सोमवार, 23 जुलाई 2012

दादा जीते, सखी रुम-झुम गाए जियरा……… ब्लॉग4वार्ता ……… ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, यूनाइटेड फण्ड में स्पीकर रहे पी. के. संगमा आज ठगे से रह गये होंगे. जिन्हें जरा भी राजनीति की सम­झ है वे अच्छे से जान रहे थे कि संगमा बलि का बकरा बनने जा रहे हैं. भाजपा को अपनी स्थिति स्पष्ट थी इसलिए मौका देख अपनी पार्टी से किसी को भी उम्मीदवार नहीं बनाने हुए संगमा को समर्थन देने का एलान कर दिया कि जो भी हो वे हारे तो उनका सिरदर्द और जीत गये तो वाहवाही.अब जब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार संगमा हार गये हैं, तो भाजपा एक बार फिर संगमा के कंधे पर बंदूक रख उन्हें उकसा रही है कि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे. पर क्या इसका कोई औचित्य है? सभी को मालूम है कि राष्ट्रपति सबसे उपर होते हैं. सप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को वे शपथ दिलाते हैं फिर प्रणव मुखर्जी के उपर मुकदमा कैसे चल सकता है. ऐसे में संगमा और भाजपा का दांव उलटा पड़ सकता है. अब चलते हैं आज की वार्ता पर्…… प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा लिंक्स......

मुखौटाराह चलते लोग अक्सर खो देते हैं अपनी आंखों की रोशनी नज़रों के आगे होती है उनकी मंज़िल और मंज़िल की साधना में वे अर्जुन होते हैं। उन्हें दिखती है चिड़िया की बाईं आंख और बाकी चीज़ें धुंधली हो ...ज्ञान –अभिमानज्ञान दर्पण तो नहीं वरना दिखा देता चेहरा होता गर शीशमहल तो रच देता अनेक प्रतिबिंब स्वत्व के .... स्वत्व जिसे अभिमान है रूप का गर्व है पांडित्य का नशा अर्थसत्ता का इन्हीं क्षुद्र कंकरों से चुनी ज...मारुति और आर्थिक स्थितिदेश की सबसे बड़ी कार निर्माता कम्पनी और वैश्विक सुजुकी मोटर की सहयोगी मारुति उद्योग लिमिटेड के मानेसर संयंत्र में जिस तरह से श्रमिकों द्वारा अराजकता फैलाई गयी और एक शीर्ष अधिकारी की हत्या समेत...

चोर हूँ मैंचोर हूँ मैं पिछले कुछ सालों से बीमार हूँ एक अजीब सी लत लगी है मुझे चोरी की जब भी कहीं भी किसी को देखती हूँ मेरी बीमारी उकसाती है मुझे मन पक्का करती हूँ फिर भी मजबूर हो जाती हूँ चुराने को और फिर.... चुरा ल...Bolte Shabd 91 - Smaran & Smarakबोलते शब्‍द 91 आलेख डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा स्‍वर संज्ञा टंडन 173. 'स्‍मरण' व 'स्‍मारक' Production-Libra Media, Bilaspur, IndiaA visit to hospitalहॉस्पिटल में इंतज़ार कुछ रिपोर्ट्स का इंतज़ार की घड़ियों में चेहरे टटोलती नज़र आते जाते बैठे हुए लोगों के एक गर्भवती स्त्री चेहरे पर आस का नूर एक बूढ़ा आदमी झुक कर बैठा हुआ की हारा हुआ है जिस्म की जंग एक छो...

सखी सों सावन की बतियाँ ..सखी रूम-झूम गाये जियरा ... लूम-झूम बरसे बुंदियाँ .... सावन की .... सावन की मनभावन की ....!! बंदगी ही हाथ में .....*बंदगी ही हाथ में .*.... पूज्यनीय गुरुजनों, मेरे प्यारे मित्रों ,शुभचिंतकों ,स्नेहियों ,सुधि पाठकों, मेरी ब्लॉग यात्रा की वीथियों में ,सौभाग्यतः मेरे जन्म दिन* 23-जुलाई* की पूर्व संध्या पर ,एक अध्या...बहुत हुआ आराम , अब कुछ काम किया जाएपिछली दो पोस्ट्स पर हंसने हंसाने की खूब बातें हुई. देखा जाए तो हँसना भी नसीब वालों को ही नसीब होता है . अक्सर हमने देखा है , किसी भी हास्य कवि सम्मेलन में आम श्रोता तो खूब खुलकर हँसते हुए , ठहाके लगाते हु...

बेटीआँखे बंद करके जब तुझे सोचा , तो बहुत ही करीब पाया ........ छोटे - छोटे,नर्म -मुलायम , हाथों को अपने चेहरे के करीब पाया ........ फूलों की पंखुड़ी से कोमल गालों को अपने गालों के बहुत करीब पाया ......... स...नैनीताल भाग --11......रोप - वे

रोप - वे यानी केबल -कार * * * * * *"साथ हमारा पल -भर ही सही ...* *इस पल जैसा मुक्कमल कोई कल नहीं ..* *हो शायद फिर मिलना हमारा कहीं---* *तू जो नहीं तो तेरी यादें संग सही ... महंगाई,मीडिया और मैंगो मैन  मैंगो मैन यानी आम आदमी के लिए दो जून की रोटी तक मयस्सर नहीं होने देने में क्या मीडिया की कोई भूमिका है? क्या महंगाई बढ़ाने में मीडिया और खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया खलनायक की भूमिका निभा रहा है ? या फि...


‘संयुक्त’ से ‘सूक्ष्म’ के अकेलेपन तकयह, मेरी कलवाली पोस्ट का विस्तार ही समझा जा सकता है किन्तु हो रहा है सब कुछ अकस्मात और अनायास ही। ‘मेरे मन कछु और है, कर्ता के मन कछु और‘ की तरह। सच है, खाली दिमाग शैतान का घर। गए कुछ बरसों से ‘परिव...मंगल का मेन्यू अब धरती पर भी ..यम यम!मंगल अभियान के तहत अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) 2030 के वैज्ञानिक अपने मंगल ग्रह अभियान की तैयारियों में करीब 18 साल बाद की मंगल यात्रा के लिए अभी से मेन्यू तैयार करने में व्यस्त हो गए हैं। यह मेन्यू ऐस...हम सब एक है.पिछले कई दिनों से देख रहा हूँ...फेसबुक पर कई तरह से आपत्ति जनक सामग्री परोसी जा रही है !कहीं नेताओं को पशुओं की तरह तो कभी धार्मिक उन्माद बढ़ाने वाले चित्र दिए जा रहे है ! क्या भावना प्रकट करने का ये सही ...

चाँद मुबारक- पूरा दुःख और आधा चाँद हिज्र की शब् और ऐसा चाँद दिन में वहशत बहल गयी थी रात हुई और निकला चाँद यादों की आबाद गली में घूम रहा है तन्हां चाँद मेरी करवट पर जाग उट्ठे नींद का कितना कच्चा चाँद इतने घने बादल...रखते हैं लोग जिल्द में दिल की किताब कोकांटों से भरी शाख पर खिलते गुलाब को. हमने क़ुबूल कर लिया कैसे अज़ाब को. दिल की नदी में टूटते बनते हुबाब को. देखा नहीं किसी ने मेरे इज़्तराब को. चेहरों से झांकते नहीं जज़्बात आजकल रखते हैं लोग जिल्द में दिल...हम कंटीले थेवो कोमल थे, हम कंटीले थे, आँखें सूखीं थी, हम गीले थे, रास्ते फूलों के, पथरीले थे, जख्मी पग, कांटें जहरीले थे, ढहे पेंड़ों से, पत्ते ढीले थे, बिखरे हम, कर उसके पीले थे, नाजुक लब, नयना शर्मीले थे, ...

तू जब भी साथ हो....तू जब भी साथ हो तो दिन में चम्पई रात आती है. तू हंस दे खिल-खिलाकर, जून में बरसात आती है. कोई लड़की हथेली पर किसी का नाम लिख -लिखकर, जो दुनिया से छिपाती है... तो तेरी याद आती है.* tu jab bhi saath ho to din..."मिस समीरा टेढी की अदालत में ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र हाजिर होंबहणों और भाईयो, मैं "ताऊ टीवी फ़ोडके" न्यूज चैनल का उदघोषक रमलू सियार आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र का साक्षात्कार आज तक कोई चैनल नही ले पाया था. पिछली बार हमारी खोजी संवाददाता मिस स...बात थोड़ी पुरानी है....आज बस यूँ ही इंटरनेट खंगालते हुए कुछ नज़र आ गया। सोचा क्यूँ न इसे आपलोगों के साथ साझा  कर ही लिया जाए । यहाँ से पढ़ा जा सकता है इसे .........


वार्ता को देते हैं विराम, मुक्ति पाना है तो  इधर आईए…… राम राम

5 टिप्पणियाँ:

बहुत बढ़िया वार्ता ललित जी....
लिंक्स अच्छे....

सादर
अनु

रोचक वार्ता, पठनीय सूत्र..

बहुत अच्छे लिंक्स और सुन्दर वार्ता... "मुक्ति...?" को स्थान देने के लिए आभार ललित जी....

बहुत खूब

kripya mera blog bhi shaamil karen

fursat-nama.blogspot.in

dhanyavaad

बहुत सुन्दर लिंक्स ललित जी, मेरा ब्लॉग शामिल करने के लिए आभार.

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