शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

सावधान: एक खतरनाक सफर ------------- ब्लॉग4वार्ता ----------- ललित शर्मा

ललित शर्मा का लवास्कार, मौसम मस्त बना हुआ है, ठंडी हवाएं एवं आकाश से टपकती की फ़ूहारें किसी नेमत से कम नहीं है। ऐसे में याज्ञवल्क्य लिख रहे हैं……उन्हे पर हमारे कतरने की जिद है,हमें आसमान को परखने की जिद है,खुदा पर तो पूरा भरोसा है लेकिन,मुकद्दर से भी हमको लड़ने की जिद है,उन्हे चाल मेरी बदलने की हसरत,मुझे गिरते गिरते सम्हलने की जिद है,वो दीपक तुम्हारे बुझाए क्या बुझे, जिसे आंधीयों में भी जलने की जिद है,रहे दुनिया तेरे आगे या पीछे मुझे क्या,मुझे तो तूझे बर्बाद करने की जिद है ... येल्लो भई, ये भी कोई जिद है……… अब चलते हैं आज की लेटलतीफ़ ब्लॉग4वार्ता पर

सावधान, सावधान, सावधानजिस *बीमारी* का ईलाज नहीं, उसकी हजारों दवाएं हैं। लाईलाज बीमारियाँ लोगों को दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर करती हैं। *ऐलोपैथी* के प्रति अभी तक ग्रामीण अंचल में पूरी तरह लोगों को विश्वास नहीं है। थोड़ी सी भी...रोशनी: सरोजकुमारहिमालय की काँख में भी जल सकती है अगर हो; जरूरी तो आग है! सूर्य की बपौती नहीं है दियासलाई के सिरे पर भी सम्भव है! क्या कबीर किताबों से पटे, जिन्दगी से कटे मिमियाते मदरसों में/भर्ती ले ले; क्या जरूरी है, क..." माउस " से दिल तक पहले जब कम्प्यूटर का प्रयोग नहीं होता था तब कवि या लेखक अपनी कलम से कागज़ पर लिखने के लिए स्याही का प्रयोग करते थे | परन्तु सच तो यह होता था कि लिखते समय उनका ह्रदय भावों की अतिरेकता में पसीजता रहता था...

हिन्दुत्व ! तेरी यही कहानी....बहुत पुरानी बात है पृथ्वी के पूर्वी कोने में एक अति तेजस्वी बालक ने जन्म लिया ओजपूर्ण था मुखमंडल उसका सभ्यता की पहली धोती उसने ही थी पहनी ज्ञान-विज्ञान से बना तन उसका कीर्ति पताका लहराई ऊंचे गगन में...दाल में सब काला है ….यही तो गड़बड़झाला है दाल में सब काला है . ओहदे पर तो होगा ही वो जब उसका साला है . कैसे कहें जो कहना है मुंह पर लगा ताला है . शायद किस्मत साथ दे सिक्का दुबारा उछाला है .kavita...सरहदों के साए * *लहू से सींच रहे सरहदों के साए;* *बारूद में पनप रहे दुनिया के सरमाये.* *हर तरफ चल रही बारूद की हवाएं;* *गोलियों से छलनी हो रहे* * इंसानों के सीने;* *हर तरफ दरिंदगी में पनप क...

बदलाव  मैं चाहती हूँ कि अब महिलाओं को पीटने की परिपाटी बंद होनी चाहिए महिलाएं केवल जिस्म नहीं हैं उनमें भी जीवन है एक महिलाएं जी सकें अपना जीवन इसलिए व्यवस्था बदलनी होगी व्यवस्था महिलाएं ही बदलेंगी ये काम वे... सरकारी अनुदान झिंगुरों से पूछते, खेत के मेंढक... बिजली कड़की बादल गरजे बरसात हुयी हमने देखा तुमने देखा सबने देखा मगर जो दिखना चाहिए वही नहीं दिखता ! यार ! हमें कहीं, वर्षा का जल ही नहीं दिखता ! एक झिंगुर अपनी ... औरतें  आफिस में अक्सर बतियाती हैं औरतें अपने घर के बारे में साथ ही लती हैं अपना घर वे भरकर अपने आँचल में छोड़ आती हैं घर में पीछे दूध पीते बच्चे आया के पास सास ससुर बंद घरों में किसी चौकीदार की तरह रोज मरती... 

पिंकी प्रामाणिक के लिंग की प्रमाणिक जांच कब तक? अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी पिंकी प्रामाणिक की लैंगिक पहचान का मुद्दा गहराता जा रहा है। जाहिर है उसके बाह्य लैंगिक प्रमाण पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में गुणसूत्रों की जांच ही अब एकमात्र भरोसेमंद और प्रामाणि... राजनीति में किताबों का बवंडर  इन दिनों राजनीति में आत्मकथाओं ने सियासी ग़दर मचा रखा है। एक ओर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आज़ाद की किताब "टर्निंग प्वाइंट्स" सोनिया गाँधी समेत अटल बिहारी वाजपाई तक से जुड...  गांधारी  गांधारी ,आँखों से बंधी पट्टी अब तो उतार दो कब तक सच्चाई से आँखे बंद रखोगी , कितनी सदियाँ बीत गयी यूँ आँखे बंद किये क्या तुम्हे दुनिया का उजाला पसंद नहीं ........ मुझे तुमसे यह शिकायत तो हमेशा ही रहेगी , के... 

ये सृष्टि ईश्वर की नहीं, गॉड पार्टिकिल की रचना है 4 जुलाई 2012 का दिन हमेशा याद रखा जाएगा, *क्योंकि इस दिन हमने अपने ज्ञान की अचंभित कर देने वाली ऊंचाई देखी, क्योंकि इस दिन पहली बार हमने पूरे तार्किक प्रमाणों के साथ जान लिया कि ये ब्रह्मांड-ये सृष्टि कि... जिंदगी वास्तव में जिन्दादिली का नाम है   इन्सान यदि काम ही काम करता रहे तो जीवन नीरस होने लगता है .यह बात डॉक्टर्स पर भी लागु होती है . इसीलिए अस्पताल के साथ जुड़े मेडिकल कॉलेज में हर वर्ष मार्च के महीने में एक फेस्टिवल मनाया जाता है . ३-४ दिन त...  राजा और वीर एक खडा है युद्ध-भूमि पर कुछ भी कब सुनता है. एक हमारी पेट के खातिर माथा अपनी धुनता है. रक्ततिलक के शौर्य चमक की अनदेखी कर दूं या स्वर्ण मुकुट की आभा को शीष झुका सम्मान करूं. मैं कवि किसका गुणगान करूं, मैं...

तेरी भीगी निगाहों ने  तेरी भीगी निगाहों ने जब-जब छुआ है मुझे, तेरा एहसास मिला तो कुछ-कुछ हुआ है मुझे, फिसल कर छूट गया तेरा हाँथ मेरे हांथो से, सितम गर ज़माने से मिली बददुआ है मुझे, लगी है ठोकर संभालना बहुत मुस्किल है, घूंट चाह...  गौमुख से तपोवन- एक खतरनाक सफर  इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। तपोवन के लिये चलने से पहले बता दूं कुछ बातें जो मैंने तपोवन से वापस आकर सुनीं। सबसे पहली बात तो मेरे साथ जाने वाले पत्रकार चौधरी साहब ने ही कही क...  ठाकुरदेव  ग्राम देवताओं के थान पर माथा टेकने निकला तो सबसे पहले सुमिरन किया देवाधिदेव ठाकुरदेव का। ग्राम देवताओं में सर्वाधिक शक्तिशाली-प्रभावशाली माने गये हैं, ठाकुरदेव। बस्ती के एक सिरे पर इनकी स्थापना है, लक्खी त... 

चलते चलते पढिए एक कविता……और यहाँ भी… मिलते हैं ब्रेक के बाद अगली वार्ता में

याद आते हैं बचपन के वो दिन

11 टिप्पणियाँ:

बहुत बढ़िया.
तमाम लिंक्स खंगाल आया

वाह, बचपन की धमाचौकड़ी फिर याद आ गयी..

बहुत बढ़िया ललित जी , सुन्दर लिंक्स सयोंजन

बहुत सुन्दर लगीं लिंक्स की ठंडी - ठंडी फुहारें... बचपन की मस्ती से भरे सुन्दर चित्र को देखकर ऐसा लग रहा है ये बच्चे नहीं धमाचौकड़ी मचाते लंगूर है, रंगबिरंगे वस्त्रों में...

जबर्दास्त्त लिंक्स बेहतरीन वार्ता.

सरोजकुमारजी की कविता को सम्‍मान देने के लिए कोटिश: आभार।

बहुत बढ़िया वार्ता

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