सोमवार, 17 जून 2013

बाबुल तुम बहुत याद आए.... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार......कभी जो हम नहीं होंगे ....!!! - .... कहो किस को बताओगे ...? वो अपनी उलझने सारी ... वो बेचैनी में डूबे पल ...? वो आँखों में छुपे आँसू ...? किसे फिर तुम दिखाओगे ...ब्लॉग जगत में कल का पूरा दिन पिता को समर्पित स्नेह से भरी सुन्दर रचनाओं का रहा उनमें से कुछ रचनाएँ पढ़िए आज की वार्ता में...ईश्वर से यही कामना है, कि हर बच्चे को पिता के स्नेह की छत्र छाया मिले  ..रोजगार के लिए बेटे के कभी घिसते अपना जूता, कहीं बेटी के रिश्ते की खातिर सिर झुकाते पिता, बच्चों के लिए ही जीवन भर होती है जिनकी शुभकामना, उनको भी समझो और प्यार दो बस यही है मेरी भावना.... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ......


ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू ... - (पूज्य बाबू जी को समर्पित ) * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * *छोड़ इस लोक को ऐ बाबुल* *परलोक में अब रहता है तू * *कैसे बताऊं तुझको ऐ...सुदृढ़ बाहें ...... ( पितृदिवस पर कुछ हाइकु ) - विशाल वृक्ष जैसे देता है छाया पिता ही तो हैं । पिता की गोदी आश्रय संबल का डर भला क्यों ? .पापा, मैं, कार्तिक और फादर'स डे - *आज फादर'स डे है ... मैं इस बहस में नहीं पड़ता कि यह रस्म देशी है या विदेशी ... मुझे यह पसंद है ! आज मैं खुद एक पिता हूँ और जानता हूँ एक पिता होना कैसा लगता.... 

आठ मास का आदि और फ़ादर्स डे.... - कभी सोचता हूं, यह मन जितना पाता है उससे अधिक की अभिलाषा कर बैठता है न। आज कल आदित्य की रोज नई हरकत मन को कितना सुख देती है। बेटे नें नया नया घिसकना शुरु कि..ओ मेरे पिता ! - ओ मेरे पिता तुमने हर दुःख सहा माँ से भी ना कहा कंधे पर लादकर बोझ मेरा सहा। घोड़ा बने, संग खेले मेरे, मैंने मारी दुलत्ती सब खिलौने मेरे। मुझको मेला घुमाया हर ...पिता - १ ६ जून *पितृ* दिवस है ,इस अवसर पिता को शत शत नमन। पिता धर्म ,पिता कर्म , पिता ही परमतप : पितरी प्रतिमापन्ने , प्रीयन्ते सर्व देवता। अर्थ : - पिता का सेवा..

भई यह पितृ दिवस ही है पितृ विसर्जन दिवस नहीं! - पितृ दिवस पर एक मित्र ने कुछ चुटीला सुनाया ...पत्नी ने अतिरिक्त प्यार का इज़हार करते हुए पति से पूछा कि अजी ये सत्य और विश्वास में क्या फर्क है? ... पितृ दिवस - छोटी छोटी उंगलियों से पकड़ कर हाथ चलना सीखा पिता के साथ, नहीं दे पाते थे छोटे छोटे पैर पिता के क़दमों का साथ, कर लेते अपने क़दम धीमे देने बेटे के कदमों का...तुम्हारे वरद-हस्त - पितृदिवस पर 15 बरस पुरानी एक कविता, अपने काव्यसंकलन "मैं चल तो दूँ" (2005) से तुम्हारे वरद-हस्त ©-*कविता वाचक्नवी ** *---

शिक्षा अभिभावकों के लिए ...अपने बच्चों की खातिर...भाग -२ - (वत्सल का लिया एक चित्र) *अगर आपके बच्चे स्कूल जा रहे हों या जाने वाले हों तो कॄपया ध्यान दें .......* *सुनें बच्चों व आपके हित में जारी पॉडकास्ट आपके लिए  ......पितृ दिवस पर कुछ कवितायेँ ....... - * पितृ दिवस** पर कुछ कवितायेँ *....... (१) *सूखती जड़ें .... * न जाने कितनी फिक्रों तले सूखे हैं ये पत्ते दूर-दूर तक बारिश की उम्मीद से भीगा है इनका ...ग़ज़ल : शीर्षक पिता "पितृ दिवस" पर सभी पिताओं को सादर प्रणाम नमन, सभी पिताओं को समर्पित एक ग़ज़ल. ग़ज़ल : शीर्षक पिता बह्र :हजज मुसम्मन सालिम ...................................................... घिरा जब भी अँधेरों में सही रस्ता दिखाते हैं । बढ़ा कर हाँथ वो अपना मुसीबत से बचाते हैं ।। बड़ों को मान नारी को सदा सम्मान ही देना । पिता जी प्रेम से शिक्षा भरी बातें सिखाते हैं ।। दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना । बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।  . .. 

आशंकाओं की बदली ....विक्रम ,सुधीर जी को कोटा से बस में बैठा कर , अपने बड़े भाई सुमेर को फोन किया कि उसने बाबूजी को बस में बैठा दिया और बस रवाना हो गयी है। बस शाम 4 बजे तक इंदौर पहुँच जाएगी । बाबूजी को हमेशा वह कार से ही छोड़ने जाता है। इस बार उसकी पत्नी शानू की छोटी बहन आने वाली थी तो कार की जरूरत उसे थी। ..आज का दिन तो सिर्फ पापा का है आज फादर्स डे है. हर साल जून माह के तीसरे रविवार को यह सेलिब्रेट किया जाता है.वैसे तो पापा से प्यार जताने के लिए किसी खास दिन की जरुरत नहीं, पर आज का दिन तो सिर्फ पापा का है..आज के दिन के लिए पापा को ढेर सारा प्यार और बधाई. U r the best Papa. मैं तो अपने पापा से बहुत प्यार करती हूँ।पिता १ ६ जून *पितृ* दिवस है ,इस अवसर पिता को शत शत नमन। पिता धर्म ,पिता कर्म , पिता ही परमतप : पितरी प्रतिमापन्ने , प्रीयन्ते सर्व देवता। अर्थ : - पिता का सेवा करना पुत्र का परम धर्म है ,यही उसका कर्म और यही उसका श्रेष्ट तपस्या है। पिता के स्वरुप में सब देवता समाहित है , इसीलिए पिता के प्रसन्न होने पर सब देवता प्रसन्न होते हैं...

मेरे पापा - माँ की ममता पिता का प्यार पर अंतर बड़ा दोनों में ममता की मूरत दिखाई देती पर पिता का प्यार छिपा रहता दीखता केवल अनुशासन | लगता था तब बहुत बुरा जब छोटी सी ...फादर डे स्पेशल - ** *भूली बिसरी यादें ......फादर डे...यानी फादर(पिता) का दिन ..ये सिर्फ एक दिन की यादों में नहीं सिमटा हुआ ....पर हर दिन उनकी याद में मेरा अपना है |...आज पिता सम्मान पा रहे हैं........... आज फादर्स डे पितृ दिवस नमन उनको आज पिता सम्मान पा रहे हैं कल किसने देखा.. और देखेगा भी कौन.. कि पिता किस हाल में हैं... खाना गरम मिला या नहीं ... दवा समय पर मिली या नहीं रात बिछौना का चादर बदला था या नहीं ये तो अच्छा है कि मेरे पिता की अब स्मृति शेष है..

बरसन लागी बरखा बहार ....!! - बुंदियन बुंदियन ... सुधि अमिय रस बरसन लागा ... पड़त फुहार ... नीकी चलत बयार ... पंछी मन डोले ... संग डार डार बोले .... आज सनेहु आयहु मोरे द्वार .... री .......तेरे आने से..... - *तेरे आने से सँवर जाउँगी* *तेरे जाने से बिखर जाउँगी ......* *सोना चाँदी , हीरा , मोती * *श्रृंगार नहीं है मेरा* *तेरी मीठी नजरों से * *अब खुद को सजाउंगी.....इसलिए मैं रुकी हूँ ... - इसलिए मैं रुकी हूँ कि मुझे तेल से पोसा हुआ एक मजबूत डंडा चाहिए और शोर-विहीन बड़ा सा डंका चाहिए... अपना हुनर तो दिखा ही दूंगी व बड़े-बड़े महारथियों को धकिया ... 


कार्टून :- ऊपर जाने वाली सीढ़ि‍यां थामे बैठे लोग  

दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

गुरुवार, 13 जून 2013

शांतता ठेवा भारत निर्माण चालू आहे... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार......करती रहती हूं भरने की कोशि‍श शब्‍द-बूंदो से उम्‍मीद का घड़ा टप-टप टपकती आस की बूंदों को गि‍नती-सहेजती हैं दो आतुर नि‍गाहें कि तभी पी जाता है आकर, संदेह का काला कौआ घड़े का सारा पानी भर जाती है देह में बेतरह थकान सोचती हूं कहां मि‍लेगा मुझे यकीन वाला वो लाल कपड़ा जो इस घड़े के मुंह पर कसकर बांध दूं क्‍योंकि ये काला कौआ तो मुझसे भागता ही नहीं....... तस्‍वीर....मेरी आंखों में आस्‍मां... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ......

आज कुछ गीत जो बहुत कुछ कहते है .................... - 1-जाने वो कैसे लोग थे --- 2-बड़ी सूनी-सूनी है --- 3-कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन--... रूत मिलन की - सागर की लहरों पर किरणें लेती है अंगडाई लिए साथ में मस्त समां बरखा की बूँदें आई .... प्यासी धरा की प्यास बुझी हर कली खिलखिलाई ... बागों में भौरे झूम रहे ..ओ मेरे !.............5 - *कभी कभी जरूरत होती है किसी अपने द्वारा सहलाये जाने की ............मगर हम, उसी वक्त ,ना जाने क्यूँ ,सबसे ज्यादा तन्हा होते है......

आखिर विद्यार्थी रूके कैसे? - एक बार एक प्राइमरी स्कूल के टीचर जी बोले, “आप यहां बच्चों के साथ क्या करवाना चाहेगें? यह तो यहां स्कूल में रूकते ही नहीं।" "ये स्कूल से भागकर जाते कहां है" ...खिड़की पर गिलहरी - घर की जिस मेज पर बैठ कर लेखन आदि कार्य करता हूँ, उसके दूसरी ओर एक खिड़की है। उसमें दो पल्ले हैं, बाहर की ओर काँच का, अन्दर की ओर जाली का, दोनों के बीच मे.....भारतीय समाज की विवशताएँ! - पहले तो मैंने इस पोस्ट के लिए भारतीय समाज की विडंबनाएं शीर्षक चुना था .मगर विचारों के प्रवाह में सहसा सूझा कि जिन्हें मैं विडंबनाएं समझ रहा हूँ .....

मेरा पहला कार्टून - पीएम इन वेटिंग ने टिकट केंसिल किया - आखिरकार पीएम इन वेटिंग ने खुद ही टिकट केंसिल करके वेटिंग लिस्ट से अपना नाम वापिस ले लिया... और कितना इंतज़ार किया जाए भाई? और वोह भी तब, जबकि टीटी पिछले... ये मानसून-मानसून क्या है - भीषण, झुलसा देने वाली गर्मियों के बाद सकून देने वाली बरसात धीरे-धीरे सारे देश को अपने आगोश में लेने को आतुर है. जून से सितंबर तक हिंद और अरब महासागर से ....समय की मार ... - उनकी ढेरों कवितायें अब भी आधी-अधूरी हैं लेकिन वो,................कवि पूरे हो गए हैं ? ... आज भी हम पागल हैं कल की तरह गर, तुम चाहो तो आजमा लो हमें ? ..... 

धीर धरो सखि पिया आवेंगे - धीर धरो सखि पिया आवेंगे गले लगावेंगे झूला झुलावेंगे मन के हिंडोलों पर पींग बढावेंगे नैनो से कहो नीर ना बहावें राह बुहारें चुन चुन प्रीत की कलियाँ..संगीत बन जाओ तुम! - कब तक इस नकली हवा की पनाह में घुटोगे तुम? आओ, सरसराती हवा में सुरों को पकड़ो तुम *संगीत बन जाओ तुम!* कब तक ट्रैफिक की ची-पों में झल्लाओगे तुम? आओ, उस सुदूर ...ठौर कहाँ ... - *उसे इंडिया वापस जाना है.* क्योंकि यहाँ उसे घर साफ़ करना पड़ता है , बर्तन भी धोने होते हैं , खाना बनाना पड़ता है. बच्चे को खिलाने के लिए आया यहाँ न..

 श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (५२वीं कड़ी) - मेरी प्रकाशित पुस्तक 'श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)' के कुछ अंश: तेरहवां अध्याय (क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभाग-यो...यह समकालीन हिन्‍दी कविता और विचार के इलाक़े में एक बेहद गम्‍भीर मामला है - *यहां गिरिराज किराड़ू का एक पत्र प्रकाशित किया जा रहा है, जिसे मैं आज की कविता और विचार के इलाक़े में एक बड़े हस्‍तक्षेप की तरह देखता हूं। ... .याद आया.. - रहा गुमनामियों में ताउम्र ना भूले भी किसी को याद आया मेरी रुखसती पर सबाब आया ख़त का जबाब आया - जब चला अंतिम सफ़र मितरां दौ..

आयी है घर में बहार - आयी है घर में बहार बात पिछली शताब्दी की है तब इंटरनेट भी नहीं था न मोबाईल सुबह सवेरे बैठ कर रिक्शे पर जाती थी छोटी सी बालिका स्कूल लगाये बालों मे..घट छलका - एक बदरा कहीं से आया मौसम पा अनुकूल उसने डेरा अपना फलक पर जमाया वहीं रुकने का मन बनाया | दूजे ने पीछा किया गरजा तरजा वरचस्व की लड़ाई में उससे जा टकराय..बारिश - फिर पसीना पोछ कर पढ़ने लगा उनके शहर में आज फिर बारिश हुई! देखा है हमने अपने शहर से बादलों को रूठकर जाते हुए औ. सुना है.. देखा है तुमने बादलों को झूमकर गात..

आड़वाणी की नहीं मानीं, आड़वाणी मान गए ! - आज की सबसे बड़ी खबर ! भारतीय जनता पार्टी के तमाम अहम पदों से इस्तीफा देने वाले वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की कोई बात नहीं मानी गई, लेकिन वो मान गए। .. कौन 'हिटलर-मुसोलिनी', कौन 'पोप'...खुशदीप - 9 जून को नरेंद्र मोदी की पैन इंडियन भूमिका पर मुहर लगाते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने उन्हें पार्टी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बना ...आडवाणी जी की शतरंजी चालों में चित हो गयी भाजपा !! - भाजपा में पिछले पांच दिनों में जो घटनाक्रम सामने आया उसनें भाजपा की जगहंसाई करवाने कोई कसर नहीं छोड़ी ! और खासकर लालकृष्ण आडवाणी जी नें तो मानो भाजपा की...

 ताऊ टीवी का "पति पीटो रियलीटी शो" - ताऊ डाट इन की एक पोस्ट "ताऊ टीवी का पति पीटो रियलीटी शो" *मेट्रो टच* के जून 2013 अंक में प्रकाशित हुई है जिसकी स्केन कापी नीचे दी है. स्केन कापी में छोटे .. कार्यकर्त्ता को कैसे पता लगे कि उसका कौन सा पदाधिकारी कब चवन्नी का हो गया "...???? - *" 24 केरेट गोल्ड " स्तर के सभी मित्रों को मेरा सादर -नमस्कार !!* * भाजपा में आये "टोरनेडो" तूफान के बाद सब कार्यकर्त्ता और जनता " मनन ..एक नागनाथ है तो दूसरा सांपनाथ...एक काटेगा तो दूसरा डसेगा - भाजपा ने मोदी के नाम की घोषणा चुनाव प्रचार अभियान के प्रमुख के रूप में की तो तमाम गैर-भाजपाइयों के दिल पर साँप लोट गया मानो उनके हाथ से आज ही सत्ता निकल ...

मैनें अपने कल को देखा, - मैनें अपने कल को देखा, मैनें अपने कल को देखा उन्मादित सपनों के छल से आहत था झुठलाये सच से, तृष्णा की परछाई से , उसको मैने लड़ते देखा,..राग-विराग - मेरे आँगन में पसरा एक वृक्ष वृक्ष तुम्हारे प्रेम का आलिंगन सा करतीं शाखें नेह बरसाते देह सहलाते संदली गंध से महकाते पुष्प कानों में घुलता सरसराते पत्तों ... पापा आई लव यू - पापा मेरी नन्ही दुनिया तुमसे मिल कर पली बढी आज तेरी ये नन्ही बढ़ कर तुझसे इतनी दूर खडी तुमने ही तो सिखलाया था ये संसार तो छोटा है तेरे पंखों में दम ..

कार्टून :- शांतता, भारत नि‍र्माण चालू आहे (1)

 

दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

शुक्रवार, 7 जून 2013

सुबह ढूंढेंगे फ़िर सपने... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...मायूस तो हूं वायदे से तेरे  कुछ आस नहीं कुछ आस भी है, मैं अपने ख्यालों के सदके तू पास नहीं और पास भी है. दिल ने तो खुशी माँगी थी मगर, जो तूने दिया अच्छा ...सुबह ढूंढेंगे फ़िर सपने, अभी तो शाम ढलती है - इन हथेली की लकीरों से, कहाँ तक़दीर बनती है, मुसाफ़िर ही सदा चलते, कभी मंज़िल न चलती है. चलो अब घर चलें, सुनसान कोने राह तकते हैं, सुबह ढूंढेंगे फ़िर सपने ...लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ......

जहरीला इन्सान - जैसे जैसे लोग के, बदले अभी स्वभाव। मौसम पर भी देखिए, उसके अलग प्रभाव।। जाड़े में बारिश हुई, औ बारिश में धूप। गरमी में पानी नहीं, बारिश हुई अनूप।। ..मैंने उसको....सताया नही !!! - *करता था मैं उनसे प्यार * *और आज भी करता हूँ, * *पहले वो मुझ पे मरते थे * *आज मैं उनपे मरता हूँ ||* *----अशोक"अकेला"* *मैंने उसको....सताया नही !!! * *. ढूँढता हूँ शहर मैं जो बरसों पहले खो गया - ढूँढता हूँ शहर मैं जो बरसों पहले खो गया जाने किस सभ्यता में दफ़न कैसे हो गया जहाँ तिलिस्मों के बाज़ार में बिकती हों ख्वाहिशें उन ख्वाहिशों का कोई खरीदार ... 

कमाल है एक असफल हिरोईन की आत्महत्या इस देश में सबसे बडी खबर बन जाती है. - कमाल है एक असफल हिरोईन की निहायत ही निजी कारणो से की गई खुदकुशी इस देश में सबसे बडी खबर बन जाती है.उस पर चर्चाओ का दौर चल पडता है.उसी देश मे जंहा भूख से एक... .कर सकिये तो आदिवासियों पर शक करना बंद करिए : खेतों में नहीं उगते माओवादी. - *कवासी लखमा एक आदिवासी हैं,* उन लाखों सामान्य आदिवासियों की तरह जो मध्य भारत में चल रहे लगभग गृहयुद्ध में फंसे हुए हैं. पर फिर, वह उनमे से एक नहीं भी हैं. ... राजनैतिक पार्टियां आरटी आई से इतनी डरती क्यों है !! - केन्द्रीय सुचना आयोग नें राजनैतिक पार्टियों को सुचना के कानून के अंतर्गत आने का निर्णय सुनाया है ! केन्द्रीय सुचना आयोग का यह एक अच्छा फैसला था

पानी क्यों खूं सा मुझे नज़र आता है? - मिट जायेगा निशां, जानकर बहता है रेत की ओर पानी, बहने दो क्यों तुले बैठे हो खुलवाने को मेरी जुबां, राज को राज ही रहने दो यूं तो खुद का ही चेहरा था देखा मैंने,...ओ मेरे !.............4मेरी आँखों में ठहरे सूखे सावन की कसम है तुम्हें ............कभी मत कहना अब "मोहब्बत है तुमसे" ...........बरसों कहूं या युगों कहूं नहीं जानती मगर ये जो आँखों की ख़ामोशी में ठहरा दरिया है न कहीं बहा न ले जाए तुम्हें भी और इस बार सैलाब रोके नहीं रुकेगा चाहे जितने बाँध बना लेना ..............जानते हों क्यों ? क्योंकि मैंने दिल की मिटटी में खौलता तेज़ाब उंडेल दिया था उसी दिन जब तुम मेरी आखिरी ख्वाहिश जानकर भी वो तीन लफ्ज़ ना कह सके...शिंगणापुर के शनिदेव कई वर्ष बाद इस वर्ष 8 जून को शनिवार के दिन शनि जयंती का संयोग बना है। इसी दिन मेरा भी जन्मदिन होने के कारण मुझे पिछले वर्ष गर्मियों में मेरी सपरिवार शिर्डी और उसके उपरांत शनि शिंगणापुर की यात्रा के वे पल याद आ रहे हैं जब हम पहली बार सांई बाबा के दर्शन कर सीधे शनिदेव के दर्शन के लिए शिंगणापुर पहुंचे। ऐसी मान्यता है कि जो पहली बार सांई बाबा के दर्शन करने जाता है उसे शनिदेव के भी दर्शन हेतु शिंगणापुर जरूर जाना चाहिए ...
 
छत्तीसगढ़ की अनाज भण्डारण क्षमता में अप्रत्याशित वृद्धि - छत्तीसगढ़ की अनाज भण्डारण क्षमता लगभग 12 लाख मीटरिक टन तक पहुंची : साढ़े नौ साल में बने 245 करोड़ के 364 नये गोदाम * .. कि व्यर्थ न जाए एक भी आहुति......(विश्व पर्यावरण दिवस ) - एक आकाशवाणी और बीज अंकुरित हुआ गर्भ धारण किया माँ ने नेह सिंचित उस बीज की पौध हूँ मैं! मेरी नसों की नीलाई पर तुम्हारा अधिकार है माँ मेरे ह्रदय का हर एक ....रह्मलीन आचार्य महामण्डलेश्वर निर्वाणपीठाधीश्वर श्री श्री १००८ स्वामी विश्वदेवानन्द जी की ब्रह्मचारी अनंतबोध चैतन्य के साथ वार्तालाप के कुछ अंश --- - महाराज श्री से जन्म समय तथा जन्म स्थान के बारे मे पूछने पर महाराज श्री का बडा सारगर्भित उत्तर- पूज्य महाराज जी फ़रमाते हैं कि साधु का परिचय जन्म के साथ...

कुछ कहानियां----- - * * * एक छोटी निजी यात्रा पर---कुछ दिनों के लिये जाना हुआ---* *अपने,व्यक्तिगत जीवन-लय की चुप्पी को तोडने का एक प्रयास---साथ ही,जीवन की लय...शान हिल की ट्विटर कहानियाँ - *शान हिल की कुछ और ट्विटर कहानियां... * *शान हिल की ट्विटर कहानियाँ * (अनुवाद : मनोज पटेल) मेरे मम्मी-डैडी ने मुझे नाक से कीबोर्ड खटखटाते देख लिया. मम्मी..मैं तेरा साया हूँ ... - *तू हमसफ़र है , मैं तेरा साया हूँ * *जब भी आया हूँ साथ आया हूँ -* * **वक्त ने जब भी छोड़ा है तेरा दामन * *यक़ीनन मैं वक्त छोड़ आया हूँ -* * **ज़माने की...

इस तरह भी क्या जाना - मैं एक चौबीस पन्नों का अख़बार लिए हुये छोटे टेम्पो के इंतज़ार में था। ये मिनी ट्रक जैसे नए जमाने के पोर्टबल वाहन खूब उपयोगी है। खासकर छोटी जगहों को बड़ी...  मैं नाजुक हरसिंगार..... - तुम बूंदे ओस की मैं पत्‍ती लाजवंती तुम पगलाई सी हवा मैं नाजुक हरसिंगार तुम घनेरे कारे बदरा मैं खेतों की कच्‍ची मेड़ * * * * * तुम संग जि‍या न जाए तुम बि‍... व्याकुल पीड़ा ...- .... कांक्रीट के जंगल में अकेला खड़ा वटवृक्ष भयभीत है...? व्याकुल है आज चौंक उठता है हर आहट से जबकि जोड़ रखे हैं कितने रिश्ते - नाते सांझ के धुंधलके में दूर ....

.हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट ) - हमने गजल पढी, * एक झलक ही देखकर हमने गजल गढ़ी पहली बार महफ़िल में हमने गजल पढ़ी, ** **ऐसा था, उसका रूप वो परी लगी मुझे आँखों में आँखें डालकर हमने गज..वह प्रसून-प्रसूता है ... - वह अकेली है छबीली है निगरी है निबौरी है जितनी कोमल उतनी जटिल जितनी सहज उतनी कुटिल तरल-सी है पर जमी हुई पिघला कर बहा देती है अपने किनारे लगा लेती है निचुड़...लगता है तुम आ रहे हो - लगता है तुम आ रहे हो, आँचल में छिपा लूँगी अभिव्‍यक्ति उन्‍वान (चित्र)- 59 ये चाँद तुम्‍हें देखकर नज़र तुम्‍हें लगा दे न पीठ किये बैठी हूँ बाहों में ...

आन्तरिक सुरक्षा और देश - देश की आन्तरिक सुरक्षा के मुद्दे पर आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मलेन का इस्तेमाल जिस तरह से दलीय राजनीति को आगे बढ़ा...ख़ामोशी - मांग करने लायक कुछ नहीं बचा मेरे अंदर ना ख्याल , ना ही कोई जज्बात बस ख़ामोशी है हर तरफ अथाह ख़ामोशी वो शांत हैं वहाँ ऊपर आकाश के मौन में फिर भी आंधी, बारिश ...मोदी से इसलिए नाराज हैं आडवाणी ! - *वृक्षारोपण का कार्य चल रहा था। नेता आए, पेड़ लगाए, पानी दिया, खाद दिया। जाते-जाते भाषण झाड़ गए। गाड़ना आम का पेड़ था, पर वो बबूल गाड़ गए। * ..

 

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दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

रविवार, 2 जून 2013

मन पखेरु उड़ चला फ़िर... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... जनता पर फिर महंगाई की मार, पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े. डॉलर की तुलना में रुपये की गिरावट आम जनता पर महंगी पड़ी। कमजोर रुपये की वजह से ही शुक्रवार को तेल कंपनियों को तीन महीने बाद पेट्रोल की कीमत में 75 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि करने का फैसला करना पड़ा। साथ ही डीजल की कीमत भी 50 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दी गई है। यह मूल्य वृद्धि शुक्रवार आधी रात से लागू हो गई है। वहीं गैर सब्सिडी वाला एलपीजी सिलेंडर 45 रुपये सस्ता हो गया है।इस खास खबर के बाद आइये अब चलते हैं आज की ब्लॉग वार्ता पर... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........

मन पखेरु उड़ चला फ़िर : परिचर्चा से लौट कर - कार्यक्रम - परिचर्चा : मन पखेरु उड़ चला फ़िर स्थान - कान्स्टिट्युशन क्लब डिप्टी स्पीकर हॉल नई दिल्ली दिनांक-18 मई 2013, समय - 5 बजे सांय काव्य संग्रह का पुन..ये राग वि‍रहा कि मत लगाना... - उदासी की नवीं किस्‍त * * * * बसाकर आंखों में भूल गए सांवरे....न रखो नि‍शानी....मुझको काजल सा मि‍टा दो......जब याद कोई बेइंतहा आए और कि‍सी शै सुकूं न मि‍ले..अँगारा को जगाना है ... - निरे पत्थर नहीं हो तुम अतगत अचल , निष्ठुर , कठोर आँखें मूंदे रहो , युग बीतता रहे किसी सिद्धि की प्रतीक्षा में या किसी पुक्कस पुजारी की दया-दृष्टि तुम पर ...

क्या ऐसे ख़त्म होगा नक्सलवाद... क्या ऐसे ख़त्म होगा नक्सलवाद...] *- गौरव शर्मा "भारतीय"* * **प्रदेश में हुए नक्सली हमले के बाद एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप, ...दीवानगी .. - कल तक उनकी फेसबुकिया तस्वीरों ने खूब चौंकाया है हमें सच ! आज मालुम पडा, बेटा उनका नौंबी पास हो गया है ? ... प्रायः सभी कुदाल - छोटी दुनिया हो गयी, जैसे हो इक टोल। दूरी आपस की घटी, पर रिश्ते बेमोल।। क्रांति हुई विज्ञान की, बढ़ा खूब संचार। आतुर सब एकल बने, टूट रहा परिवार।। हाथ मिलाते... 

विश्व जियेगा - विश्व जियेगा और गर्भरण जीते बिटिया, प्रथम युद्ध यह और जीतना होगा उसको, संततियों का मोह, नहीं यदि गर्भधारिणी, सह ले सृष्टि बिछोह, कौन ढूढ़ेगा किसको..रात गुलज़ार के संग काट आयी, बाबुषा - *कुछ लोग बड़े सलीके से जिन्दगी की नब्ज को थामते हैं। सहेजते हैं घर के कोने, तरतीब से सजाते हैं ख्वाब पलकों पर. सब कितना दुरुस्त होता है उनकी जिन्दगी में ...क्या आँच पहुंची वहाँ तक ? - वो एक कतरा जो भिगो कर भेजा था अश्कों के समंदर में उस तक कभी पहुँचा ही नहीं या शायद उसने कभी पढ़ा ही नहीं फिर भी मुझे इंतज़ार रहा जवाब का जो उसने कभी दिया ...

मृत्यु और जीवन ! - *(1)मृत्यु घिन आती है ऐसे समाज से जहाँ हक की लड़ाई जमीन और जंगल के बहाने जान लेने पर उतारू है। जिस जमीन पर गिरता है पानी वहां बहाया जाता है रक्त। ... ओ मेरे !..........2 - कुछ आईने बार बार टूटा करते हैं कितना जोड़ने की कोशिश करो .............शायद रह जाता है कोई बाल बीच में दरार बनकर .............और ठेसों का क्या है वो तो फूलो...दूर-पास का लगाव-अलगाव - कोई सेब अपने पेड़ से बहुत दूर नहीं गिरता है। बछड़ा अपनी माँ से बहुत दूर नहीं रहता है।। दूर का पानी पास की आग नहीं बुझा सकता है।मुँह मोड़ लेने पर पर्वत भी...

ऐ दुनियादारी ! - *अपना भी न सके ढंग से,हुई भी न तू हमारी, * *अलगा भी न सके खुद से,तुझे ऐ दुनियादारी।* * **छोड़ देते जो अगर साथ तेरा, तो अच्छा होता,* *न सीने में बेच...ऎसा लगता है कि कोई नगरवधु मांग में सिंदूर भरकर प्रवचन कर रही हो. - हो गया खात्मा नक्सलवाद का.भूल गये नक्सलवाद के ज़ख्म.सूख गये आंसू इंसानियत की कथित आंखो के,इंसानी खून की सडांध,लाश के चीथडे,मांस के लोथडे..सच तो यह है कि सिद्धांत सभी स्थिर हैं सारे - " चीखती चिड़िया और चील की शान्ति में से क्या चुनोगे ? सच बताना महक फूलों की अच्छी थी तो तोड़ा क्यों उन्हें ? चहक चिड़िया की अच्छी थी तो पिंजडा क्यों बना ?.. 

यादें बचपन की...  - बीती यादें उमड़ -घुमड़ के आ रही रही हैं मेरे मन में कैसे-कैसे वो दिन हैं बीते क्या-क्या छूटा बचपन में रोज सबेरे सूरज आता स्वर्ण रश्मि साथ लिए..बादल तु जल्दी आना रे (भाग २) - काले काले बादल बताओ तुम कहाँ है तुम्हारा देश? कहाँ से तुम आये ,जा रहे हो कहाँ जहां होगा नया नया परिवेश। दूर देश से आये हो तुम थक कर .. "आत्म""हत्या !!!! - कूद पड़ी वो नीचे चौथे माले से (और ऊपर जाना शायद वश में न रहा होगा...) लहुलुहान पड़ी काया से लिपट कर रो पड़ा हत्यारा पिता जानता था उसकी महत्त्वाकांक्षाओं ने ही ...

क्रिकेट यानि सेक्स और सट्टेबाजी ! - भारतीय क्रिकेट बहुत बुरे दौर से गुजर रही है। अब क्रिकेट के साथ ही क्रिकेटर्स की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। हालत ये है कि भारतीय टीम के कप्तान महेन्द...अब क्या होगा छत्तीसगढ़ कांग्रेस का ? - ** *क्या चरणदास महंत को मिलेगी चुनावी अभियान की कमान* *-संजय द्विवेदी* माओवादी आतंकवाद के निशाने पर आई छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तीन दिग्गज नेताओं महेंद्.. छत्‍तीसगढ़ी महागाथा : तुँहर जाए ले गिंयॉं - छत्‍तीसगढ़ी गद्य लेखन में तेजी के साथ ही छत्‍तीसगढ़ी में अब लगातार उपन्‍यास लिखे जा रहे हैं। ज्ञात छत्‍तीसगढ़ी उपन्‍यासों की संख्‍या अब तीस को छू चुकी है।...


 


दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

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