संध्या शर्मा का नमस्कार... भारत ने परमाणु क्षमता से लैस और स्वदेशी तकनीक से विकसित मिसाइल अग्नि -५ सफल परीक्षण किया. आमतौर पर रणनीतिक हथियारों और न्यूक्लियर केपेबल बैलेस्टिक मिसाइल के क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व रहा है, लेकिन पिछले २० वर्षों से १ महिला वैज्ञानिक टेसी थामस इस फील्ड में मजबूती से जुडी हुई हैं, और इस प्रोजेक्ट की सफलता में इनका अहम् योगदान रहा... लीजिये अब प्रस्तुत हैं आज की ब्लॉग4वार्ता मेरी पसंद के कुछ लिंक्स के साथ.....
जिन्दगी जिन्दगी.. दो मुहें सांप जैसी बीता कल खींचे पीछे, खींचे आगे आनेवाला कल रहे पशोपेश में वर्तमान किसकी सुने, किधर जाए जीना तो चाहे वो भविष्य की डगर पर संजोये सपनों को पर उलझा रहे , साफ़ करता रहे खुशियों पर पड़...कुछ और ... *मन बैचेन है कभी कभी कविताओं से भटक जाता है....विषम पर्वतीय परिस्थितिया जीना सीखा देती है * *उनमें से कुछ प्रेरणा स्रोत ये भी हैं...* (ब्रह्मकमल)* ...आओ, बैठो इस पास वाले स्टूल पर आदमी को अब फर्क मालूम नहीं होता, उसके चहरे पर नहीं आती ख़ुशी और चिंता की लकीरें कि दुनिया में मुर्दा सीरत वाले ईश्वर ही बचे हैं. मगर भूलो नहीं की हमें यहाँ तक अंगुली पकड़ कर कोई नहीं लाया था, ज़रा पिछल...
आज रह रह कर तुम फिर याद आते हो .......... मेरी इक अजीब सी आदत है इक माला साथ लिए चलती हू (शब्दों की ) और जगह जगह उसके मोती बिखेर देती हू फिर उसी रस्ते पर पलटकर जाती हू और उन मोतियों को इकठ्ठा करके इक जगह रख देती हू .अजीब है न पर अच्छा लगता है ...किस भाँति मैंने....मत पूछो कि किस भाँति मैंने निज को लुटाया है अपने ही बंद झरोखे को धीरे से खुलते पाया है मैं न जानूं कौन है वो पर चुपके से कोई तो आया है.... नींद बड़ी गहरी थी तो झटके में उसने जगाया है पसरे चिर सन्नाटे को ..आखिर अग्निगंधा भी तलाशती है कुछ फूल छाँव के धूप भी साये की आकांक्षी हो गयी आखिर कब तक अपना ही ताप सहे कोई यूँ ही नहीं देवदार बना करते हैं यूँ ही नहीं छाया दिया करते हैं उम्र की बेहिसाब सीढियों पर अनंत से अनंत के सफ़र तक आखिर ताप भी सुलगता होगा अपनी त...
खोज मैं...आजकल अपनी पहचान का सुराग ढूंढ रही हूँ . तेरी मेरी आँखों में जो पलते थे साथ -साथ आज वो सारे ख्वाब ढूंढ रही हूँ बिछड गयी थी ,कुछ बरस पहले खुद से ...एक मोड पे ... जिस्म हूँ अपनी जान ढूंढ रही हूँ ,मैं न...कतरा-ए-शबनम पे छा जाये जुनूँ.......ये कैसी है मुहब्बत,है नहीं जिसका गुमां मुझको, इबादत से भी पहले वो, इबादत जान लेते हैं. यहाँ ख़्वाबों की लज्ज़त में उन्हीं का अक्स है शामिल, वहाँ दूरी के दामन से वो...इन लव विद गुलमोहर... गुलमोहर तुम तब भी थे न, जब जाता था मैं माँ का आँचल पकडे यूँ उन पक्की सड़कों पर अपने स्कूल की तरफ और देखता रहता था तुम्हें अपनी नन्हीं अचरज भरी आखों से... हर महीने के मेरे इंतज़ार से बेखबर आते थे ...
जीवन का सफर चलता ही रहें........ जीवन का सफर चलता ही रहें ,चलना हैं इसका काम कहीं तेरे नाम,कहीं मेरे नाम,कहीं और किसी के नाम हर राही की अपनी राहें ,हैं अपनी अलग पहचान मंजिल अपनी ख़ुद ही चुनते,पर डगर बडी अनजान खो जाती ...छेड़ी जो ग़ज़ल *छेड़ी जो ग़ज़ल रात उसकी याद आ गयी |* *पलकों में टिप टिपाती सी बरसात आ गयी ||* *खुद को छिपा लिया था ज़माने से इस कदर |* *परदे हज़ार फेंक के जज्बात आ गयी ||* *मैंने सुना था जख्म...'बच्चों की दुनिया' को छोड़ गया आदित्य.... आदित्य' एक दिन 'बच्चों की दुनिया' को छोड़कर यूँ ही चला जायेगा, किसी ने भी नहीं सोचा था. आदित्य तो हमेशा उर्जावान और प्रकाशमान रहता है, पर इस आदित्य को पता नहीं किसकी नजर लग गई कि वह 8 अप्रैल, 2012 को ना सि.
जीवन स्वप्न *मन की गहराई से मैंने उर की मादकता को माना,* *जीवन तपता मरुथल सा मैंने यह अब जाना .................* *मानों दरख्त जीवन के सूख चले मुरझा चले हैं,* *बहती हुई नदी की सतह पर ही रहीं हूँ में अब जाना......शाम का वह आदमी सुबह के एक ऐक्सीडेंट हो चुके आदमी में बदल गया है - जनाब हरजिंदर सिंह उर्फ लाल्टू हिन्दी के उन प्रतिबद्ध रचनाकारों में हैं जो हिन्दी की साहित्यिक तिकडमों से सदा दूर रहे हैं और लगातार-लगातार रचनारत रहे हैं. और कुछ चलता नहीं 'किरपा' का धंदा खोल ले - मित्रों २८ फ़रवरी से १५ मार्च तक की घनघोर कविसम्मेल्नीय व्यस्तता में फेसबुक और ब्लाग दोनों पर ही उपस्तिथि नगण्य रही... आज एक मंचीय रचना के साथ कुछ दिन सा...
निजी डॉक्टरों को फायदा पहुंचाने सरकारी योजनाओं की अनदेखी - करोड़ो रूपए अनुपयुक्त पड़े रहे वैसे तो इस सरकार पर उद्योगपतियों का तमगा नया नहीं है। लेकिन निजी डॉक्टरों व नर्सिंग होमों को फायदा उठाने के लिए जिस तरह से ...ब्रह्मा की आंख - शापित? - इस चिट्ठी में, काले ऑर्लोव या ब्रह्मा की आंख (Black Orlov or the Eye of Brahma) हीरे के बारे में चर्चा है। ब्लैक ऑर्लोव का वित्र बीबीसी की वेबसाइट से इस चि... गंगा की गुहार - आज गंगा को लेकर जन मानस जितना आंदोलित है शायद पहले कभी नहीं था। साधु संत ही नहीं आम जन भी अब गंगा की दारुण दशा को देख सड़कों पर आ गए हैं। लोग आमरण अनशन ...
सफलता के लिए उद्यम – सम्राट अशोक उवाच - आज विश्व धरोहर दिवस है. अपने आसपास बिखरे धरोहरों को संरक्षित रखने में सहायता करें. सदियों पहले से विभिन्न राजाओं के द्वारा अपनी शौर्य गाथा के प्रचार के लिए... पूरी ज़िन्दगी का दर्शन - रास्ते तो लम्बे होते ही हैं ... कभी उबड़ खाबड़ कभी कीचड़ कभी धूल ही धूल .... सबके रास्तों के हिस्से होता है यह कहीं कम कहीं ज्यादा ! नन्हें क़दमों तक को... यादों का आईना - जब कोई हमसे बहुत दूर चला जाता है तो उसकी याद हमारे जीने का सहारा बन जाती है | मेरे पूजनीय पिता जी को हमसे बिछुड़े लगभग २० वर्ष हो गए हैं | आज जब सुबह केले...
याहू चैट से फेसबुक तक - एक समय था, जब इंटरनेट यूजर्स yahoo व Rediff मैसेजर द्वारा किसी chat room में घुसे रहते थे। इस दौर में साइबर कैफे खूब कमाई का धंधा था, लोग इंटरनेट पर चैट व...कैसी कही - उन्हें शिकवा है हम उन्हें न समझ सके अगर यह हम कहते तो बेहतर होता बहुत कुछ न कह सके हम उनके लिए शायद कुछ कहते तो अच्छा होता जो दिल में है कमबख्त वही दि... कोरबा - रत्नगर्भा धरा के कोष में अनमोल प्राकृतिक खजाना छुपा हुआ है, जो उजागर होकर हमें चमत्कृत और अभिभूत कर देता है। इसका आकर्षण, ऐसे सभी केन्द्रों पर मानव के लिये...
अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में नमस्कार..................
9 टिप्पणियाँ:
बहुत बढिया रंग विरंगी वार्ता के लिए आभार, काफ़ी मेहनत की है आपने वार्ता लगाने में संध्या जी। धन्यवाद
विविधता लिये इस बहु आयामी वार्ता के लिये बधाई संध्या जी ! बहुत सुन्दर वार्ता !
बहुत सुंदर वार्ता ..
अच्छे अच्छे लिंक्स मिले ..
आपका बहुत बहुत आभार !!
Sunder Varta....
बहुत बढ़िया लिंक्स संयोजन .... सार्थक वार्ता
बहुत सुन्दर वार्ता !
बहुत सुन्दर लिंक सजाये हैं।
रंग विरंगी रही वार्ता.
बेशक़ रंग बिरंगी रही वार्ता
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