रविवार, 27 मई 2012

मेरे "ये" एकदम वोडाफोन के "वो..." हैं...ब्लॉग4वार्ता...संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...जब सोशल नेटवर्किंग साइटों का आरम्भ हुआ था, तब हर कोई दोस्त बनाने में जुटा था, जिसके जितने ज्यादा दोस्त वह उतना ही कूल. अब वैसा उत्साह नहीं रहा लोग बड़ी संख्या में ऑनलाइन दोस्तों की काट - छांट में लगे है, मतलब अब शुरू हो चुका है एक नया ट्रेंड "डीफ्रेंडिंग" . हम जैसे -जैसे आयु व अनुभव में बढ़ते हैं हमारी वरीयताएं और जरूरतें बदलती रहती हैं. उसी के हिसाब से कुछ लोग जुड़ते और कुछ छूट जाते हैं. यही सब वास्तविक जीवन में भी होता है, इसलिए यह  "डीफ्रेंडिंग" कोई नई चीज नहीं है, बस फर्क इतना है कि वर्चुअल वर्ल्ड में शौक और असल जीवन में भावनात्मक लगाव के कारण दोस्त बनते हैं. ये तो हुई दोस्त बनाने और उनसे अलग होने की बात. हमारा साहित्य से बड़ा मजबूत रिश्ता है, जो कभी टूट नहीं सकता. तो आइये फिर चलते हैं आज की ब्लॉग 4 वार्ता पर कुछ नए और अनूठे लिंक्स के साथ... 

http://vrinittogether.blogspot.in/ पर अंजना (गुडिया) जी ने बुन दी अपनी बेवकूफी लफ़्ज़ों में…यादों की सलाखें हाँ, शायद यह कविता एक बेवकूफ़ी सी है… गुज़र गए वक़्त को यूँ ढूँढना नादानी ही है… मगर दर्द में कमी के लिए इस बेवकूफी को अल्फाज़ देना अकलमंदी भी है इसलिए बुन दी अपनी बेवकूफी लफ़्ज़ों में… कहाँ है वो हिंदुस...http://manoramsuman.blogspot.in/ पर श्यामल सुमन जी कह रहे हैं देखो फिर से नभ की ओरचेहरा क्यूँ दिखता कमजोर। देखो फिर से नभ की ओर।। तारे जहाँ सदा हँसते हैं, और चमकता चंदा। जी सकते तो जी लो ऐसे, छूटेगा हर फंदा। आग उगलता सूरज फिर भी, नित ले आता भोर।। देखो फिर से नभ की ओर।। नदियों की खुशिया... http://sudhinama.blogspot.in/ पर साधना वैद्य जी की रचना पढ़िए हाशिये तुमने कितना कुछ सिखाया है ना मुझे ! हाशिये पर सरकाये हुए सवाल हमेशा अनुत्तरित ही रहते हैं ! हाशिये पर रुके हुए कदम कभी मंज़िल तक का सफर तय नहीं कर पाते ! हाशिये पर टिके रिश्ते आजीवन बे...

http://rajey.blogspot.in/ पर  राजे_शा जी की रचना पढ़िए ये भी बुरा हैअगर मैं इससे बेखबर रहूं कि मैं खुद, और तुम कब तक साथ रहेंगे? और दिन ऐसे बिताऊं जैसे मैं या तुम हमेशा ही साथ रहेंगे, और तुम्हें कोई वजह ना होने से भुलाऊं कभी जरूरी ही कोई बात करूं और सारा दिन काम धंधें में ...http://pratibhakatiyar.blogspot.in/  पर प्रतिभा कटियार जी लिख रही हैं यमन की सी मिठास गंगा की शान्ति उसे रंगों से बहुत प्यार था. कुदरत के हर रंग को वो अपने ऊपर पहनती थी. उसका बासंती आंचल लहराता तो बसंत आ जाता. चारों ओर पीले फूलों की बहार छा जाती. वो हरे रंग की ओढनी ओढती तो सब कहते सावन आ गया है. उसका मन..http://jazbaattheemotions.blogspot.in/ पर इमरान अंसारीजी की लिखी खूबसूरत ग़ज़ल पढ़िए क़ातिल यारों किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो खुद अपने कलेजे के लिए तलवार न माँगो, गिर जाओगे तुम अपने मसीहा की नज़र से मर कर भी इलाज-ए-दिल-बीमार न माँगो,  उस चीज़ का क्या ज़िक्र जो कभी मुमकिन ही नहीं  सहरा... 

http://www.nukkadh.com/ पर काजल कुमारजी बता रहे हैं बी.जे.पी. की श्वासनली अवरूद्ध है भारत में राजनैति‍क पार्टि‍यां लीडरों के व्‍यक्‍ति‍गत charisma के कारण ही चलती आई हैं. जनता पार्टी, कॉंग्रेस के वि‍रूद्ध जन्‍मी पार्टी थी जो कालांतर में भारतीय जनता पार्टी में रूपांतरि‍त होकर अटल बि‍हारी http://mauryareena.blogspot.in/ पर रीना मौर्याजी लिख रही हैं "क्या है इंसान की पहचान शारीरिक सुंदरता या मन की सुंदरता उसके स्वभाव और गुण " *"क्या है इंसान की पहचान* *शारीरिक सुंदरता या मन की सुंदरता उसके स्वभाव और गुण "* *आपको क्या लगता है ?? एक बार की बात बताती हूँ मै अपनी सहेलियों के साथ बस में सफ़र कर रही थी...सफ़र क्या वो लोग कॉलेज में...http://ashutoshmishrasagar.blogspot.in/ पर  Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" जी की रचना पढ़िए वतन के हर सच्चे सिपाही को हैं हवालातें रंग-ओ-तस्वीरें अभी वही हैं,हैं वही बातें अमन-ओ-चैन से कटती नहीं अभी रातें दल बदल जाते उसूलात बदलते ही नहीं कोई महफूज़ रहे कैसे, चारसू लगीं घातें लहू जिसका बहा है स्वेद बन के खेतों में मोती पैदा कि...

http://sharda-arorageetgazal.blogspot.in/ पर शारदा अरोराजी कह रही हैं  लौट आते परिन्दे *क्या कहिए अब इस हालत में , अब कौन समझने वाला है कश्ती है बीच समन्दर में तूफाँ से पड़ा यूँ पाला है हम ऐसे नहीं थे हरगिज़ भी हालात ने हमको ढ़ाला है कह देतीं आँखें सब कुछ ही जुबाँ पर बेशक इक ताला है ... http://amit-nivedit.blogspot.in/  पर अमित श्रीवास्तवजी बता रहे हैं कुछ खास मेरे " ये " एकदम वोडाफोन के "वो..." हैं ठीक ठीक तो मुझे याद नहीं ,मै शायद नींद में था पर थोड़ा थोड़ा सुन भी पा रहा था | मेरी श्रीमती जी किसी से फोन पर बात कर रही थी | ये कोई ख़ास बात नहीं है | ख़ास बात यह थी कि बातचीत की विषयवस्तु मै था | यह ... http://hathkadh.blogspot.in/ पर  K C जी सुना रहे हैं "एक 'चुप' की आत्म कथा" और कुछ मौत के बाद... बेवजह की बातें लिखना, मुहब्बत करने जैसा काम है कि हो गई है, अब क्या किया जा सकता है. पोस्ट का एंट्रो लिखना घर बसाने सरीखा मुश्किल काम... "एक 'चुप' की आत्म कथा" मेरी हज़ार सखियाँ थी मैं जब भी रही अपन..

http://kuchhalagsa.blogspot.in/ पर गगन शर्मा जी कह रहे हैं प्रभू भी लाचार हैं। - * पर अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि भगवान के रोने की खबर सर्वोच्च न्यायालय तक कैसे और किसने पहुंचाई। खबरचियों की टीमें इस बात का पता लगाने पूरी त... http://rashifal.gatyatmakjyotish.com/पर जानिए संगीता पुरी जी से ( rashifal ) कैसा रहेगा आपके लिए 26 और 27 मई 2012 का दिन ?? - मेष लग्नवालों के लिए 26 और 27 मई 2012 को किसी कार्यक्रम में माता पक्ष का भी महत्व दिख सकता है, वाहन या किसी प्रकार की छोटी या बडी संपत्ति को प्राप्त करने ... .http://jholtanma-biharibabukahin.blogspot.in/ पर अजय कुमार झा जी कह रहे हैं आओ ब्लॉगिंग की हम वाट लगाएं ........... - * * * * * * ** * * * आओ ब्लॉगिंग की हम वाट लगाएं , सुलग रही चिंगारी पर घी डाल कर आग लगाएं ,* *जब संपादक मैग्जीनों अखबारों के खूब गरियाते , तो फ़िर ब्लॉगर ...

आज की वार्ता को देते हैं विराम मिलते हैं, अगली वार्ता पर तब तक के लिए नमस्कार .....

8 टिप्पणियाँ:

बिखरे फूल गुलदस्ते में सज और सुंदर हो जाते हैं।
आभार।

सुन्दर लिंक्स से सजी सुन्दर वार्ता संध्या जी ! मेरी रचना को भी आपने इसमें सम्मिलित किया बहुत बहुत आभार आपका ! सधन्यवाद !

यहां पता चला कि‍ क्‍या क्‍या छूट गया

संध्या जी नमस्कार आप लोगों का ये बेहतरीन प्रयाश है, काश हमारा ब्लॉग भी इस में सम्मलित हो पा ता

बहुत प्यारी वार्ता संध्या जी.....
अच्छे लिंक्स.

शुक्रिया
अनु

बहुत सुंदर वार्ता
अच्छे लिंक्स

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