कह रहा हूं कि आप चोर नहीं है, आप चोरों के सरदार हैं। अगर विपक्ष कहता है कि प्रधानमंत्री चोर हैं तो मान लिया जाना ... औरत - अस्मत जो लुटी तो तुझको बेहया कहा गया, मर्जी से बिकी तो नाम वेश्या रखा गया, हर बार सलीब पर, औरत को धरा गया ... बेटे के स्थान पर, जब जन्मी है बेटी, या ... इस देश का यारो क्या कहना - जयराम शुक्ल इन्डिया दैट इज भारत के नीले गगन के तले सबसे ताकतवर परिवार को आलाकमान कहा जाता है। यह अलोकतांत्रिक तरीके से गठित ऐसा समूह होता है जिसे हर वक्त ..   


दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

सोमवार, 12 अगस्त 2013

सुनो भाई गप्प-सुनो भाई सप्प... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... रात की झील पर.....तैरती उदास कि‍श्‍ती हर सुबह आ लगती है कि‍नारे मगर न जाने क्‍यों ये जि‍या बहुत होता है उदास ..... ऐ मेरे मौला कहां ले जाउं अब अपने इश्‍क के सफ़ीने को तेरी ही उठाई आंधि‍यां हैं है तेरे दि‍ए पतवार.... कहती हूं तुझसे अब सुन ले हाल जिंदगी की झील पर उग आए हैं कमल बेशुमार उठा एक भंवर मुझको तो डूबा दे या मेरे मौला अब पार तू लगा दे....लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ...........

एक ऐतिहासिक दिन ... - *इंतज़ार की घड़ियाँ समाप्त ... सिर्फ 5 दिन बाद ... जी हां सिर्फ 5 दिन बाद 15 अगस्त को हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी... लगातार 1 घंटे बोलेंगे...उदास नुक्कड़, लाल चोंच वाली चिड़िया... - तो आज आखिर मेरी उससे मुलाकात हो ही गई. कितने दिनों से वो मुझे चकमा देकर निकल जाता है. कई बार तो उसकी बांह मेरे हाथ में आते-आते रह गई. और कई बार मेरा हाथ ..पागल - हाथ में पत्थर उठाये वह पगली अचानक गाड़ी के सामने आ गयी तो डर के मारे मेरी चीख निकल गयी. बिखरे बाल, फटे कपडे, आँखों में एक अजीब सी क्रूरता पत्थर लिए हाथ ऊपर..

आप चल रहे हैं न वर्धा? - वर्धा में महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय के तत्वावधान में ब्लागिंग पर एक और सेमीनार ( 2 0 -2 1 सितम्बर, 2013) का बिगुल बज चुका है। ..नेताओं की सुरक्षा हटा लेनी चाहिए सुरक्षा बलों को - श्रीगंगानगर-कोई भूमिका नहीं,बस आज सीधे सीधे यही कहना है कि जिन नेताओं के हाथ में देश सुरक्षित नहीं है,देश की रक्षा करने वाले जवान सुरक्षित नहीं है ..तुमको सलाम लिखता हूँ..... - याद करो वो रात.. वो आखिरी मुलाकात.. जब थामते हुए मेरा हाथ हाथों में अपने कहा था तुमने... लिख देती हूँ मैं अपना नाम हथेली पर तुम्हारी सांसों से अपनी...

सामयिक दोहे ! - बादल झाँकें दूर से,टिलीलिली करि जाँय। बरसें प्रीतम के नगर,हम प्यासे रह जाँय।। माटी की सोंधी महक,हमें रही बौराय। बदरा प्रियतम सा लगे,जाते तपन बुझाय।। ... वित्तमंत्री ... - *लघुकथा : वित्तमंत्री* चमचमाती कार से चार व्यक्ति उतर कर ढाबे में प्रवेश किये तो ढाबे का मालिक काउंटर से उठकर सीधा उनकी टेबल पर पहुँचा … क्या लेंगे हुजूर...दर्द ही दर्द - दर्द होने पर चेहरे पर विभिन्न तरह की भंगिमाएं बनती हैं। दर्दमंद मनुष्य के चेहरे को देख कर गुणी जन अंदाज लगा लेते हैं कि उसे शारीरिक या मानसिक किस तरह का ... 

धड़कन भी धड़क रही है...........!!! - हाथो में महेंदी लगी है.... कलाइयों में हरी चूड़ियाँ भी सजी है, फिर लगी सावन की झड़ी है..... कि हर आहट पर.... धड़कन भी धड़क रही है........ दस्तक - दस्तक रोती बिलखती हर गली मोहल्ले में, सांकल अपना पुराना घर ढूंढती है. सजी थी कभी मांग में जिसकी, वो चौखट वो दीवार ओ दर ढूंढती है. डाले बांहों में बांहे,...क्या से कया हो गयी - घुली मिली जल में चीनी सी सिमटी अपने घर में गमले की तुलसी सी रही शोभा घर आँगन की | ना कभी पीछे मुड़ देखा ना ही भविष्य की चिंता की व्यस्तता का बाना ओढ़े ...

रामप्यारी के चक्कर में डा. दराल ने बर्थ-डे मनाया "दो और दो पांच: के सेट पर ! - *रामप्यारी ने आजकल ताऊ टीवी का काम संभालना शुरू कर दिया है. उसी की पहल पर ब्लाग सेलेब्रीटीज से "दो और दो पांच" खेलने का यह प्रोग्राम शुरू किया गया है. ..जिन्दगी. - जिन्दगी जिन्दगी सिर्फ दो अक्षरों की कहानी है एक साँस आनी है एक साँस जानी है, मृत्यु समय धन दौलत याद नही आती याद आता है तो सिर्फ एक घूँट पानी है ....धीरज हिलता है ... - अब विश्व -यातना को और नहीं सह सकता है यह प्राण नहीं सह सकता है हे! प्रभो ...

होने को फसल ए गुल भी है, दावत ए ऐश भी है - बारिशें नहीं होती इसलिए ये रेगिस्तान है। इसका दूसरा पहलू ये भी है कि ये रेगिस्तान है इसलिए बारिशें नहीं होती। एक ही बात को दो तरीके से कहा जा सके तो हमें ... सुनो भाई गप्प-सुनो भाई सप्प – सुनो भाई गप्प-सुनो भाई सप्प मनमोहन की नाव में, छेद पचास हजार। तबहु तैरे ठाठ से, बार-बार बलिहार॥ नाव में नदिया डूबी नदी की किस्मत फूटी नदी में सिंधु डूबा जा....सिर्फ एक झूठ - आज डायरी के पन्नें पलटते हुये एक पुरानी कविता मिली.... लिजिये ये रही.. अगाध रिश्ता है सच झूठ का सच का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है सिर्फ़ एक झूठ से ।...


 


दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

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