मंगलवार, 26 जून 2012

हाले दिल जो गैरों ने सुना वो लेते तफ़री .......ललित शर्मा,.......ब्लॉग4वार्ता

ललित शर्मा का नमस्कार,  फेसबुक पर गिरिजेश राव कह रहे हैं..... आज के ही दिन 37 साल पहले कांग्रेस ने इस देश में आपात काल लागु किया था, यदि उस समय आप नहीं थे या बच्चे थे तो अपने माता-पिता से अवश्य पूछिये कि क्या हुआ था? ....... आपात काल भारत के लोकत्रंत का एक काला अध्याय है, जब मानवाधिकार ख़त्म कर दिए गए थे। इस समय को याद करके अभी की पीढी को सीख लेनी चाहिए। अब चलते हैं आज की वार्ता पर ..... प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा लिंक ........ 

फितरत में नहीं अड्डेबाजीअगर सिनेमा एक तिलिस्म है तो निर्देशक कबीर कौशिक इसके एक ऐसे तालिस्मान हैं, जिन्हें समझना मुश्किल नहीं तो इतना आसान भी नहीं है। उनका निर्देशकीय कौशल काबिल ए दाद होता है पर, रिश्तों में उनका यकीन न बन पाना...नैनीतालअल्मोड़ा -- प्रकृति का अनमोल खजाना * * * नैनीताल भाग 7 पढने के लिए यहाँ क्लिक करे *12 मई 2012--नैनीताल !* *आज नैनीताल में हमारा दूसरा दिन है ;--* सुबह -सु...प्यास औंधे मुंह पड़ी है घाट परप्यास औंधे मुंह पड़ी है घाट पर*** *श्यामनारायण मिश्र*** * * * * *शांति के *** *शतदल-कमल तोड़े गए*** * सभ्यता की इस पुरानी झील से।*** *लोग जो*** *ख़ुशबू गए थे खोजने*** * लौटकर आए नहीं तहसील से।

उत्तरकाशी से गंगोत्रीइस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। 7 जून 2012 को जब हम उत्तरकाशी फॉरेस्ट कार्यालय से गौमुख जाने का परमिट बनवा रहे थे, तो वहीं पर दो मोटी-मोटी महिलाएं भी थीं। वे भी परमिट बनवाने आयी...मृत्युभय ये कहा जाता है कि जिस समय प्राणी पैदा होता है उसी क्षण उसकी मृत्यु की कुंडली भी साथ में आ जाती है. सँसार नश्वर है, चराचर जो भी पैदा होते हैं अपनी अपनी आयु के अनुसार नष्ट भी हो जाते हैं. शास्त्रों में इस व...दिन मनचीते कब आयेंगे दिन मनचीते सावन सिंचित फागुन भीगे मन मृगतृष्णा हुई बावरी पनघट ताल सरोवर रीते धेनु वेणु बिन हे सांवरिया कहो राधिका किस पर रीझे मन के गहरे पहुंचे कैसे ऊंची इन गलियन दहलीजें प्रेम पले पीप... 

अनुभूति .... / पुस्तक परिचय कुछ समय पूर्व मुंबई प्रवास के दौरान अनुपमा त्रिपाठी जी से मिलने का मौका मिला ।उन्होने मुझे अपनी दो पुस्तकें प्रेम सहित भेंट कीं । जिसमें से एक तो साझा काव्य संग्रह है –“ एक सांस मेरी “ जिसका सम्पादन ..वो सवाल ! याद है तुम्हे बचपन के वो सवाल? वो धूर्त व्यापारी - जो कीमत बढ़ाकर छूट दे देता था. छूट को बट्टा भी कहते थे न? - अब बस 'डिस्काउंट' कहते हैं. …हर बार पेट्रोल की कीमतें बढ़कर घटते देख - उसकी याद आती है. ...चौबोली -भाग ४ भाग तीन से आगे ....... इस तरह तीन प्रहर कटने और तीन बार चौबोली के मुंह से बोल बुलवाने में राजा विक्रमादित्य सफल रहे और चौबोली भी पहले से ज्यादा सतर्क हो गयी कि अब चौथी बार नहीं बोलना है | राजा ने चौबोली ... 

कमल का तालाबकमल-कुमुदनी से पटा, पानी पानी काम । घोंघे करते मस्तियाँ, मीन चुकाती दाम । मीन चुकाती दाम, बिगाड़े काई कीचड़ । रहे फिसलते रोज, काईंया पापी लीचड़ । किन्तु विदेही पात, नहीं संलिप्त हो रहे । भौरे की बारा...हवन का ...प्रयोजन.मिट्टी के हवन कुंड में.... समिधा एकत्रित ... की अग्नि प्रज्ज्वलित .... ॐ का उच्चारण किया ... अग्निदेव को समर्पित ... हवि की आहूति... किया काष्ठ की स्रुवा से ... शुद्ध घी अर्पण ... मन प्रसन्न .... धू धू जल ...मयकशी...आँखें तुम्हारी छलकते पैमाने होंठ तुम्हारे लबालब प्याले. रहमत खुदा की न पैमाने न प्याले पूरा मयखाना. तुम जिसपे भी हो मेहरबाँ पर मुझपे नहीं, खुदा कुछ पे बरसता बहुतों पे छलकता पर मुझसे ज़रा बचता. तुम मयस्...

अपेक्षा (Expectation)Expectation अर्थात अपेक्षा नाम में ही बहुत वज़न है सुनकर ही किसी बड़ी सी चीज़ की आकृति उभरती है आँखों में, है न !!!!.मेरी गुड़िया कहाँ है तूबचपन में गुड़िया के साथ खेलना बहुत पसंद था। बस यूंही बचपन की याद में लिख डाला कुछ ऎसे ही बैठे ठाले...* * * *वैसे समझने वाला ही समझ पायेगा मैने ये क्यों लिखा है...बहुत दुख की बात है कि सब कुछ लुटा कर .मुनव्वर राना साहब से ख़ुसूसी मुलाक़ातएक ऐसे शायर से मुलाकात जिसकी जुबान पर महबूब के पांव की खामोशी नहीं बल्कि कान छिदवाती गरीबी होती है... मिलिए मुनव्वर राना से इस बार के हम लोग में। कल मेरी ज़िन्दगी को मशहूर शायर जनाब मुनावार राना साहब ...

माही और मानसिकता !आखिरकार वही हुआ जिसका डर था। २० जून, २०१२ की रात करीब ग्यारह बजे दिल्ली के निकट हरियाणा के कासन की ढाणी नामक स्थान पर ७० फीट गहरे बोरवेल में गिरी माही को २४ जून को सेना, एनएसजी, और पुलिस के जाबाजों के...माही, मिसाइल और देश आम नागरिक की लापरवाही का शिकार एक और मासूम बच्ची हो गयी और इस बारे में विभिन्न लोगों ने जिस तरह से अपने विचार व्यक्त किये हैं उससे यही लगता है कि कहीं न कहीं कुछ ऐसा अवश्य है जो हमें स्व-अनुशासन ...ऐसे कुछ पल.. मैं नहीं चाहती लिखूं वो पल तैरते हैं जो आँखों के दरिया में थम गए हैं जो माथे पे पड़ी लकीरों के बीच लरजते हैं जो हर उठते रुकते कदम पर हाँ नहीं चाहती मैं उन्हें लिखना क्योंकि लिखने से पहले जीना होगा...

मुकदमे मे विजय प्राप्ति यन्त्र प्रयोगइस गुप्त शत्रुता वाले युग मे कौन सा शत्रु कब घात प्रतिघात कर दे कहा नही जा सकता हैं एक बार सामने के आघात तो सहन किये जा सकते हैं पर छुप कर या विभिन्न षडयंत्र बनाकर किये गए आघात के बारे मे ...पर्यावरणपर्यावरण और शिक्षा विधालय में 1 मौसम, 2 नदी, नाला, पहाड़, मैदान, मिटटी, खनिज, खडड खार्इ, 3 वनस्पति,फल, फूल, 4 कीट-पतंगे, 5 पशु, पक्षी, 6 तारे ,बादल, नक्षत्र मंडल विदयालय में उपरोक्त बिन्दुओं को ध्यान ...इन्तहां प्यार की-हद से गुजर जाती है जब इन्तहां प्यार की* *इक आह सी निकली इस दिल के गरीब से।*** *नजरे अंदाज उनके कुछ इस कदर बदले*** *अनजाने से बन निकलते वो मेरे करीब से।*** *हाले दिल जो गैरों ने सुना वो लेते तफ़री*** ..

 वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं एक ब्रेक के बाद, राम राम 

10 टिप्पणियाँ:

बहुत साधी हुई वार्ता .... आभार

३७ साल पहले ७३ वर्ष की उम्र में मेरे दादाजी की भी जबरन नसबंदी कर गए थे कम्वख्त गाँव में !:) :) वार्ता के लिए आभार !

बेहतरीन वार्ता के लिए बधाई,,,ललित जी

बहुत खुबसूरत लिंकों से सजी है आज की वार्ता .. इन में मेरी भी यात्रा शामिल करने का शुक्रिया ..

बढ़िया वार्ता... सुंदर लिंक्स...
सादर आभार।

बढ़िया वार्ता... सुंदर लिंक्स.

Waaah.... Achchhe links... Behtreen Varta....

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