मंगलवार, 12 जून 2012

'सूर्योदय' हुआ समंदर की धड़कन सुनकर...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... आप सभी के कमेंट्स देखकर मन बहुत खुश हो जाता है, जब आप लिखते है, बहुत सुन्दर वार्ता, सुन्दर-सुन्दर लिंक्स से सजी सुन्दर वार्ता, बहुत सुन्दर वार्ता संध्या जी. लेकिन वार्ता तो सुन्दरता पाती है आप सभी की सुन्दर सी लिंक्स और पोस्ट के माध्यम से और श्रेय मिलता है मुझे. है न बहुत-बहुत -बहुत खुश होने वाली बात...आइये इसी ख़ुशी में आप भी हमारे साथ चलिए आज की ब्लॉग 4 वार्ता पर कुछ सुन्दर-सुन्दर लिंक्स के साथ...

मारो गोली उम्र को जब पहली सफेदी उतरी थी यूँ कहें दिखी थी .... तो मन के भीतर एक बुलबुला उठा था तोड़ने को हाथ बढ़ाये ही थे कि किसी ने कहा - यह माँ का प्यार होता है बचपन से कहीं छुपा रहता है कभी कभी दिखता है .... गुरुर बन...बूंदे... कभी बादलों से, बरसती हैं बूंदें, कभी अश्क़ बनकर, तरसती हैं बूदें, कभी प्यास सबकी, बुझाती हैं बूंदें, कभी आग़ दिल में, लगाती हैं बूंदें.. कभी बन पसीना, हैं ठंडक दिलाती, कभी बन परेशानी, माथे पे आती, हों कम त...गजल मैं सहर की शाम की हर पीर लिखता हूँ जिंदगी में हर कदम तज्वीर लिखता हूँ |१| काट कर जड़ जंगलों की बादलों की मैं, इस धरा की सूखती तकदीर लिखता हूँ |२| हसरतों ने राह मेरी रोक ली ऐसे, अपने पैरों में पडी जंजीर... 

मरहम  मोहल्ले की झोपड़ पट्टी में कोहराम मचा था..... रामू रिक्शेवाले के बेटे ने खुदखुशी कर ली अरे वही होनहार बालक न ...जो पढाई में अव्वल था पुरे मोहल्ले की शान था ... हाँ वही ...दाखिले के लिए गया ... मगर उसका ह.....समंदर की धड़कन सुनकर...!जैसी लिखी गयी समंदर किनारे पहली बार उस रूप में ही सहेज रहे हैं यहाँ...! चिरंतन पर सागर से भावों को बाँधने के साझे प्रयास में एक कड़ी के रूप में जुड़ने हेतु लिखी गयी थी यह कविता... दुबारे पढ़ते हुए कुछ एक संश... कल शहर मे आग पकड़ने वाले घूम रहे थे... कल शहर मे आग पकड़ने वाले घूम रहे थे... मैं अपनी झोपड़ी मे दुबक बस शोर सुन रहा था... छत के छेद से झाँक कर देखा तो... लोग हाथों मे आग दबोन्चे दौड़ रहे थे... आग तड़प रही थी... चीख रही थी... हवा से गुहार कर रही..

श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (१४वीं-कड़ी)  तृतीय अध्याय (कर्म-योग - ३.८-१५) नियत कर्म है उसे करो तुम, कर्म श्रेष्ठ, अकर्म से अर्जुन. बिना कर्म तो नहीं है संभव इस शरीर का पालन पोषण. बांधे वह कर्मों से जन को कर्म नहीं जो यज्ञ निमित्त. हो आसक्ति मु.चारधाम (उतराखंड )की यात्रा ......संस्मरण ब्लागर साथियों आपलोगों को बताते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है की मेरी अविस्श्नीय,अकल्पनीय ,अविस्मरनीय ......पहाड़ी ....दुर्गम रास्तों से गुजरकर जानेवाली यात्रा पूरी हो गई .मैंने हमेशा यही सोचा था की मै केदारनाथ ... ..कुछ हिस्सों का पटाक्षेप कभी नहीं होतासुना था आज मंगल , शुक्र बृहस्पति और बुध का अनोखा संयोग है आस्मां में चमकेंगे शाम के धुंधलके में दो माह तक मैंने भी बीनने शुरू कर दिए अपने हिस्से के दाने शायद मुझे भी मेरा सितारा मिल जाये जो बिछड़ा था ...

खत ... तेरी यादों से पीछा छुड़ाने के बाद और नींद की आगोश में जाने से पहले न जाने रात के कौन से पहर तेरे हाथों लिखे खत खुदबखुद दराज से निकलने लगते हैं कागज़ के परे एहसास की चासनी में लिपटे शब्द ...अच्छों की सूची प्रकाशित हुई....फिसलन हुई तो फिसल जायेंगे बुढ्ढे नही जो संभल जायेंगे। अच्छों की सूची प्रकाशित हुई बताओ बुरे अब किधर जायेंगे। न इधर के रहे न उधर के हुए झूठी तारीफ लेकर क्या पायेंगे।मेरे गीत * * "मेरे गीतों में" मेरे ह्रदय की भावनाएं हैं, पूरी और अधूरी कामनाएं हैं... बच्चों सी हँसी ठिठोली है कुछ खट्टी मीठी बोली है... रांझे-हीर सा प्यार है मेरे मन का हरसिंगार है... कविता का सम्मान है मेरा.. 

महेशपुर ---------- ललित शर्मा बड़े देऊर मंदिर, के पी वर्मा,ललित शर्मा, राहुल सिंहहम *महेशपुर* की ओर बढ रहे हैं, उदयपुर रेस्टहाउस से आगे जाकर दायीं तरफ़ के कच्चे रास्ते पर गाड़ी मोड़ने का आदेश मिलता है। यह रास्ता आगे चलकर एक डब्लु बी एम... गरजो बादल , बरसो बादल गरजो बादल , बरसो बादल सूख गई आँगन की तुलसी और सूख गई माँ की आंचल गरजो बादल , बरसो बादल // सूख गए है खेत और नदियाँ सूख गई तरुवर की कलियाँ सूख गई अधरों की लाली सूख गई आँखों का काजल गरजो बादल , बरसो..'सूर्योदय' हुआ...... सात घोड़ों ने कसी 'जीनें' कि किरणें कसमसायीं, झील में जैसे किसी ने घोल दी, जी भर ललाई. पिघलती सोने कि नदियों पर,पड़ी आभा गुलाबी, फालसई चश्में में ज्यों केशर मिला दी. इन्द्रधनुषी रंग में चमकी चपल-चंचल..

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjd1F-5Q5n03lFO33qxxmqa7735TwE5HmXKVw1X-87yg7-07_6Ejq7ofcBBnnDmejmPzvekpGMhJhqaecOIxGifg5gpHmQIQc5vwsmWqa0X5MicQWmMv2WFhFjSaUDBaicHPtedNSSzAvQ/s1600/11.6.2012.jpg....



वार्ता को देते हैं, विराम मिलते हैं, अगली वार्ता पर तब तक के लिए नमस्कार .......   

6 टिप्पणियाँ:

कार्टून को भी सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए आपका आभार

मेरी पोस्ट को सम्मिलित कर्ने के लिए आभार संध्या जी। सुप्रभात

बढ़िया वार्ता बढ़िया लिंक्स...
शुक्रिया संध्या जी.

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