ललित शर्मा का नमस्कार, ममता बैनर्जी ने एक समारोह में भाषण के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और रेल मंत्रालय से दिनेश त्रिवेदी की रवानगी के फैसलों का बचाव करते हुए मीडिया को हड़बड़ी में ख़बरें छापने से आगाह किया. उनका कहना था कि पाठकों कि संख्या बढ़ाने के लिए मीडिया नकारात्मक ख़बरें बेच रहा है. उन्होंने कहा कि अख़बारों को यह नहीं भूलना चाहिए कि आख़िरकार फैसला तो जनता ही करती है.मतलब साफ है, "मैं तुम्हारी मजबूरियां समझती हूँ, तुम मेरी समझो" ... जी हाँ समझ गए है हम आखिर आपको सरकार चलानी है, आपकी अपनी मजबूरियां हैं... ये तो हुई सरकार कि बात वहां जो होना है होता ही है. आइये चलते हैं ब्लॉग 4 वार्ता कि ओर मेरी पसंद के कुछ लिंक्स के साथ...
लौट आ किसी बहाने से मैनपुरी नगरपालिका सफाई कर्मचारी को समर्पित :- "बहुत उदास है कोई तेरे जाने से; हो सके तो लौट आ किसी बहाने से; तू लाख खफा सही पर आ कर एक बार तो देख; कितना कचरा जमा है तेरे न आने से!" तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो...तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो, माटी के डिबिये की रौशनी में, सकुचाती हो, शरमाती हो... इस दुनियादारी के गणित में उलझे, जो जिए हैं वो पल तुमने उनसे जुडी ज़िन्दगी का इतिहास सुनाती हो... अजीब ही पागल हो, मे...सब्जेक्टिया मिलन..हमारे प्रेम में इक तो, ज्योग्राफी का लफड़ा है । केमिस्ट्री ठीक है लेकिन, हिस्ट्री का झगड़ा है । लिटरेचर पर बहस नहीं, सोसिओलोजी का रगडा है । हैं हम आर्ट्स के बन्दे, मैथ समझ नहीं पाते, बायोलोजी के बंधन में,...
लौट आ किसी बहाने से मैनपुरी नगरपालिका सफाई कर्मचारी को समर्पित :- "बहुत उदास है कोई तेरे जाने से; हो सके तो लौट आ किसी बहाने से; तू लाख खफा सही पर आ कर एक बार तो देख; कितना कचरा जमा है तेरे न आने से!" तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो...तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो, माटी के डिबिये की रौशनी में, सकुचाती हो, शरमाती हो... इस दुनियादारी के गणित में उलझे, जो जिए हैं वो पल तुमने उनसे जुडी ज़िन्दगी का इतिहास सुनाती हो... अजीब ही पागल हो, मे...सब्जेक्टिया मिलन..हमारे प्रेम में इक तो, ज्योग्राफी का लफड़ा है । केमिस्ट्री ठीक है लेकिन, हिस्ट्री का झगड़ा है । लिटरेचर पर बहस नहीं, सोसिओलोजी का रगडा है । हैं हम आर्ट्स के बन्दे, मैथ समझ नहीं पाते, बायोलोजी के बंधन में,...
रंगास्वामी वेडार : दक्षिण भारत के सुप्रसिद्ध टेराकोटा शिल्पीरंगास्वामी वेडार, दक्षिण भारत के सुप्रसिद्ध टेराकोटा शिल्पी हैं। उनका जन्म तमिलनाडु राज्य में मलईउर ग्राम, तालुका आलंगुड़ी जिला पुदुक्कोटई में पारम्परिक कुम्हार परिवार में हुआ। तमिलनाडु के अंचलों में, स्...ऊर्दू की परवरिश की ज़िम्मेदारी बड़ी बहन हिन्दी पर है.एक वक़्त था देश कई सूबों में हिन्दी,अंग्रेज़ी और ऊर्दू की तालीम स्कूल के स्तर पर दी जाती है. भाषा के विकास में एक राजनीति एक ग़लत खेल खेल रही है. राजनीति नाहक ही भाषा को मज़हब के साथ जोड़ रही है.साझी विरासत को बा...टिप बॉक्स का कमालखाना खाने के बाद टिप देना स्टेटस बन चुका है, अगर आप ने खाना खाने के बाद टिप न दी तो शायद आपको महसूस होगा कि आज मैंने बड़े होटल में खाना नहीं खाया, वैसे टिप देना बुरी बात नहीं, इससे सर्विस देने वाले का मन...
तुम औ मैतुम औ मैं रेल की दो समानांतर पटरिया हैं जो एक दुसरे से अलग नही हैं आपस में जुड़े हुए हैं विश्वास के अटूट बंधन से बंधन इतना मजबूत है कि ये मुसाफिर को उसकी मंजिल तक पहुचातें हैं ......... साथ साथ चलन...कृष्ण लीला एक दिन बलरामजी घर पर रहे और कान्हा गोपों संग गौ चराने गए वन में चरते चरते गौ छिटक गयीं ग्वालबाल कान्हा से विलग हो गायों को ढूँढने निकले और अति व्याकुल हो गौओं संग यमुना का जल पीया होनहार वश ना उन्हें ...हनुमान जी के चरित्र से शिक्षा लो चैत्र माह की पूर्णिमा अर्थात् हनुमान जयन्ती। आज ही के दिन वानरराज केसरी और अंजना के घर हनुमान जी का जन्म हुआ था। समस्त भारतवर्ष में आज के दिन हनुमान जी के भक्त श्रद्धा और उल्लास के साथ हनुमान जयन्ती का पर्...
स्वप्न रहस्यअली सय्यद सर से आज फोन पर बात करते हुए उनके नए लेख की चर्चा हुई जिसमें उन्होंने किशोरावस्था में किसी विदेशी लड़की को स्वप्न में देखा था और उसका चेहरा मोहरा और आकृति आज भी उन्हें याद है ! समाज वैज्ञानि...कर्जे की भाषा के ज़रिये सफल क्रांतियाँ क्या संभव है..?----------ब्लॉग जगत की बड़ी शख्सियत गुरदेव समीर लालआज कई दिनों बाद ब्लॉग पढने के लिए ओपन किया तो सबसे पहले समीर लाल जी की रचना ....बुरा हाल है ये मेरी जिन्दगी का...... उसे पढने के बाद अचनाक गुरदेव समीर जी की करीब दो साल पुरानी रचना | की कुछ लाइन याद आ ग...बुराई तेरे अल्फाजों में साफगोई नजर नहीं आ रही है दोस्त तू तारीफ़ में है, या नाराजगी है !! ... शायद, कहीं कुछ थी बुराई, अन्दर ही मेरे मैं अच्छा करता रहा, और बुरा होता रहा ! ...
खुदा भी क्या मौसम देते हैंखुशियाँ जिनको हम देते हैं वो बदले में गम देते हैं जख्म मिले हैं उनसे अक्सर हम जिनको मरहम देते हैं हैं नफरत के काबिल फिर भी प्रीत उन्हें हरदम देते हैं देहरी उनके दीप जलाया जो लोगों को तम देते हैं जिनकी वा...भारत चीन सबंधवियतनाम के साथ मिलकर तेल क्षेत्र में काम करने की भारत की मंशा किसी भी तरह से चीन को रास नहीं आ रही है और वह विभिन्न अवसरों पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करने से नहीं चूक रहा है इसके बावजूद भारत भी...सत्ता और हिंसा : बद्री नारायणबद्री नारायण का यह लेख लखनऊ के एक हिंदी अख़बार को दिया गया था पर उन्होंने छापने से मना कर दिया* : *शिवम विज* शक्ति अपने संस्थागत रुप में सत्ता में तब्दील हो जाती है। सत्ता अपने मूल अर्थ में भय एवं हिंसा...
नींदरोज़ रात आती है मुझे सुलाने,**पर हार जाती है ख्यालों के आगे,**फिर नींद आती है लंगडाती हुई,**जब दिल-ओ-दिमाग थक जाते हैं सवालों के आगे…. ** ** **नींद छिप जाती है जब शायरी मुझ से मिलने आती है, **कैसे समझाऊं ...वीर तुम बढे चलो वीर तुम बढे चलो फकीर तुम बढे चलो। वोट तुम अपना सदा, भ्रष्टाचारीयो को दो। बढ रही महँगाई हो ,धर्म की लड़ाई हो राह चलते चलते तेरी रोज ही पिटाई हो तुम कभी डरो नही, पीछे भी हटो नही, तुड़वा के हाथ पाँव तुम, ...तुम्हे बिसराना भूल गये ..आप बनके दोस्त ऐसे आये , हम ये जमाना ही भूल गये .. आपको याद आये न आये हमारी , पर हम तो आपको भुलाना भूल गए .. रोते थे रातो को अक्सर,.. तन्हाईयों में खामोश बैठकर . तुम्हारा साथ जो मिला . गम का हर वो तराना भ.
कनुप्रिया के लिएमेरे घर आई एक प्यारी परी, सोचते हैं लोग क्यूं आती है मुझसे मिलने और मैं क्यूं हो जाता हूं बेचैन उसके बिना क्यूं याद करता हूं और बातें करता हूं पूरे दिन, देर रात और सपनों में भी उससे वो मेरी कोई नहीं, लोग कह...भगवान महावीर : अहिंसा का सन्देश भगवान महावीर : अहिंसा का सन्देश * अहिंसा परमो धर्म:, भगवान महावीर ने अहिंसा की परिधि का विस्तार किया है । यह अहिंसा सिर्फ पशु वध के रोक तक सीमीत नहीं है बल्कि भगवान महावी...फूलों की तलाश में , भटकते रहे हम गुलशन गुलशनरविवार का दिन था । श्रीमती जी कहने लगी --जी बहुत दिन हो गए , फूलों को देखे हुए । चलिए कहीं चलते हैं । मैंने कहा भाग्यश्री, ऱोज तो रोज को देखती हो , फिर कहती हो , फूल नहीं देखे । बोली , नहीं जी वो वाला नही...
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं एक ब्रेक के बाद राम राम
13 टिप्पणियाँ:
बहुआयामी ब्लोग४वार्ता है |
आशा
बहुत बढ़िया वार्ता
कई अच्छे लिंक मिले वार्ता में प्रस्तुत कई रचनाएँ पढ़ी|
हमारे लिए तो आपकी यह ब्लॉग वार्ता एक ऐसे एग्रीगेटर का रोल अदा करती है जहाँ ब्लॉगजगत की शानदार छंटी छंटाई रचनाओं के लिंक्स मिल जाते है और रचनाकारों को पाठक|
सुन्दर वार्ता... हर रंग के फूल खिले हैं यहाँ...
colourful and lovely blog varta
बहुत सुन्दर लिंक्स से सजी चर्चा
हमारी स्थान देने के लिए आभार आपका...ललित जी
संजय भास्कर
आज तो नज़ारे ही अलग हैं आपके गुलशन के प्रभु ...suppr...
बढ़िया लिंक्स से सजी व्यवस्थित वार्ता !
मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार आपका !
बहुत सुन्दर लिंक संयोजन
बढ़िया वार्ता
अच्छी वार्ता... बहुत अच्छे लिंक... हमारी रचना को स्थान देने के लिए आभार आपका...
sundar prastuti
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