नमस्कार, मुंबई में एक बार फ़िर आतंकवादी हमला हुआ। दर्जनों लोगों ने अपने प्राण गंवाए। आतंकवादी मौका पाकर अपनी करतूत कर जाते हैं, हमारी एजेंसियां लकीर पीटते रहती हैं। ताज होटल पर हुए हमले के बाद यह बड़ी घटना है। निर्दोष नागरिकों के जान की कोई कीमत नहीं, कीड़े मकोड़े की तरह लोगों को मार दिया जाता है और कुछ लोग मोम बत्तियां जला कर कर्तव्य की इति श्री कर लेते हैं। संसद हमले के अपराधी अफ़जल को सजा होने के बाद भी फ़ांसी नहीं दी जा रही, कसाब को बिरयानी खिलाई जा रही है। क्या इतना लचर हमारा लोकतंत्र हो गया है। संसद पर हमला इतिहास का काला दिन था। जब संसद सुरक्षित नहीं तो आम आदमी की सुरक्षा कौन करे? अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर और चर्चा करते हैं कुछ उम्दा चिट्ठों की.....।
अष्टावक्र व्यंग्य के माध्यम से गंभीर बात कह रहे हैं--आतंकवादी तो भोले भाले मासूम लोगो को मारते हैं आप जैसे नेताओं को नहीं अफ़जल गुरू तो देश का कचरा और बोझ साफ़ करने संसद गया था । वही संसद जिसमे देश का सबसे सस्ता भोजन मिलता है । वही संसद जहां पैसे के जोर पर बिल पास कराये जाते हैं । वही संसद जिसके नेता आजकल तिहाड़ मे पाये जाते हैं । वही संसद जहां आम आदमी बिकता है इमान बिकता है और सही दाम मिले तो देश हित भी बिक सकता है । पाकिस्तानियो को इस देश मे गद्दार नही मिल रहे इस लिये हमले नही हो पा रहे हैं इसमे तुम्हारी क्या होशियारी है। आगे पढें
जोशी जी की कुछ इधर की कुछ उधर की बंद थी अब फ़िर शुरु हो गयी है, पूण्यप्रसून जी कह रहे हैं मनमोहन का विस्तार, कांग्रेस की हार, अरे भाई हार जीत का फ़ैसला तो मैदान में होगा। बस समय आ रहा है धीरे-धीरे, जनता भी जाग रही है धीरे-धीरे, जवाब तो मिलेगा ही मंहगाई का, आंतकवादी हमलों का, लोकपाल बिल का, महिला आरक्षण बिल का। बहुत कुछ भरा है अभी जनपिटारे में।जब पांच बरस सत्ता भोग राव के सामने 1996 में जब चुनाव का वक्त आया तो कांग्रेसियों के हाथ खाली थे। आठ बरस सत्ता से बाहर रही कांग्रेस को 2004 में भी भरोसा नहीं था कि सत्ता उन्हें मिल जायेगी। तो क्या 2014 के बाद कांग्रेस दुबारा 1996 वाली स्थिति में आ जायेगी।आगे पढें,.
आखिर क्यूं पटरी पर लौटी मुंबई?बुधवार को हुए श्रृंखलाबद्ध धमाकों से हुई तबाही को गुरूवार की सुबह सुबह अखबारों में देख मन हिल गया। लाशों की तस्वीरें, घायलों के कराहते चेहरे, घटनास्थल पर पड़े चिथड़े दिनभर आंखों के सामने घूमते रहे। नेताओं के रुटीन, खोखले सांत्वना भरे बयानों की तरफ तो नज़र घुमाने की भी इच्छा न हुई। हर धमाके या आतंकी हमले के कुछ दिनों तक यही चलता रहता है। अगले दिन शुक्रवार को अखबारों में पढ़ा- "फिर पटरी पर लौटी जिंदादिल मुंबई", "नए फौसले के साथ काम पर लौटे मुंबईवासी", "आतंक के मुंह पर तमाचा" जैसे शीर्षकों से अखबार सजे हुए थे।आगे पढें
हर गांव-नगर-महानगर में एक सिविक सेन्टर होता है, इधर एक जाट सेंटर है, ये कहना तो बेकार है कि ये कहाँ-कहाँ से दिखाई दे जाती है, अगर मौसम साफ़ है तो आप दिल्ली के लगभग सौ किलोमीटर लम्बे रिंग रोड पर, बनी किसी भी ऊंची बिल्डिंग से इसे देख सकते हो, ये इमारत पूरे पाँच साल में बन कर तैयार हुई है, और इसका बजट था, केवल 600 सौ करोड रुपये बनाने का, इस इमारत पर दिल्ली सरकार की नजर लगी हुई है, और भविष्य में सम्भव भी है, कि यह दिल्ली सरकार के मुख्यालय में बदल जाये, इस ईमारत में छोटे-छोटे कमरे ना होकर, बडॆ-बडे विशाल हॉल है, जिनमें बैंक की तरह, कार्य करने के स्थल बनाये हुए है। पूरी इमारत ही पूर्णतय: वातानुकूलित है, चाहे लिफ़्ट हो या गैलरी, हर कही मौसम की मार से बचे रहते है।
यहाँ ब्लॉगर्स के काम की चीज है कभी काम आएगी, मुंबई राज ठाकरे की बपौती है, तभी तो उलजलूल बयान आ रहे हैं, इन बहादूरों में आतंकवादियों से लड़ने की ताकत हो है नहीं, बस व्यर्थ के गाल बजाकर प्रादेशिक वैमनस्य का जहर घोलना चाहते हैं लोगों के मन में, भ्रुण हत्या पर चिंतन करती हुई एक कविता यहां पढें
उसके तेवर में बदज़बानी है.
बात सचमुच ये खानदानी है..
उस के हाथों में राजरेखा सी,
उस की आँखों में राजधानी है..
पेट भर के वो भूख पर चीखा
देख पानी भी पानी-पानी है.
सोचती हूँ जिस दिलेरी से तुमने वो बम् छुपाया होगा,
घर जाके वैसे ही बिटिया को निवाला खिलाया होगा,
कौनसा बाकी रह गया काम अधूरा,
घर से निकलने का बहाना माँ को क्या बताया होगा,
घर से निकलते हुए बच्चे ने पकड़ ली होंगी तेरी टाँगे,
उसे कौन सा खिलौना देकर पीछा छुड़वाया होगा,
ईश्वर जो भी करता है मनुष्य के भले के लिए अच्छा ही करता हैएक राज्य का राजा अपने मित्रों और मंत्री के साथ शिकार करने गया . शिकार के दौरान राजा की उंगली में चोट लग गई और उसकी उंगली से खून निकलने लगा . राजा की उंगली की चोट को देखकर राजा के मित्र ने कहा -किसानों ने उठाया अपना टूलयो तावड़ो और यो निनाण (फसल में उगी हुई घास को काटना ) और यो कसियो (निनाण करने का एक औजार) पण के करां करणों ही पड़सी भाया " । ये शब्द हैं हमारे खेत के पड़ोसी ताऊ मातुराम के। आजकल हमारे गांव के किसी भी खेत...
आक्रोश देश की दुर्दशा और उसके तथाकथित कर्णधारों की हरकतों से यहां की जनता ही नहीं विदेशों में रह रहे भारतीय भी विक्षुब्ध हैं। ऐसे ही एक भाई ने अपना आक्रोश शब्दों में ढाल कर इ-मेल से भेजा है।.पेट का साइज़ कम करने की सलाह है - पेट का साइज कम करवा कर मोटापा कम करने का क्रेज़ ज़ोर पकड़ रहा है –अभी कुछ दस दिन पहले ही टाइम्स ऑफ इंडिया में एक रिपोर्ट थी, आपने भी देखी होगी – Scalpel helps teen fight flab. इस में बताया गया था कि किस ...
चित्र कविता पढिए
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, अगली वार्ता की जिम्मेदारी इनकी है। राम राम
12 टिप्पणियाँ:
वार्ता अच्छी लगी |
बधाई |
आशा
बढ़िया वार्ता
ललित जी
इस देश के सबसे वफ़ादार आदमी "आतंकवादी जी" हैं
अच्छे लिंक्स दिये साधु साघु कल कर निकलता हूं
सुंदर एवं सार्थक चर्चा।
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जीवन का सूत्र...
NO French Kissing Please!
बहुत बढ़िया चर्चा संजोयी है ... आभारी हूँ आपने समयचक्र की पोस्ट को सम्मिलित किया ...
बहुत बढ़िया ||
वार्ता अच्छी लगी.
बढ़िया वार्ता!
ज्वलंत विषय को सामने रख वार्ता मे मित्रों का लिन्क देना आपकी खासियत है। नि:संदेह आपकी शिल्पकारी तारिफ़े-काबिल है।
समसामयिक चर्चा और अच्छे संकलन के लिये धन्यवाद
सार्थक वार्ता.
बढ़िया लिंक मिले...आभार इस उम्दा वार्ता का.
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