गुरुवार, 28 जून 2012

धरती तो पूरी लूट खाई हरामखोरों ----------- ब्लॉग4वार्ता----------- ललित शर्मा


ललित शर्मा का नमस्कार, मित्र राजकुमार सोनी की वैवाहिक वर्षगांठ है,उन्हे शुभकामनाएं, इससे पूर्व वे बस्तर दौरे पर थे, लिखते हैं कि - वही बस्तर जिसके बारे में देश-दुनिया में यह कहा जाने लगा है कि वहां कोई ऐसा टापू है जिसका नाम अशांति है. एक गांव में कुछ लोगों से मेल-मुलाकात करने के बाद जब मैं धुर नक्सली क्षेत्र बीजापुर के लिए निकला तो रास्ते में मेरी मुलाकात पदमसिंह से हुई. पदमसिंह को देखकर मैं बड़ी देर तक यह सोचता रहा कि वाकई छत्तीसगढ़ ने कुछ जरूरत से ज्यादा तरक्की कर ली है. अब चलते हैं आज की वार्ता पर, प्रस्तुत  हैं  कुछ उम्दा चिट्ठों के लिंक…………।
श्रीमान एवं श्रीमती राजकुमार सोनी "बिगुल" वाले
फरारी, फुर्र और फर्राटावि भिन्न समाज-संस्कृतियों में शब्द निर्माण की प्रक्रिया न सिर्फ़ एक समान होती है बल्कि उनका विकास क्रम भी एक जैसा ही होता है । हिन्दी में भाग छूटना, निकल भागना, पलायन करना जैसे अर्थों में *‘फ़...इतना मुश्किल क्यूँ होता है "ना " कहनाइस लम्बी कहानी की कुछ किस्तों पर कुछ लोगों ने कई कई बार यह कहा कि "जब किसी स्त्री पर उसका पति या ससुराल वाले अत्याचार करते हैं तो उसे पहली बार में ही इसका विरोध करना चाहिए " बिल्कल सच है यह क्यूंकि अ...के बीमार का हाल अच्छा है...खुशदीपअच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है, * *हम मरे जाते हैं तुम कहते हो हाल अच्छा है...* *उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक,* *वो समझते हैं के बीमार का हाल अच्छा है...* *रोज़ आता है याँ मेरे दिल को तसल...

अंधेरा...बस अंधेरा !  जब कभी मन नहीं लगता, तो मैं बाहर निकल पड़ता हूँ, मगर सच कहूँ तो, एक अजीब से फासले के साथ, ये मैंने नहीं बनाया, तो फिर किसने बनाया, मुझे कुछ पता नहीं, हाँ, मगर कोई बात तो है, जब भी मैं बोलता हूँ, कुछ डरा ...  जिद्दी सिलवटें मन की चादर पर वक़्त ने डाली हैं न जाने कितनी सिलवटें उनको सीधा करते - करते अनुभवों का पानी भी सूख गया है प्रयास की ... धरती तो पूरी लूट खाई हरामखोरों, जाकर गगन देखो !  *शान-ओ-शौकत के लिए, कैसी है जाकर लगन देखो, * *दौलत के खातिर हो रहे ये, बिन लजाकर नगन देखो !* * * *हाथ लिए गिन रहे हैं माला, नैतिक पतन के जाप की, * *सुलगती है शठ-दिलों में 'परचेत', जाकर अगन देखो ! * 

दिल में हलचल है कुछ दिनों से  दिल में हलचल है कुछ दिनों से, मिल रहा दर्द ही दर्द पलछिनो से, हालात हैं कि सुधरते पाते नहीं, साथ छूटा गया मेरा परिजनों से, दिन गुजरता है बड़ी मुस्किल में, और रात कटती नहीं उलझनों से, चोट मिली है ऐतबार पे...  शहरहित में जरूरी है एकजुटता  तीन साल से बिलासपुर के लोग सीवरेज से परेशान हैं, लेकिन कोई बोल तक नहीं रहा था। न कोई आंदोलन न कोई जनजागरण। पक्ष- विपक्ष की तरफ से भी कोई बयान नहीं आया। जो कुछ था वह अंदर ही अंदर सुलग रहा था। ट...  पलों का बहुत है मोल ... राही जीवन है अनमोल पलों का बहुत है मोल सफ़र को बना सुहाना बस हँसते हुए पग बढ़ाना . टेढ़े -मेढ़े है रास्ते न कोई ठौर , न ठिकाना मंजिल अभी है दूर सफ़र नया अनजाना बस हँसते हुए , हे राही , आगे पग बढ़ाना . ...

जो मुझे अधूरा समझे, वो नगण्य है मेरे लिए ब्रेस्ट कैंसर को हरा कर आने वाली उन विजयी महिलाओं को समर्पित) सुन रही हो मौत ! देख लो ! मैंने तुम्हें हरा दिया, 'मुझसे चूक हो गयी' कहने के सिवा रास्ता क्या बचा था तुम्हारे पास ? मेरे पीछे-पीछे, हर घडी तु... क्या ब्रेकिंग न्यूज़ ने रुकवाई सरबजीत की रिहाई?  विदेश मंत्रालय सोता रहा और नींद के आगोश में हमारे विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने पाकिस्तान को सरबजीत की रिहाई पर बधाई भी दे दी. सवाल ये है कि अगर हमारी सरकार को पाकिस्तानी सरकार की तरफ से सरबजीत की रिहाई के ...  घर-बाहर  यह कविता विष्णु नागर के संग्रह 'घर के बाहर घर' से और मार्क शगाल की कलाकृति 'द ब्लू बर्ड') मेरा घर मेरे घर के बाहर भी है मेरा बाहर मेरे घर के अंदर भी घर को घर में बाहर को बाहर ढूंढते हुए मैंने पाया ... 

मैग्‍नोलि‍या और तुम मैग्‍नोलि‍या के फूल और तुम पर्यायवाची हो जैसे.... जब भी सफेद फूलों से नि‍कलने वाली खुश्‍बू मुझ तक आती है मेरी आंखों में तुम और मैग्‍नोलि‍या साथ-साथ झि‍लमि‍लाते हो... सफेद...खूबसूरत..उज्‍जवल जि‍सकी सुगंध हफ... जमीन से जुड़े लोग  जमीन से जुड़े लोग आपके पावों में अभी चुभा नहीं है कांटा दर्द आप कैसे जानेंगे फूंक फूंक कर पीते हैं वे छाछ भी दूध के जले हैं, इतना तो मानेंगे.... नहीं लगी आग कभी आलीशान महलों में आपके फूस क...  शराबी खरगोश... जादूगर लड़की ने जिस खरगोश को दिल से निकाल कर बैंच पर रख दिया था, उसी खरगोश की कुछ बेवजह की बातें. कुल चार बातें लेकिन दो ही पढ़िए. *भविष्य * पत्री को बांच कर पंडित ने कहा औरतों की डेट, कई सालों के एक ...

हर युग के प्रारब्ध में.  जब तक रहते हैं हम तब तक ईमारत सांस लेती है और त्यक्त होते ही मानों ईमारत का भी जीवन समाप्त होने लगता है... और विरानगी समाते समाते धीरे धीरे वह बन जाता है खंडहर! हर युग की यही कहानी है, हर ईमारत ढ़हती है......  विश्व के कुछ डिजाइनर भवन -  जहाँ एक तरफ डॉक्टर्स डिजाइनर बेबीज पैदा करने में मदद कर रहे हैं ,वहीँ इंजीनियर्स भी एक से बढ़कर एक लेटेस्ट डिजाइन के भवन तैयार कर रहे हैं .प्रस्तुत हैं , विश्व की कुछ अद्भुत बिल्डिंग्स के डिजाइन : *यु ऍफ...  वर्षा से पहले.....  धान के इन बीजों को बारिश की प्रतीक्षा है। कमल के इन फूलों को बारिश का भय है। इन्हें न भय है न प्रतीक्षा। स्थानः वही जहाँ रोज घूमने जाता हूँ। समयः 27-06-2012 की सुबह ……

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद। राम राम

10 टिप्पणियाँ:

शादी की सालगिरह पर हार्दिक शुभकामनाएं |बस्तर पर रचना अच्छी लगी |
आशा

राजकुमारजी को बधाई..सुन्दर सूत्र..

सोनी जी को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें... बढ़िया वार्ता, सुंदर लिंक्स...

राजकुमारजी को बधाई……सुन्दर लिंक संयोजन्।

रोचक वार्ता, राजकुमार जी को बधाई

सोनी दंपत्ति को बधाई और शुभकामनाएं ..वार्ता बढ़िया रही.

बहुत रोचक वार्ता...

हाईटेक वार्ता
सचमुच मे पसंद आई
सादर

सोनी दंपत्ति को वैवाहिक वर्षगाँठ की शुभकामनायें..
चुनिन्दा लिंक्स से सजी है ब्लॉग फॉर वार्ता..
मुझे भी स्थान दिया..आभारी हूँ..

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