सोमवार, 30 अप्रैल 2012

चलते चलते ललितडॉट कॉम में गत्यात्मक ज्योतिष और मेरी कविताएं मिसफिट ... ब्‍लॉग4वार्ता .. पांच वार्ताकार

पाठकों को पठनीय लिंक उपलब्‍ध कराने के उद्देश्‍य से 10 मार्च 2010 से शुरू हुई ब्‍लॉग4वार्ता अपने लंबे सफर पर नियमित तौर पर अग्रसर है। हमारे अलावा समय समय पर  राजीव तनेजा जी, यशवंत मेहता जी, राजकुमार ग्वालानी जी , ताऊ जी, शिवम मिश्रा जी देवकुमार झा जी, अजयकुमार झा जी, रुद्राक्ष पाठक, सूर्यकांत गुप्ता जी ने सहयोग देते हुए वार्ता के प्रति अपनी जिम्‍मेदारी का वहन नि:स्‍वार्थ भाव से किया। अभी वार्ता में पांच वार्ताकार अपना सहयोग दे रहे हैं , जिनका परिचय देते हुए प्रस्‍तुत है आज की वार्ता ..

नागपुर महाराष्‍ट्र से ब्‍लॉगिंग कर रही संध्‍या शर्मा जी (http://www.blogger.com/profile/06398860525249236121) अपना परिचय देते हुए लिखती है कि लिखने का शौक तो बचपन से था, ब्लॉग ने मेरी भावनाओं को आप तक पहुचाने की राह आसान कर दी. काफी भावुक और संवेदनशील हूँ. कभी अपने भीतर तो कभी अपने आस-पास जो घटित होते देखती हूँ, तो मन कुछ कहता है, बस उसे ही एक रचना का रूप दे देती हूँ. आपके आशीर्वाद और सराहना की आस रखती हूँ...मैं और मेरी कविताएं (http://sandhyakavyadhara.blogspot.in/) नामक ब्‍लॉग में उन्‍होने 17 अगस्‍त 2010 में अपनी पहली पोस्‍ट 'वक्‍त नहीं' (http://sandhyakavyadhara.blogspot.in/2010/08/waqt-nahi.html) से ब्‍लॉगिंग की शुरूआत की थी, उनके ब्‍लॉग में विचारों और भावों की विविधता लिए हर प्रकार की कविताएं मौजूद हैं , नवीनतम पोस्‍ट 'देहरी का दीया'  है ....
मैं...
सुबह सबेरे
द्वार पर
रंगोली सजाती
कभी चाँद सी
रोटियां गढ़ती
कभी बर्तनों से बतियाती
बिता देती हूँ सारा दिन
उलझी रहती हूँ
दिन भर
चौके- चूल्हे में
बिन संवरी 
उलझी लटें लेकर
फिर भी....!
साँझ ढले
जाग उठता है
देहरी का दीया 
मुझे देखकर....!

अभनपुर , छत्‍तीसगढ से ब्‍लॉगिंग कर रहे ललित शर्मा जी (http://www.blogger.com/profile/09784276654633707541) अपना परिचय देते हुए लिखते हैं कि परिचय क्या दूँ मैं तो अपना, नेह भरी जल की बदरी हूँ। किसी पथिक की प्यास बुझाने, कुँए पर बंधी हुई गगरी हूँ। मीत बनाने जग मे आया, मानवता का सजग प्रहरी हूँ। हर द्वार खुला जिसके घर का, सबका स्वागत करती नगरी हूँ। ललित डॉट कॉम  (http://lalitdotcom.blogspot.in/) नामक ब्‍लॉग में 15 सितंबर 2009 को हिंदी दिवस के दिन ही अपनी पहली पोस्‍ट लेकर आए , हमें प्रत्‍येक सांस को ही हिंदी दिवस समझना चाहिए (http://lalitdotcom.blogspot.in/2009/09/blog-post.html) । इन्‍होने जीवन के हर रंग को अपने आलेखों में समेटा है, कुछ दिनों से अपने यात्रा संस्‍मरण में पुरातात्विक जानकारियों को समेटते हुए इनके लेख विशेष पहचान बनाने की सामर्थ्‍य रखते हैं , इस ब्‍लॉग की नवीनतम पोस्‍ट 'नकटा मंदिर' के बारे में है ....
इस प्रकार मंदिर अधूरा रह गया। आज भी मंदिर परिसर में भीम और हाथी की खंडित प्रतिमा है। खंडित हाथी की प्रतिमा सीढियों के उपर लगी है।

हम विष्णु मंदिर के कुछ चित्र लेते हैं फ़िर हमारी सवारी चाम्पा की तरफ़ बढ चलती है। मुझे मड़वारानी होते हुए पटियापाली जाना है, बाबु साहब ने चाम्पा में एक नया सारथी तैयार कर रखा था जो मुझे मंड़वा रानी दर्शन करवा कर पटियापाली स्कूल तक पहुंचाता और बाबु साहब कुछ आवश्यक कार्य निपटा कर पटियापाली में मुझसे मिलते। चाम्पा स्टेशन पर पहुंचने पर यादव जी स्टेशन पर मिल गए। जाते ही उन्होने प्रणाम कर नारियल का प्रसाद दिया और हम कुछ फ़ल लेकर मड़वा रानी की तरफ़ चल पड़े। रास्ते को पहचानने में कुछ समय लगा। हम चाम्पा-कोरबा मार्ग पर जा रहे थे और इस मार्ग पर मै पहले भी आ चुका हूँ। मड़वारानी पहुंच कर दर्शन किए, यादव ने बताया कि  मड़वा रानी का स्थान पहाड़ी पर है और एक मंदिर नीचे भी बना हुआ है। लोग यहीं दर्शन करते हैं। मड़वारानी के पास ही जगदीश पनिका का गांव कोठारी है, जहां मै दो साल पूर्व आया था।
इसके अलावा शिल्‍पकार के मुख से  (http://shilpkarkemukhse.blogspot.in/) नामक ब्‍लॉग में इनकी कविताएं , चलती का नाम गाडी (http://yatra4all.blogspot.in/) में इनके यात्रावृतांत , NH30 में इससे जुडे समाचार तथा अहडा के गोठ (http://adahakegoth.blogspot.in/)में इनके छत्‍तीसगढी आलेख देखे जा सकते हैं।

चंबा , हिमाचल प्रदेश से ब्‍लॉगिंग कर रहे केवल राम जी  (http://www.blogger.com/profile/04943896768036367102) अपना परिचय देते हुए लिखते हैं कि क्या बताऊँ आपको अपने बारे में, जिंदगी में कुछ खास कहने के लिए नहीं है . बहुत सुहाना सफ़र रहा है आज तक जिंदगी का , पर कुछ खालीपन फिर भी महसूस होता रहा . दुनिया देखने ,सोचने और समझने में अलग है. क्या कुछ नहीं दिखाई देता हमें सुबह से शाम तक. कितना जोड़ पाते हैं हम खुद को उन स्थितियों और परिस्थितियों से, बस यही कुछ समझने और जानने की कोशिश रहती है कि हमेशा दुनिया में इंसान बन कर जी सकूँ। यह ब्लॉग लेखन के साथ साथ ब्लॉगिंग पर शोध भी कर रहे हैं।  चलते चलते (http://www.chalte-chalte.com/) नामक ब्‍लॉग से 15 जून 2010 को अपनी पहली पोस्‍ट  कुछ कहने का मतलब से ब्‍लॉग जगत में पदार्पण करनेवाले उनके ब्‍लॉग में विविधता भरे गजल , कविताएं , क्षणिकाएं और आलेख भरे पडे हैं , इस ब्‍लॉग की नवीनतम पोस्‍ट है 'बाबा मुझे निर्मल कर दो' .... 



एक भक्त की पुकार है "बाबा" मुझे "निर्मल" कर दो" लेकिन बाबा खुद ही मल (स्थूल ) और मैल ( स्थूल और सूक्ष्म) से मुक्त नहीं तो वह दूसरों को कैसे इससे मुक्ति दिलाएगा , "मल" से मुक्ति कोई आसान नहीं, और निर्मल होना तो और भी कठिन है, कठिन ही नहीं असंभव भी है . जब तक जीवन है व्यक्ति स्थूल और सूक्षम रूप से मल से जुड़ा है निर्मल होने का सवाल ही पैदा नहीं होता . हाँ हमारे यहाँ चिंतन के स्तर पर निर्मल होने की भाव सदा रहा है और निश्चित रूप से यह होता भी रहा है . चिंतन के स्तर पर व्यक्ति निर्मल हो सकता है और हमारे अध्यात्म में इसे सदा महता दी जाती रही है . आज हम जिस ऊंचाई पर खुद को महसूस करते हैं उसमें हमारे चिंतन का बहुत बड़ा हाथ है . क्योँकि व्यक्ति संसार में रहता है और संसार में रहते हुए उसे कई प्रकार की स्थितियों से जूझना पड़ता है और अगर व्यक्ति मानसिक रूप से उन स्थितियों का गुलाम बन जाता है तो फिर जीवन की नैसर्गिकता से वह पीछे हट जाता है और जीवन के वास्तविक अनुभवों को अनुभूत नहीं कर पाता .इसके अलावे केवलराम जी का धार्मिक और आध्‍यात्मिक चिंतन धर्म और दर्शन (http://mohalladharmordarshan.blogspot.in/) नामक ब्‍लॉग पर भी रहता है।


जबलपुर , म प्र से ब्‍लॉगिंग कर रहे गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"  (https://plus.google.com/111178781293315643657/posts) ने हिंदी ब्लागिंग 2007 में प्रवेश  वाइस आफ़ इन्डिया के प्रतिभागी 17 वर्षीय आभास जोशी को प्रत्साहित करने एवम उसके पक्ष में अंतरजाल वातावरण बनाने के लिये किया. जो अब एक स्थापित गायक है.बावरे-फ़क़ीरा  ब्लाग पर प्रथम प्रकाशित प्रथम रचना दौर 
ब्लागिंग के लिए  प्रोत्साहित करने का श्रेय श्रीमति श्रद्धा जैन, डा.पूर्णिमा वर्मन, तथा समीर लाल को देते हैं. गिरीश मुकुल के नाम से फ़ेसबुक पर प्रसिद्ध गिरीश के मुख्य ब्लाग हैं 
  1. मिसफिट:सीधीबात
  2. इश्क-प्रीत-लव
  3. भारत-ब्रिगेड
  4. बावरे-फकीरा
  5. मेलोडी ऑफ़ लाइफ 
        विकलांग बच्चों की मदद के लिये इनका एलबम बावरे-फ़क़ीरा अब नेट पर उपलब्ध है . हिंदी ब्लाग जगत में वाइस और वीडियो ब्लागिंग (वेबकास्टिंग,पाडकास्टिंग) के लिये गिरीश बिल्लोरे का योगदान ब्लाग जगत का इतिहास में सदैव प्रथम ही माना जाएगा , मिसफिट पर इनकी नवीनतम पोस्‍ट  वीर तो शर शैया पर आराम की तलब रखतें हैं है .....

बेहद कुण्ठित लोगों के का जमवाड़ा सा नज़र आता है हमारे इर्द-गिर्द हमको.
हम लोग अकारण आक्रामक होते जा रहे हैं. वास्तव में हमारी धारण शक्ति का क्षय सतत जारी है. उसके मूल में केवल हमारी आत्म-केंद्रित सोच के अलावा और कुछ नहीं है. इस सोच को बदलना चाहें तो भी हम नहीं बदल सकते क्यों कि जो भी हमारे पास है उससे हम असंतुष्ट हैं.एक बात और है कि हमारी आक्रामकता में बहादुर होने का गुण दिखाई नहीं देता अक्सर हम पीछे से वार करतें हैं या छिप के वार करते हैं.यानी युद्ध के आदर्श स्वरूप हटकर हम छ्द्म रूप से युद्ध में बने रहते हैं. यानी हम सिर्फ़ पीठ पे वार करने को युद्ध मानते हैं. हां रण-कौशल में में "अश्वत्थामा-हतो हत:" की स्थिति कभी कभार ही आनी चाहिये पर हम हैं कि अक्सर "अश्वत्थामा-हतो हत:" का उदघोष करते हैं. वीर ऐसा करते हैं क्या ? न शायद नहीं न कभी भी नहीं. वीर तो शर शैया पर आराम की तलब रखतें हैं .पता नहीं दुनियां में ये क्या चल रहा है..ये क्यों चल रहा है..? कहीं इस युग की यही नियति तो नहीं..शायद हां ऐसा ही चलेगा लोग युद्ध रत रहेंगे अंतिम क्षण तक पर चोरी छिपे..! क्यों कि वे खुद से युद्ध कर पाने में अक्षम हैं अच्छे-बुरे का निर्णय वे अपने स्वार्थ एवम हित के साधने के आधार पर करते हैं तभी तो कुण्ठा-जन्य युद्ध मुसलसल जारी है..जहां वीर योद्धाओं का अभाव है.


बोकारो , झारखंड से ब्‍लॉगिंग कर रही संगीता पुरी (http://www.blogger.com/profile/04508740964075984362) अपना परिचय देते हुए लिखती हैं कि मास्‍टर डिग्री ली है अर्थशास्‍त्र में .. पर सारा जीवन समर्पित कर दिया ज्‍योतिष को .. अपने बारे में कुछ खास नहीं बताने को अभी तक .. ज्योतिष का गम्भीर अध्ययन-मनन करके उसमे से वैज्ञानिक तथ्यों को निकलने में सफ़लता पाते रहना .. बस सकारात्‍मक सोंच रखती हूं .. सकारात्‍मक काम करती हूं .. हर जगह सकारात्‍मक सोंच देखना चाहती हूं .. आकाश को छूने के सपने हैं मेरे .. और उसे हकीकत में बदलने को प्रयासरत हूं .. सफलता का इंतजार है। 7 सितंबर 2007 से वर्डप्रेस पर गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष नामक ब्‍लॉग पर ज्‍योतिष में प्रवेश नामक पहली पोस्‍ट से शुरूआत करने के बाद  7 अगस्‍त 2008 को  ब्‍लॉगस्‍पॉट (www.gatyatmakjyotish.com) पर लिखना आरंभ किया , इनके पोस्‍टों में जहां ज्‍योतिष से जुडे अंधविश्‍वासों पर चोट की गयी है , वहीं दूसरी इसके वैज्ञानिक पक्ष को भी सामने लाया गया है, इस ब्‍लॉग की नवीनतम पोस्‍ट है 'हमारे यहां पाठकों के लिए नि:शुल्‍क जानकारी उपलब्‍ध है' ...
1981 से अबतक पच्‍चीस तीस हजार जन्‍मकुंडलियों के विश्‍लेषण के बाद ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ का दावा है कि समय समय पर आनेवाली मनुष्‍य की हर अच्‍छी भली परिस्थिति के पीछे उसके जन्‍मकालीन और गोचर के ग्रहों का हाथ होता है और इसे समझा और समझाया जा सकता है। जन्‍म के ग्रहों से उनके जीवन में आनेवाली विभिन्‍न संदर्भों की परिस्थितियों और उनके जीवन के उतार चढाव की जानकारी देने के लिए मैने नि:शुल्‍क सेवा शुरू की है , कोई भी व्‍यक्ति अपना जन्‍म विवरण (नाम , जन्‍म तिथि , जन्‍म समय और जन्‍म स्‍थान ) हमें मो नं +919835192280 पर एस एम एस कर सकता है , एक मोबाइल नं से एक ही डिटेल्‍स भेजे जा सकते हैं , ईमेल से भेजे जाने वाले विवरणों का जबाब नहीं दिया जाएगा।

जो विवरण भेजे जा चुके हैं , उनके बारे में प्रत्‍येक रविवार को हमारे यहां से दिन 11 बजे से 1 बजे के मध्‍य इसी फोन पर जानकारी ली जा सकती है , हम प्रकृति से प्राप्‍त सुख दुख के संदर्भों और उसकी जीवन यात्रा के बारे में उन्‍हें जानकारी देने की कोशिश करेंगे। जबाब देते हुए लिखने की तुलना में मौखिक तौर पर बताना आसान है , इसलिए पिछले सप्‍ताह बहुत सारे पाठकों को उनकी  ही जानकारी देने में कामयाबी मिली , अभी कुछ दिनों तक यह सुविधा चलती रहेगी। अपने विवरण एस एम एस करने से पहले पिछले लेख को अच्‍छी तरह पढ लें। इसके अलावा गत्‍यात्‍मक चिंतन  (http://chintan.gatyatmakjyotish.com/) नामक ब्‍लॉग में इनका चिंतन और हमारा जिला बोकारो  (http://bokarozila.blogspot.in/)में जिले से जुडी खबर लिखा करती हैं। सीखें गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष (http://sikhe.gatyatmakjyotish.com/)में बिल्‍कुल खगोलशास्‍त्रीय ढंग से ज्‍योतिष की तथा आज का राशिफल  (http://rashifal.gatyatmakjyotish.com/) नामक ब्‍लॉग में लग्‍न आधारित राशिफल की जानकारी दी जा रही है।
आज के लिए बस इतना ही .. देते हैं वार्ता को विराम .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ....

10 टिप्पणियाँ:

आपने बहुत सधे हुए शब्दों में इस ब्लॉग के संचालक लोगों से अवगत करवाया है |बहुत अच्छा लेख |
आशा

ब्लॉग वार्ता संचालक मंडल को जानना अच्छा लगा !

ब्लॉग वार्ता के सभी सहयोगियों का परिचय अच्छा लगा ... आभार

बढिया जानकारी के साथ उम्दा वार्ता के लिए आभार संगीता जी……… शुक्रिया

ब्लॉग वार्ता के सभी सहयोगियों का परिचय जानना सुखद है ...

इस खास वार्ता के लिए आपका आभार संगीताजी...

अरे वाह ..ये तो बहुत जरुरी था.और बहुत पहले करना चाहिए था.
बहुत अच्छा लगा ब्लॉग वार्ता टीम का परिचय.

संचालक मण्डल के सभी सदस्यों का परिचय जानकार प्रसन्नता हुई ! सभीको मेरा हार्दिक अभिवादन !

sir plz add my folowing blog
http://geetkavitagazal.blogspot.com

http://emagzinesanjh.blogspot.com

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