मंगलवार, 19 जून 2012

तुम हँसो... कि चाँद मुस्कुराये...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... फ़ेसबुक पर अमित श्रीवास्तव जी ने बड़े मार्के की बात कही, आपसे बांटना चाहूंगी …कार के साइलेंसर से पानी की बूंद जो टपके ,संकेत है: इंजन अपना काम कर रहा है,ए.सी.के आउट लेट से पानी की बूंद जो टपके,संकेत है: ए.सी.अपना काम कर रहा है, उनको याद करते करते आँखों से बूंद जो टपके संकेत है:दिल अपना काम कर रहा है| बात पते की है। प्रस्तुत हैं वार्ता में कुछ पोस्ट लिंक्स, आशा है पाठकों को पसंद आएगें....

तपती जून में..चिलचिलाती धूप चुभती गर्मी तन मन की प्यास बढाए. जलती आँखें चुभती साँसें पपड़ाये होठ बहता घाम तेज वारा पवन भी भरमाए. जलती धरा पे पड़ी जो बूंद भाप बन उड़ जाए पथिक को मिले न चैन उमस तो घिर -घिर आए. बरसो हे ,इन...हमें का हानि?बाबूलाल फिटर बिना नागा रोज सुबह साढ़े नौ बजे राधे की पान की दुकान पर पहुँच जाता है। तब पान की दुकान खुली ही होती है। वह पान की दुकान के आरंभिक कामों में राधे की मदद करता है। राधे उसे चाय पिलाता ह...वेश्या उद्धारक शक्ल जानी पहचानी क्यों लगती है ? * *दूर है तो पास इतनी क्यों लगती है?* * लिख चुके हैं कई, इसे पढ़ चुके कई, हर गज़ल, मेरी कहानी क्यों लगती है ? * =========== " मैं तुमसे एक बिनती करना चाहता हू...

वह जो छुप-छुप कर एकांत ढूंढने के लिए छुपनाबचपन-आलोक  धन्वा  क्या किसी को पता हैकि कौन-सा बचपनसिर्फ उसका बचपन हैउतने बच्चों के साथमैं भी एक बच्चाक्या किसी को पता हैकि बचपन की बेला बीत गईवे जो पीले नींबू के रंग के सूर्यास्तजो नानी को याद करोतो मामी भी...सीवरेज पर सियासत कब तकशहर में बारिश से निपटने की तैयारी कैसी है, इस बात का अहसास उन लोगों को बखूबी हो गया होगा, जो रविवार को मामूली बूंदाबांदी से ही हलकान हो उठे। यकीनन इस बार की बारिश बिलासपुर पर बहुत भारी पड़ने वा... मेरे गीत का लोक समर्पण  16 जून लगभग ५:३० सायं हिन्दी के प्रख्यात हस्ताक्षर डॉ राजेंद्र अग्रवाल जी, डॉ योगेन्द्र दत्त शर्मा , डॉ भारतेंदु मिश्र जी, श्री अशोक गुप्ता ,एवं प्रोफ़ेसर डॉ अम्बरीश सक्सेना, जिन्हें देश में मीडिया गुरु...

एक रागिनी है मस्ती कीएक रागिनी है मस्ती की एक ही धुन बजती धड़कन में एक ही राग बसा कण-कण में, एक ही मंजिल, एक ही रस्ता एक ही प्यास शेष जीवन में ! एक ही धुन वह निज हस्ती की एक रागिनी है मस्ती की, एक पुकार सुनाई दे...धइलें रही हमके भर अंकवरीया..तन्मय ने कुछ लोगों को अपनी बर्थ पर कब्जा किये देखा तो पूछ बैठा,- "भाई साब, आप लोगों का टिकट" ? "टिकस तो है लेकिन वेटिन्न में है, क्या करें हम तीन महीना पहले से टिकस निकाले लेकिन तब्बौ कन्फम नहीं ...खूब लड़ी मर्दानी ...झाँसी की रानी सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्त...

साथ तेरा मेरादिखे जब रंग इन्द्रधनुष के कुछ स्वप्न भूले बिसरे याद आए दे के दर्द गए वह पवन के झोंके भी जब हौले से वह यूं छु जाए चुभी दिल में कोई फाँस सी जब कोयल कुहू कुहू गाए हर बीता मौसम दे याद तुम्हारी पर गुजरा वक्त क...एक अफवाहएक अफवाह थी कि वो बदलना चाहते हैं, आगे की गलत राह से संभालना चाहते हैं, अब तक जो, आँखों से आँशू बहा रहे थे, हांथों से वही गालों को मलना चाहते हैं, मकसद था पाल रखा मेरी जान लेना, वो दुश्मन दोस्ती में, ढलना ...सुनो !मैं पढ़ रहा हूँ तुम्हे ...सुनो ! तुमसे बात करना कविता लिखने जैसा है ..बेहद नाजुक बातें होती है तुमसे ...बातें नाजुक हां ...इन गुलाबी होंठो से खुदा ना करे कोई और बातें हो ..तो मैं कह रहा था तुमसे बात करना .....तुम्हारी उंगलिया अनज...

तुम हँसो......तुम हँसो..... कि चाँद मुस्कुराये, तुम हँसो..... कि आसमान गाये. खुशबुयें फूल से उड़के कलियों पे आये, पत्तों पे शबनम की बूँदें नहाये, कलियों के दामन में जुगनू चमक लें, नज़्मों की चौखट पे लम्हे ठहर लें, खिड...करे कोई भरे कोई ...आज कुछ भी शुरू करने से पहले ही बता दूँ, इस पोस्ट को पढ़ने के बाद हो सकता है मेरी कुछ महिला ब्लॉगर दोस्तों को बुरा लगे मगर जो मुझे लगा जो मैंने महसूस किया वही मैंने लिखा। कमाल की बात है ना, आज के ज़माने ...शरीर...इश्क़...ज़िन्दगीआँखों से बरसते ये शोले वहशत के नहीं, मेहनत के हैं. इन्हें तेरी ज़ुल्फ़ों की नर्म छाँव नहीं ठंडा-काला अँधेरा चाहिए. हर साँस में आती है सुलगते बारूद की बू. इन्हें तेरे लम्स की नहीं, गीली मिट्टी की ख़ुश्बू चा.


लॉफिंग .....बुद्धा नहीं...पुलिस ..पुलिस कहीं भी हो हमेशा ही डरावनी सी होती है .इस नाम से ही दहशत का सा एहसास होता है .पुलिस नाम के साथ ही सख्त, क्रूर, डरावना, भ्रष्ट, ताक़तवर, असंवेदनशील और भी ना जाने कितनी ही ऐसी उपमाएं स्वंम ही दिमाग म..कलाम को मुसलमान बना दिया नेताओं ने *दे*श के जाने माने वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अबुल कलाम को इन नेताओं ने मुसलमान बनाकर रख दिया है। देश ही नहीं दुनिया कलाम साहब की योग्यता का लोहा मानती है। उनकी काबिलियत के आधार पर ही वो 2002 म...हमारे मौननि: शब्द हूँ मैं तुम्हारे मौन को पालती हूँ पोसती हूँ और जब होता है मौन मुखरित तो हतप्रभ सी रह जाती हूँ , हमारी सोचें कितनी भी हों विरोधाभासी फिर भी कभी "हम" के वजूद से नहीं टकरातीं जब तुम्ह..

कुछ अनकहा सा कुछ झूठ* * * * * *कुछ झूठ बतलाने के लिए होते हैं.............* *कुछ झूठ छुपाने के लिए होते हैं.............* *कुछ झूठ दिखाने के लिए होते हैं.............* *कुछ झूठ **सुनाने ** के लिए होते हैं..कथाकार अरुण प्रकाश को विनम्र श्रद्धांजलि!कुछ देर पहले सूचना मिली कि कथाकार अरुण प्रकाश का लम्बी बीमारी के बाद दिल्ली के पटेल चेस्ट हास्पिटल में निधन हो गया है. इस समाचार से दुखी हूँ! मेरी एक बार मुलाक़ात हुई थी अरुण प्रकाश जी से. २००५ में. साहित...सत्रह जून सन बयालीसहमारे रचना संसार ने युद्ध के कठोर यथार्थों के बीच भी कोमल रूमानियत के लिये जगह की तलाश की और उन्हें सहेज कर रखा। अंगरेजी में बनी फिल्म 'समर ऑफ़ ४२' और हिन्दी में प्रकाशित कहानी 'उसने कहा था' दो ऐसी रचनात्...

दीजिये इजाजत. मिलते हैं अगली वार्ता में नमस्कार......

8 टिप्पणियाँ:

बहुत बढ़िया सूत्र, छूट गये सूत्र भी पढ़ते हैं..

वाह बहुत सारे सुंदर लिंकों से सजी वार्ता .. आभार !!

बेहतरीन लिंकों से सजी सुंदर वार्ता .. संध्या जी आभार !!

बहुत अच्छे लिंक्स
अच्छी वार्ता

बढ़िया लिंक्स मिले संध्या जी.

बहुत सारे लिंक्स से सजी बढ़िया वार्ता .... आभार

विविध रंग लिए सुन्दर वार्ता ! बढ़िया लिंक्स !

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