संध्या शर्मा का नमस्कार...जब सोशल नेटवर्किंग साइटों का आरम्भ हुआ था, तब हर कोई दोस्त बनाने में जुटा था, जिसके जितने ज्यादा दोस्त वह उतना ही कूल. अब वैसा उत्साह नहीं रहा लोग बड़ी संख्या में ऑनलाइन दोस्तों की काट - छांट में लगे है, मतलब अब शुरू हो चुका है एक नया ट्रेंड "डीफ्रेंडिंग" . हम जैसे -जैसे आयु व अनुभव में बढ़ते हैं हमारी वरीयताएं और जरूरतें बदलती रहती हैं. उसी के हिसाब से कुछ लोग जुड़ते और कुछ छूट जाते हैं. यही सब वास्तविक जीवन में भी होता है, इसलिए यह "डीफ्रेंडिंग" कोई नई चीज नहीं है, बस फर्क इतना है कि वर्चुअल वर्ल्ड में शौक और असल जीवन में भावनात्मक लगाव के कारण दोस्त बनते हैं. ये तो हुई दोस्त बनाने और उनसे अलग होने की बात. हमारा साहित्य से बड़ा मजबूत रिश्ता है, जो कभी टूट नहीं सकता. तो आइये फिर चलते हैं आज की ब्लॉग 4 वार्ता पर कुछ नए और अनूठे लिंक्स के साथ...
http://vrinittogether.blogspot.in/ पर अंजना (गुडिया) जी ने बुन दी अपनी बेवकूफी लफ़्ज़ों में…यादों की सलाखें हाँ, शायद यह कविता एक बेवकूफ़ी सी है… गुज़र गए वक़्त को यूँ ढूँढना नादानी ही है… मगर दर्द में कमी के लिए इस बेवकूफी को अल्फाज़ देना अकलमंदी भी है इसलिए बुन दी अपनी बेवकूफी लफ़्ज़ों में… कहाँ है वो हिंदुस...http://manoramsuman.blogspot.in/ पर श्यामल सुमन जी कह रहे हैं देखो फिर से नभ की ओरचेहरा क्यूँ दिखता कमजोर। देखो फिर से नभ की ओर।। तारे जहाँ सदा हँसते हैं, और चमकता चंदा। जी सकते तो जी लो ऐसे, छूटेगा हर फंदा। आग उगलता सूरज फिर भी, नित ले आता भोर।। देखो फिर से नभ की ओर।। नदियों की खुशिया... http://sudhinama.blogspot.in/ पर साधना वैद्य जी की रचना पढ़िए हाशिये तुमने कितना कुछ सिखाया है ना मुझे ! हाशिये पर सरकाये हुए सवाल हमेशा अनुत्तरित ही रहते हैं ! हाशिये पर रुके हुए कदम कभी मंज़िल तक का सफर तय नहीं कर पाते ! हाशिये पर टिके रिश्ते आजीवन बे...
http://rajey.blogspot.in/ पर राजे_शा जी की रचना पढ़िए ये भी बुरा हैअगर मैं इससे बेखबर रहूं कि मैं खुद, और तुम कब तक साथ रहेंगे? और दिन ऐसे बिताऊं जैसे मैं या तुम हमेशा ही साथ रहेंगे, और तुम्हें कोई वजह ना होने से भुलाऊं कभी जरूरी ही कोई बात करूं और सारा दिन काम धंधें में ...http://pratibhakatiyar.blogspot.in/ पर प्रतिभा कटियार जी लिख रही हैं यमन की सी मिठास गंगा की शान्ति उसे रंगों से बहुत प्यार था. कुदरत के हर रंग को वो अपने ऊपर पहनती थी. उसका बासंती आंचल लहराता तो बसंत आ जाता. चारों ओर पीले फूलों की बहार छा जाती. वो हरे रंग की ओढनी ओढती तो सब कहते सावन आ गया है. उसका मन..http://jazbaattheemotions.blogspot.in/ पर इमरान अंसारीजी की लिखी खूबसूरत ग़ज़ल पढ़िए क़ातिल यारों किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो खुद अपने कलेजे के लिए तलवार न माँगो, गिर जाओगे तुम अपने मसीहा की नज़र से मर कर भी इलाज-ए-दिल-बीमार न माँगो, उस चीज़ का क्या ज़िक्र जो कभी मुमकिन ही नहीं सहरा...
http://www.nukkadh.com/ पर काजल कुमारजी बता रहे हैं बी.जे.पी. की श्वासनली अवरूद्ध है भारत में राजनैतिक पार्टियां लीडरों के व्यक्तिगत charisma के कारण ही चलती आई हैं. जनता पार्टी, कॉंग्रेस के विरूद्ध जन्मी पार्टी थी जो कालांतर में भारतीय जनता पार्टी में रूपांतरित होकर अटल बिहारी http://mauryareena.blogspot.in/ पर रीना मौर्याजी लिख रही हैं "क्या है इंसान की पहचान शारीरिक सुंदरता या मन की सुंदरता उसके स्वभाव और गुण " *"क्या है इंसान की पहचान* *शारीरिक सुंदरता या मन की सुंदरता उसके स्वभाव और गुण "* *आपको क्या लगता है ?? एक बार की बात बताती हूँ मै अपनी सहेलियों के साथ बस में सफ़र कर रही थी...सफ़र क्या वो लोग कॉलेज में...http://ashutoshmishrasagar.blogspot.in/ पर Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" जी की रचना पढ़िए वतन के हर सच्चे सिपाही को हैं हवालातें रंग-ओ-तस्वीरें अभी वही हैं,हैं वही बातें अमन-ओ-चैन से कटती नहीं अभी रातें दल बदल जाते उसूलात बदलते ही नहीं कोई महफूज़ रहे कैसे, चारसू लगीं घातें लहू जिसका बहा है स्वेद बन के खेतों में मोती पैदा कि...
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8 टिप्पणियाँ:
बिखरे फूल गुलदस्ते में सज और सुंदर हो जाते हैं।
आभार।
सुन्दर लिंक्स से सजी सुन्दर वार्ता संध्या जी ! मेरी रचना को भी आपने इसमें सम्मिलित किया बहुत बहुत आभार आपका ! सधन्यवाद !
रोचक पठनीय सूत्र।
यहां पता चला कि क्या क्या छूट गया
संध्या जी नमस्कार आप लोगों का ये बेहतरीन प्रयाश है, काश हमारा ब्लॉग भी इस में सम्मलित हो पा ता
बहुत प्यारी वार्ता संध्या जी.....
अच्छे लिंक्स.
शुक्रिया
अनु
बहुत सुंदर वार्ता
अच्छे लिंक्स
बहुत सुंदर वार्ता,,,,संध्या जी,.....
RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
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