शनिवार, 21 जुलाई 2012

बस चंद पल और यहाँ आगे रब की मर्जी...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...सुबह उठने से लेकर देर रात सोने जाने तक हमारी जिंदगी़ का एक पल भी आज ऐसा नहीं जिसमें  तकनीक की दखल न हो. किचन हो या दफ्तर, रास्ता हो या खेल का मैदान, बाजार हो या अस्पताल, यहां तक कि पृथ्वी हो या भूगर्भ या समुद्र या फिर अंतरिक्ष.. ऐसी कोई जगह ही नहीं बची जहां तकनीक की दखल न हो.  अगर कहा जाए कि आज तकनीक ही सर्वव्याप्त व सर्वशक्तिसंपन्न है तो गलत नहीं होगा.  यह बात कम से कम शहरी जीवनशैली पर तो सही ही ठहरती है. इधर सर्वज्ञता का आलम तो इंटरनेट ने ऐसा बना दिया है कि किताबें सहेजने की आदत अब बडे लोग भी छोडने लगे हैं और अगली पीढी को तो शायद बताना पडे कि हमारे जमाने में नोटबुक या किताब जैसी कोई चीज होती थी.अपनी सारी जिम्मेदारियां तकनीक के हवाले करते जा रहे हैं, और कहते हैं "ये है हमारी हाईटेक जिंदगी..." प्रस्तुत है, आज की ब्लॉग 4 वार्ता कुछ खास लिंक्स के साथ... 

देऊरपारा का कर्णेश्वर महादेव: छत्तीसगढ का कर्ण प्रयागमहानदी उद्गम  पुरातात्विक एवं सांस्कृतिक खजाने से छत्तीसगढ समृद्ध है। हम छत्तीसगढ में किसी भी स्थान पर चले जाएं,वहां कुछ न कुछ प्राप्त होता है और हमारी विरासत को देख कर गर्व से भाल उन्नत हो जाता है। ...वही जहाँ तुम्हारा आना जाना है कौन से कोने में छुपाऊ सफेद कबूतरों को रह सके, सफेद और बदले नही उनकी दुनिया ऐसा मुकम्मल जहाँ कहाँ से लाऊँ भोर के होते ही घण्टालो के बीच दब जाती है सुहानी सुबह शोर के साथ दिन की शुरुआत ... याद की आँच बढ़ाने की ज़रूरत क्या है.. याद की आँच बढ़ाने की ज़रूरत क्या है... ये भीगा खत यूँ जलाने की ज़रूरत क्या है... आना जाना तो बदस्तूर लगा रहता है... फिर भला दिल को लगाने की ज़रूरत क्या है... सामने आँख के जब ख्वाब जी रहा हो कोई.... तो मुई...

चिड़िया घंटियों के ऊपर दाने की जुगत में बैठी चिड़िया। वर्षा के बाद धान के खेत में तृप्त और संतुष्ट चिड़िया। उड़ती चिड़िया को पकड़ना क्या फोटू खींचना भी मुश्किल है। हाथ हिल गया और फोटो बर्बाद हो गया। :( . इस बार झूम कर आया है....ये सावन... *ये बारिश से भीगा मौसम... और तुम्हारे प्यार से भीगा मेरा मन...... इस बार झूम कर आया है....ये सावन....... कुछ मैंने की थी ख्वाइश, कुछ बूंदों ने कि है साजिश...मेरा पद्म तुम्हें भर लेगा गिरने दो अपनी अहं - दीवारें सम्पूर्ण - समर्पण की राहों में तब मेरा पद्म तुम्हें भर लेगा मूक -मिलन के मधुर बाँहों में तुम चाहे जिस -जिस देश रहो जब -जब चाहे कोई वेश धरो पल -पल ...

नश्तर !  आज उसने मुझे एक कविता भेजी एक याद और साथ में थोड़ी सी ख़ामोशी उसका कहना है कि वो मुझे प्यार नहीं करती ! ----------------- जान लेने से पहले तुमने हर अहतियात बरता ... .बूंदों के साथ उतरता बोतलबंद जिन प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया शायद उसका देना बनता था हमारा लेना बनता था उसने दिल खोल कर दिया और हमने खुले दिल से ले लिया ,पानी को भी हमने प्रकृति की वेसी ही देन समझा है और पानी है भी वैसी ही देन ... वो वाली गज़ल.. पिछले आलेख के साथ वादा था कि गज़ल पूरी सुनाऊंगा तो पढ़िये पूरी…और हाँ. मेरी आवाज में सुनना हो तो कमेंट करो..अगली पोस्ट में गा कर सुनायेंगे एक अलग अंदाज में..मगर कहो तो...

छत्तीसगढी प्रशासनिक शब्दकोश: एक टिप्पणी किसी भी भाषा के प्रशासनिक शब्दकोश का निर्माण महत्वपूर्ण कार्य है। छत्तीसगढ विधानसभा ने प्रशासनिक शब्दकोश का निर्माण का सराहनीय कार्य किया है। इसका परीक्षण, परिमार्जन एवं प्रकाशन छत्तीसगढी राजभाषा आयोग ने ....श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (२२वीं-कड़ी)  पंचम अध्याय (कर्मसन्यास-योग - ५.१-१०) * * *अर्जुन * * * कभी कर्म सन्यास श्रेष्ठ है, कर्म योग की कभी प्रशंसा. निश्चित श्रेष्ठ कौन दोनों में, कृष्ण करो उसकी अनुशंसा. (१) *श्री भगवान * कर्म योग व कर्म सन...सागरमाथा के देश में  अपनी व्यावसायिक प्रतिबद्धता और पैर में शनिचर होने के कारण ,मुझे ना जाने कितने घाटों और तटों का पानी पीना पड़ता है . इस यायावरी ने मुझे भारतवर्ष के उत्तर में कश्मीर की हिम आच्छादित वादियों से लेकर...

मंजर बदल गए .. *जलें दीप , उत्सव मनाएं बार , * *अब तो दुआओं में, कसीना है ,* * * *थे दुश्मन के , इंतजामात कभी* *अब खुशहाली का नगीना हैं -* * * *गुल खिल रहे, ...रब की मर्जी खुली खिडकी से आती रोशनी तुम्हारे चेहरे को सहलाती है सवेरा कितना प्यारा । ये खुली हवा, ये आसमाँ , ये छन छन कर आती धूप, माँ के आंचल सी । कितना निश्छल, कोमल विश्वास भरा, प्यारा प्यारा तुम्हारा ये चेहेरा ..भ्रम, आस, विश्वास और मैं* * *भ्रम से लेकर मैं तक का सफ़र...एक तपस्या है जो करते हैं वो लोग* *जो किसी का अनचाहा रिश्ता बन जाते है....और इस अनचाहे रिश्ते में प्यार घोलने की एक कोशिश है क्यूंकि रिश्ते बनते है जुड़ने के लिए ना की टूट...

बस चंद पल और यहाँ  बस चंद पल और यहाँ बस चंद पल और यहाँ फिर डेरा डंडा समेटना होगा फूल जो उगा है मस्ती में शाम होते ही उसे झर जाना होगा कीमती हैं ये चंद पल भीतर जो भी लुटाएं जी भर सुमन बिखेर देता  सुरभि...धुआँ उठता है थोड़ी दूर पर, क्या जला होगा... धुआँ उठता है थोड़ी दूर पर, क्या जला होगा... कोई इंसान, कोई घर या फिर बचपन जला होगा... फटे आँचल को ठंडी राख का तोहफा मिला है आज... ज़मीं को गोद में इंसान रखना अब ख़ला होगा... अंधेरा आज फिर बुझते हुए चाँदों... क्योंकि मैं हूं सोनिया गांधी ... *मैं *चाहे ये करुं, मैं चाहे वो करुं मेरी मर्जी। अरे अरे आप सब तो गाना गुनगुनाने लगे। ऐसा मत कीजिए मै बहुत ही गंभीर मसले पर बात करने जा रहा हूं। मैं इस बात को मानने वाला हूं कि देश की कोई भी संवेधानिक संस...

मेरा पहाडू *न टपकौउ तौं आंसूं तै निर्भागी जुकड़ी मा चुभी जांदा घंतुलियों मा समाली खुद दुनिया कै क्यांकू दिखौन्दा लगली खुद तब ऊं तै जब ठोकर खौला कपाली खुज्लंदी तब तैमु ओला, समुण समाल्यी रखी गाड गदनियों तै सव्द्येउ ल्ग...यूँ ही...कुछ परिभाषाएँ ! - ** *1॰ पहला 'आल-इन' शाश्वत प्रेम*: *पार्वती -* जन्म कोटि लगि रगर हमारी। *बरउँ संभु न त रहउँ कुआरी*। तजउँ न नारद कर उपदेसू। आपु कहहिं सत बार महेसू। महा..( rashifal ) क्‍या करें क्‍या न करें 19 ] 20 और 21 जुलाई 2012 को ?? - मेष लग्नवालों के लिए 19 , 20 और 21 जुलाई 2012 को माता पक्ष के किसी कार्यक्रम में बाधा उपस्थित होगी , वाहन या किसी प्रकार की संपत्ति कष्‍ट का कारण बनेगी। ... 

मिलते हैं अगली वार्ता में तब तक के लिए नमस्कार ............

6 टिप्पणियाँ:

आज तो काफी-कुछ है पढने को। देखता हूँ, कितना पढ पाता हूँ। जब आपने इतना परिश्रम किया है तो कुछ परिश्रम हम पढनेवालों को भी करना ही चाहिए।
अच्‍छी प्रस्‍तुतति है।

वाह ... बहुत ही अच्‍छे‍ लिंक्‍स .. पढ़ते हैं इन्‍हें भी ..आभार

संध्या जी, काफ़ी सारे पठनीय लिंक लगाए आपने,
आज दिन भर की खुराक हो गयी यहीं से। आभार

आभार अच्छे लिंक्स के लिये

बेहतरीन लिंक्स है...
मुझे शामिल करने हेतु आभार संध्या दी :-)

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