मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

जगती आंखों का स्‍वप्‍न .. चिरनिद्रा .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी


2002 में एनडीए शासनकाल में नदियों को जोड़ने के प्रोजेक्ट का आइडिया आया था। उस साल भीषण सूखा पड़ने के बाद तत्कालीन पीएम अटल बिहारी बाजपेयी ने इस प्रोजेक्ट के लिए टास्क फोर्स बनाया था। हिस्सों में प्रोजेक्ट को बांटने का सुझाव दिया था टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट में। एक में दक्षिण भारत की नदियों का ग्रिड विकसित करने की योजना थी। दूसरे भाग में गंगा, ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों से जलाशय बनाने थे। इस योजना से 16 करोड़ हेक्टेयर पर हो सकती है सिंचाई से खेती , जबकि पुराने ढर्रे पर 14 करोड़ हेक्टेयर इलाका ही होगा सिंचित 2050 तक। 2016 तक देश की प्रमुख नदियों को आपस में जोड़ना था योजना के तहत। 5 लाख करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट की डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) फिलहाल ठंडे बस्ते में है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह नदियों को आपस में जोड़ने के प्रोजेक्ट को तयशुदा समय में लागू करे। कोर्ट का मानना था कि प्रोजेक्ट में देरी के कारण इसकी लागत में बढ़ोतरी हो गई।बेंच के जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने कहा कि परियोजना राष्ट्रीय हित में है और हमें इसका कोई कारण नजर नहीं आता कि कोई राज्य या केंद्र इसका विरोध करे।अब चलते हैं , आज की वार्ता पर .... 

पीड़ा में मन मोद मनाए! ये दुनिया ही ऐसी है संवेदनशील हों अगर आप तो कभी सुखी नहीं रह सकते... एक दर्द रिसता रहता है भीतर एक ज्वाला में जलता रहता है मन एक ऐसी पीर जो आप किसी से कह नहीं सकते! अगर प्रवृति जान ली अपनी तो इसी में चतुर्द...प्रयोजन पार करता हूँ लावा भरी नदी प्रतिदिन , देता हूँ अग्नि परीक्षा,विस्वास की निशिदिन , बनाता हूँ बांध रोकने को बाढ़, पीड़ा की , आत्मबल से , आँधियों से बचने का उपक्रम , बनाता हूँ पीठ की दीवार / बोता हूँ फसल...इसे क्या कहेंगे ठगी या व्यापारिक बुद्धि? *गाडी चली जा रही थी और लोग कभी हाथ में पकडे लिफाफ़े को देख रहे थे और कभी एक दूसरे का मुंह। * *बात वर्षों पुरानी है पर आज जब विभिन्न उत्पादों को बेचने के लिए आजमाई जा रही तिकडमों को देखता हूं तो यह घटना ब...साथ जो मिलता उन्हें चलते रहे बहुत मगर मंजिल का साथ ना मिला सुखनसाज़ बहुत बजते रहे पर करारे-सुकून ना मिला तख्तों ताज़ पर बैठे रहे वो पर वादों पर फूलों सा चमन ना मिला मिलती जो उन्हे इक खुशी चाँद सा चाँदनी जो छुपती,पर बादलो ...माफ़ नहीं करना मुझेआई थी तू मेरे आँचल मेंअभागिन मैंतुझे देख भी न सकीआज भी गूंजती हैतेरी मासूम सी आवाज़मेरे कानो मेंवह माँ- माँ की पुकारबस सुना है तुझे

अब flipkart से खरीदिये गाने भी ऑनलाइन पायरेसी से गाने डाउनलोड करना छोड़कर अगर आप वैधानिक रूप से गाने प्राप्त करना चाहते हैं तो ऑनलाइन मेगा स्टोर flipkart से अब आप गाने भी खरीद कर डाउनलोड कर सकते हैं। flipkart ने नयी सेवा online music...अनुशासित अनुपम उड़ान की, अनुभूती अंतर्मन कर ले फूल कर कुप्पा हुआ करती थीं जिस पर रोटियां नीरज गाँव-राँव की बात यह, आकर्षक दमदार । हावी कृत्रिमता हुई, लोग होंय अनुदार ।। लोग होंय अनुदार, गाँव की बात निराली । भागदौड़ के शहर, अजूबे खाली-खाली ।। मधुशाला की राह नौकरी में रमे हुए राकेश को १ ही साल हुआ था.. अपने कॉलेज में सबसे अच्छे छात्रों में शुमार था और नौकरी में भी अव्वल.. *जब अंटे में दो पैसे आने लगे तो मनोरंजन के **साधन बदलने लगे*.. जहाँ एक ढाबा ही काफी हुआ ...उंगलबाज का पहला प्रकाशीत लेख, स्वागत करें उंगलबाज.कॉम मुझे नहीं पता, आपने उंगलबाज का नाम पहले कभी सुना है या नहीं सुना। यह भारतीय मीडिया उद्योग का सबसे अविश्वनीय नाम है। इंडिया टीवी से भी अधिक अविश्वनीय। पंजाब केसरी से भी अधिक अविश्वनीय। 

याद के पल जीवन की रेल पेल में हर संघर्ष को झेलते हर सुख दुःख को सहते कभी मैंने चाही नही इनसे मुक्ति पर कभी बैठे बैठे यूं ही अचानक जब भी याद आई तुम्हारी तब यह मन आज भी भीगने सा लगता है चटकने लगते हैं तन मन में...देखे विहग व्योम में देखे विहग व्योम में उड़ते लहराती रेखा से थे अनुशासित इतने ज़रा न इधर उधर होते प्रथम दिवस का दृश्य हुआसाकार फिर से यह क्रम रोज सुबह रहता होते ही प्रातः बढ़तेकदम खुले आकाश के नीचे यही मंजर देखने के ...जगती आँखों का स्वप् * *संत* कहते हैं यह जगत रात के स्वप्न की तरह है. मनोराज्य भी एक स्वप्न ही है, सत्य नहीं है. हमें यह जगत उसी दिन असत्य प्रतीत होगा जिस दिन हम अज्ञान के अंधकार से जाग जायेंगे. रात का स्वप्न तो स...चिरनिद्रा -- ललित शर्मा निद्रा का सताया हुआ थका तन-बदन महसूस नहीं कर पाया रात रानी की महक मेंहदी की खुश्बू बौराई हवा की गंध महुए के फ़ूलों की मदमाती गमक दुर भगाती नींद को उनकी आँखों में तैरते हजारों प्रश्नामंत्रण लाजवाब थे लुढक गय...

वक़्त की लहरें लिखा तो था हम दोनों ने अपना नाम साहिल की रेत पर, बहा कर ले गयी वक़्त की लहरें. काश, लिखा होता पत्थर पर कर देता स्थापित घर के एक कोने में और होता नहीं अकेला कम से कम मेरा नाम तुम्हारे जाने पर. कैलाश शर...क्या आपने देखा है कभी रूदालियों को गोधरा-गुजरात के अलावा देश के किसी और हिस्से मे होने वाले अन्याय पर? गोधरा-गोधरा-गोधरा.गुजरात-मोदी-दंगे-अल्पसंख्यक,अन्याय-न्याय.सुनसुन कर कान पक गये.एक ही गोधरा-गुजरात राग आलापता कथित धर्मनिरपेक्ष मीडिया किसी न किसी बहाने गोधरा रेल काण्ड के बाद फैले दंगो के ज़ख्मों पर मरहम नयन हमारे बरसाती हैं! धड़कनों का संगीत सुनाई दे जाए ऐसी नीरव शांति है यहाँ कुछ शब्द हैं, हैं कुछ विचार जन्म ले रही हर पल मन में क्रांति है यहाँ मेरा मन युद्धक्षेत्र बना हुआ है लड़ रही हैं दो परस्पर विरोधी शक्तियां भरने में लगे ह...... नहीं तो गुलामी क़ुबूल हो ! होगा वही, जो वो चाहेंगे स्वयंभू हैं, किसी की न कभी वो बात मानेंगे ! ... चलो, कोई तो है जिसे, तुमने सरताज माना भले चाहे वो छूकर पांव तेरे, सिर तक आया ! ... सुना है ! उसकी नजरें ढूँढती हैं राह चलते ही मुझे देख...


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नमस्‍कार .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ....

सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

महफ़िल में जब, हम न होंगे.... ब्लॉग4वार्ता, संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... कहते हैं यदि आपके पास अपार संपत्ति और वैभव न हो, आपका लौकिक वैभव छूटा हुआ पर आत्मिक सम्पदा बढ़ी है, तो आपका ठाटबाट सम्राट  से कम नहीं है. अच्छी आत्मा वही है जो सिर्फ अपने लिए न सोचे, अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखे,  उसके हर कार्य से भावी पीढ़ी का कल्याण हो. क्यों न हम भी जीकर देखें अपने जीवन को एक सम्राट की तरह... आज मन में आया आप सब से साझा करूँ कुछ विचार... आइये अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर...
लीजिये प्रस्तुत है मेरी पसंद के कुछ लिंक्स....     

बस एक स्मरण!
शायद भूल गयी है बात वो सारी... जो चलना सीखते वक़्त हम सबने सीखा था, गिरते थे फिर उठ कर चलने का हम सबमें सलीका था! उस भोले-भाले उम्र में न समझ थी, न फ़लसफ़ों का ज्ञान था... बस भोलापन था, और शायद वही सभी रटंत...
कुछ बेतुकी बातें ......................
वाक्यों से मिलकर अहसास पुरे होते हैं और अहसासों से मिलकर जज्बात। जज्बातों से मिलकर ख़्याल बनता है और ख़्यालों से मिलकर बनती है रचना।...
बौखलाहट या दंभ?
उत्तरप्रदेश की जनता का अपमान राष्ट्रपति शासन की धमकी उ त्तरप्रदेश में पांच चरणों के मतदान के बाद आ रहे रुझान देखकर कांग्रेस की सिट्टी-पिट्टी गुम है। कांग्रेस की यथा स्थिति यानी चौथे पायदान पर बने रहने की...
चोंच में अटका अंत...
*- प्रतिभा कटियार* 'फिर क्या हुआ?' चिडिय़ा ने पूछा... 'फिर...?' चिड़ा खामोशी के सिरहाने पर सर टिकाते हुआ बोला...'फिर क्या होना था.' 'अच्छा तुम्हारे हिसाब से क्या होना चाहिए फिर...?' चिड़े ने करवट बदली औ...
तिनके का दर्द
एक तिनका न जाने क्यूँ बाकी रह गया घोंसले में सजने से जी रहा है.. आजकल डर–डर के गिन रहा है सांसे.. इस चिंता में हवा उड़ा न ले जाए पानी बहा न दे धुप जला न दे मिट्टी दफ़न न कर दे उसके अस्तित्व को.. सोंचता ...
देने वाला देता हर पल
देने वाला देता हर पल मौन में ही संवाद घट रहा दोनों ओर से प्रेम बंट रहा, एक नशीली भाव दशा है ज्यों चन्द्र से मेघ छंट रहा ! एक अचलता पर्वत जैसी एक धवलता बादल जैसी, कोई मद्धिम राग गूंजता एक सरलता गाँव जैसी ! ...
माँ मुस्कुराती है
*आज भी याद आती हैं वो हंसती हुई आँखों के छलकते हुए आंसू ,* *वो पुरनम हवाएं,गुनगुनाते नगमें,फूलों से महकता हुआ मौसम , * *आज भी याद आतें हैं बहुत सब ,जब भी सपनों में माँ मुस्कुराती है.............* *उससे बि...
अनुष्टुप छंद (प्रायोगिक प्रविष्टियाँ)
सभी सम्माननीय सुधि मित्रों को सादर नमस्कार. मित्रों, भारतीय छंद शास्त्र सचमुच महासागर की तरह है. इसमें ऐसे ऐसे मोती हैं जिसकी चमक से विश्व साहित्य हमेशा जगमगाता रहा है. ओपन बुक्स आनलाइन से जुड़ने के पश्चात
गीतिका
*यादों को विस्मृत कर देना बहुत कठिन है, ख़ुद को ही धोखा दे पाना बहुत कठिन है। जाने कैसी चोट लगी है अंतःतल में, टूटे दिल को आस बंधाना बहुत कठिन है। तैर रही हो विकट वेदना जिनमें छल-छल, उन आंखों की थाह जानन...
आयो रे बसंत चहुँ ओर
*धरती में पात झरे* *अम्बर में धूल उड़े* * * *अमवां में झूले लगल बौर* *आयो रे बसंत चहुँ ओर.* * * *कोयलिया 'कुहक' करे* *मनवां का धीर धरे* * * *चनवां के ताकेला चकोर* *आयो रे बसंत चहुँ ओर.* * * *कलियन में मधुप...
चिंगारी...
चिंगारी अपने घर में अपने हाथों आग लगाते देखे लोग आग लगाकर खुदही उसमे जलभून जाते देखे लोग जो भी करेगा बच पायेगा इसकी क्या गारंटी है, फिर भी घात लगाकर हमने बम बरसाते देखे लोग सफेद लबादा पहनके तनमें दलाली क...
जो गीत तुम खुद का कह रहे हो मुकुल ने उसको जिया है पगले
(गिरीश"मुकुल") at मिसफिट Misfit
लाल क्रांति के लिए दो अपने लाल!
‘’हर घर से एक युवक दो या फिर मौत के लिए तैयार हो जाओ......’’ ये फरमान जारी किया है नक्‍सलियों ने और इस फरमान का असर है कि लोग अपनी धरती, अपना जन्‍मस्‍थान और अपनी कर्मस्‍थली को छोडकर शरणार्थी बन गए हैं।...
चलो चलें माँ .... ( एक लघु कथा )
नन्हा लंगूर डिम्पी अपने कान में उंगली डाले ज़ोर ज़ोर से चीख रहा था ! जिस पेड़ पर उसका घर था उसके नीचे बहुत सारे बच्चे होली के रंगों से रंगे पुते ढोल बजा बजा कर हुड़दंग मचा रहे थे ! कुछ बच्चों के हाथ में कुल्...
जिंदगी एक सुहाना सफ़र --  
सफ़र करना हमेशा अच्छा लगता है । लेकिन जब राहें इतनी सुन्दर हों तो मन बाग़ बाग़ हो जाता है । वास्तव में पृथ्वी पर खूबसूरती की कमी नहीं है । पहाड़ी सड़कें...
चाहतें तो तुम्हारे मन में भी भांवरे डालती हैं .......
कान्हा चलो आज तुमसे कुछ बतिया लूं कुछ तुम्हारा हाल जान लूं सुना है तुम निर्लेप रहते हो कुछ नहीं करते सुना है जब महाप्रलय होती है तुम गहरी नींद में सो ...
वक्त आयेगा एक दिन ! -
* * * * * * * * * * * * * * * * *दिन आयेगा महफ़िल में जब, होंगे न हम एक दिन,* *ख़त्म होकर रह जायेंगे सब रंज-ओ-गम एक दिन।* * * *नाम मेरा जुबाँ पे लाना, नागव...
तालमेल के अभाव में अव्यवस्था व लापरवाही की भेंट चढ़ गई बच्चों के नेत्र परीक्षण की योजना
कांकेर :- राजीव गांधी शिक्षा मिशन द्वारा स्कूली बच्चों के नेत्र परीक्षण, चिकित्सा व चश्मा वितरण की योजना स्वास्थ्य विभाग के साथ तालमेल के अभाव में अव्य...

 अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार.....

रविवार, 26 फ़रवरी 2012

आमचो बस्तर कितरो सुंदर....ब्लॉग4वार्ता...ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार,  संध्या शर्मा  जी ने कल की वार्ता में ब्लॉग लेखकों की पोस्ट कम आने की वजह के विषय में लिखा था। यह सत्य है कि वर्तमान में ब्लॉग के प्रति लेखकों का रुझान कम हो रहा  है। 2009 में मैने लगभग 3500 ब्लॉगों पर लिंक समेत स्वागत कमेंट किया था। गुगल ने सर्च करने पर यही संख्या बताई। उन 3500 ब्लॉग में लगभग 100 ब्लॉग भी सक्रीय नहीं है। इससे लगता है कि लोग ब्लॉग तो बना लेते हैं पर लिखना नहीं चाहते या लिखने का समय नहीं मिलता। लगभग ब्लॉगर फ़ेसबुक पर सक्रीय हैं अब। इससे ब्लॉगिंग में शिथिलता आनी स्वाभाविक है। एक दिन सतीश पंचम जी ने बहुत सही लिखा था फ़ेसबुक पर "एक पाव फ़ेसबुक 10 किलो ब्लॉगिंग को खा जाती है।" स्थायी तो ब्लॉग ही  है, फ़ेसबुक की चार दिन की चाँदनी आर्कुट जैसे ही मानी जा सकती है। अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर…………ये भी सुन लीजियेइन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान.

ओह...
*अजीब खरी- खरी * *पथरीली सी जिन्दगी* *हम अपना काव्यांश* *ढूँढते रह गए..* *जाने कब शुरू कब * *ख़त्म हुई कहानी* *हम मध्यांश* *ढूँढते रह गए..* *ओह...* *कितने सलीके से पूछ गए* *कैसा रहा सफ़र* *और हम अपना सारांश...
दूजे की आसान, हंसी उड़ाना है सखे --
हिन्दुत्व की आलोचना सुनने वाले और करने वाले दोनों यहाँ पढे !! एक हि धुन जय जय भारत! मेरी शर्ट सफ़ेद, दूजे की गन्दी दिखे । दुनिया भर के भेद, फिर भी हम सब एक हैं । दूजे की आसान, हंसी उड़ाना है सखे । गिरेबान ...
कशिश
*बदलते * *रि**श्ते* *...* किसे सुनाये दास्ताँ अपनी कौन यहा, अपना है .. अधूरे अरमान , ख्वाब अधूरे .. अधुरा हर सपना है ... एक दोस्त मिला आज ऐसा , जो पीड़ा को peda बना देता है ... दर्द ...
प्रेम सरोवर
*तुम्हे प्यार करते-करते कहीं मेरी उम्र न बीत जाए*
अवसर
अवसर कहाँ किस रूप मे हमारे सामने हों कहा नहीं जा सकता। बहुत सी बातें हम अक्सर सोचते हैं,बहुत से सपने हम अक्सर देखते हैं और उनके सच होने की आशा भी हम रखते हैं। इसे मैं अपना सौभाग्य ही कहूँगा कि एक दिन रश्म...
राजीव रंजन प्रसाद के उपन्यास "आमचो बस्तर" की विवेचना – डॉ.वेद व्यथित
लेखक – राजीव रंजन प्रसाद प्रकाशक - यश प्रकाशन, नवीन शहादरा, नई दिल्ली आमचो बस्तर लोक जीवन के विविध भावों, नेह, छोह, प्यार मनुहा और विशेष तौर से अपने भोले जीवन के प्रति रूप अत्याचारों को सहता और सुलगता ...
वक्त आयेगा एक दिन !
* * * * * * * * * * * * * * * * *दिन आयेगा महफ़िल में जब, होंगे न हम एक दिन,* *ख़त्म होकर रह जायेंगे सब रंज-ओ-गम एक दिन।* * * *नाम मेरा जुबाँ पे लाना, जिन्हें वाजिब नहीं लगता, * *जिक्र आयेगा तो नयन उनके भी...
आ वसन्त ! खेलो होली !
मंथर गति से मलय पवन आ सौरभ से नहला जाता , कुहू-कुहू करके कोकिल जब मंगल गान सुना जाता ! हरित स्वर्ण श्रृंगार साज जब अवनि उमंगित होती थी , स्वागत को ऋतुराज तुम्हारे सुख स्वप्नों में खोती थी ! भर फूलों में र...
देर तक देखती रही...दूर तक देखती रही.....!!!
*यूँ ही इक दिन खिड़की से जाने किसे जाते,* *देर तक देखती रही....दूर तक देखती रही......* * * *ख्यालो में खोई थी या,* *खुद के अन्दर उठे सवालों में उलझी थी* *मन आवाज़ दे रहा था,* *पर मौन **खड़ी **अपलक खिड़की से...
इतना तो ज़रूर ही हुआ कि मैं अपनी गलतियों से भी पहचान में आया
कुमार अम्बुज हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण और ज़रूरी कवियों में से हैं. उन के नवीनतम कविता-संग्रह ‘अमीरी रेखा’ से आपको कुछेक पसंदीदा कवितायेँ पढ़वाता हूँ सिलस... 
बिहिनिया - संझा १ मार्च से
बिहिनिया - संझा नामक दैनिक अख़बार १ मार्च से शुरू होगा . पत्रकारिता कैसे होती है यह भी बताने की कोशिश होगी ,   
यशवन्‍त कोठारी का व्यंग्य : कागज फाड़ कला 
इधर देश में कागज फाड़ विकास का दौर चल रहा है। लोग-बाग मंच से कागज फाड़कर उसकी चिन्‍दियां बना बना कर हवा में उछाल रहे हैं और विकास की गति हवा से बात कर रही
ज्‍योतिष के विकास के लिए इसका विकसित विज्ञान के साथ सहसंबंध बनाना आवश्‍यक ... 
पृथ्‍वी की निरंतर गतिशीलता के कारण प्रत्‍येक दो घंअे में विभिन्‍न लग्‍नों का उदय है। इसकी दैनिक गति के कारण दिन और रात का अस्तित्‍व है, वार्षिक गति के कारण... 
भूली सारे राग रंग 
भूली सारे राग रंग पड़ते ही धरा पर कदम स्वप्न सुनहराध्वस्त हो गया सच्चाई से होते हीवास्ता दिन पहले रंगीन हुआ करतेथे भरते विविध रंग जीवन में थी राजकुम...
मोहब्बत तब भी थी मोहब्बत अब भी है 
जब तक बात की मैंने महफ़िलो और जाम की लोग मेरे साथ दौलते अपनी खूब लुटाते रहे जिक्र छेड़ दिया जिस दिन एक बच्चे की भूख का कतराते है जाने क्यों लोग, उस बच्चे...
कैक्‍टस के मोह में बिंधा एक मन-6: महेंद्र मोदी के संस्‍मरणों की श्रृंखला
रेडियोनामा पर जानी-मानी रेडियो-शख्सियत महेंद्र मोदी रेडियोनामा पर अपनी जीवन-यात्रा के बारे में बता रहे हैं। अनेक कारणों से पिछली और इस कड़ी के बीच का वक...
बेटियों को पहला वारिस क्यों नहीं माना जाता...खुशदीप
पिछले साल उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमाअंसारी के एक बयान को लेकर खूब हो हल्ला हुआ था।सलमा अंसारी ने कहा था कि हमारे देश में मां - बाप कोअपने ...
तीस करोड़ साल पुरानी राख के नीचे मिला सुरक्षित जंगल
खबरों में इतिहास अक्सर इतिहास से संबंधित छोटी-मोटी खबरें आप तक पहुंच नहीं पाती हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए यह ब्लाग इतिहास की नई खोजों व पुरातत्व, मिथक... 

वार्ता को देते हैं विराम, सबको राम राम.

शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

चांदनी चंचल चंचल..... ब्लाग 4 वार्ता.......संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... आज कल ब्लॉग पोस्ट कम ही लिखी जा रही है इसलिए फ़ीड भी कम आ रही है। जिस एग्रीग्रेटर पर 600 ब्लॉग लिंक है वहाँ 25-30 पोस्ट फ़ीड आ गयी तो बहुत है। कहने को तो 50000 ब्लॉग हैं। फ़ेसबुक का असर ब्लॉगिंग पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। ब्लॉग पर पाठकों की संख्या भी कम होते जा रही है। अलेक्सा रैंकिग में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। ऐसी ही स्थिति रही तो गुगल भी अपनी मुफ़्त की इस सेवा को बंद कर सकता है। जैसे उसने पहले ही अपनी कई सेवाएं बंद कर ली। ब्लॉग जगत के लिए यह कठिन समय है अपने अस्तित्व को बचाने के  लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। क्या ब्लॉगिंग के अवसान का समय आ गया है?…………अब चलते हैं वार्ता पर………प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ लिंक………
 
निराले रिश्ते ...
भंवरे जैसा मन है उसका डोलता है वह गली-गली हर पुष्प से प्यार उसको पर समझी नहीं उसे पगली फ़ितरत उसकी बेवफ़ाई थी वो क्या किसी से वफ़ा करे दोस्त बनकर आया है तो दोस्ती का हक भी अदा करे आँसुओं का दर्द नही समझा ...
देर तक देखती रही...दूर तक देखती रही.....!!!
*यूँ ही इक दिन खिड़की से जाने किसे जाते,* *देर तक देखती रही....दूर तक देखती रही......* * * *ख्यालो में खोई थी या,* *खुद के अन्दर उठे सवालों में उलझी थी* *मन आवाज़ दे रहा था,* *पर मौन **खड़ी **अपलक खिड़की से...
लोग समय के साथ बदल जाते हैं...!
.कुछ एक ऐसे विम्बों को याद करते हुए जो वक़्त के साथ बदल गए कुछ इस तरह कि विश्वास की जड़ें हिल गयी... आहत मन से लिखी एक पुरानी कविता स्वयं को ही सांत्वना देने के लिए सहेज लेते हैं यहाँ...! लोग समय के साथ बदल...
.......कि बगल की कुर्सी पर
कैसी है ये यात्रा, कैसा है ये सफ़र, इधर और उधर, सिर्फ़ नए,अपरिचित चेहरे. कहीं बच्चों की कतार, कहीं सरदारजी सपरिवार, कोई खा रहा 'चौकलेट' कोई पी रहा सिगार, किसे दिखाऊँ उस औरत का जूड़ा, किसे दिखाऊँ उन महाशय की...
बादशाह मछेरा !
*मछेरे, तुमने * *अपना मत्स्य जाल,* *गुरुकाय व्हेल के ऊपर* *डाला क्यों था? * * * *जिन्न की रिहायश* *बोतल में होती है,* *यवसुरा* की शीशी से (*बीयर) * *निकाला क्यों था? * *बुजुर्ग फरमा गए * *कर्म के...
क्या कहूँ ......
स्नेह प्यार या कहूँ छलकता बरसता दुलार नदिया की लहरों सी मन बहकाती उमंगें हैं लाल हो या गुलाबी बड़ी हो या फिर छोटी ये बिंदिया तो बस तुम्हारी साँसों को ही निरख-निरख कर बस यूँ ही निखरती हैं सम्मोहक बि...
चंदन की चांदनी ...
*चंदन की चांदनी चंचल चंचल चमकीली ,चहूँ दिशायें नखरीली चौकाएं चरू लताएं चाहें चन्दन संग चिन्मय हो जाएँ चेह्चहाएं चुनिंदा चातक जब चकोर संग मिल जाएँ चुस्की लेती रात चाँद चाशनी उसकी ल...
मृत्यु के पहले अवश्य जी ले.....!!
** * * *मेरे प्रिय मित्रों ;* *नमस्कार !* *जब हम मृत्यु को प्राप्त होंगे , तब सिर्फ तीन ही प्रश्न विचारणीय होंगे :* * * *१. क्या हमने जीवन जिया * *२. क्या हमने प्रेम किया * *३. क्या हमने इस संसार कोकुछ वापस ...
मैं तेरे शह्र में बिलकुल नया नया हूं अभी, तेरे वादों के हवालात में बंधा हूं अभी। चराग़ों के लिये मंज़ूर है मुझे मरना, मुकद्दर आंधियों के तेग पर रखा हूं अभी। घिरी है बदज़नी से , हुस्न की गली गोया, लुटाने इश्क़ ...
विश्‍व पुस्‍तक मेले में ज्‍योतिपर्व प्रकाशन का हंगामा : प्रगति मैदान, नई दिल्‍ली में 27 फरवरी 2012 को 
आप आएंगे तो होगा नहीं आएंगे तो कैसे होगा कौन करेगा हंगामा करते हैं या तो पाठक या दर्शक लेखकों को करते हंगामा न देखा, न सुना हां, चाहेंगे जरूर और आएंगे जरूर सोमवार 27 फरवरी 2012 को सांय 3.00 बजे हॉल नंबर 6 ...
जीवन के इक मोड पर अच्छा हुआ तुम मिल गये कुछ कह लिया कुछ सुन लिया बोझ हल्का कर लिया यूँ ही साथ चलते चलते कुछ रास्ता भी कट गया पहचान क्या है मेरी पहचान क्या है तेरी तुम खुद ही गढो जानना ही चाहते हो तो मेरी आ...
कैसा रहेगा आपके लिए 24 , 25 और 26 फरवरी 2012 ?? 
मेष लग्नवालों के लिए 24 , 25 और 26 फरवरी 2012 को धन की स्थिति मजबूत होगी , इसे मजबूत बनाने के कार्यक्रम भी बनेंगे। संपन्न लोगों से विचार विमर्श होगा। ससुराल पक्ष का महत्व बढेगा , ससुराल पक्ष के किसी कार्...
उन दिनों तुम 
बहुत पहले इसी शीर्षक से एक कविता लिखी थी आज उसी कविता का दूसरा रूप प्रस्तुत कर रही हूँ http://kavita-verma.blogspot.in/2011/07/blog-post.html * * लौटते ही घर झांक आते थे हर कमरे , आँगन रसोई और छत पर मेरी...
अहसास, कि तुम मिलोगी, ये आभास, कि तुम मिलोगी, ये ख़याल, कि तुम होगी, और रोज़ की तरह, खिलखिलाती, मींच आँखे, सकुचाते, लजाते, यह कहोगी, नहीं थे आप, सूना था सब, फिर मन ही मन, खुश होना तुम्हारा , निहारना, और बिख...
* लंच की घंटी बजी, ** रमा ने सुरभि से पूछा आज टिफिन में क्या लाई है? * *सुरभि ने मुँह बनाकर कहा,"क्या होगा टिफिन में,वही रोज की तरह मम्मी ने घास-फूस रखा होगा. यार ऐसा खाना खाते-खाते मेरी तो भूख ही म...
चालाक कौन ?...
आज मैं बचपन में पढ़ी हुई एक बाल कथा प्रस्तुत कर रहा हूँ ।अक्सर हम यह सुनते हैं की लोमड़ी चालाक होती है मगर यह कहानी कुछ और ही कहती हैं । किसी जंगल में एक शेर और बहुत से जानवर रहते थे । एक दिन शेर ने बो.

अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार.....

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

द हिंदु के संपादक जी आप मज़बूर है क्या ? हारम एक बेहतरीन एग्रीगेटर : आप भी जुडिये

एम पी राग पर अंधा है प्रेम 75 का दूल्‍ला और 67 की दुल्‍हन पढ़कर अच्छा लगा. इस समाचार में प्रेम की सकारात्मक्ता का संदेश छुपा है वहीं एक दुख:द स्थिति की चर्चा भी बेहद ज़रूरी है ......... "द हिन्दू" अखबार में प्रकाशित महिला लेखिका के लेख में छत्तीसगढ की महिलाओं पर की गयी टिप्पणी से छत्तीसगढिया आहत हुए हैं। राहुल सिंह के ब्लॉग सिंहावलोकन पर इसके विषय में लेख प्रकाशित होने पर सामाजिक संगठनों ने इस कृत्य की घोर भर्त्सना की। राज्य महिला आयोग ने संज्ञान लेते हुए एक प्रेस कांफ़्रेस लेकर लेखिका को नोटिस जारी करने की बात कही है। फ़ेसबुक पर भी लेखिका के इस कृत्य की घोर भर्तसना की गयी है। महिला लेखिका होते हुए इन्होने छत्तीसगढ की महिलाओं के विषय में बहुत ही ओछी बात कही  है। हम भी इनके कृत्य की घोर मजम्मत करते हैं। एक ब्लॉग पर लिखी पोस्ट के समर्थन में राज्य महिला आयोग को संज्ञान लेना पड़ा, यह ब्लागिंग के महत्व को दर्शाता है…….…
     साथ ही द हिन्दु पर सवाल उठाने को मज़बूर करता है एक विचारों की सड़ांध वाली लेखिका का आलेख  आलेख जिस की ओर ध्यान आकृष्ट कराया  वरिष्ठ ब्लागर राहुल सिंह जी ने अपने ब्लाग सिंहावलोकन पर आलेख 36 खसम प्रकाशित कर .. आईये उनके सिंहावलोकन को सराहें और ऐसे आलेखों की पुनरावृत्ति  को रोकने के खिलाफ़ एक जुट हो जाएं.
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                 हारम एक बेहतरीन एग्रीगेटर है आप भी जुड़िये 
   
  अंग्रेजी,  हिंदी मराठी गुजराती एवम अन्य भारतीय भाषाओं के ब्लाग्स के लिये हारम  ब्लाग एग्रीगेटर पर आपको बड़ी सहजता से ब्लाग एवम ताज़ा पोस्ट मिलेंगी.  आज की वार्ता एग्रीगेटर हारम को समर्पित देखिये ब्लाग पोस्ट किस प्रकार नज़र आतीं हारम पर

 और कुछ यूं भी

Author:Shweta      Blog :मन माझे      Date: 23-02-2012 19:28:00
"जहाँ डाल डाल परसोने की चिडियाँकरती है बसेरावो भारत देश है मेरा।"अशा ओळी कधी काळी भारतात गुणगुणल्या जात होत्या.भारतातून सोन्याचा धूर वाहतो अशी या देशाची महती गायली जात होती.आसेतुहिमाचल भारताचे’ वर्णन निरनिराळ्या देशातील कवींनी केले. वाल्मिकिंनी रामराज्याचे,रविंद्रनाथांनी ’Heaven of freedom'चे तर रामदासांनी आनंदवनभूवनचे स्वप्न फार पूर्वीच पाहिले होते;पण प्रत्यक्षात मात्र ते उतरले नाही आणि उतरले असले तरी काळाच्या ओघात वाहून गेले.प्राचीन काळापासून माझा देश सर्वच बाबतीत समॄद्ध होता,त(...)


हरियाणा: आज एक बार फिर हरियाणा आरक्षण की आग में जलने को तैयार है. जाट समुदाय के लोग पिछले आन्दोलन के दौरान बनाये गए मुक़दमे वापिस लेने के साथ-साथ आरक्षण की मांग को लेकर धरने पर है. ऐसे में जहाँ उन्होंने कई जगह रेलवे ट्रैक व् सड़क मार्ग जाम कर दिए है वहीँ प्रशासन भी किसी अनहोनी के अंदेशे के मद्देनजर मुस्तैद नजर आ रहा है. इसलिए जहाँ अब हिसार से दिल्ली दूर नजर आने लगा है वहीँ कई ऐसे सड़क मार्ग है जो अब दोगुनी समय सीमा में तय हो रहे है. बावजूद इसके जाट समुदाय का कहना है की एक ओर जब तक उनके(...)
यानी कुल मिला कर हारम एक उम्दा संकलक है
हारम की टीम को बधाईयां 

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