मंगलवार, 12 जुलाई 2011

सुबह की चाय ... पीठ में दर्द आज भी है .. ब्‍लॉग4वार्ता .... संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार .. दो चार दिनों से कई तरह के काम इकट्ठे हो गए हैं , फिर भी ब्‍लॉग जगत के हलचल से रूबरू हूं ही , आज भी कुछ खास लिंक्स आपके लिए  ....
सुबह की चाय ....पीने के बाद ब्‍लॉगिंग शुरू कर दें। 
... सीताएं ही, घर के, बाहर न जाएं ! .. राम को तो हर जगह जाने की छूट है ।
खोए हुए मौसम .... में मन भी खो जाता है। 

चुप्पी तोड़ो ---- भडास निकालों।
वो कहते हैं ' पिक्चर अभी बाकी है दोस्त'   .. इतनी जल्‍द पूरी भी कैसे हो सकती है ?? 
किसी एक की जिम्मेदारी ले लेना ... तुम जिम्‍मेदार कहलाने लगोगे।
विधि का विधान मैं , निर्माण मैं  .. सामने आओ तो पहचान लूं । 
ऐसी बानी बोलिए , मन का आपा खोए ... पर बोलिए तो कीजिए भी। 
बेटियों को मारो नहीं.. ... नहीं तो आनेवाले दिनों में पछताओगे।
देखा है तुमने कहीं जलता आशियाँ ... देखा तो नहीं अबतक ।
माता-पिता हमारी सामाजिक व्यवस्था के स्तंभ हैं   ... उनके आशीर्वाद से ही हम सफल हो सकते हैं।
इन्तिहा हो गई…हर बात की(अंतिम भाग) राजीव तनेजा  ... ऐसा भी होता है ??
उधर आंख कुछ भी छुपाती नहीं है  ..... तभी तो तस्‍वीर सामने आती है।
तेरा प्‍यार   .. मेरे जीवन की अमूल्‍य पूंजी है।
पीठ में दर्द आज भी है - रेल दुर्घटना - ललित शर्मा ... जान बची तो लाखो पाए।
अब देते हैं वार्ता को विराम .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद । 

13 टिप्पणियाँ:

संगीता जी, शुक्रिया। बडे अच्‍छे लिंक्‍स उपलब्‍ध कराए आपने।

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बढ़िया वार्ता ..पहुँचते हैं दिए लिंक्स पर

दिलचस्प वार्ता ..अच्छे लिंक्स....

संगीता जी ,अच्छी लिंक्स के साथ बहुत अच्छी चौपाल सजाई है बधाई |मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार |
आशा

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