बुधवार, 30 मई 2012

अपने परिचय से अनजान सहगामिनी... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... पेट्रोल दाम वृद्धि के चौतरफा विरोध से घबराई UPA सरकार.डीजल, मिटटी के तेल और रसोई गैस के दामो में फ़िलहाल कोई बढ़ोत्तरी नहीं.१.५० रुपये  तक सस्ता हो सकता है, देखते हैं आगे -आगे क्या होता है. आइये फिर चलते हैं आज की ब्लॉग 4 वार्ता पर कुछ  अनूठे लिंक्स के साथ...  ....

"एक पगडण्डी नई ............"राह हो, न हो, रहगुजर हो, न हो, साथ हो, न हो , साथी हो, न हो , साया हो , न हो, रौशनी हो, न हो, सितारे हो ,न हो, पंछी बोले , न बोले , नदी थमे या रुके पवन, पौ फटे , न फटे, पग उठ जाते हैं अब , चल पड़ने को रो... मन उपवन इन दिनों मेरे मन उपवन में बहार अपने पूरे यौवन पर है ! ह्रदय के बीचों बीच वर्षों से गहरी जड़ें जमाये मेरे दुःख के अमलतास की हर डाल पर इन दिनों दर्द के ज़र्द पीले गुच्छे ही गुच्छे लटक रहे हैं ! मेरे ... उड़ने को .. उड़ने को आसमां है घर बनाने को जमीं होती - अश्कों का सिलसिला है जब आँखों में , नमीं होती- आते हैं , ख़यालात बहुत , जब किसी की, कमीं होती- बनती है गल , फ़सा...

सुप्रसिद्ध लेखिका एवं समाजसेवी जेन्नी शबनम से अशोक लव की बातचीत *1.**आपकी रुचि साहित्य की ओर कैसे हुई **?* *** साहित्य के प्रति रुचि कब से है, इस विषय पर कभी सोचा नहीं. लेकिन इतना ज़रूर है कि पढ़ने-लिखने के प्रति अभिरुचि बचपन से रही है| मेरे माता-पिता शिक्षा के क्षेत्...बाल्टी और नल गर्मी का मौसम दहकते अंगारों के बीच ये बाल्टी इंतजार में है नल के जब बाल्टी खाली होती तब रुठ जाता है नल मुए मुंशीपाल्टी वाले भरने नहीं देते बाल्टी आधी बाल्टी भरते ही चला जाता है नल मोंटू की दो चार नैपी धोकर ट... सुबह सबेरे दो-चार कदम की दूरी पर सुबह-सुबह दो चार सौ कदम की दूरी पर मडई में बच्चों को चहकते देखा सभी के सभी एक एक लत्ते में थे आंखे कदमो से कई गुन्नी रफ्तार में चल रही थी धुँआ पहाडो में खो रहा था हर पचास कदम पर मिट्टी से बने घरो...
 
अन्तर्सम्बन्ध मेरा भी मन मचलता है एक प्रश्न के साथ, हमेशा गिरता और सम्भलता है क्यूँ नहीं लिख पाता एक कविता मुक्त छंद की? मुक्त छंद की कविता या छंद मुक्त कविता? आप जो भी कह लें, जो भी नाम दें लेकिन यह सवाल मेरे मन में...अपने परिचय से अनजान सबका परिचय पाना चाहता है दिल खुद अपने परिचय से घबराता है दिल कितना झूठ , कितना धोखा , कितनी बईमानी है हममे ........ हाँ इस पैमाने को अच्छे से जानता है दिल शायद इसलिए खुदको मिलने से घबराता है दिल मंदिर म... मैं - अजल से गाता रहा ..... तुम – अजल से सुनती रही मैं पिघल रहा था , उसके बदन के ताप से – और वो रात भर लिपटी रही, मुझको चन्दन किए हुये। **************************** मैं – आकाश हूँ .... झुक जाता हूँ, तुमपे हरदम ..... तुम – पृथा हो कर , हर वक़्त मुझे – ..
 
सहगामिनी .सहगामिनी हो जीवन-पथ की, सहभागी एक-से स्वप्नों की, हाँ, उसके सुरमयी स्वप्नों की संचयिका बनना चाहता हूँ. वो कहे तो मैं सजदे कर लूँ, या खुद के घुटनों पे हो लूँ, मगर जहाँ वो सिर रख सके, वो कन्धा देना चाहता ह... .हक जिसे ,जब, जहां जाना है चला जाए अबकि, रोकूंगी नहीं. थक गयीं हूँ मनुहार करते-करते . मुझे प्यार है ,तुमसे तुम पास रहो यह चाहत है तुम्हारी ज़रूरत है केवल तुम्हारी आदत है. उसका रत्ती भर भी अगर .. ...तुम महसूस ... एक समय जो गुजर जाने को है - एक बार फिर- तीन कविताओं के साथ प्रस्तुत. शायद जल्द नियमित हो जाऊँ इस उम्मीद के साथ. एक नये उपक्रम को अंजाम देने की चाहत में कुछ पुरानी नियमित दिनचर्या से... 
 
नन्हें कन्धों पर जीवन का बोझ - आज नवभारत, 26 जुलाई 1984 अंक में प्रकाशित यह रपट : आज जब सारे के सारे जंगल काट लिये जा रहे हैं, न केवल बड़े शहरों में बल्कि सुदूर गाँवों में भी ईंधन के ल... इसलिए ... - अक्सर मेरी कविता लाँघ जाती है अनगिनत खींची हुई लक्ष्मण रेखाओं को... रावणों को चकमा देकर हथिया लेती है पुष्पक विमान... विस्मृति में कहीं भटक रहे हैं हनुमान.....तभी पढ़ें जब आपके पास प्रमाण-पत्र हो ! - •जी हाँ ,आपने सही समझा ! अब मैं कोई ऐसा वैसा ब्लॉगर या लेखक नहीं रहा. मैं इत्ता पढ़ा जाता हूँ कि मेरा दम घुटने लगा है.मेरी कोई भी रचना अब मेरे निजी पेटे...  
 
आज की वार्ता को देते हैं विराम मिलते हैं, अगली वार्ता पर तब तक के लिए नमस्कार ........

11 टिप्पणियाँ:

पैट्रोल का दाम बढा कर कुछ कम देना आम जनता के साथ छल करना है। 100 दिनों में मंहगाई कम करने का वादा करके कांग्रेस सरकार ने 1000 गुना मंहगाई बढा दी। मेरी कविता को वार्ता में स्थान देने के लिए आपका आभार संध्या जी। स्नेह बनाए रखें।

उम्दा ब्लॉग लिंक्स के साथ अच्छी वार्ता - साधुवाद संध्या जी

बहुत अच्छी वार्ता......
सुंदर लिंक्स संजोये हैं संध्या जी.

शुक्रिया.
अनु

बहुत खूब ..
बढिया वार्ता रही !!

सुन्दर और पठनीय सूत्र..

आपका बहुत सारा धन्यवाद एवं आभार संध्या जी मेरे 'मन उपवन' की छटा को ब्लॉग वार्ता में बिखेरने के लिए ! सभी सूत्र बेहद उम्दा एवं पठनीय हैं !

अच्छे लिंक्स
सुंदर वार्ता

अच्छी लिंक्स से सजी वार्ता लिंक्स का चुनाव बहुत उत्तम है |
आशा

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