सोमवार, 30 अप्रैल 2012

चलते चलते ललितडॉट कॉम में गत्यात्मक ज्योतिष और मेरी कविताएं मिसफिट ... ब्‍लॉग4वार्ता .. पांच वार्ताकार

पाठकों को पठनीय लिंक उपलब्‍ध कराने के उद्देश्‍य से 10 मार्च 2010 से शुरू हुई ब्‍लॉग4वार्ता अपने लंबे सफर पर नियमित तौर पर अग्रसर है। हमारे अलावा समय समय पर  राजीव तनेजा जी, यशवंत मेहता जी, राजकुमार ग्वालानी जी , ताऊ जी, शिवम मिश्रा जी देवकुमार झा जी, अजयकुमार झा जी, रुद्राक्ष पाठक, सूर्यकांत गुप्ता जी ने सहयोग देते हुए वार्ता के प्रति अपनी जिम्‍मेदारी का वहन नि:स्‍वार्थ भाव से किया। अभी वार्ता में पांच वार्ताकार अपना सहयोग दे रहे हैं , जिनका परिचय देते हुए प्रस्‍तुत है आज की वार्ता ..

नागपुर महाराष्‍ट्र से ब्‍लॉगिंग कर रही संध्‍या शर्मा जी (http://www.blogger.com/profile/06398860525249236121) अपना परिचय देते हुए लिखती है कि लिखने का शौक तो बचपन से था, ब्लॉग ने मेरी भावनाओं को आप तक पहुचाने की राह आसान कर दी. काफी भावुक और संवेदनशील हूँ. कभी अपने भीतर तो कभी अपने आस-पास जो घटित होते देखती हूँ, तो मन कुछ कहता है, बस उसे ही एक रचना का रूप दे देती हूँ. आपके आशीर्वाद और सराहना की आस रखती हूँ...मैं और मेरी कविताएं (http://sandhyakavyadhara.blogspot.in/) नामक ब्‍लॉग में उन्‍होने 17 अगस्‍त 2010 में अपनी पहली पोस्‍ट 'वक्‍त नहीं' (http://sandhyakavyadhara.blogspot.in/2010/08/waqt-nahi.html) से ब्‍लॉगिंग की शुरूआत की थी, उनके ब्‍लॉग में विचारों और भावों की विविधता लिए हर प्रकार की कविताएं मौजूद हैं , नवीनतम पोस्‍ट 'देहरी का दीया'  है ....
मैं...
सुबह सबेरे
द्वार पर
रंगोली सजाती
कभी चाँद सी
रोटियां गढ़ती
कभी बर्तनों से बतियाती
बिता देती हूँ सारा दिन
उलझी रहती हूँ
दिन भर
चौके- चूल्हे में
बिन संवरी 
उलझी लटें लेकर
फिर भी....!
साँझ ढले
जाग उठता है
देहरी का दीया 
मुझे देखकर....!

अभनपुर , छत्‍तीसगढ से ब्‍लॉगिंग कर रहे ललित शर्मा जी (http://www.blogger.com/profile/09784276654633707541) अपना परिचय देते हुए लिखते हैं कि परिचय क्या दूँ मैं तो अपना, नेह भरी जल की बदरी हूँ। किसी पथिक की प्यास बुझाने, कुँए पर बंधी हुई गगरी हूँ। मीत बनाने जग मे आया, मानवता का सजग प्रहरी हूँ। हर द्वार खुला जिसके घर का, सबका स्वागत करती नगरी हूँ। ललित डॉट कॉम  (http://lalitdotcom.blogspot.in/) नामक ब्‍लॉग में 15 सितंबर 2009 को हिंदी दिवस के दिन ही अपनी पहली पोस्‍ट लेकर आए , हमें प्रत्‍येक सांस को ही हिंदी दिवस समझना चाहिए (http://lalitdotcom.blogspot.in/2009/09/blog-post.html) । इन्‍होने जीवन के हर रंग को अपने आलेखों में समेटा है, कुछ दिनों से अपने यात्रा संस्‍मरण में पुरातात्विक जानकारियों को समेटते हुए इनके लेख विशेष पहचान बनाने की सामर्थ्‍य रखते हैं , इस ब्‍लॉग की नवीनतम पोस्‍ट 'नकटा मंदिर' के बारे में है ....
इस प्रकार मंदिर अधूरा रह गया। आज भी मंदिर परिसर में भीम और हाथी की खंडित प्रतिमा है। खंडित हाथी की प्रतिमा सीढियों के उपर लगी है।

हम विष्णु मंदिर के कुछ चित्र लेते हैं फ़िर हमारी सवारी चाम्पा की तरफ़ बढ चलती है। मुझे मड़वारानी होते हुए पटियापाली जाना है, बाबु साहब ने चाम्पा में एक नया सारथी तैयार कर रखा था जो मुझे मंड़वा रानी दर्शन करवा कर पटियापाली स्कूल तक पहुंचाता और बाबु साहब कुछ आवश्यक कार्य निपटा कर पटियापाली में मुझसे मिलते। चाम्पा स्टेशन पर पहुंचने पर यादव जी स्टेशन पर मिल गए। जाते ही उन्होने प्रणाम कर नारियल का प्रसाद दिया और हम कुछ फ़ल लेकर मड़वा रानी की तरफ़ चल पड़े। रास्ते को पहचानने में कुछ समय लगा। हम चाम्पा-कोरबा मार्ग पर जा रहे थे और इस मार्ग पर मै पहले भी आ चुका हूँ। मड़वारानी पहुंच कर दर्शन किए, यादव ने बताया कि  मड़वा रानी का स्थान पहाड़ी पर है और एक मंदिर नीचे भी बना हुआ है। लोग यहीं दर्शन करते हैं। मड़वारानी के पास ही जगदीश पनिका का गांव कोठारी है, जहां मै दो साल पूर्व आया था।
इसके अलावा शिल्‍पकार के मुख से  (http://shilpkarkemukhse.blogspot.in/) नामक ब्‍लॉग में इनकी कविताएं , चलती का नाम गाडी (http://yatra4all.blogspot.in/) में इनके यात्रावृतांत , NH30 में इससे जुडे समाचार तथा अहडा के गोठ (http://adahakegoth.blogspot.in/)में इनके छत्‍तीसगढी आलेख देखे जा सकते हैं।

चंबा , हिमाचल प्रदेश से ब्‍लॉगिंग कर रहे केवल राम जी  (http://www.blogger.com/profile/04943896768036367102) अपना परिचय देते हुए लिखते हैं कि क्या बताऊँ आपको अपने बारे में, जिंदगी में कुछ खास कहने के लिए नहीं है . बहुत सुहाना सफ़र रहा है आज तक जिंदगी का , पर कुछ खालीपन फिर भी महसूस होता रहा . दुनिया देखने ,सोचने और समझने में अलग है. क्या कुछ नहीं दिखाई देता हमें सुबह से शाम तक. कितना जोड़ पाते हैं हम खुद को उन स्थितियों और परिस्थितियों से, बस यही कुछ समझने और जानने की कोशिश रहती है कि हमेशा दुनिया में इंसान बन कर जी सकूँ। यह ब्लॉग लेखन के साथ साथ ब्लॉगिंग पर शोध भी कर रहे हैं।  चलते चलते (http://www.chalte-chalte.com/) नामक ब्‍लॉग से 15 जून 2010 को अपनी पहली पोस्‍ट  कुछ कहने का मतलब से ब्‍लॉग जगत में पदार्पण करनेवाले उनके ब्‍लॉग में विविधता भरे गजल , कविताएं , क्षणिकाएं और आलेख भरे पडे हैं , इस ब्‍लॉग की नवीनतम पोस्‍ट है 'बाबा मुझे निर्मल कर दो' .... 



एक भक्त की पुकार है "बाबा" मुझे "निर्मल" कर दो" लेकिन बाबा खुद ही मल (स्थूल ) और मैल ( स्थूल और सूक्ष्म) से मुक्त नहीं तो वह दूसरों को कैसे इससे मुक्ति दिलाएगा , "मल" से मुक्ति कोई आसान नहीं, और निर्मल होना तो और भी कठिन है, कठिन ही नहीं असंभव भी है . जब तक जीवन है व्यक्ति स्थूल और सूक्षम रूप से मल से जुड़ा है निर्मल होने का सवाल ही पैदा नहीं होता . हाँ हमारे यहाँ चिंतन के स्तर पर निर्मल होने की भाव सदा रहा है और निश्चित रूप से यह होता भी रहा है . चिंतन के स्तर पर व्यक्ति निर्मल हो सकता है और हमारे अध्यात्म में इसे सदा महता दी जाती रही है . आज हम जिस ऊंचाई पर खुद को महसूस करते हैं उसमें हमारे चिंतन का बहुत बड़ा हाथ है . क्योँकि व्यक्ति संसार में रहता है और संसार में रहते हुए उसे कई प्रकार की स्थितियों से जूझना पड़ता है और अगर व्यक्ति मानसिक रूप से उन स्थितियों का गुलाम बन जाता है तो फिर जीवन की नैसर्गिकता से वह पीछे हट जाता है और जीवन के वास्तविक अनुभवों को अनुभूत नहीं कर पाता .इसके अलावे केवलराम जी का धार्मिक और आध्‍यात्मिक चिंतन धर्म और दर्शन (http://mohalladharmordarshan.blogspot.in/) नामक ब्‍लॉग पर भी रहता है।


जबलपुर , म प्र से ब्‍लॉगिंग कर रहे गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"  (https://plus.google.com/111178781293315643657/posts) ने हिंदी ब्लागिंग 2007 में प्रवेश  वाइस आफ़ इन्डिया के प्रतिभागी 17 वर्षीय आभास जोशी को प्रत्साहित करने एवम उसके पक्ष में अंतरजाल वातावरण बनाने के लिये किया. जो अब एक स्थापित गायक है.बावरे-फ़क़ीरा  ब्लाग पर प्रथम प्रकाशित प्रथम रचना दौर 
ब्लागिंग के लिए  प्रोत्साहित करने का श्रेय श्रीमति श्रद्धा जैन, डा.पूर्णिमा वर्मन, तथा समीर लाल को देते हैं. गिरीश मुकुल के नाम से फ़ेसबुक पर प्रसिद्ध गिरीश के मुख्य ब्लाग हैं 
  1. मिसफिट:सीधीबात
  2. इश्क-प्रीत-लव
  3. भारत-ब्रिगेड
  4. बावरे-फकीरा
  5. मेलोडी ऑफ़ लाइफ 
        विकलांग बच्चों की मदद के लिये इनका एलबम बावरे-फ़क़ीरा अब नेट पर उपलब्ध है . हिंदी ब्लाग जगत में वाइस और वीडियो ब्लागिंग (वेबकास्टिंग,पाडकास्टिंग) के लिये गिरीश बिल्लोरे का योगदान ब्लाग जगत का इतिहास में सदैव प्रथम ही माना जाएगा , मिसफिट पर इनकी नवीनतम पोस्‍ट  वीर तो शर शैया पर आराम की तलब रखतें हैं है .....

बेहद कुण्ठित लोगों के का जमवाड़ा सा नज़र आता है हमारे इर्द-गिर्द हमको.
हम लोग अकारण आक्रामक होते जा रहे हैं. वास्तव में हमारी धारण शक्ति का क्षय सतत जारी है. उसके मूल में केवल हमारी आत्म-केंद्रित सोच के अलावा और कुछ नहीं है. इस सोच को बदलना चाहें तो भी हम नहीं बदल सकते क्यों कि जो भी हमारे पास है उससे हम असंतुष्ट हैं.एक बात और है कि हमारी आक्रामकता में बहादुर होने का गुण दिखाई नहीं देता अक्सर हम पीछे से वार करतें हैं या छिप के वार करते हैं.यानी युद्ध के आदर्श स्वरूप हटकर हम छ्द्म रूप से युद्ध में बने रहते हैं. यानी हम सिर्फ़ पीठ पे वार करने को युद्ध मानते हैं. हां रण-कौशल में में "अश्वत्थामा-हतो हत:" की स्थिति कभी कभार ही आनी चाहिये पर हम हैं कि अक्सर "अश्वत्थामा-हतो हत:" का उदघोष करते हैं. वीर ऐसा करते हैं क्या ? न शायद नहीं न कभी भी नहीं. वीर तो शर शैया पर आराम की तलब रखतें हैं .पता नहीं दुनियां में ये क्या चल रहा है..ये क्यों चल रहा है..? कहीं इस युग की यही नियति तो नहीं..शायद हां ऐसा ही चलेगा लोग युद्ध रत रहेंगे अंतिम क्षण तक पर चोरी छिपे..! क्यों कि वे खुद से युद्ध कर पाने में अक्षम हैं अच्छे-बुरे का निर्णय वे अपने स्वार्थ एवम हित के साधने के आधार पर करते हैं तभी तो कुण्ठा-जन्य युद्ध मुसलसल जारी है..जहां वीर योद्धाओं का अभाव है.


बोकारो , झारखंड से ब्‍लॉगिंग कर रही संगीता पुरी (http://www.blogger.com/profile/04508740964075984362) अपना परिचय देते हुए लिखती हैं कि मास्‍टर डिग्री ली है अर्थशास्‍त्र में .. पर सारा जीवन समर्पित कर दिया ज्‍योतिष को .. अपने बारे में कुछ खास नहीं बताने को अभी तक .. ज्योतिष का गम्भीर अध्ययन-मनन करके उसमे से वैज्ञानिक तथ्यों को निकलने में सफ़लता पाते रहना .. बस सकारात्‍मक सोंच रखती हूं .. सकारात्‍मक काम करती हूं .. हर जगह सकारात्‍मक सोंच देखना चाहती हूं .. आकाश को छूने के सपने हैं मेरे .. और उसे हकीकत में बदलने को प्रयासरत हूं .. सफलता का इंतजार है। 7 सितंबर 2007 से वर्डप्रेस पर गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष नामक ब्‍लॉग पर ज्‍योतिष में प्रवेश नामक पहली पोस्‍ट से शुरूआत करने के बाद  7 अगस्‍त 2008 को  ब्‍लॉगस्‍पॉट (www.gatyatmakjyotish.com) पर लिखना आरंभ किया , इनके पोस्‍टों में जहां ज्‍योतिष से जुडे अंधविश्‍वासों पर चोट की गयी है , वहीं दूसरी इसके वैज्ञानिक पक्ष को भी सामने लाया गया है, इस ब्‍लॉग की नवीनतम पोस्‍ट है 'हमारे यहां पाठकों के लिए नि:शुल्‍क जानकारी उपलब्‍ध है' ...
1981 से अबतक पच्‍चीस तीस हजार जन्‍मकुंडलियों के विश्‍लेषण के बाद ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ का दावा है कि समय समय पर आनेवाली मनुष्‍य की हर अच्‍छी भली परिस्थिति के पीछे उसके जन्‍मकालीन और गोचर के ग्रहों का हाथ होता है और इसे समझा और समझाया जा सकता है। जन्‍म के ग्रहों से उनके जीवन में आनेवाली विभिन्‍न संदर्भों की परिस्थितियों और उनके जीवन के उतार चढाव की जानकारी देने के लिए मैने नि:शुल्‍क सेवा शुरू की है , कोई भी व्‍यक्ति अपना जन्‍म विवरण (नाम , जन्‍म तिथि , जन्‍म समय और जन्‍म स्‍थान ) हमें मो नं +919835192280 पर एस एम एस कर सकता है , एक मोबाइल नं से एक ही डिटेल्‍स भेजे जा सकते हैं , ईमेल से भेजे जाने वाले विवरणों का जबाब नहीं दिया जाएगा।

जो विवरण भेजे जा चुके हैं , उनके बारे में प्रत्‍येक रविवार को हमारे यहां से दिन 11 बजे से 1 बजे के मध्‍य इसी फोन पर जानकारी ली जा सकती है , हम प्रकृति से प्राप्‍त सुख दुख के संदर्भों और उसकी जीवन यात्रा के बारे में उन्‍हें जानकारी देने की कोशिश करेंगे। जबाब देते हुए लिखने की तुलना में मौखिक तौर पर बताना आसान है , इसलिए पिछले सप्‍ताह बहुत सारे पाठकों को उनकी  ही जानकारी देने में कामयाबी मिली , अभी कुछ दिनों तक यह सुविधा चलती रहेगी। अपने विवरण एस एम एस करने से पहले पिछले लेख को अच्‍छी तरह पढ लें। इसके अलावा गत्‍यात्‍मक चिंतन  (http://chintan.gatyatmakjyotish.com/) नामक ब्‍लॉग में इनका चिंतन और हमारा जिला बोकारो  (http://bokarozila.blogspot.in/)में जिले से जुडी खबर लिखा करती हैं। सीखें गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष (http://sikhe.gatyatmakjyotish.com/)में बिल्‍कुल खगोलशास्‍त्रीय ढंग से ज्‍योतिष की तथा आज का राशिफल  (http://rashifal.gatyatmakjyotish.com/) नामक ब्‍लॉग में लग्‍न आधारित राशिफल की जानकारी दी जा रही है।
आज के लिए बस इतना ही .. देते हैं वार्ता को विराम .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ....

रविवार, 29 अप्रैल 2012

बाबा' मुझे 'निर्मल' कर दो -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, आज की फ़टाफ़ट वार्ता में पढिए राहुल सिंह का लेख अकलतरा के सितारे उनके ब्लॉग का पता  है http://akaltara.blogspot.in वे कहते हैं - अकलतरा में सन 1949 में सहकारी बैंक की स्‍थापना हुई, बैंक के पहले प्रबंधक का नाम लोग बासिन बाबू याद करते हैं। डा. इन्द्रजीतसिंह द्वारा भेंट-स्‍वरूप दी गई भूमि पर बैंक का अपना भवन, तार्किक अनुमान है कि 1953 में बना, इस बीच उनका निधन हो गया। उनकी स्‍मृति में भवन का नामकरण हुआ और उनकी तस्‍वीर लगाई गई। लाल साहब के चित्र का अनावरण उनके अभिन्‍न मित्र सक्‍ती के राजा श्री लीलाधर सिंह जी ने किया। शशि पुरवार  की कविता पढिए - जीवन मुट्ठी से फिसलती रेत इनके ब्लॉग का पता है - http://sapne-shashi.blogspot.in जीवन मुट्ठी से फिसलती रेत पल -पल बदलता वक़्त का फेर हिम्मत से डटे रहना यहीं है कर्मो का खेल ! हर आहट देती है सुनहरे कदमो के निशां चिलचिलाती धुप में नंगे पैरों से चलकर बनता है आशियाँ ! छोड़ो बीती बातें म...

आशा सक्सेना की सुनिए बांसुरी इनके ब्लॉग का पता है - http://akanksha-asha.blogspot.in/ प्राण फूंके कान्हां ने * *बांस की पुगलिया में *** *बाँसुरी बन कर बजी *** *ब्रज मंडल की गलियों में *** *अधरामृत से कान्हां के*** * स्वर मधुर उसके हुए *** *गुंजित हुए सराहे गए *** *कोई सानी नहीं उनकी, गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के लिए कॉमिक्स के लिए वेब पता लेकर आए हैं यूवा ब्लॉगर लक्ष्मण विश्नोई, इनके ब्लॉग का पता है - http://bahut-kuch.blogspot.com कनाडा से अदा लिख रही  हैं दुल्हन में वो दुल्हनियत नहीं थी इनके ब्लॉग का पता है - http://swapnamanjusha.blogspot.inएक शादी में जाना हुआ था इंडिया में, सब कुछ बहुत भव्य था, साज-सिंगार, खान-पान एक से बढ़ कर एक....शादी के कार्ड  से लेकर विवाह समारोह भव्यता का हर रंग लिए हुए...लेकिन एक कमी बहुत ज्यादा महसूस हुई....

मुनीष जापान से लिख रहे हैं - मयख़ाने में मुजस्समे इनके ब्लॉग का पता है  http://maykhaana.blogspot.in ये लिखते हैं - जापानी लोक कथाओँ में तेंगू नामक एक मिथकीय जीव का ज़िक्र आता है ।बच्चे भी इसका नाम सुनते हुए बड़े होते हैं । लंबी नाक वाले इस तेंगू में इन्सान और परिन्दों दोनों की खूबियाँ हैं और प्र... डॉ सत्यजीत साहू का डायबिटिज क्लिनिक खुल गया है - इनके ब्लॉग का पता है - http://drsatyajitsahu.blogspot.in डायबिटीक क्लिनिक डा सत्यजीत साहू MBBS,PGCDM(Diabetes) डायबिटीक विशेषज्ञ समय : सुबह 11 से शाम 5 तक 17 गुरुकुल काम्प्लेक्स ,नगर निगम भवन के सामने , कालीबाड़ी रायपुर( छ.ग .) पढिए दैनिक बिहिनिया संझा, इनके ब्लॉग का पता है -http://kaushal-1.blogspot.com

रजनी मल्होत्रा नैय्यर की रचना पढिए, इनके ब्लॉग़ का पता है http://rajninayyarmalhotra.blogspot.in/ कर दी कुर्बान अपनी मुहब्बत जिन्होंने हँसते- हँसते, क्यों न आया उनका नाम शहीदों में ? छिन्न कर भला क्या हासिल होता, बुजदिलों की कमी नहीं थी ज़माने में । "रजनी " विष्णु वैरागी लिखते  हैं अलंकरण : सरोजकुमार इनके ब्लॉग़ का पता है http://akoham.blogspot.inडिग्री को तलवार की तरह घुमाते हुए वह संग्राम में उतरा वह काठ की सिद्ध हुई! डिग्री को नाव की तरह खेते हुए वह नदी में उतरा वह कागज की सिद्ध हुई! डिग्री को चेक की तरह सँभाले हुए वह बैंक पहुँचा वह हास्यास..  मयंक लिखते हैं - सुबह अब मेरे दर पे आती नहीं है. इनके ब्लॉग़ का पता है - http://taazahavaa.blogspot.in तेरी ये उदासी जो जाती नहीं है मेरे दर पर अब सुबह आती नहीं है किताबें मेरी धूल में सन गई हैं वो आंखों को चेहरा दिखाती नहीं हैं चांद आया था घर, ताक पर रख दिया है कि अब धूप आंगन में आती नहीं है तेरी आंख... 

शाश्वत शिल्प पर पढिए महेन्द्र वर्मा जी की गजल बस इतनी सी बात इनके ब्लॉग का पता है -बस इतनी सी बातजल से काया शुद्ध हो, सत्य करे मन शुद्ध, ज्ञान शुद्ध हो तर्क से, कहते सभी प्रबुद्ध। धरती मेरा गाँव है, मानव मेरा मीत, सारा जग परिवार है, गाएँ सब मिल गीत।* *ज्ञानी होते हैं सदा, शांत-धीर-गंभीर, जहाँ नदी म... केवल राम लिख रहे हैं - 'बाबा' मुझे 'निर्मल' कर दो इनके ब्लॉग का पता है - http://www.chalte-chalte.com भा*रतीय संस्कृति में "बाबा" शब्द एक अहम् स्थान रखता है . बाबा शब्द फ़ारसी भाषा का शब्द है और इस शब्द को साधू संतों के लिए आदरसूचक शब्द के रूप में प्रयोग किया जाता है . बाबा शब्द जहन में आते ही एक ऐसे व्यक्... रचना दीक्षित ने खोली खिड़की इनके ब्लॉग़ का पता है http://rachanaravindra.blogspot.in/ खिड़की बरसों पहले नए शहर में अपनों से दूर आई थी. जब कभी ऊब जाती, उकता जाती, उदास हो जाती, खोल लेती थी खिडकी. भर लेती ताज़ा हवा, नई सांसें. बना लिए थे कुछ रिश्ते भईया, भाभी, मौसी, चाची, बुआ, जीजी, दादी, ...

वार्ता  को देते हैं विराम, मिलते हैं अगली वार्ता में, राम राम  

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शनिवार, 28 अप्रैल 2012

"ब" से "बम" और "च" से "चाकू" .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

नमस्‍कार,  गृह मंत्रालय ने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर, अभिनेत्री रेखा और उद्योगपति अनु आगा को राज्यसभा सदस्य मनोनीत करने संबंधी औपचारिक अधिसूचना शुक्रवार को जारी कर दी। यह अधिसूचना इन्हें संसद के ऊपरी सदन का सदस्य बनाने के सरकार के प्रस्ताव को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल की मंजूरी मिलने के एक दिन बाद जारी की गई है। तेंदुलकर, रेखा और आगा के नाम प्रधानमंत्री की ओर से गृह मंत्रालय को भेजे गए थे जिसने बाद में इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेज दिया। संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत ऐसे व्यक्तियों का मनोनयन किया जाता है जिनके पास साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव हो। इस खास खबर के बाद आपको लिए चलते हैं आज की वार्ता पर ...

अक्सर इन दुनियादारी की बातों में घुटते रहते हैं रिश्ते और उनके बीच का प्यार... - ज़िन्दगी जीने का मकसद क्या हो सकता है किसी के लिए... नौकरी, पैसा, घर, गाडी... आखिर ऐसा क्या है जिसको पाकर इंसान इतना खुश हो जाए कि उसकी आखों से ... उम्मीदों का सूरज. - आज निकली है धूप बहुत अरसे बाद सोचती हूँ निकलूँ बाहर समेट लूं जल्दी जल्दी कर लूं कोटा पूरा मन के विटामिन डी का इससे पहले कि फिर पलट आयें बादल और ढक ...निजता ... - उनके रिवाज भी बड़े बेहिसाब हैं 'उदय' होते तो सामने हैं, पर बातें नहीं करते ! ... तेज अंधड़ का मौसम तो कब का जा चुका है 'उदय' उफ़ ! फिर भी लोग हैं, ... हो गयी माँ डोकरी है - प्यार का सागर लबालब,अनुभव से वो भरी है हो गयी माँ डोकरी है नौ दशक निज जिंदगी के,कर लिए है पार उनने सभी अपनों और परायों ,पर लुटाया प्यार उनने सात थे ...

फेसबुक ने बदल दी है ब्लॉगिंग की तस्वीर --- - लम्बे सप्ताहांत पर लम्बे सफ़र की लम्बी दास्ताँ जारी रहेगी . हालाँकि अभी दो दिलचस्प किस्त बाकि हैं . लेकिन अभी लेते हैं एक छोटा सा ब्रेक . ब्रेक के बाद आपक...  नहीं, अब और नहीं - नहीं, अब और नहीं अब त्रिशंकु नहीं रहेंगे हम अधर में लटके बीसवीं मंजिल पर. बंद कमरों में कैद हम जायेंगे जमीन पर धरा की गोद में एक आशियाना बनाएंगे... प्रेम........ - इंसान को पूर्ण अपने आप में होना चाहिए,अपने प्यार में खुद पूर्ण होना चाहिए....!दूसरों में अपनी अपूर्णता को पूर्ण करना चाहेंगे....तो अपूर्णता ही मिलेगी !उदास मन को भी समाधान मिल गया .. - *कुछ प्रश्न मन को यूँ ही परेशान कर रहे थे की अचानक ही समाधान मिल गया। इस समाधान को यहाँ पोस्ट कर रही हूँ ताकि औरों के भी काम आ सके....*

 सावधान! संभल जाओं... - नक्सलियों के निशाने पर अभी और भी वीआईपी है? यह खबर न केवल सरकार के लिए चेतावनी है बल्कि नक्सलियों द्वारा किये जा रहे दबाव की राजनीति का एक अहम हिस्सा हैं। आज... तो यूं निपटे अन्ना-रामदेव - रामदेव ने दस्तक देकर दरवाजा खोला और अन्ना टीम दोराहे पर आ खड़ी हुई। यह दोराहा सड़क का नहीं बल्कि सत्ता के लिये प्यादा बनने और खुद को वजीर बनाने का । ग्राम सुराज अभियान आईने की तरह - राज्य भंडार गृह निगम के अध्यक्ष ने खोल्हा में लगायी चौपाल रायपुर, 26 अप्रैल 2012 छत्तीसगढ़ राज्य भंडार गृह निगम के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने प्रदेश व्य...  

आइला ! ये क्या किया सचिन ... - कल जब मैने सुना कि सचिन तेंदुलकर ने 10 जनपथ में हाजिरी लगाई, तो मैं हैरान हो गया। क्योंकि दो दिन पहले ही उनका 39 वां जन्मदिन था, लेकिन आईपीएल के व्यस्त का...लोबान की महक -दुनिया में शायद ही कोई होगा जिसे खुशबू नापसन्द होगी । सुवास से न सिर्फ़ तन-मन बल्कि आसपास का माहौल भी महक उठता है । सुगन्धित पदार्थ की ए... मर जाता है शैतान उसकी याद में... - शोक क्षणभंगुर है मगर स्मृति कालजयी है. पिताजी जिस घर में बड़े हुए थे, उसकी बाखल की ओर मुंह किये हुए सोचता हूँ कि इस जाळ के पेड़ से अब कितना कम मिलना ... "ब" से "बम" और "च" से "चाकू" - देश में शिक्षा का स्तर किस हद तक गिरता जा रहा है इसका ताज़ा उदाहरण मुरादाबाद यूपी के कुछ स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली कुछ पुस्तकों में देखने को ...

उठो जागो नौजवानों! - उठो जागो नौजवानों! बदल दो इस व्यवस्था को, क्या तुम्हारा खून ठंढा हो गया है? या तुम्हारे रीढ़ की हड्डी नहीं है? है भयावह दुर्दशा और दुर्व्यवस्था, हर तरफ़ अन्...  चिड़िया घर चलाने का अच्छा तरीका - इस चिट्ठी में, नैनीताल के, चिड़ियाघर की चर्चा है। चिड़ियाघर में पिकनिक मनाते लोग नैनीताल की पिछली ट्रिप में, हम लोग अल्का होटल में ठहरे थे और वहां से दिल्‍ली के हिंदी चिट्ठाकारों का दिल लूटने आए हैं लखनऊ से श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी : राष्‍ट्रीय पेय क्‍या रहेगा इसका भी फैसला हो ही जाएगा - *समय और स्‍थान : 28 अप्रैल 2012 सांय 3.30 बजे द एम्‍बेसी रेस्‍टोरेंट, 11-डी, कनॉट प्‍लेस, नई दिल्‍ली (राजीव चौक मेट्रो स्‍टेशन के समीप) फोन 011 4151056*0 ... 

आज के लिए इतना ही .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद .. 

गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

अमृत घट जब छलक उठे, बिन तेल जले जब बाती -- ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, कल 25 अप्रेल हमारी शादी की साल गिरह थी, सुबह-सुबह बेटा गुलदस्ते की जगह पूरा गुलमोहर का पेड़ ही उखाड़ लाया और हमें सालगिरह की शुभकामनाएं दी। हम वैवाहिक कार्यक्रम में धमतरी में थे। सभी रिश्तेदारों एवं परिजनों का स्नेह एवं आशीर्वाद मिला। शाम को सत्येन्द्र शर्मा जी (संध्या शर्मा जी के पतिदेव जी) ने केक लाकर कार्यक्रम को अविस्मर्णीय बना दिया। केक काटा और शाम को सालगिरह मनाई, वार्ता के साथ प्रस्तुत हैं कुछ चित्रावली…………………
माय फ़्रेंड चंदू - गुलदस्ते के साथ

1988 की एक कविता1988 मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण वर्ष है , इस साल मेरा विवाह हुआ था और मुझे घर की पकी - पकाई रोटी मिलने लगी थी । कुछ प्रेम कवितायें भी लिखीं इस साल और शिल्प और कथ्य में भी कुछ परिवर्तन हुआ । प्रस्तुत है उस...स्लूथअ और ब इस भौतिकवादी जगत के देखे-भाले चरित्र हैं। परंतु दोनों में कुछ बुनियादी अंतर है। अ अमीर है और ब गरीब, अ अल्पसंख्यक है और ब बहुसंख्यक। इसलिए स्पष्ट है कि अ को ब फूटी आंख नहीं भाता, व...
सालगिरह की सुबह


ईश्वरमुझे प्रारंभ से ही या यूं कहूं कि किशोरावस्था से ही 'ईश्वर' के अस्तित्व पर संदेह रहा है यानि उस पारलौकिक शक्ति या सत्ता पर, जिसे सामान्य समझ, संदर्भ और चर्चा में ईश्वर कहा या समझा जाता है ... यह संदेह उस ...दिवाश्वप्न प्रहरी देखे , दिवा - श्वप्न , रण - रक्षण , कैसा होगा - विष अंतस , अमृत जिह्वा पर , ईश - स्मरण कैसा होगा- शपथ वरण , प्रतिवद्ध नीत , विपरीत आचरण , कलुष ह्...
यम्मी केक


मातृत्व की गरिमा बढ़ा देते हैं " पीले -पोमचे " प्रकृति द्वारा इस सृष्टि की सम्पूर्णता के लिए दिए गये अनुपम उपहारों में नर और नारी भी सम्मिलित हैं .प्रकृति ने ही उसी नारी को मातृत्व का सुख ,अधिकार और गरिमा के अनूठे उपहार से नवाज़ा है ! कहा भी जाता है ...बर्फ एक उदास शाम को मन की झील में डूबते - उतरते नज़रें गीली हो गयीं थीं और झील पर जमी बर्फ पिघलने लगी थी .....
संध्या एवं सत्येन्द्र जी के साथ हम
हमारी सरकार मंदिर के सामने पीपल के नीचे पक्के फर्श पर वह प्रतिदिन निर्धारित समय पर बिखेरता है पंछियों के लिए दाना। थोड़ी ही देर में आते हैं ढेर सारे कौए काँव-काँव, काँव-काँव चीखते, झपटते चुग जाते हैं पूरा का पूरा। ...दृश्य नहीं वह द्रष्टा है    वह कैद नहीं है मंदिर में दृश्य नहीं वह द्रष्टा है,  नाम-रूप में बंध न सके सृष्टि नहीं वह सृष्टा है ! झांक रहा इन नयनों से श्रवणों से शब्द वही धारे, कोमलतम स्पर्श उस...
   

संध्या जी एवं हम्मार मालकिन
 

पाकिस्तान में प्राथमिक स्कूल के सिलेबस.चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं, पाकिस्तान में प्राथमिक स्कूल के सिलेबस में, भारत, हिन्दुओं और गैर मुसलामानों के खिलाफ शिक्षा देने की बात सामने आई है, जो धीरे-धीरे पाकिस्तानी बच्चों में भारत, हिन्दुओं और गैर...अमृत घट जब छलक उठे, बिन तेल जले जब बातीशब्द-शब्द जब मानवता के हितचिन्तन में जुट जाता है तम का घोर अन्धार भेद कर दिव्य ज्योति दिखलाता है जब भीतर की उत्कंठायें स्वयं तुष्ट हो जाती हैं अन्तर ...

ये भी एक अंदाज है

वार्ता को देते हैं विराम,मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम

जिंदगी से रौशनी उस दिन निकल गई ...ब्लॉग 4 वार्ता ......केवल राम

ब्लॉग जगत के सभी साथियों को केवल राम का नमस्कार . जीवन का यह सफ़र यूं ही अनवरत चलता रहे और हम ब्लॉगिंग के सकारात्मक पहलुओं को समझते हुए इस दिशा में पूरी तन्मयता से आगे बढ़ते रहें . कल अक्षया तृतीया पर भी ढेर सारी पोस्ट्स पढने को मिली . इस तरह से अगर हम विचार करें तो हम अपनी सभ्यता और संस्कृति की महता से पूरे विश्व को परिचित करवा सकते हैं . आइये अब आज की वार्ता का सफ़र शुरू करते हैं . पेश हैं आप सबके लिए कुछ महत्वपूर्ण पोस्ट्स के लिंक्स :-
क्‍यों पसंद हैं हरदम तुमको फूलों के ही साये? -   क्‍यों पसंद हैं हरदम तुमको फूलों के ही साये ?  अश्‍वनी कुमार पाठक  क्‍यों पसंद हैं हरदम तुमको फूलों के ही साये ?  किस अलबेले चित्रकार से, तुमने पंख वातावरण - हमारे चारों ओर की हवा, वस्तुएं और हमारा समाज जिसमें हम रहते हैं वातावरण का अभिन्न अंग हैं । ये हमारे जीवन के ढंग को पारिभाषित करने में अपनी अहम भूमिका निभा पुलों में पुल, हावडा पुल - *आज जब कहीं ना कहीं कुछ साल पुराने पुलों के टूटने, नवनिर्मित या बनने के दौरान ही गिर जाने वाले पुलों की खबर आती है तो इस पुल को इस उम्र में भी सीना  नकटा मंदिर ---- ललित शर्मा - चाय आप अभी पीयेगें या स्नानाबाद? सुनकर आँख खुली तो बाबु साहब पूछ रहे थे। घड़ी साढे पांच बजा रही थी। कहिनी के भाई सहिनी - कहिनी के भाई सहिनी तउन बसाइन तीन गाँव दू उजाड़ एक बसबेच् नइ करिस तिहाँ बसिन तीन कुम्हार दू अंधरा एक के आँखीच् नइ रहिस तउन बनाइन टीम अन्ना की बैठक में ऐसी क्या साजिश रची जा रही थी? - मुफ्ती शमून काजमीअन्ना से उसके कथित फाउंडर मेंबर मुफ्ती शमून काजमी की छुट्टी के साथ एक यक्ष प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि आखिर टीम की बैठक में ऐसा क्या अति गोपन  मैं तबसे सोच रही हूँ..... - बदलते रहते हैं ज़रा-ज़रा से शब्द, बदलती रहती है बोल-चाल की भाषा, समय,स्थान, परिवेश के साथ ऐसे......कि हमें पता ही नहीं चलता. अभी-अभी ऐसा ही हुआ मैं कोई किस्सा सुनाऊँगी कभी - मैं कोई किस्सा सुनाऊँगी कभी आँखो से आँसू बहाऊँगी कभी तुम सुन सको तो सुन लेना स्याह रात की बिसरी बातें मैं तुम्हें बताऊँगी कभी मैं फासलों को मिटाऊँगी. 



चिंतन सुख एकयोजना बद्ध कार्यक्रम के तहत अरसेबाद स्कूलकी हम तीन पुरानी सहेलियां मिलीं हौसलाभर मुस्कुराती , आँखोंमें निखालिस खुशी और उत्सुकता से लबरेज लघुकथा - हवा -हवाएँ /सुधा भार्गव - बेटा , मैंने एक गलती कर दी है । . तुम्हारे स्वर्गीय पापा की फोटो पर तो माला चढ़ा रखी है पर तुम्हारे बाबा संस्कार कैसे देते हें? - *जीवन मूल्यों में हो रहे परिवर्तन ने हमारी संस्कृति को विकृत रूप में प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है. एक मिसाल बनकर विश्व में अपना परचम फैलाने वाली  अमिताभ में अ है, नकल में न है - (अमिताभ बच्चन की हिट फ़िल्मों 'डॉन' और 'अग्निपथ' के रीमेक ख़ास सफ़ल नहीं कहे जाएंगे। अब उनकी सुपरहिट फ़िल्म 'ज़ंजीर' का रीमेक बनाए जाने की ख़बर है। कृपा है तो बिना पतवार के भी नाव चलने लगती है .... - टी.व्ही.चैनल वाले भी अब बरस रही कृपा का विरोध नहीं कर रहे हैं और बाबाजी को फिर से खूब दिखाने लगे हैं अभी ये टी.व्ही. चैनल वाले बाबाजी और उनकी कृपा का खूब सलीब ढोते हैं - सुलगती रोज चिताओं पर लोग रोते हैं जमीर बेचते जिन्दा में, लाश होते हैं कुदाल बन के भी जीना क्या, जिन्दगी होती चमक में भूलते, नीयत की, झूठ की महिमा - * * * सत्य तो सदैव लाडला है सभी का, ऊँचे आसन पर बिठाया जाता है, पाता है सभी से अनुराग और सम्मान, गाँधी के प्रयोगों में, हरिश्चंद्र की जिव्हा और धर्मराज के सब बाबा की किरपा है - जय हो दीपक बाबा की जब से बाबा जी ने ब्लॉग से नाता हमारा जोड़ा है तब से हमारा ब्लॉग जगत से जुडाव है इस जगत से बहुत कुछ सीखा है बाबा जी ने ब्लॉग पढ़ने झूलती मीनार और अलबेला खत्री की डुबकी अगली सुबह अलबेला खत्री जी से बात हुई तो उन्होने बताया कि वे एक दिन पहले अहमदाबाद में ही थे। छोड़ दो कलेक्टर को... ऐसी तैसी हो जनता का... - सुकमा कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन की रिहाई को लेकर एक तरफ जहां सरकार के प्रति लोगों का आक्रोश चरम पर है 

बुधवार, 25 अप्रैल 2012

अक्षय तृतीया का लौकिक और लोकोत्तर-दोनों ही दृष्‍टियों में महत्‍व .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमसकार , कल अक्षय तृतीया था , हिंदी ब्‍लॉग जगत में भी इसपर बहुत पोस्‍ट लिखे गए ...प्रस्‍तुत है उनमें से कुछ आज की वार्ता में ...
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं।
इस बार अक्षय तृतीया का पर्व 24 अप्रैल, मंगलवार को है। इसे सौभाग्य दिवस भी कहते हैं। इसका कारण है कि पूरे वर्ष में कोई भी तिथि क्षय हो सकती है लेकिन यह तिथि अर्थात वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया कभी भी क्षय नहीं होती। इसी कारण इस दिन किए गए हवन, दान, जप या साधना का फल अक्षय(संपूर्ण) होता है।
यह सौभाग्य दिवस है, इस कारण स्त्रियां अपने परिवार की समृद्धि के लिए विशेष व्रत आदि इस दिन करती हैं और पूर्वजों का आशीर्वाद एवं पुण्यात्माओं से परिवार वृद्धि की कामना करती हैं। अक्षय तृतीया लक्ष्मी सिद्धि दिवस है, इस कारण इस दिन लक्ष्मी संबंधित साधनाएं विशेष रूप से की जाती हैं। हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य मुहूर्त देखकर किया जाता है लेकिन अक्षय तृतीया ऐसा पर्व है जो सभी मांगलिक कार्यों के लिए सर्वाधिक श्रेष्ठ सिद्ध माना गया है।
भारतीय कालगणना के अनुसार वर्ष में चार स्वयंसिद्ध अभिजीत मुहूर्त होते हैं, अक्षय तृतीया (आखा तीज) भी उन्हीं में से एक है। इसके अलावा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (गुड़ी पड़वा), दशहरा और दीपावली के पूर्व की प्रदोष तिथि भी अभिजीत मुहूर्त हैं।
अक्षय तृतीया
“अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं। तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया॥
उद्दिष्य दैवतपितृन्क्रियते मनुष्यैः। तत् च अक्षयं भवति भारत सर्वमेव॥„
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है।
इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।
वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है।


अक्षय तृतीया का लौकिक और लोकोत्तर-दोनों ही दृष्‍टियों में महत्‍व है।
प्रागैतिहासिक काल से यह परम्‍परा रही है कि आज के दिन राजा अपने देश के विशिष्‍ट किसानों को राज दरबार में आमंत्रित करता था और उन्‍हें अगले वर्ष बुवाई के लिए विशेष प्रकार के बीज उपहार में देता था। लोगों में यह धारणा प्रचलित थी कि उन बीजों की बुवाई करने वाले किसान के धान्‍य-कोष्‍ठक कभी खाली नहीं रहते। यह इसका लौकिक दृष्‍टिकोण है।
लोकोत्तर दृष्‍टि से अक्षय तृतीया पर्व का संबंध भगवान ऋषभ के साथ जुड़ा हुआ है। तपस्‍या हमारी संस्‍कृति का मूल तत्‍व है, आधार तत्‍व है। कहा जाता है कि संसार की जितनी समस्‍याएं हैं तपस्‍या से उनका समाधान संभव है। संभवतः इसीलिए लोग विशेष प्रकार की तपस्‍याएं करते हैं और तपस्‍या के द्वारा संसार की संपदाओं को हासिल करने का प्रयास करते हैं।


मुझे इस विचार से कोई आपत्ति नहीं है,
परन्तु बंधुओ ज़रा सोचिये कि इस संसार में ऐसी कौनसी चीज़ है जो हमारा साथ कभी नहीं छोडेगी. यदि वेह वस्तु हमसे अलग नहीं होगी तो एक दिन हमें उस वस्तु का त्याग करना होगा क्यूंकि इस संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है. यदि कोई ऐसी चीज़ है जो हमेशा हमारे साथ रहेगी तो वो है हमारे बांके बिहारी और हमारी राधा राणी का नाम. इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम इस दिन अपनी तिजोरी को तो भरें पर अपने प्रभु को भी याद कर लें क्यूंकि वास्तविकता में अक्षय तो वही हैं. केवल प्रभु कि कृपा ही है, केवल हमारे गुरुजनों का आशीर्वाद ही है और केवल हमारे माता-पिता का प्यार ही है जो हमारा साथ कभी नहीं छोड़ता.
हमारे रसिक चक्र चूडामणि स्वामी श्री हरिदास जी महाराज कहते हैं:
हरी को ऐसो ही सब खेल
मृग तृष्णा जग व्याप रह्यो है, कहूँ बिजोरी न बेल
धन मद् जोबन मद् रज मद्, ज्यों पंछिन में डेल
कहें श्री हरिदास यही जिया जानो, तीरथ को सो मेल


सोने के सिक्‍के के लिए अब सुनार के पास नहीं , बल्कि डाकघर पहुंचिए। भारतीय डाक विभाग ने अक्षय तृतीया के अवसर पर सोने के सिक्‍के पर छह प्रतिशत छूट देने की घोषणा की है।
२४ अप्रैल को हिन्दी महीनों के अनुसार अक्षयतृतीया पड़ रही है..
आज से चार वर्ष पूर्व हमारा जन्म अक्षय तृतीया को ही हुआ था...उस वर्ष अक्षय तृतीया ७ मई को पड़ी थी.
 
अब लेते हैं एक ब्रेक  .. मिलते हैंकुछ देर में ..

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