मंगलवार, 26 जुलाई 2011

जिन्हे नाज था हिंद पर वो कहां है? -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

नमस्कार, जब बैर प्रतिशोध की ओर कदम बढा लेता है तो भयावह हो जाता है। सत्ता प्रतिशोध पर उतर आए तो वह किसी भी स्तर तक जा सकती है। देश में पहली बार किसी की डिग्री की जाँच सीबीआई कर रही है। गाँव-गाँव में चौक चौराहे पर धड़ल्ले से बोर्ड लगे दिखाई देते हैं डॉ. फ़लाँ - फ़लाँ। लाखों रुपए एवं बरसों के अध्यन श्रम के पश्चात कहीं जाकर यह डिग्री मिलती है, बिना पात्रता के डॉक्टर उपाधिधारियों की जांच कौन करेगा? भैषेजिक कार्य करने वाले वैद्यों को  डॉ. उपाधि का प्रयोग करने की पात्रता किस नियम कानून के तरह दी गयी। अगर पात्रता नहीं है तो इन पर भी कार्यवाही होनी चाहिए। आयुर्वैदिक पद्धति से चिकित्सा करने वालों को वैद्य लिखने में क्यों शर्म आती है जबकि आयुर्वेद हमारी प्राचीन परम्परा है। इधर बाबा रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण की डिग्रियों की पड़ताल जारी है। इस मुद्दे पर सरकार की सोच क्या है वही जाने। अब चलते हैं आज की वार्ता पर.........।

कल दिन भर बीएसएनएल का सर्वर डाऊन होने से नेट की समस्या बनी रही। अभी भी सामान्य गति तक नहीं पहुंचा है।मिल गए डीके बोस गाना उनका **आफत ** इनकी. शीला...शीला की जवानी...सही कहा जवानी को ठीक से हैंडल ना किया जाए तो आफत हो जाती है. शीला क्या जवान हुई उन सब शीलाओं पर आफत आ गई जो जवानी की उम्र पा**र ** कर चुकी थी. एक्सपायर इश्क कि दास्ताँ है प्यारे पिछले दिनों सरकार ने चवन्नी बंद कर दी.जब ये खबर मैंने अखबार में पढ़ी तो मुझे दुःख हुआ ,,,,,चवन्नी के लिए नहीं ...कलकत्त्ते वालों के लिए ....अरे नामुरादों ये सब करने से पहले कम से कम कलकत्ते वालों से तो पूछ ...

दो मिनट शहर के - पर किसके लिये? तेज आंधी थी। कोई भी चीज़ जमीन पर नहीं थी। दीवारों पर चिपके पोस्टर फड़फड़ा रहे थे। कोई उन्हे फिर से चिपकाने वाला नहीं था। लुढ़कती चीजें अपने से भारी सहारे से टकराकर वहीं पर जम जाती। कोई गा रहा है। उसकी तेज ...गर्व ,शक्ति शाली होने का - सतीश सक्सेनाहमारा मीडिया ऐसा कुछ क्यूं नही दिखाता कि देश के लोगों का मनोबल बढे । " पिछली पोस्ट पर आशा जोगलेकर के यह कमेन्ट पढ़कर मन में आया कि क्यों न अपने देश के बारे में कुछ लिखा जाए जिसे मीडिया ने नज़रन्दाज़ किय...

सूजन रात के सन्नाटे उकेर देते हैं, उसकी छवि परिवार के झगड़ों से सहमी किवाड़ की ओट से निहारती दो प्यारी सी आँखें   उन झगड़ों के साथ उसके आँसू भी रूकते हैं और तब तक वे आँखें सूज चुकी होती हैं -जिन्हे नाज था हिंद पर वो कहां है आसिफ़ भाई नुक्कड़ के एक कोने मे गुमसुम उदास से बैठे थे सामने से एक के बाद एक सुंदरियां गुजरती जा रही थी पर नजरें जमीन की जमीन पर । * कारण पूछा तो डबडबाई आंखो से देख पूछने लगे जिन्हे नाज है हिंद पर वो कहां है...

भगवान के लिए सेना को बख्श दो... भगवान के लिए सेना को बख्श दो...: "काफी दिनों से देख रहा हूं कि देश में कुछ ऐसे मुद्दों पर बहस छिड़ि हुई है, जिसके चलते अहम मुद्दे पर लोग की नजर नहीं जा रही है। मित्रों जिस तर..."धरती से दूर मिला पानी का अथाह भंडारअगर आपको लगता है कि पृथ्वी के विशाल महासागर इस ब्रह्मांड के विशालतम 'जल भंडार' हैं तो आप गलत हैं। खगोल विज्ञानियों ने ब्रह्मांड के सबसे विशाल जल भंडार का पता लगाया है, जो भाप के बादलों के रूप में है और इन...

चौपदेभूलो राम राज की बातें ये ही अपना नारा है घपलिस्तान बनायेंगे हम यही हमारा नारा है अन्ना ,बाबा तो बेचारे यूँ ही खुद मर जायेंगे बेवकूफ ये जनता है हम इस को नाच नचाएंगे || अन्ना जी क्या याद नही है पांच जून की...बोले मियां लाल बुझक्कड़बोले मियां लाल बुझक्कड़ अपना हाल बुरा है यारों अपना हाल बुरा लूट लिया है जग वालों ने दिल का हाल बुरा ! छोटे थे तो घरवालों की खूब धुनाई खाई विद्यालय में मास्टर जी ने लम्बी छड़ी दिखाई ! इश्क ने मारा भरी जवा...

मेरी नेपाल यात्रा ( पांचवी किस्त ) स्वयंभूनाथ हिमालय पर्वतमाला की वादियों में बसे प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पावन धरा नेपाल में 9 जुलाई से 12 जुलाई 2011 को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सहकारी सेमीनार में भाग लेने का अवसर मिला.इस सेमीनार क...गज़ल कुछ पा लिया कुछ खो लिया फिर बेतहाशा रो लिया आंखों से जब आंसू गिरे तो ज़ख्म दिल का धो लिया फिर भी हुयी मुश्किल अगर आँचल मे माँ की सो लिया दुश्वारियों का बोझ भी जैसे हुया बस ढो लिया जिसने बुलाया..

दस वर्ष ...दस वर्षों का एक लंबा अंतराल उसके बाद तुमसे यूँ मिल पाना . आज लगा कि .... वो दस साल जो बीत गए...वो गुज़रे नहीं वह ठहर गए थे हमारे बीच . बह गए.... तुम्हारी एक छुअन से. ढह गयी... अहं की सारी दीवारें . पिघ...बातें हैं बातों का क्या घटना, खबर अउर अफवाह में कोनों समानता हो, चाहे न हो, बाकी सम्बन्ध जरूर है. कानों कान खबर होना, दीवारों के भी कान होना (“सुना है लिफ्ट की दीवारों के कान नहीं होते” वाला अपवाद को छोडकर) आदि मोहावरा सब एही सम...

उफ्!एक ओर जयचन्दी इरादे हैं, तो दूसरी ओर दिलोदिमाग में ढेर सारी चिन्ताएं और गुस्सा लिए एक आम इन्सान की आम जिन्दगी. इस समय जो कुछ हो रहा है, वही एकमात्र सच है और जिस ढंग से हो रहा है, शायद वही आज की नैतिकता भी ...तालाब का सरप्राईजहमारी रायपुर नगर निगम की संवेदनशीलता का मैं कायल हूं। जिस चीज के बारे में सोचता हूं उसे ये बना देती है। मेरी पुरानी रचना (मुहांसे वाली कैटरीना) में मैंने अपने शहर में नित नई बनती सड़कों के बारे में बताया ...

गुणवत्ता बरकरार रखते हुए चित्र का आकार छोटा करें अक्सर कई ब्लॉग पढ़ते हुए आपने देखा होगा कि ब्लॉग पोस्ट में लगी फोटो काफी देर बाद खुलती है जब कभी नेट कनेक्शन की गति धीमी हो और ब्लॉग पोस्ट की फोटो खुलने समय लग रहा हो तो चाहते हुए भी वह ब्लॉग बंद कर आगे...सच की दस्तक़ किस घर दें हम दरवाज़े लग जातें हैं !! --------झंडा ऊँचा रहे हमेशा, अपने हिन्दुस्तान काआज कारगिल विजय की वर्षगाँठ के गौरवपूर्ण अवसर पर विश्व भर के समस्त भारतीयों को हास्यकवि अलबेला खत्री और रचनाकार साहित्य संस्थान का सादर जय हिन्द ! *यही सोच कर रचता हूँ मैं भजन रोज़ हनुमान ...

आज स्त्री बस वासना की पूर्ति भर है क्या?अपनी अश्लील भावनाओं को प्रेम की पवित्रता का नाम देकर कोई अपनी अतृप्त वासना को छुपा नहीं सकता।वासना के गंदे कीड़े जब पुरुष मन की धरातल पर रेंगने लगते है तब वह बहसी,दरिंदा हो जाता है।अपनी सारी संवेदनाओं को द...इनसान भी फूलों की तरह खिल सकते दावा है इनसान को इससे ज़्यादा खूबसूरत पहले कभी नहीं देखा होगा...यहां सारे फूल, पत्तियां, पंखुड़ियां, तने, इनसानों के बने हैं...
 
उड़ सपनों के पंख लगा तदबीरों पर दाँव लगा. अपनी किस्मत आप जगा. लकीरों पर विश्वास न कर, अक्सर ये दे जायें दगा. भला, कौन इस दुनिया में, वक़्त ने जिसको नहीं ठगा. शाम ज़रा हो ले फिर देख. साया भी संग छोड़ भगा. हौसले का साथ न छोड़, ...मुम्बई की सैरये है बाम्बे मेरी जान " * * * *जुहू -**चौपाटी** * * * * * * * *मुंबई में स्थित एक प्रमुख सागर तट हैं। जुहू -**चौपाटी...** * * * * * *पानी पिलाती यह मत्स्य -कन्या * * * *मुम्बई की सैर :--मेरी नजर में भाग...



वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं अगली वार्ता में , राम राम

9 टिप्पणियाँ:

ग्राम चौपाल के 242 वे पोस्ट " मेरी नेपाल यात्रा (पांचवी किश्त )" का लिंक देने के लिए आभार .

आजकल नजर नही आते चेहरा किताब मे हालांकि दिख जाते हो कभी कभी ख्वाब मे

बाबा रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण की डिग्री की सीबीआई जांच की जरूरत क्यों पड़ी. क्या वे सरकारी नौकरी करते थे..?...या किसी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन दिया था...?...यह व्यक्तिगत द्वेष के लिए सत्ता का दुरूपयोग है. श्रीमती गांधी ने यही काम आपातकाल के दौरान किया था. उतनी मजबूत महिला को भी सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था. वर्तमान कांग्रेसी नेतृत्व का अंजाम क्या होगा कभी सोचा है..? आखिर काले धन की वापसी की मांग पर कांग्रेसी इस तरह क्यों भड़कते हैं जैसे सांड को लाल कपडा दिखा दिया गया हो. काले धन से इतना ही प्रेम है तो इसे सत्ताधारियों के मौलिक अधिकार का दर्जा दे दें.

सुन्दर और सटीक वार्ता।

रोचक वार्ता ..सभी लिंक्स अच्छे लगे .

रोचक और सटीक वार्ता ... मेरी पोस्ट को शामिल कर सम्मानित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

सभी मैनपुरी वासीयों की ओर से कारगिल युद्ध के सभी अमर शहीदों को शत शत नमन !

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