शुक्रवार, 15 जून 2012

ऐसी ही ये दुनिया है, तो ये दुनिया क्यूँ है? .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी


नमस्‍कार ,  राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर गुरुवार को कांग्रेस का उसके सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस व सपा से टकराव साफ नजर आया और दोनों पक्षों के उम्मीदवारों के मुकाबले की संभावना बढ़ गई। सत्तारूढ़ गठबंधन ने राष्ट्रपति पद के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम की संभावना से इनकार कर दिया वहीं ममता-मुलायम ने संकेत दिए कि वे झुकने वाले नहीं हैं। राजनीतिक गहमागहमी वाले आज के दिन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी की ओर से आये कठोर बयान से हुई जिसमें ममता बनर्जी पर निशाना साधा गया। कांग्रेस ने तृणमूल-सपा के सुझाये तीनों नामों को खारिज कर दिया। इनमें प्रधानमंत्री के साथ पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी हैं। पूरे देश की नजर अभी राष्‍ट्रपति चुनाव पर ही टिकी हुई है , अब आप सबों को आज की वार्ता पर लिए चलते हैं  ......



( मुसाफ़िर चल तो सही......बमचक -6Disclaimer : बमचक सीरीज़ में कुछ शब्द अश्लील, गाली-गलौज वाले, अपठनीय भी हो सकते हैं, अत: पाठकों के अपने विवेक पर है कि बमचक सीरीज़ पढ़ें या नहीं..... Note: बमचक सीरीज़ की पिछली पांच पोस्टें पहले ही पब्ल...कंकरीट के जंगल से.....आकाश से झर रही है आग घरों में उबल रहे हैं लोग। बड़की पढ़ना छोड़ डुला रही है बेना छोटकी दादी की सुराही में ढूँढ रही है ठंडा पानी टीन का डब्बा बना है फ्रिज। हाँफते-काँखते पड़ोस के चापाकल से पापा ला रहे...ऐसी ही ये दुनिया है, तो ये दुनिया क्यूँ है?  ज़िन्दगी जीने के लिए, मौत समझना पड़े. ऐसी ये हालत क्यूँ है? मोहब्बत समझने के लिए, चोट खानी पड़े. ऐसी ये कहावत क्यूँ है? अमन से जीने के लिए, जंग लड़नी पड़े. ऐसी ये प्रथा क्यूँ है? सच कहने पर, हलक गवानी पड़...

६० साल के जवान या बूढ़े.*“मौत” शब्द सुनते ही कई बार शरीर में झुनझुनी सी लहर जाती है. और कहीं हंसी ठहाकों के बीच मौत शब्द का उच्चारण भी अगर कर लिया जाये तो महफ़िल एक दम संजीदा हो उठती है. पर अपने अस्सी का क्या किया जाए... काशी स...आजमा कर देखोनहीं हो सकते मुक्त जब तक हो खामोश जीतने की प्रखरता हो और हो हार स्वीकार .... नहीं हो सकते मुक्त सत्य असत्य का फर्क मालूम है पर हों जुबां पर ताले नहीं हो सकते मुक्त भय की आगोश में भी किसी उम्मीद की..उस कोरोला का स्वाद था शहद से भी मीठाफिल्म ‘गोलमाल’ सीरिज के निर्देशक रोहित शेट्ठी की फिल्म ‘बोल बच्चन’ के प्रोमोज व गीत प्रदर्शित हो रहे हैं. विकीपिडिया की जानकारी के अनुसार फिल्म 1979 की ऋषिकेश मुखर्जी की कॉमिक फिल्म ‘गोलमाल’ से प्रभावित ह...पुस्तक परिचय -------" मेरे गीत " / गीतकार --- सतीश सक्सेनाकुछ दिन पूर्व सतीश सक्सेना जी के सौजन्य से मुझे उनकी पुस्तक " मेरे गीत " मिली और मुझे उसे गहनता से पढ़ने का अवसर भी मिल गया । सतीश जी ब्लॉग जगत की ऐसी शख्सियत हैं जो परिचय की मोहताज नहीं है । आज अ...
लखनऊ नवाबों से पहले -भाग 1 (आईये जाने एक इतिहास): महफूज़*आज से मैं लखनऊ का अनदेखा और अनजाना इतिहास पेश कर रहा हूँ*. यह इतिहास मैंने नहीं लिखा है और ना ही मेरा इसे लिखने में कोई ऐसा योगदान है. यह वो इतिहास है जिसे हम जानते तो हैं लेकिन सिर्फ नाम से. लखनऊ वो शहर..
शिक्षा पर दुमदार दोहे विद्यालय है कल खुला, बहुत दिनों के बाद अध्यापक हैं ले रहे, पकवानों का स्वाद पढ़ाई होगी कल से। कक्षा कहती आइये, लेकर सब सामान शिक्षक हैं हड़ताल पर, ग्रहण कीजिए ज्...लिस्ट हाथ में थाम, बाम माथे पे मलना"चाँद मान भी जा " Sushil "उल्लूक टाईम्स " चाँद सितारे चाहता, भंवरा खुश्बू फूल । लगता फिर से हिल गई, है दिमाग की चूल । है दिमाग की चूल, गधे सी सोच बना ले । सीवर में हर बार, चोंच की लोट लगा ले । 

कमजोर नज़र *कमजोर नज़र* खोगई है जिन्दगी यहीं कहीं ढ़ूँढ़ रही हूँ , मिलती ही नहीं शायद सोच की नज़र ही कमजोर पड़ गई है… ***** महेश्वरी कनेरी नया Foxit Reader पीडीऍफ़ रीडर की जरुरत तो लगभग हर कंप्यूटर में ही होती हैं और हममें से ज्यादातर एडॉब रीडर का ही उपयोग करते हैं पर एडॉब रीडर का एक बेहतर विकल्प है Foxit Reader, इसी का नया संस्करण अब उपलब्ध है Foxit Reader ...अनकही बातेंकहीं रत जगे हैं कहीं अधूरी मुलाकातें हैं हवाओं की खामोशी में आती जाती सांसें हैं । * * डरता है कुछ कहने से मन की अजीब चाहतें हैं किसी कोने मे दबी हुई अब भी अनकही बातें हैं। मेरे शहर की निर्लज्ज धूप निर्वस्त्र घूम रही है..2007 की एक क्लिक (बादलों के पीछे भागने का पुराना शगल) ओ बुढ़िया , लगता है आसमान की दरी पर सुस्ताते हुए तेरी आँख लग गयी है ! तूने कपास धुनना छोड़ दिया है कि रुई के फाहे अपने ही कानो में डाल रक्खे  हैं ? धर..
ना हाँ कहते थे ,ना ना कहते थे* * ना हाँ कहते थे ना ना कहते थे निरंतर मिलते भी थे मगर खामोश रहते थे कब आयेगा बेकरारी को करार इंतज़ार में दिल की धडकनें भी थकने लगी बरसों बाद एक दिन जुबां खोली मिलते तो रहते ही हैं क्यूं ना ऐसे ही गुजार....मुश्किल में पार्टी, कहां गायब हो राहुल बाबा ...राहुल बाबा आप इस वक्त कहां गायब हैं। यूपीए सरकार, कांग्रेस पार्टी ही नहीं सबसे ज्यादा आपकी मां सोनिया गांधी इस वक्त मुश्किल में है। उन्हें आपकी बहुत सख्त जरूरत है। आप जहां कहीं भी हैं, बिना देरी किए सीधे ...( rashifal ) कैसा रहेगा आपके लिए 14 , 15 और 16 जून 2012 का दिन ?? मेष लग्नवालों के लिए 14 , 15 और 16 जून 2012 को स्वास्थ्य या व्यक्तिगत गुणों को मजबूती देने के कार्यक्रम बनेंगे, स्मार्ट लोगों का साथ मिलेगा। रूटीन काफी सुव्यवस्थित होगा , जिससे समय पर सारे कार्यों को अंजाम दिया जा सकेगा।
आज के लिए इतना ही .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद अगली वार्ता में ....

10 टिप्पणियाँ:

आराम से पढ़ते हैं सारे सूत्र..

अच्छी वार्ता संगीता जी
कुछ लिंक्स देखे.....
कुछ अब देखते हैं...............

शुक्रिया
अनु

सुन्दर लिंक संयोजन

अच्छे लिंक्स और वार्ता रही संगीता जी !

अच्छी वार्ता संगीता जी

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति आभार ।

अच्छे लिंक्स और सुन्दर वार्ता के लिए आभार संगीता जी

बढ़िया वार्ता ...काफी पढ़ने के लिए लिंक्स मिले ...आभार

हा हा सबने सबसे पहले वही पढ़ा
अच्छी वार्ता है जी

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