शुक्रवार, 22 जून 2012

सहरा को समंदर कहना, इसी गाँव में रहना -- ब्लॉग4वार्ता ------- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, सभी मित्रों को रथयात्रा की बधाई, face book पर पंकज झा कह रहे हैं "भारतीय राजनीति से अगर आप भाजपा को माइनस कर दें तो तमाम राक्षसी युगों से ज्यादा वीभत्स दिखेगा आज का परिदृश्य. भविष्य को कभी अगर निष्पक्ष इतिहास लिखने का मौका मिला तो निश्चय ही वह कांग्रेस को किसी गोरी, किसी गजनबी, किसी तैमूर, किसी तुगलक, किसी फिरंगी या किसी लालू-मुलायाम-राजा-करूणानिधि से बीस नहीं आंकेगा. आज संगमा ('पूर्वोत्तर' के ' इसाई' 'आदिवासी' ) को समर्थन कर बीजेपी ने फिर यह साबित किया है कि एक यही पार्टी हर मज़हब, जाति, क्षेत्र के लोगों का केवल एक ही पहचान समझती है और वह है भारतीय. शाबास भाजपा. 'लाख मजबूर करे वक्त का फिरऔन तुझे, पर न मेरे दोस्त तू सहरा को समंदर कहना." अब चलते हैं आज की ब्लॉग4 वार्ता पर, सैर करते हैं ब्लॉग नगरिया की……… सुप्रभात
जय जगन्नाथ 
ठीक अभी इसी वक्त मैने सुना कि राजेश खन्‍ना गंभीर रूप से बीमार हैं, सुन कर अच्छा नहीं लगा। अपने जमाने के सुपर हीरो राजेश खन्ना की कुछ दिनों पूर्व नयी फ़ोटो देखी थी। जिसमें वे कुछ थके से नजर आ रहे हैं अपडेट है कि उन्होने खाना भी छोड़ दिया। ईश्वर से प्रार्थना है कि "काका" को शतायू बख्शे। कुछ सवाल अनसुलझे से रह जाते हैं जीवन में। कितना ही बड़ा आदमी हो,  एक दिन  उसे बूढा होना ही पड़ता है। संसार में  कोई भी अजर अमर नही है, सोचना पड़ता है कि दो कदम का सफ़र तय करके  भागीरथ के पुरखे तर ही जायेंगे, इसकी क्या गारंटी है पर सारे ख्वाब पूरे नहीं होते कुछ कुछ ख्वाब अधूरे रह जाते हैं।
आपके लिए लाए हैं जगन्नाथ का महाप्रसाद - जय जगन्नाथ
यदि मेरे हाथों में शासन की बागडोर हो तो कुछ कमाल हो जाए, तीन चीजों पर प्राथमिकता से ध्यान दिया जाए। गैस सिलेंडर, पीने का पानी और बिजली रानी को गेयर में ले आए। पर कुर्सी पर बैठते ही माथा  फ़िर जाता है लोगों का। अंतरात्मा की आवाज! सुनाई नहीं देती। चल पड़ी है एक सैलानी की कलम, निकलेगी कुछ यादों की खुरचनें, कुछ नयी ताजा आँखो देखी। कुछ सरसराहट हुई, जंगल का लोकतंत्र  अब राजग, राजधर्म और चुनाव के बीचे ले रहा हिलोर, राष्ट्रपति चुनाव की बज गयी रण भेरी। मच रहा है शोर………
अपन खाथे गुदागुदा-हमला देथे बीजा बीजा
पिता की नसीहतें काम आती है जीवन भर, मनुष्य के लिए एक धरोहर ही है नसीहतें,  ये ही मार्गदर्शन करती हैं। इसे एक उपलब्धि  मान कर चलिए। इधर गहमा गहमी मची हुई है राजनितिक थाली के बेन्गुन " लुढकने को बैचेन हैं। कौन किधर लुढक जाए क्या पता। नीतिश कुमार प्रधानमंत्री बनने के जोड़ जुगाड़ में हैं तो मोदी ताल ठोंक कर मैदान में। कुछ पार्टियाँ अभी तक नींद ले रही हैं जब चुनाव आएगा तब जागेगीं। हो सकता है इनके मंत्र योग से  ये बात बन जाए। अजीत सिंह का फ़साना भी गजब है। ये तो सदासुहागन है, किसी भी पार्टी की सरकार आए, केबिनेट में इनका मंत्री बनना तय है। इनका नाम वैसे गीनिज बुक में दर्ज होना चाहिए।
भारत निर्माण - उधर से न सही, इधर से सही
दोस्ती की नींव पर खड़ी होती है बुलंद ईमारत। इस ईमारत में बसता है दोस्तों का दिल। गर्मी के मौसम में दिल को ठंडक देने के लिए पहाड़ों पर भी चलने लगे हैं ऐ सी । पहाड़ों पर चलने वाले ए सी से पता चलता है की पर्यावरण में परिवर्तन हो रहा है। अभी चेतने का समय आ गया है।  सरगर्मी को देखते हुए अन्ना का यू-टर्न ले लिया है। अन्ना टीम के साथी भी बिखर गए हैं, कांग्रेस भी यही चाहती थी, उस समय मामला गर्म था उसके ठंडा होने का इंतजार किया कांग्रेस ने और इसका फ़ल भी मिला। मुझे जबसे तुमसे प्रेम हुआ बस तेरा चेहरा बुनती हूँ, कांग्रेस का कहना है।ऐसा प्रेम भी खतरनाक है, जो दोस्ती की ही वाट लगा दे।
अमीर - गरीब
अब बात निकली है रिश्ता -तुमसे मेरा..., रिश्ते तो बन जाते हैं और निभाए भी जाते हैं।  क्षितिज में सूर्योदय होने को है। उषाकाल में किरणों का रथ धरती पर उतरना चाहता है पर बदली घनघोर छाई है। एक सवाल खुद से खुद के लिए है कि क्या इस स्थिति  में तम को चीर कर किरणें धरती पर आ सकती हैं। बारिश भी होने को है, कितना अकिंचन बादलों का छाना, सूर्य रश्मियों को रोक पाना कठिन है। उन्हे तो आना ही धरती पर उजास फ़ैलाने के लिए। लगता है ख्वाब में ही  घिर आए बदरा, बादलों को तो घिरना ही है। पहली बारिश में जो मजा है, वह झड़ी में नहीं। शुक्र है  बरखा रानी का जो गर्मी से राहत मिल गयी, राजा नल भी अब नित आने लगेगें। आज की वार्ता समपन्न हुई। लिजिए बारिश का मजा। मिलते हैं ब्रेक के बाद……… राम राम
इन मूछों को खूब मलाई खिलाई- तभी तो इन पे रौनक है आई

16 टिप्पणियाँ:

खोज खोज कर सूत्र लाये हैं, वार्ता को सजाने..

रोचक वार्ता ...विग्रह का दर्शन और प्रसाद ,घर बैठे ही पाया !
आभार !

बहुत ही रोचक ..

महत्‍वपूर्ण लिंकों के साथ ..

अच्‍छी वार्ता के लिए आपका आभार !!

मनभावन चित्र, सुंदर लिंक से सजी है यह पोस्ट।..आभार।

बहु आयामी ब्लोग वार्ता ..बहुत सार्थक लिंक्स मिल जाते हैं ...!!आभार ..!

वाकई ख़ूबसूरत ढंग से वार्ता सजाई है ! मेरी प्रविष्ठी के चयन के लिए आभार !

ललित भाई बेशक अदभुत वार्ता है जी
बधाईयां

आज तो बात निराली लग रही है...लगता है मुछो की खेती- बड़ी जोरदार चल रही है, इसलिए दिमांग को भी टोनिक मिल रहा है .....मूंछे हो तो ...:)

ललित जी बेहद सुन्दर ब्लॉग वार्ता

विस्तृत वार्ता .... लिंक्स तक पहुँचना आसान हो गया ...

sach lahu to main pahli hi baar aai hu blog varta par...kabhi mouka hi nahi mila aur link par bhi nazar nahi padi. meri rachna ko sthan dene ke lie dhanyawad. koshish karungi sabhi links padh saku aur aati rahu yaha

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