बुधवार, 11 जुलाई 2012

पनघट की कठिन डगर पर हम होंगे क़ामयाब -------- ब्लॉग4वार्ता --------- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, फ़ेसबुक पर स्वराज्य करुण कह रहे हैं कि भारत में रसोई गैस आपूर्ति की समस्या से निपटने यह कैसी तुगलकी योजना बन रही है ? जिन लोगों को तेल (गैस ) कंपनियों के डीलरों ने अपनी कम्पनी की योजना के तहत कई साल पहले डबल बैरल कनेक्शन (डी.बी. सी ) दिया था ,अब उन्हें एक परिवार में एक सिलेंडर की नीति का पालन करते हुए उनके डबल कनेक्शन को सिंगल में बदलना पड़ेगा ! डबल कनेक्शन वालों को एक कनेक्शन लौटाना होगा ! तेल कम्पनियाँ उन्हें एक महीने का अल्टीमेटम देने वाली हैं ! क्या यह देश के करोड़ों निम्न मध्यम वर्गीय और मध्यम वर्गीय वर्गीय परिवारों के साथ अन्याय नहीं है ? -  घर  में इधर जब गैस सिलेंडर खतम होने को आता है तो बुखार चढ जाता है कि इस महीने कितने दिनों में मिलेगा और इनको 3-4 दिनों में ही सिलेंडर मिल जाता है। भाई किस्मत हो तो ऐसी :)  अब चलते हैं आज की वार्ता पर और प्रस्तुत करते हैं कुछ उम्दा चिट्ठों के लिंक………

ग्राम-देवताआस्था के आदिम बिन्दुओं पर सभ्यता का आवरण और संस्कृति का श्रृंगार* मैदानी छत्तीसगढ़ में ग्राम देवताओं की मान्यता, वैविध्यपूर्ण संस्कृति के मुख्‍यतः द्रविड़ और निषाद प्रजाति-कुलों की थाती मानी जा सकती है। ग...भाग्य में जो लिखा वो मिला एक राजा के दो बेटे थे| बड़ा सींगल भोला भाला तो, छोटा दींगल बहुत कुशल और होशियार| राजा की मृत्यु के बाद बड़ा बेटा सींगल राजा बना पर राज्य के सभी कार्यों का भार दींगल पर, जिसे वह बड़े मनोयोग से पुरा करता पर य...तपोवन, शिवलिंग पर्वत और बाबाजीइस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। 9 जून 2012 की दोपहर बाद ढाई बजे हम तीनों तपोवन पहुंच गये। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 4350 मीटर है। हमारे बिल्कुल सामने है शिवलिंग पर्वत शिखर जिसकी ऊ...

प्रदूषण ही प्रदूषण काश ! हम जीवन की उन्मुक्तता को समझ पाते, मर्यादा में रहते और जीवन के वास्तविक लक्ष्यों को पाने का प्रयास करते, मानसिक रूप से स्वस्थ जीवन जीते धरती के इस वातावरण को अपने मानसपटल से सुंदर बनाने का प्रयास करत...क्या करें...इक दिन आना है उसे क्या इंतजार करें। बेरंग जिन्दगी में , चलो कोई रंग भरें। वैसे भी हमे मंजिल का कोई पता नही, बस! चलो,चलना है , रुक के क्या करें। ठहर पाया है कौन , इक पल भी यहाँ। साँसो की डोरी,वक्त, र...’गॉड पार्टिकल ’ और दलितनुक्कड़ पर, गॉड पार्टिकल पर चर्चा में कालू गरीब ने दखल दिया - 'इसको हिंदी में क्या बोलते हैं, गुरू।' हमने कहा - 'यार जब तक हिंदी भवन के बड़ी बुद्धि वाले अफ़सर, इसके लिए कठिन, भारी भरकम हिंदी शब्द न खोज लें, ...

अंजुरी में धरती   मान गए बादल रूठे बरसे तो जमकर बरसे धरती रही फिर भी प्यासी व्याकुल हो उठा मन देखकर व्यर्थ जाता जीवन जल ऐसा लगता है वर्षा का सारा जल भर लूँ अंजुरी में ताकि....! ना बह सके ना बिखरे ना व्यर्थ ह...  अपनी पोस्ट को सर्च इंजन तक कैसे पहुँचायें  वैसे तो सर्च इंजन स्वत: ही आपकी ब्लॉग पोस्ट क्राल कर लेते हैं किंतु इसमें लगने वाले समय को कम किया... [यह लेख का सारांश है, पूरा पढ़ने के लिए फ़ीड प्रविष्टी शीर्षक पर चटका लगायें...]  हम होंगे क़ामयाब...  बोलीवुड का इतिहास उठा कर देखें, मुस्लिम औरतों ने उस समय फिल्मों में करना शुरू किया था, जब हिन्दू औरतों के लिए यह सब कल्पना से परे था । अधिकतर मुसलमान सिने तारिकाएँ, अच्छे घरों से नहीं थीं, किसी का सम्बन्ध, न... 

तिनके...  क्या दे सजा उसको क्या फटकारे उसे कोई , हिमाक़त करने की भी जिसने इज़ाजत ली है ********* हमारे दिन रात का हिसाब कोई जो मांगे तो क्या देंगे अब हम उसके माथे पे बल हो, तो रात और फैले होटों पे दिन होता है. ...  रायसीना की कठिन डगर राजनीति अबूझ खेलों का गढ है। यहां के खिलाडी "जर्सी" किसी की पहनते हैं, मन से किसी और की तरफ होते हैं और "गोल" किसी और के लिए करते हैं।* रायसीना पहाडी पर बने आलीशान महल के नये मेहमान का नाम लगभग तय हो गया... एक संस्मरण शिव के धाम का   शिव की महिमा अपरम्पार है . मुझे भी मौका लगा सावन में भोले भंडारी के दर्शन का और उठा ली इस शुभ अवसर का लाभ . कोई तीन साल पहले की बात है . मेरे पति बोले चलो इस बार ... 

गपोड़ाहमारे पूर्वजों ने अनेक प्रकार की धार्मिक आस्थाओं की स्थापना कर रखी है ताकि लोग बुरे कर्म करने से डरते रहें और सद्कर्मों की तरफ प्रेरित रहें. इन आस्थाओं के लिए अनेक गप्प वाली कहानियां गढ़ रखी हैं. पर गपोड़...पनघट की कठिन डगरमुझे आपकी मदद चाहिए। हर बात के कम से कम दो पक्ष तो होते ही हैं। सबकी अपनी-अपनी नजर होती है और सबको अपनी नजर ही सही लगती है। ‘उन’ दोनों के साथ भी यही स्थिति है। दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े हैं। दोनों ने...तेरा मेरा नामतेरा मेरा नाम खबर में रहता था दिन बीते एक सौदा सर में रहता था मेरा रास्ता तकता था एक चाँद कहीं मै सूरज के साथ सफ़र में रहता था. सारे मंज़र गोरे गोरे लगते थे जाने किसका रूप नज़र में रहता था मैंने अक्सर आँख...

मिटा तो न दोगे ?  वो लड़का किराये पर जीप चलाता था. टेक्सी स्टेंड के आगे से गुज़रती हुई स्कूल की लड़कियों को देखा करता. उस लड़के को गाँव से पांच किलोमीटर दूर ढाणी में रहने वाली एक लड़की देखा करती थी. एक दिन स्कूल ख़त्म हो गयी...  कहो सच है न ?  तुम्हे मैंने जितना जाना बूंद बूंद ही जाना तुम वह नहीं , जो दिखते थे .., तुम्हे जान कर भी अनजान रही मैं .... दो रूपों में ढले हुए तुम एक वह जिसे मैंने .. रचा अपनी कल्पनाओं में ... अपनी कामनाओं में .. अप...  रिश्तों की पैरहन.  उसे प्यार नहीं था पर कर रही थी कोशिश प्यार करने की क्योंकि यही रिवाज़ है, हर लड़की को चाहना होता है अपने होने वाले पति को, और और समझाना होता है यही है वो राजकुमार जिसका इंतज़ार करती आ रही है सदियों से,जब नख स... 

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं एक ब्रेक के बाद्…… राम राम



13 टिप्पणियाँ:

सचमुच में बहुत ही रोचक। आप लोग इतना सब कैसे और कब कर लेते हैं? यह सब 'पर हिताय' सेकम नहीं है।

मेरे ब्‍लॉग को सम्‍मान देने के लिए शुक्रिया।

रोचक, बढ़िया वार्ता

बढ़िया वार्ता... "अंजुरी में धरती" को स्थान देने के लिए आपका बहुत - बहुत आभार...

बहुत अच्छी वार्ता...
शुक्रिया.

अनु

'पनघट की कठिन डगर पर हम होंगे क़ामयाब.' शीर्षक ज़बरदस्त है...ऐसा लगा जैसे कोई 'वाटर वार' होने वाला है..
बहुत सारे और अच्छे लिंक्स मिले, लगता है कल का दिन बीजी हो जायेंगे हम..
आप का आभार..

बढ़िया रोचक वार्ता.

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