शनिवार, 30 जून 2012

मोलई माट्साब फ्लाइंग किस और इक ख़याल … ब्लॉग4वार्ता …… ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, राहुल सिंह कहते हैं - किताबी प्राचीन छत्‍तीसगढ़ से पहले-पहल मेरा परिचय एक विवाद के साथ हुआ था, लेकिन जहां तक मेरी जानकारी है, इस विवाद के बाद भी प्‍यारेलाल गुप्‍त जी, पुरातत्‍व की तब युवा प्रतिभा लक्ष्‍मीशंकर निगम जी (अब वरिष्‍ठ विशेषज्ञ) के सदैव प्रशंसक रहे और निगम जी भी गुप्‍ता जी के उद्यम का बराबर सम्‍मान करते रहे। इस भूमिका के साथ सन 1973 में दैनिक देशबन्‍धु में प्रकाशित टिप्‍पणी यथावत प्रस्‍तुत है… अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर, साथ ही पढिए एक उम्दा कविता, पसंद आए तो प्रतिक्रिया अवश्य दीजिए।

मोलई माट्साब *कभी कभी ऐसा समय सामने आ जाता है जब आप अवाक हो बस देखते रहते हैं। बीच बीच में आँखें मलते रहते हैं कि क्या यह सच है जो सामने घटित हो रहा है? सब कुछ बुलबुलों...घर-बाहर (यह कविता विष्णु नागर के संग्रह 'घर के बाहर घर' से और मार्क शगाल की कलाकृति 'द ब्लू बर्ड') मेरा घर मेरे घर के बाहर भी है मेरा बाहर मेरे घर के अंदर भी घ...विश्व के कुछ डिजाइनर भवन --- जहाँ एक तरफ डॉक्टर्स डिजाइनर बेबीज पैदा करने में मदद कर रहे हैं ,वहीँ इंजीनियर्स भी एक से बढ़कर एक लेटेस्ट डिजाइन के भवन तैयार कर रहे हैं .प्रस्तुत हैं , व...


सुगम-दुर्गम ! *मेरे अरमानो के महल पर, * *अतिक्रमण उन्मूलन * *दस्ते की आड़ में, * *चलाकर अपनी * *ख्वाहिशों का बुलडोजर, * *तुमने **उसे * *जमींदोश किया था जभी से !* *त...सुरूर वही दिन वही रात वही सारी कायनात कुछ भी नया नहीं फिर भी कुछ सोच कुछ दृश्य अदृश्य दिखाई दे जाते कुछ खास कर गुजर जाते फिर शब्दों की हेराफेरी जो भी ल..नई शुरुआत प्यारे पापा*,* सॉरी जो मैंने जन्म लिया और आप की तकलीफों का कारण बनी ये आखरी मेल लिख रही हू आज के बाद ना मैं कष्ट में होउंगी ना आप को आसुओं से सराबोर मेसेज...


भारत के नक्‍शे में करांची और पाकिस्‍तान... सरबजीत सिंहएक पुरानी कहावत है, चोर चोरी से जाए, पर हेराफेरी से न जाए। पाकिस्तान का भी यही हाल है। किसी समय भारत की दया पर जिंदा रहने और भारत की वजह से ही अ...इतना मुश्किल क्यूँ होता है "ना " कहनाइस लम्बी कहानी की कुछ किस्तों पर कुछ लोगों ने कई कई बार यह कहा कि "जब किसी स्त्री पर उसका पति या ससुराल वाले अत्याचार करते हैं तो उसे पहली बार में ही...यादों में परसाई जी: ‘व्यंग्य यात्रा’ -‘व्यंग्य यात्रा’ का हरिशंकर परसाई की साहित्यिक यात्रा पर केंद्रित अंक का पहला खंड प्रकाशित होकर अपने पाठकों तक पहुंच गया है। 192 पृष्ठ के इस अंक में मेरा.


नहीं लिखा खुदा ने लकीरों में तेरा नाम! नहीं लिखा खुदा ने लकीरों में तेरा नाम!! यादों में रहता है तू हर पल सुबहो- शाम!! नहीं हटता तसव्वुर तेरा पलकों से मेरी !! धड़कनें भी लेती हैं हर पल तेरा ही ना...मृत्यु और मेरा शहर *बचपन में पढ़ी गीता का अर्थ मैं जान पाई बहुत देर बाद, मेरे शहर में जहाँ जीवन क्षणभंगुर है और मृत्यु एक सच्चाई है.... दादाजी कहा करते थे मृत्यु से छ माह पह...है कोई मीरा उर्फ सबीना जैसी.... -*मीरा और **नत्थू खान विवाह के बाद* *-डॉ. शरद सिंह* *प्रेम करना और लिव-इन-रिलेशन में रहना महानगरों के लिए भले ही कोई विशेष बात न रह गई हो किन्तु छोटे श...


चिठिया लिख के पठावा हो अम्मा .. (भोजपुरी) -चिठिया लिख के पठावा हो अम्मा गऊंआ क तूं हाल बतावा हो अम्मा टुबेलवा क पानी आयल की नाही धनवा क बेहन रोपायल की नाही झुराय गयल होई अबकी त पोखरी पर...आगत की चिंता नहीं -*धनमद-कुलमद-ज्ञानमद, दुनिया में मद तीन, अहंकारियों से मगर, मति लेते हैं छीन। गुणी-विवेकी-शीलमय, पाते सबसे मान, मूर्ख किंतु करते सदा, उनका ही अपमान। जला ह...संदर्भ: भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष -*लोकप्रियता की अजब पहेली राजेश खन्ना* * कुछ अनछुए आत्मीय प्रसंग* विनोद साव साल 1969 से 1974 तकरीबन पॉंच सालों का यह एक ऐसा दौर था जिसमें हमारे हिस्...


क्या ब्रेकिंग न्यूज़ ने रुकवाई सरबजीत की रिहाई? -विदेश मंत्रालय सोता रहा और नींद के आगोश में हमारे विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने पाकिस्तान को सरबजीत की रिहाई पर बधाई भी दे दी. सवाल ये है कि अगर हमारी सरकार..अभियान का आखिरी दिन *सर्किट हाउस तिराहे से अदालत की ओर मुड़ना था *पर वहाँ सिपाही लगे थे और सब को सीधे निकलने का इशारा कर रहे थे। सिपाहियों के पीछे सर्किट हाउस के गेट से कु...वजूद ........... *न मैं लैला,न मजनू तुम* *न मैं हीर, न ही फरहाद तुम * *जीवन की आपधापी में* *हमारा प्यार परवान न चढ़ सका,* *मोहताज़ हो गया खुद अपना....* *खुद अपना ही !!* *अ...


फ्लाइंग किस और इक ख़यालयाद है तुमको... उस शाम जब तुमने लौटते हुए... फ्लाइंग किस दी थी... बादल शरमा के लाल हो गये थे... बहुत याद करते हैं तुम्हें... अब जब भी तुम्हारा खत आता है..बगल के मैदान में........ कुछ साल पहले की बात है........ बगल के मैदान में सुबह से ही गहमा-गहमी थी, टेंट लग रहा था दरियां बिछ रही थीं कु्र्सियां सज रही थीं । रह-रहकर हेलो, हेलो...परायों के घर कल रात दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई; सपनो की आंखो से देखा तो, तुम थी .....!!! मुझसे मेरी नज्में मांग रही थी, उन नज्मों को, जिन्हें संभाल रखा था, मैंने तुम्...


वार्ता को देते हैं विराम,  मिलते हैं ब्रेक  के बाद…… राम राम

10 टिप्पणियाँ:

सुन्दर लिंक संयोजन....शुभकामनायें !!

आज की वार्ता विवाद से ही आरंभ हुई है.

बहुत बढ़िया वार्ता... हमारी रचना को स्थान देने के लिए आभार आपका...

बहुत बढ़िया वार्ता.

अच्छी वार्ता,,,,,बेहतरीन प्रस्तुति,,,,

वाह क्या गज़ब की है वार्ता। सभी लिंक्स बढ़िया लगे। शुक्रिया ललित भाई।

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More