बुधवार, 29 दिसंबर 2010

यार इस मौसम में कुछ चाय वाय का इंतज़ाम हो जाए -- ब्लॉग4वार्ता -- देव कुमार झा

आज की वार्ता एक खास अंदाज़ और एक खास तरह की गर्मा-हट लिए हुए... सर्दी के मौसम की स्पेसल बोले तो एक ऐसी चीज़ जो हर किसी के लिए खासम-खास.... पहले एक कविता लीजिए... और जानिये की यह आखिर क्या है और देव बाबा आखिर किसकी बात कर रहे हैं...

घंटो के इंतज़ार के बाद
अशान्ति से शान्ति की खोज में
जा पहूंचा कैन्टीन में
और फ़िर वहां मिली मुझे
मेरी प्रेयसी
बस उसे देखते ही मैं
खिल उठा..
उसे देखते ही मेरा
मन मचल उठा..
जल्दी ही वह
मेरे होठों से लगी
और मैं झूम उठा...
मिट गयी मेरी थकन
मिट गयी मेरी उलझन
वाह वाह
वह एक प्याली अदरक वाली चाय...

अब साहब सर्दी चारों ओर फ़ैली है.. तो सोचा की सर्दी के मस्त मस्त मौसम में कोई गर्मी वाली पोस्ट लगाई जाए... गर्मी बोले तो चाय वाय का इंतज़ाम हो जाए तो फ़िर क्या बात हो....

लेकिन धंधे और दोस्ती यारी वाली बात पहले कर ली जाए...

हम इस तरह दोस्ती निभाएंगे
नौकरी न मिली तो बिलकुल नहीं घबराएंगे
दोनों स्टेशन पर चाय की दुकान लगाएंगे
तुम चाय बनाना हम चाय-चाय चिल्लायेंगे

(तो जल्दी बताईए... कौन कौन आ रहा है हमारे साथ.... जो भी आना चाहे... जल्दी बताए... कोपरखैरणे डिपो के पास चाय की टपरी डालनें का प्लान है... )...

ना भी आना चाहिए तो कोई ना.... वैसे अब बकर बकर बन्द करता हुं और जल्दी से औकात में आते हुए आज की वार्ता आप लोगों के सामनें पटकता हूं.... अनुरोध है की आज की वार्ता को चाय की चुस्कियों के बीच आनन्द के साथ पढिए....

हम अपनी शिक्षा भूल चले -सतीश सक्सेना :- सच में.... जानें कौन सी विद्या ग्रहण कर रहे हैं आज कल...

क्रिसमस की तसवीरें(कनाट प्लेस में ) :- वाह वाह माधव जी फ़ोटुआ मस्त मस्त है...


अपनी गरदन पे खंजर चला तो चला :- शकूर 'अनवर' साहब को पढवानें के लिए धन्यवाद...

'कल' डायरी से मिटाइए, 'आज' ऐसे जी कर देखिए...खुशदीप :- खुश रहिए...ये भी बुद्धिमान होने का एक रास्ता है... भई वाह खुशदीप भाई

इश्पेसल बुलेटिन है ..झा जी स्टाईल में :- खबर और नज़र का फ़ेर देखिए....

शीला नहीं, प्‍याजो की जवानी!! :- हा हा... प्याज़ तो भाई थोडे दिनों में सुनार की दुकान पर मिलेगा... जय सरकार!

मेरा पढने में नहीं लागे दिल :- तो भैया आखिर माज़रा क्या है.... कोई गडबड तो नहीं!!

ठहर….ठहर….जाता कहाँ है :- सही है... गजब की पोस्ट पटक गये पद्म भैया....



तो भैया आज की वार्ता यहीं तक .... अन्त में कुछ पुरानी यादें भी कर ली जाएं तो फ़िर क्या बात हो .... बोलो है की नहीं तो फ़िर लीजिए कुछ पुरानी यादों के नशे में - जाड़े का मौसम :- भई वाह.... यादें और भी... मगर क्या करूँ हाय..कुछ कुछ होता है.. सही है भाई बहुत कुछ याद दिला गये गुरु आप तो....

तो भैया देव बाबा की एक और कविता जाते जाते... बोले तो चाय ज़िन्दाबाद.... वैसे चाय बहुत अच्छा माध्यम है प्रेम फ़ैलानें का... लोगों को एक साथ लानें का... तो बस....

वैसे चाय चाहे कैसी भी हो... चाहे कटिंग चाय हो...
या फिर दौ सौ रूपये एक कप वाली चाय हो....
अगर कोई मन से पिलाये तो फिर चाय की प्याली में
उमड़ आते हैं सारे भाव
उमड़ आते हैं सारे विचार
लोग पास आ जाते हैं
आपसी क्लेश मिट जाते हैं
तो फिर मेरे भाइयों
आओ मन की दूरियों को मिटाओ
आज ही शाम देव बाबा को
चाय पे बुलाओ.... और एक बढ़िया सी अदरक वाली चाय पिलाओ....

तो भाई कहिये कब आ जाऊं और स-पत्नीक प्रकट हो जाऊंगा।

जय हिन्द
देव कुमार झा

14 टिप्पणियाँ:

अच्छी रही आपकी यह बार्ता...कुछ नए लिनक्स से परिचय करवाने के लिए शुक्रिया

हा हा अच्छा लगा की आपको भी बहुत कुछ याद आ गया :)
शुक्रिया देव भाई :)


ब्लॉग जगत में शिक्षा का क्या काम !
अधिकतर लोग यहाँ दूसरे को पढ़कर अपना समय जाया नहीं करते हैं ,पहली और आखिरी कुछ लाइनों से समझ ना आये तो किसी अच्छे ब्लागर की टिप्पणी पढ़ कर, अपनी टिप्पणी ठोक देने से काम चला जाता है !
हाँ कभी विवाद होने पर, समझकर, जो राय बने, उसे कायम कर, मूर्ख को कालिदास और कालिदास को मूर्ख मान लेते हैं !

अपने काम के प्रति, लोगों की बुद्धि समझ कर,अपने बाल नोचने का दिल करता है यार ....

इस वर्ष तो यही समझ आया देव भैया !

सच्चे मन से अगले वर्ष की शुभकामनायें दे जाना हमारे ब्लॉग पर, शायद हमें फल जाएँ और कुछ अच्छे लोग मिल जाएँ !

हम अपनी शिक्षा भूल चले -सतीश सक्सेना

इन दिनों दीवानी फौजदारी अदालतें खुद ब खुद कलेंडर के हिसाब से बंद है
लेकिन कुछ अदालतें जो सरकारी कलेंडर वाली हैं खुलती हैं
कुछ काम नहीं होता। एक बजे से वकील इकट्ठा होना शुरू होते हैं
हम भी पहुँचते हैं, फिर होती है चाय-कॉफी
गपशप फिर घरों के काम याद आने लगते हैं और महफिल बिछुड़ जाती है
चाय-कॉफी न होती, दुपहरी में पीने की आदत न होती तो
तो अदालत परिसर में इन दिनों सन्नाटा होता

बढ़िया लिंक्स...अच्छी वार्ता......

की यौ देव बाबा ..पहिले गेंद पर बाऊंड्री पार सीधा छक्का ..जमेने रहू ..हाहा हा बहुत नीक लागल अहांके अहि चौकठी पर ...लागल रहू ..

बहुत बढ़िया वार्ता.

जय हो देव बाबु ... बहुत दिनों में लौटे पर वापसी बढ़िया रही !

चाय तो यार हमे भी बहुत पसंद है ... चलो हम ही दावत देते है आपको आ जाओ मैनपुरी ... पर बाबु शर्त एक ही होगी ... आना जोड़े से !

मेरी पोस्ट को इस उम्दा ब्लॉग वार्ता में शामिल कर सम्मानित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

अच्छी चर्चा बधाई
आशा

बहुत बहुत शुक्रिया सभी का...
शिवम भैया... चाय के निमंत्रण के लिये धन्यवाद. वैसे चाय की टपरी के लिए कोई पार्टनरशिप नहीं मिला अभी तक :)

बढिया सार्थक़ चर्च देब बाबु

शुभकामनाएं।

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