सोमवार, 14 मई 2012

मेरी मां कुछ अलग सी है .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , वाणिज्य पत्रिका फोर्ब्स ने विश्व मातृ दिवस :मदर्स डे: के उपक्ष्‍य में दुनिया की 20 सबसे प्रभावशाली माताओं की सूची तैयार की है ,सूची में सरकार, कारोबार, मनोरंजन सहित विभिन्न क्षेत्रों की प्रभावशाली महिलाओं :मांओं: को रखा गया है। जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को पहले स्थान पर रखा है, इसमें भारतीय मूल की इंदिरा नूयी को तीसरे स्थान पर जगह मिली है, जबकि संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को छठा स्थान दिया गया है। मातृ दिवस पर विभिन्‍न लेखों के माध्‍यम से हिंदी ब्‍लॉगरों की भावना भी प्रस्‍फुटित हुई हैं , जिनमें से कुछ लिंक प्रस्‍तुत है आज की ब्‍लॉग4वार्ता में ..
(http://punjabscreen.blogspot.in/2012/05/blog-post_12.html)एक अच्छी पहल है कि उस माँ को,जो हम सब की जननी है उसके प्रति हम अपना धन्यवाद ग्य़ापित करते है,परन्तु साथ ही जब वो हमारे आपके घरोंमे आने को लालायित है, तो हम सभ्य सुसंस्क्रत होते हुये भी भ्रूण-हत्या करवा देते हैं ! यद्दपि पी०सी०पी०एस०डी०टी० एक्ट १९९४ की धारा २३(३) के अन्तर्गत गर्भस्थ शिशु का लिंग परीछण अवैधानिक है!ऐसे व्यक्ति,परिवार,चिकित्सक को ३ से ५ वर्ष का कारागार और रु० ५०००० से १००००० तक के द्ण्ड का प्रावधान है फ़िर भी भ्रूण हत्या से अभिष्पत भारतीय समाज मे नर नारी का अनुपात १०००और ९१४ का हो गया है ! नारी को हम माँ और देवी का प्रतिरूप मानकर भी उसी के असतित्व को नकारते है! इसीलिये कहता हूं:-
मानव का पहला समबोधन "माँ" है!
पीडा का हर उदबोधन "माँ है !!
जिस पर नत मस्तक पराक्रमी सब,
उस अबला का अवलम्बन "माँ"है!!
स्र्ष्टी के हर प्राणी पर अधिकार उसे,
जीवन दात्री का अभिनन्दन "माँ"है!!
प्रतिपल,प्रति छण पूज रहा जिसको,
मानव का निश्चित संवर्धन "माँ" है!
भारतीय संस्क्रति का है यह ह्रास ,
जन्म अधर मे लटका ,वह"माँ" है!!

http://nivedita-myspace.blogspot.in/2012/05/blog-post_13.html

आज फेसबुक से लेकर ब्लॉग जगत तक हर जगह "मदर्स डे" की ही बात हो रही है | सब अपनी-अपनी माँ को याद कर रहे हैं ,उनके लाड़-दुलार और हाँ हँसती हुई फटकार को भी यादों की वीथियों से सम्हाल कर पुनर्जीवित कर रहे हैं | सच कहूँ तो कहीं अच्छा भी लग रहा है कि कम से कम इस दिन के बहाने ही सही इस रिश्ते पर सबका ध्यान जाता है ! मुझे लगता है कि सम्भवत: यही इकलौता रिश्ता है जो न रहने पर ही सबसे अधिक याद आता है |
http://atulshrivastavaa.blogspot.in/2012/05/blog-post_13.html

मार्च 1973 की तस्‍वीर। जब मैं दो महीने का था.... अपनी मां की गोद में। बगल में मेरा 2 साल का भाई बैठा है। यूं ही ननिहाल में पुराने एलबम पलटते समय बडे भाई को यह तस्‍वीर मिल गई और उसने मुझे भेज दिया। शायद मेरी मां के साथ मेरी यह इकलौती तस्‍वीर है........
मां। दुनिया का सबसे प्‍यारा शब्‍द। इस एक शब्‍द में सारी दुनिया समाई हुई है। दुनिया में कई रिश्‍ते होते हैं लेकिन शायद ही ऐसा कोई रिश्‍ता होगा जो सिर्फ एक अक्षर में सिमटा हो, लेकिन उस रिश्‍ते की ताकत दुनिया के हर रिश्‍ते से बडी होती है। भगवान का नम्‍बर भी शायद इस रिश्‍ते के बाद आता है। ये रिश्‍ता है मां का।
मां। तुम बहुत याद आ रही हो। वैसे तो एक पल भी ऐसा नहीं बीता होगा जब तुम जेहन में न रहती हो... पर इंसानों के बनाए इस मदर्स डे में तुम्‍हारी याद और भी आ रही है और तुम्‍हे व्‍यक्‍त करने के लिए मेरे पास शब्‍द नहीं हैं..... मां। एक गजल जो मैं अक्‍सर सुनता हूं... उसे यहां रख दे रहा हूं.... क्‍यों‍कि मुझे कोई शब्‍द नहीं सूझ रहे हैं तुम्‍हे व्‍यक्‍त करने को....।
http://www.deshnama.com/2012/05/blog-post.html
दो दिन पहले सुबह अखबार पढ़ रहा था...हिंदी के अखबार अमर उजाला में मदर्स डे (13 मई) का विज्ञापन देखा...फिर साथ ही मेल टूडे में इस ख़बर पर नज़र गई...'Caring' son keeps mom in cowshed ...
मैसूर की 80 साल की मलम्मा के लिए 'मदर्स डे' दो हफ्ते पहले ही आ गया...उन्हें सबसे बड़ा तोहफ़ा मिल गया...तोहफ़ा आज़ादी का...पुलिस ने गाय के तबेले में बंधक की तरह रह रही मलम्मा को मुक्त कराया...उन्हें इस हाल में​ रखने वाला और कोई नहीं बल्कि खुद उनका सगा बेटा जयारप्पा था...

मलम्मा
(http://pakhi-akshita.blogspot.in/2012/05/blog-post_13.html)

आपको पता है आज मदर्स डे है. हर साल मई माह के दूसरे रविवार को यह सेलिब्रेट किया जाता है. मैं तो अपनी ममा से बहुत प्यार करती हूँ.मुझे पता है कई बार मैं उन्हें बहुत परेशान करती हूँ पर ममा कभी बुरा नहीं मानती. मुझे ढेर सारा प्यार-दुलार देती हैं. मेरी ममा सबसे प्यारी हैं.









http://pravingullak.blogspot.in/2012/05/mothers-day-special.html आज मदर्स डे है तो सोचा माँ पर कुछ लिखू पर क्या? माँ कोई शब्दो मे समाने वाली तो है नही|
कहते है "ईश्वर हर जगह मौजूद नही रह सकता इसलिए उसने माँ बनाई" ये २००% सच भी क्यूकी माँ का दिल बच्चे का क्लास रूम होता जहा वो जिंदगी की पहली क्लास लेता है| आज भले माँ, मम्मी से होते हुए ममा तक पहोच गयी हो पर माँ की ममता और प्यार मे कोई बदलाव नही आया, माँ की कोई उपमा हो ही नही सकती माँ क्युकि- उप..."माँ" नही होती|
मां की ममता पर सदियों से कविता, कहानी और उपन्‍यास लिखे जा रहे हैं। गोर्की का उपन्‍यास 'मां' तो अपने में क्‍लासिक है ही। आज मातृ-दिवस यानी मदर्स डे पर पश्चिमी साहित्‍य की ये तीन क्‍लासिक कहानियां हिंदी पाठकों के लिए विशेष रूप से प्रस्‍तुत हैं। इनमें से शुरु की दो कहानियां बुधवार, मई, 2012 को राजस्‍थान 'पत्रिका' के 'परिवार' परिशिष्‍ट में प्रकाशित हुई हैं।
मां का सफ़र : टेम्‍पल बैली
उस युवा मां ने अपनी जिंदगी की राह चुन ली थी। उसने पूछा, क्‍या यह रास्‍ता बहुत लंबा होगा?’ और गुरु ने कहा, हां, और मुश्किलों भरा भी। तुम इसके आखिरी छोर तक पहुंचते-पहुंचते बूढ़ी हो जाओगी, लेकिन तुम्‍हारी यात्रा का अंत, शुरुआत से कहीं बेहतर होगा। लेकिन वह बहुत खुश थी। रास्‍ते में वह बच्‍चों के साथ खेलती रही, उन्‍हें खाना-पानी देती रही और ताज़ा झरनों के पानी में उसने बच्‍चों को नहलाया। सूरज उन पर अपनी धूप की किरणें बरसाता रहा और मां खुशी के मारे चिल्‍ला कर बोली, इससे अधिक सुंदर कभी कुछ नहीं हो सकता।


आज मदर्स डे है.मैं व्यक्तिगत तौर पर प्रेम के किसी भी रूप की (http://adi-bibhu.blogspot.in/2012/05/blog-post.html)अभिव्यक्ति के लिए  किसी दिन-विशेष मात्र का पक्षधर नहीं हूँ. मैं समझता हूँ ये बाजारवाद की मांग हो सकती है, पर क्या समय के बदलते सुर ने इसे हमारे समाज की मांग भी बना दी है ?  अगर ऐसा है तो फिर से विचार करने की ज़रूरत दीख पड़ रही है. हमारे यहाँ  "माँ" सिर्फ और सिर्फ हमारी उत्पत्ति का माध्यम मात्र नहीं है, हमारी श्रीष्टिकर्ता हैं, व्यक्तित्व निर्माण की नींव हैं. यह एक ऐसा रिश्ता है जो पवित्रतम है. इस भूलोक पर अगर कोई ईश्वर की कल्पना करे तो उसे "माँ" में पाया जा सकता है. तभी तो हर उस उस जीव को या प्रकृतिक संरचना पर्यंत को हमने "माँ" कहकर पुकारा है जिसपर असीम श्रद्धा रहा हो. गाय और गंगा भी हमारी माँ हैं. 
मदर्स डे-हाइगा में(13th May)(http://hindihaiga.blogspot.in/2012/05/13th-may.html)
सब देव देवियाँ एक ओर
ऐ माँ मेरी तू एक ओर
तूने ममता इतनी छलकाई
हम पाएँ ओर न छोर


माँ के लिए एक दिन?(http://prabodhgovil.blogspot.in/2012/05/blog-post_12.html)
कैसा लगता है, सुनकर। क्या करें इस दिन? क्या रसोई से माँ को आज का अवकाश देदें? क्या माँ को नए कपड़े दिलवा कर उसे कहीं बाहर खाना खिला कर लायें? क्या आज के दिन घर के हर काम के लिए पिता से ही कहें?
या रख लें हम सब कोई करवा-चौथ जैसा व्रत माँ के लिए नहीं-नहीं, ये सब बड़ा मुश्किल है ... चलो माँ से ही कहें, आज कुछ अच्छा सा बना कर खिलाये ... माँ से ही कहें- करे सबकी फरमाइश पूरी ...
मनवाए 'मदर्स डे'...
(http://nayabasera.blogspot.in/2012/05/blog-post.html)
जानता हूँ इस पोस्ट का शीर्षक कई लोगों को अजीब सा लगेगा, आखिर ऐसी क्या अलग बात है मेरी माँ में... लेकिन माँ की जो सूरत अपने आस पास के लोगों से देखी, जैसी ममता, जैसे अपनेपन की बात सभी करते हैं वैसा कुछ भी मैंने अपनी निजी ज़िन्दगी में महसूस किया हो ऐसा नहीं है... हालांकि माँ तो सभी की अपने बच्चों से उतना ही प्यार करती है, लेकिन सभी अपना प्यार जतला सकें ऐसा नहीं है...
(http://bhanuanubhav.blogspot.in/2012/05/blog-post_5418.html)
मां शब्द में वाकई जादू है, ताकत है, हिम्मत है और हर समस्या का समाधान है। एक मां ही
तो है जो अपनी औलाद को जिस सांचे में ढालना चाहे, ढाल सकती है। बच्चों की गलतियों को हमेशा वह  क्षमा कर देती है। वही बच्चे की पहली गुरु होती है। उस मां का दर्जा सबसे बड़ा है। हो सकता है कि मदर्स डे के दिन कई ने अपनी मां को उपहार दिए हों। मां की उम्मीद के अनुरूप कार्य करने की कसमें खाई हों, लेकिन यह कसम दिन विशेष को ही क्यों खाने की परिपाटी बन रही है। इसके विपरीत मां तो बच्चे की खुशी के लिए कोई दिन नहीं देखती है और न ही समय। फिर हमें ही क्यों मां के सम्मान में मदर्स डे मनाने की आवश्यकता पड़ी। क्यों न हम भी हर दिन ही मदर्स डे की तरह मनाएं। क्योंकि मां के दर्द को जिसने नहीं समझा। उसके पास बाद में पछतावे के सिवाय कुछ नहीं बचता। http://anilpusadkar.blogspot.in/2012/05/blog-post_4519.html
मोबाईल बार बार एसएमएस आने के संकेत दे रहा था.देखा तो पता चला आज मदर्स डे है.मुझे तो खैर इसका अंदाज़ा था नही सोचा चलो आई(मां)को बधाई दे दूं.आई के पास गया तो दोनो छोटे भाई उनके पास बैठे थे.मैने सीधे सीधे बधाई देने की बजाये सुनील और सुशील से पूछा कि तुम लोगो ने बधाई दे दी क्या?वे दोनो हंसे और उनसे पहले आई ने कहा कि जब तक़ तुम तीनो भाई एक साथ मेरे साथ रहोगे मेरे लिये हर रोज़ मदर्स डे होगा.इससे बडा तोहफा और कुछ नही सकता कि तुम लोग इतने सालों से एक साथ रह रहे हो.वरना लोग तो आजकल एक मकान में रह कर अलग अलग रहते है.हम लोग भी हंस पडे मैने कहा कि लेकिन हम लोग तो लडते झगडते हैं.तो क्या हुआ?वो तो तुम लोग बचपन से लड झगड रहे हो बल्कि आजकल तो मारपीट भी नही होती.और उसके बाद हम सब हंस पडे.लगा कि मां के साथ अगर रह रहे हो तो मदर्स डे मनाने की तो बिल्कुल भी गरज़ नही है.
(http://apnaauraapkablog.blogspot.in/2012/05/blog-post_12.html)मदर्स डे यानी एक ऐसा दिन जब मां को ये अहसास कराया जाए कि हम उनसे कितना प्यार करते हैं

मा की ममता क भी कुछ अंदाज़ होते हैं जागती आँखों मैं भी कुछ खवाब होते हैं ज़रोरी नही की घाम मैं निकले आँसू ही, मुस्कुराहते आखों मैं भी सैलाब होते हैं ...
मातृदिवस की शुभकामनाएँ
ये जीवन की अनगिन कहानी गहूँ मैं ...!!
ये जीवन की अनगिन कहानी गहूँ मैं ...!!

सभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !! आई लव मॉम
http://radioplaybackindia.blogspot.in/2012/05/bhikhari-thakur-bhojpuris-shakespear.html

15 टिप्पणियाँ:

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेणु संस्थिता ...

माँ पर अच्छी और भावपूर्ण रचनाएँ |माँ को नमन |
आशा

माँ ही माँ है हर लिंक में !
बढ़िया !

पढ़ कर बहुत अच्छा लग रहा है !
सभी रचनाकारों का आभार !

लिंकों का संकलन अच्छा लगा,...संगीता जी बधाई,.....

मातृ दिवस के ब्लॉग लिंक से सजी सुंदर वार्ता के लिए आभार

bahut sundar links --------maa ke naam ka .......aabhar

सुन्दर व रोचक वार्ता

भावों का सुन्दर संयोजन |

मां... दुनिया का सबसे प्‍यारा शब्‍द इस एक शब्‍द में सारी दुनिया समाई हुई है... सुन्दर लिंक्स संयोजन के लिए आपका आभार संगीता जी

सुन्दर व रोचक लिंक्स संयोजन
आभार !

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