सोमवार, 18 जून 2012

संडे सन्नाट , खबरें झन्नाट ... ... ब्‍लॉग4वार्ता .. .... संगीता पुरी

  • आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार,  फादर्स डे के उपलक्ष्‍य में रविवार को पूरा इंटरनेट मानो पिता के लिए प्‍यार में डूब गया। इंटरनेट पर लोगों ने अपनी भावनाओं को खुलकर रखा। खास बात यह है कि फादर्स डे पर बाप-बेटे से ज्‍यादा बाप-बेटी के रिश्‍ते पर लोगों ने शुभकामनाओं भरे कमेंट किये।इंटरनेट पर अपलोड की गई ज्‍यादातर तस्‍वीरों में पिता-पुत्री को दर्शाया गया। भारत के परिप्रेक्ष्‍य में देखें तो यह जरूरी भी है, क्‍योंकि हमारे देश में कन्‍या भ्रूण हत्‍या के लिए पुरुष भी जिम्‍मेदार हैं। ब्‍लॉग जगत में भी पितृ दिवस पर कई रचनाएं देखने को मिली , उन्‍हें और अन्‍य महत्‍वपूर्ण लिंकों को संजोया गया है आज की वार्ता में .....

    फादर्स डे स्पेशल --- - आज सुनिये लोरी अली के ब्लॉग ----------*आवारगी *से ---------- *फादर्स डे स्पेशल ----* * * ** * * * वत्सल और पल्लवी पापा के साथ ( 1988)* * * एक विडियो ये भी...बाबा की बिटिया - मैं अपने बाबा की दुलारी बेटी हूँ मेरी आधी उम्र गुज़र गयी, मगर उनके लिए अब भी छोटी हूँ... बचपन से थामी उँगलियाँ अब भी थाम रखी हैं... पहले पकड़ उनकी थी... .दिल की बातें- फादर्स डे पर एक बाप की मज़बूरी * *एक दिन एक रोजगार बाप , अपने बेरोजगार बेटे की किसी बात पर खुश हो गया | और अनजाने में अपनी उम्र उसको लग जाने का , आशीर्वाद हैप्पी फादर'स डे ... पा ... कार्तिक ... - आज फादर'स डे है ... मैं इस बहस में नहीं पड़ता कि यह रस्म देशी है या विदेशी ... मुझे यह पसंद है ! आज मैं खुद एक पिता हूँ और जानता हूँ एक पिता होना कैसा लगत...ऐ बाबुल - * * ** * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * *बाबुल मोहे रहने दे * *अपनी प्यारी बिटिया ही * *मत तोड़ मुझे डाली से * *खिलने दे अपनी बगिया ही …….* *बे...

    बाबू जी ... - शहर में ... धूप में ... अब मेरा बसेरा है ! न छाँव है ... न गाँव है ... जब से - चले गए हैं बाबू जी !! पापा, आपसे माफ़ी मांगता ही रहूँगा... - भले ही मैं इस तरह के ख़ास दिनों में कोई यकीन नहीं रखता, मेरे लिए पापा की बातें करने के लिए कोई एक दिन काफी नहीं हो सकता... लेकिन जब आस पास सब...पितृ प्रेम को शब्द नहीं है - (पितृ दिवस पर अपनी एक पुरानी रचना दुबारा पोस्ट कर रहा हूँ) गीत लिखे माँ की ममता पर, प्यार पिता का किसने देखा, माँ के आंसू सबने देखे, दर्द पिता का क...बस ऐसे ही तो थे मेरे बाबूजी - कोई ऐसा रिश्ता होता है कोई ऐसा नाता होता है जो बिछड़ कर भी ना बिछड़ता है बस यादों में टीसता रहता है आँख नम कर जाता है वो स्नेह दुलार तड़पाता है निस्वार्थ .

    त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ... - विगत दो तीन माहों के दौरान संयोग से धार्मिक स्थानों का भ्रमण करने के खूब मौके मिले . इस दौरान मैं मथुरा, वृन्दावन, हरिद्वार, देहरादून, मसूरी सपरिवार घूमने ... यमुनोत्री की यादे - ब्लागर सथियों आज अपनी यात्रा का संचिप्त विवरण प्रतुत कर रही हूँ ...... हम चार परिवार थे जिन्होंने एक साथ इस यात्रा का प्लान बनाया था ...जिनमे आठ बड़े और पाँ...कुछ जानी पहचानी , कुछ अंजानी , पर्वतों की रानी --- मसूरी . - दिल्ली से करीब पौने तीन सौ और देहरादून से २५ किलोमीटर की लगातार चढ़ाई के बाद आती है *क्वीन ऑफ़ हिल्स ( पर्वतों की रानी ) मसूरी*. यहाँ पहली बार


    जनजाति समाज और जनसंचार माध्यम पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 18से - *देश भर से जुटेंगें आदिवासी चिंतक, विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता*** *भोपाल,17 जून।* माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से 18 जून से... स्त्री हिंसा और सत्यमेव जयते - सत्यमेव जयते के 17 जून के एपिसोड में स्त्री हिंसा पर आमिर खान ने अलग-अलग घटनाओं, त्रासदी झेलने वाली स्त्रियों और उनमें से कुछेक के आत्मविश्वास पर बात की ..सबरिया - छत्तीसगढ़ के रायगढ़-बिलासपुर अंचल के निवासी ''सबरिया'' वस्तुतः कौन है? ठीक-ठीक कोई नहीं जानता। नृतत्वशास्त्री, न समाजशास्त्री, न शासकीय विभाग और न रेत मजदूर को देखते हुए - पंकज मिश्र - फेसबुक पर कभी-कभी बहुत अच्‍छी कविताएं मिल जाती हैं। अशोक कुमार पांडेय के सौजन्‍य से यह कविता अभी मिली...जिसे अनुनाद पर लगा देने का लोभ मैं संवरण नहीं कर प...
     
  • गज़ल - *तुम्हारी याद मे आंसू आंखों से छलकते हैं,*** *सावन के बारिश ज्यूं मेघों से बरसते हैं।*** *तुम जो गये तो बस दिल ही टूट गया,*** *वो जिगर कहाँ से लाऊँ जो पत्थ..देस बटुरा रेलवई के डिब्बे में - बमचक-7 - Disclaimer : बमचक सीरीज़ में कुछ शब्द अश्लील, गाली-गलौज वाले, अपठनीय भी हो सकते हैं, अत: पाठकों के अपने विवेक पर है कि बमचक सीरीज़ पढ़ें या नहीं। 5TH Pillar Corruption Killer- " खिलाडी पिंकी " निकला " पिन्का " ?? गयी नौकरी ! प्यारे मित्रो , नमस्कार !! इस कलयुग में हर रोज़ हैरान कर देने वाली ख़बरें आ ही जाती हैं ! जैसे ही मैंने ये...प्रेम-वरदान - माना कि हर समय पलड़े का झुका काँटा है और दैविक सुअवसरों ने केवल दुःख ही दुःख बाँटा है.... पर सच देखा जाए तो हीरे ने ही हीरे को काटा है चाहे जितना भी खींचता ...
     
    .रेल और बिजली बचत - उत्तर रेलवे के मुरादाबाद मंडल द्वारा जिस तरह से बिजली बचाने के लिए पुणे की एक कंपनी के साथ मिलकर एक सफल प्रयोग किया है उससे रेलवे जैसे बड़े उपभोक्त... फिर अधूरा हो गया हूँ... - सियासत और मज़हब का सा रिश्ता हो गया हूँ... बड़ी जद्दोजहद के बाद इंसां हो गया हूँ... मुझे सिर पर चढ़ाया, डूबने को फेंक आए... मैं पत्थर का कोई बेबस, खुदा सा..तेरे भीगे बदन की खुशबू से - साहेब खम्मा घणी, मेरा ध्यान दरवाज़े की ओर गया. जाने कितनी ही दावतों में मेहदी हसन, ग़ुलाम अली और नुसरत फ़तेह अली खान जैसे साहेबान की ग़ज़लों को बखूबी ग... इक हसीं शाम के संग्………पुस्तक विमोचन की एक झलक - सतीश सक्सैना जी की पुस्तक "मेरे गीत" के विमोचन की कुछ झलकियाँ सतीश जी के लिये सरप्राइज़ पैकेट आखिर हमने भी धरना दे ही दिया सतीश सक्सैना जी...



     अपने कंप्यूटर के शुरू होने की आवाज बदलिए - आप अगर चाहते हैं की आपका कंप्यूटर शुरू होते हुए विंडोज की Startup धुन की बजाये आपकी पसंद का संगीत सुनाये ये अब बहुत आसानी से संभव हो सकता है । एक छोटे से ....प्रदूषण ही प्रदूषण - आजकल देश के हर भाग में भीषण गर्मी पड़ रही है . मौसम विज्ञान विभाग हर दिन तापमान बढ़ने के आंकड़े जारी करता है , और साथ में यह भी चेतावनी देता है कि आने वाल... वही आदिम टोटके उपाय - रिसता आषाढ़ आतप स्वेद ग्रंथियों से, निहारता है अनिल ठिठक भीग चिपके वस्त्रों को। समय ठहरता है आँख सलवटें उभरती हैं, बादल उतरते हैं वदन पर बन आब बेचैन बारिशे...सदालाल सिंह (पटना १३) - उस दिन शाम को जब मैं चाय पीने गया तो बीरेंदर उर्फ बैरीकूल फोन पर बात करता हुआ कुछ चिंतित सा दिखा. मैंने पुछा – ‘क्या हुआ बिरेंदर? सब ठीक है?’ ‘हाँ भई...
     आखिर मैं क्या कर पाऊंगा उनके बिना? - युवा भारत का स्वागत- आलोक  धन्वा युवा नागरिकों सेभारत का अहसासज्यादा होता हैजिस ओर भी उठती हैमेरी निगाहसड़कें, रेलें, बसें,चायखाने और फुटपाथलड़के और लड़कियों...मेरा हासिल हो तुम ! - *तुम गए कहीं नहीं ,रूह में शामिल हो तुम,* *सुर में हो,हर साज में,दर्द में शामिल हो तुम ||* * * *हर ख़ुशी तुमसे मिली,गम को हमने कम किया,* *हर भटकती ...संडे सन्नाट , खबरें झन्नाट ......... - * * * * * * * * * * *हम बांचते हैं अखबार अब , और रखते हैं अपना व्यूज़ , अरे मारिए गोली टीभी को , सुनिए टटका न्यूज़ (ई पेपर टीभी बाला सब त असलका बात गोल न कर...
     
    अब लेती हूं विदा .. मिलती हूं अगली वार्ता में ...

17 टिप्पणियाँ:

आज तो आपने पढने के लिए बहुत सी लिंक्स दे दी हैं संध्या जी |
आशा

अच्छी वार्ता..............
लिंक्स अब देखते हैं........
हमारी रचना को शामिल करने के लिए शुक्रिया संगीता जी.

सादर
अनु

पितृ दिवस पर पिताओं को सम्मान देती बढिया वार्ता के लिए आभार संगीता जी

बहुत सुन्दर वार्ता ...धन्यवाद

पिता एक सम्बल एक शक्ति है
सृष्टी मे निर्माण की अभिव्यक्ति है…
महेश्वरी कनेरीजी की लिखी इन पंक्तियों के साथ पितृशक्ति को नमन...
बहुत सुन्दर लिंक्स से सजाई है आपने आज की वार्ता संगीताजी... और हाँ शीर्षक भी मस्त "झन्नाट ...." है... :)

बहुत बढ़िया वार्ता .... अच्छे लिंक्स मिले

बहुत बढ़िया ... सुन्दर लिंक्स ... आभार ...

शानदार लिंक्स्…………रोचक वार्ता।

बहुत बढ़िया लिंक्स...रोचक वार्ता के लिये आभार...

आभार संगीता जी,यहाँ हमारी दरी बिछाने के लिए !

बहुत बढ़िया लिंक्स ...झन्नाट वार्ता..

मेरी पोस्ट को वार्ता मे लिंक करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

itne saare links diye hai aapne ki bhul-bhulaiya kib tarah usi me kho ker rah gaya.aapki prastuti behad umda hai.

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