बुधवार, 6 जून 2012

हरित अर्थव्यवस्था-बेहतर भविष्य .. ब्‍लॉग4वार्ता .. सगीता पुरी

आज पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है , इस मौके पर पर्यावरण से जुडे सारे पहलुओं पर मंथन करने की जरूरत है , कोयले की खानों से निकलने वाले जहरीले धुएं, कोयला के जाने और लाने में उड़ने वाली धूल से सभी शहरों का बुरा हाल है, इस कारण प्रदूषण का स्तर खतरे के स्तर को पार कर चुका है, पानी भी भयानक तरीके से प्रदूषित हो रहा है। नदी किनारे किया जा रहा अवैध उत्खनन और नगर निगम की लापरवाही के कारण ही आज सारी नदियों  की ये हालत है। प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करके हम अपना विकास तो कर सकते हैं, लेकिन उसका भयंकर दोहन कहीं न कहीं हमारे अस्तित्व को ही खतरे में डाल रहा है। कहीं सरकार विकास के नाम पर पॉवर प्रोजेक्ट, एटॉमिक प्रोजेक्ट लगाकर तो कहीं लोगों की जगह पाने की भूख प्राकृतिक संसाधनों को समाप्‍त करती जा रही है। आज विकास की एकतरफा अंधाधुंध दौड को समाप्‍त कर चतुर्दिक विकास किए जाने की आवश्‍यकता है। अब चलते हैं ब्‍लॉग जगत की सैर कर ली जाए ....

महान दार्शनिक अष्टावक्र। - *उनके पिता कहोल अध्ययन में इतने डूबे रहते थे कि उन्हें और किसी चीज की सुध ही नहीं रहती थी। गर्भस्थित शिशु ने अपनी मां को परेशान देख अपने पिता को उलाहना आधुनिक बोधकथाएँ-२ । (नयी बहु) - (सौजन्य-गुगल इमेज) *नयी बहु ।* विपरीत समय और अपने ख़्बाब की सुंदर कन्या को पसंद करने के चक्कर में, एक महानुभव, करीब-४० साल की उम्र तक कुँवारे रह गए... हरित अर्थव्यवस्था-बेहतर भविष्य - बढ़ता प्रदूषण और उससे अपनी समस्याओं से जूझने के लिए इंसान शापित हो रहा है। हमारे अंधाधुंध विकास से शाश्वत प्रकृति खत्म हो रही है। जंगल उजड़ रहे हैं, 

रंगीलो राजस्थान : आइए करें माउंट आबू के बाजारों की सैर ! - माउंट आबू का ये सफ़र अधूरा रहेगा अगर मैं आपको यहाँ के बाजारों की सैर ना कराऊँ। वैसे तो शिमला. मसूरी और दार्जीलिंग जैसे हिल स्टेशनों की तुलना में माउंट आबू ...  कृष्ण लीला ……भाग 51 - इधर वर्षा ऋतु ने अपना रंग जमाया है ताप से दग्ध ह्रदयों को शीतलता पहुँचाया है घनघोर घन घिर घिर आते हैं दामिनी दमकने लगती है सूर्य चन्द्रमा तारे सब ढक जात... हिम दैत्य ...! - जलातिरेक से विनाश और पुनर्सृजन की गाथायें , काल्पनिकता और यथार्थ के मध्य चाहे जो भी घालमेल करती हों , जैसा भी ताना बाना बुनती हों , पर वे सम्बंधित भूक्षेत... 

वेदों से , तथ्य व् सत्य के मोती – लावण्या दीपक शाह - वेदों से , तथ्य व् सत्य के मोती – लावण्या दीपक शाह ------------------------------ विश्व का प्राचीनतम ग्रन्थ ऋग्वेद है । अथर्व वेद , साम वेद व यजुर्वेद ऋग्वे...  इंकलाबी ... - हाँ ... हूँ ... मैं इंकलाबी हूँ ! करूँ तो क्या करूँ ? जिधर देखो उधर लूट, शोषण, ह्त्या, बलात्कार की ... चीखें हैं !! हाँ ... हूँ ... मैं इंक... दीवार - प्रायः हम सबने पढ़ा है, सुना है श्रीमान कि दीवारों के भी, होते हैं कान कभी कभी ऐसा क्यों महसूसता हूँ कि दीवारों की आँखें भी होतीं हैं इसलिए तो, आँगन में, ... 

दिमाग को धोखा देने वाला चश्मा - जापान के वैज्ञानिकों ने ऐसा चश्मा बनाया है जो दिमाग को चकमा देकर इंसान को मूर्ख बना सकता है. इसे पहनने के बाद खाने पीने की चीचें भी छोटी या बड़ी दिखाई पड़न...  हसीन मुलाकातें...कुछ यादें ...कुछ बातें - खुद से मिलना खुद को पाना खुद से मिलकर फिर खुद में समां जाना कितनी हसीन होती है ये मुलाकातें खुद से जब करती हूँ खुद की बातें न कुछ बोलना न कुछ सुनना ब...शाकाहार संकल्प और पर्यावरण संरक्षण (पर्यावरण दिवस पर विशेष) - हरे भरे जीवनदायी ग्रह पर जहां हम निवास करते हैं, वहां से जीवों की कई प्रजातियां हमेशा के लिए विलुप्त हो रही हैं। ऐसा सदियों से होता आ रहा है।

 .......प्रधानमंत्री जी ...???? - " कहने - सुनने " वाले सभी मित्रों को, मेरा कर्ण - प्रिय नमस्कार !! स्वीकार करें !! कल हमारे प्रधानमंत्री जी ( जो चालक व्यक्तियों के प्रिय हैं.. स्वागत गीत,,,,, - [image: Friends18.com Orkut Scraps] - स्वागत गीत - आप आये यहाँ पर शत शत नमन खिल उठा आज जैसे बसंती चमन हाथ पुष्पों की माला लिये हम खड़े कर रहे आपका स्वागतम ... .( rashifal ) कैसा रहेगा आपके लिए 5 , 6 और 7 जून 2012 का दिन ?? - मेष लग्नवालों के लिए 5 ,6 और 7 जून 2012 को भाग्य के साथ देने से काम बनेंगे यानि किसी परिणाम में संयोग की बडी भूमिका रहेगी, धार्मिक कार्यक्रमों में भी सुखद... 

 क्या क्या छूट गया ! - हिदायतों का समय गुजर गया चलो अपने शब्दों की डोक्युमेनट्री फिल्म में तुम्हें वो पल दिखाएँ जिनके मायने थे देखो गौर से क्या क्या छूट गया ... चिलचिलाती धूप पस... यादें...संध्या शर्मा - आज मिले फुर्सत के कुछ पल, बक्सों में बंद यादों संग हो ली. जीर्ण होती एक-एक परत, बड़े ही जतन से खोली. मैंने इनसे कुछ ना कहा, ये मुझसे जीभर के बोली. कितन... ब्लॉगिंग और हिंदी ब्लॉगर्स - * * *दोस्तों , * *नमस्कार और आप सभी को जीवन की अनेकानेक शुभकामनाएँ.* *दोस्तों , आज आप लोगो के सम्मुख न तो मैं अपनी कविता लेकर आया हूँ और न ही कहानी . 

 ग्रीष्म-1: ग्रीष्म-गरिमा-1 - गर्मी की बरजोरी ने बहुतों का मन थोर कर दिया है, मेरा भी। वसंत का मगन मन अगन-तपन में सिहुर-सा गया है। कोकिल कूकने से ठहरी, भौरा गुंजरित होने से, फिर अपनी ... सूर्य पर शुक्र की चहलकदमी - जी हाँ आप भारत के किसी भी हिस्से से कल सुबह उठते ही एक बहुत दुर्लभ अद्भुत आकाशीय नज़ारा देख सकेगें जिसे शुक्र का पारगमन कहा जाता है .दरअसल यह सूर्य पर शुक... आर्थिक संकट में देश - कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जिस तरह से उपस्थित नेताओं ने संप्रग सरकार के गिरते हुए राजनैतिक ग्राफ पर चिंता जताई उससे यही लगता है कि आने वाले समय म... 

 चलते चलो रे २ -सफर चार राज्यों का और पहुंचना यलोस्टोन (वायोमिंग) - सुबह साढेपांच बजे उठ कर तैयार हुए । नाश्ता सीरीअल का ही कर लिया ताकि ज्यादा समय ना लगे । आठ बजे तक निकलने का सोच लिया था ताकि समय से गंतव्य पर पहुंच जाये... कुलीनों का पर्यावरण - [image: Environment-Image] हि न्दी की पारिभाषिक शब्दावली के जो शब्द बोलचाल में खूब प्रचलित हैं उनमें * पर्यावरण* का भी शुमार है । यहाँ तक कि यह शब्द अब कुली... उत्तराखंड में पैर पसारते वाइज ! - जहाँ तक जातिगत वैमनस्यता का सवाल है उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से भी अलंकारित किया जाता है, में कुछ चुनिन्दा अवसरों, खासकर चुनावी मौसम में सीमित स्तरों... 

 सिर्फ बातों से थोड़े न बचेगी दुनिया - वैज्ञानिकों का कहना है कि हर कोई अपने स्तर से प्रयास करे, तो ग्लोबल वार्रि्मग के बढ़ते दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है | यहाँ दिए गए कुछ छोटी छोटी पर बेहद... दुलियाजान में तेंदुआ - ३ जून २०१२ को असम के डिब्रूगढ़ जिले की तेल नगरी दुलिया जान में एक तेंदुआ जंगल से भटक कर आ गया, १३ लोगों को घायल कर स्वयं शिकार हुआ वन्य अधिकारी की गोली का, म... देश समूचा खा कर ही पिंड छोड़ेंगे, दिल्ली पर जिनका है ताबा बाबाजी - दहशत-वहशत, ख़ूनखराबा बाबाजी गुंडई ने है अमन को चाबा बाबाजी काम से ज़्यादा संसद में अब होता है हल्ला-गुल्ला, शोर-शराबा बाबाजी मैक्डोनाल्ड में... 

बांस की टोकरी .... ...!! - एकत्रित कर .. स्मृति के सुमधुर क्षणों को ... बीन- बीन बटोर लायी हूँ ... सूखे सूखे पुष्पों को .. तोड़-तोड़ पंखुड़ी...... लबालब भर ली .... बांस की टोकरी...!! याद...  तुम्हारे पास डंक है एक मात्र विकल्प .. - साभार: हिंदी-लतीफ़े अक्सर खुद से पूछता हूं एक हारी देह लेकर अब तक ज़िंदा क्यों हूं..? खुद से पूछने का मतलब है कि -"शायद अब कोई निर्णय लेना है" मुझे खुल के ... अपना अपना सबेरा - एक सुबह इनकी सूरज नवजात शिशु सा और लहरें गोया स्वागत में हुलकना शुरू ही कर रही हों ! नदी की उस छोर से इस छोर तक सुनहले पुल सा पसर गया है आलोक ! नाव ... 

कार्टून :- टीम अन्‍ना ? .... न्‍न्‍न्‍न न नन



आज के लिए बस इतना ही , वार्ता को देते हैं विराम , मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ...


6 टिप्पणियाँ:

महत्वपूर्ण सन्देश देती सुन्दर लिंक से सजी सुव्यवस्थित वार्ता... बहुत-बहुत आभार संगीता जी

सन्देश देती वार्ता |सार्थक वार्ता |
आशा

बहुत सुन्दर लिंक संयोजन

सुन्दर लिंक्स...

क्रपया मेरे ब्लॉग भी ब्लोगोदय से जोड़ने का कष्ट करें :
http://sharmakailashc.blogspot.com/

http://bachhonkakona.blogspot.com/

आज तो सूत्रों का रस भर टोकरा मिल गया है।

बढ़िया वार्ता.... सुंदर लिंक्स....
सादर आभार।

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