ललित शर्मा का नमस्कार, ब्लॉगर अनिल पुसदकर कह रहे हैं - एक विदेशी क्रिकेटर और एक विदेशी बाला के बीच के मामले को देशी मीडिया ने इतना तुल दिया जैसे ये रूपये के लगातार गिरने,महंगाई के लगातार बढने,पुलिस वालो को अपराधियों द्वारा ट्रकों से कुचल कर मारने और जंगल में अगवा कर नक्सलियो द्वारा मार डालने से ज्यादा गंभीर मामला हो.हैरानी की बात तो ये है कि उस विदेशी बाला को महिला आयोग के बारे में पता तो चला ही उसका पता भी चल गया.वो न केवल वंहा पहुंची बल्कि उनके पहले सारा का सारा मीडिया वंहा पहले से तैनात था.आखिर सबके सब वंहा पहले से कैसे?खैर जितना दम लगाया इस मामले में खुद ट्रायल कर फैसला देने में उसे अदालत ने नकार दिया और ज़मानत दे दी.फोर्सफुल एन्ट्री का आरोप खारिज़ हो गया.एक बात और पूरे मामले में बुरी तरह घायल कहे जाने वाले कथित मंगेतर को अभी तक़ नही दिखाया गया कि वो कितना घायल है? अब चलते हैं आज प्रकाशित चिट्ठों की सैर पर, प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा ब्लॉग लिंक्स …………
अदा जी संस्मरण सुना रही हैं -आवाज़ की दुनिया भी कितनी पारदर्शी होती है...है ना ! बात आज से ४ साल पहले की होगी...तब मैं रेडियो जॉकी थी, जो मेरा बहुत प्रिय पार्ट टाईम शौक़ भी है, और बहुत प्यारा काम भी.... कनाडा, में ९७.९ FM, पर 'आरोही' मेरा और मेरे सुनने वालों का अपना प्रोग्राम हर दिन शा...46 वर्षों से बाट जोह रहे उपन्यास "धान के देश में" का प्रकाशन -कारज धीरे होत है, काहे होत अधीर। समय पाए तरुवर फ़ले, केतक सींचो नीर। इस कथन से लगता है कि किसी भी कार्य को भाग्य एवं ईश्वर के भरोसे छोड़ देना चाहिए। समय आने पर कार्य होगा ही। लेकिन अधिरता भी रखना जरुरी है... राहुल सिंह जी के ब्लॉग सिंहावलोकन पर पढिए - देव सुमिरन - *टांगीनाथ* जैसे लोगों ने टांगीनाथ-टांगीनाथ कहते है। उसमें एक जन्दगनी मुनी का आसरम था उसका एक लड़का परशुराम था। जन्दगनी मुनी ने पूरे विश्वा का राजा लोगों को या प्रजा तन्त्र को पार्टी में बुलाया और राजा मह...
प्रवीण पाण्डेय जी पोस्ट पढिए -सीट बेल्ट और इंच इंच सरकना - बंगलोर में अभी कुछ दिन पहले सीट बेल्ट बाँधना अनिवार्य कर दिया गया है। इस निर्णय ने मुझे कई कोणों से और बहुत गहरे तक प्रभावित किया है। आप भी पालन कीजिये बंगलोर में संरक्षा को प्राथमिकता मिलनी चाहिये, पर आ... हिन्दी ब्लॉगर चूकें मत :हिंदी भवन में शनिवार शाम पांच बजे हिंदी पत्रिका नव्या का लोकार्पण नव्या का लोकार्पण आज हिंदी भवन में शनिवार शाम पांच बजे हिंदी पत्रिका नव्या का लोकार्पण है। कृपया पधारें फज़ल इमम मल्लिक ……सुनिए आँखों की जबां.. से -ये सच है कि आँखें बोल देती हैं, गर इश्क की जबाँ न हुई तो क्या हुआ ... मिले हैं राहों में दोस्त सुकूं के लिए गर जो हमारा कोई न हुआ तो क्या हुआ... निभा तो जाएंगे रस्में सारी हम गर जमाने का दस्तूर न हुआ तो ...
पंचम दा सफ़ेद घर में बमचक मचाए हुए हैं -कौन राह चलिहौ सरोखन ? परधान जी सरोखन के साथ कोईराना की ओर चल पड़े। चलते-चलते उन्हें महसूस हुआ कि जैसे प्लास्टिक के जूते में कोई कंकड़ आ गया है। रूककर पैरों में से सस्तहवा जूता निकाले, टेढ़ा करके झाड़े-झूड़े, ... चलिए अंधड़ पर - कूलिंग पीरिअड़ बाद की रोटी खाई थी, इसलिए दिमाग की बत्ती भी थोड़ी देर से ही जलती थी ! हाँ, ये बात और है कि मजाक में भी जो बात कह जाता उसके भी परिणाम गंभीर ही निकलते थे! शादी के बाद घर आई नई-नवेली दुल्हन ने भी फुर्सत के ... दिनेश राय द्विवेदी जी कह रहे हैं - डर के जो हाँ भर रहा, वह भी घोंघा बसन्तघोंघा एक विशेष प्रकार का जंतु है जो अपने जीवन को एक कड़े खोल में बिता देता है। इस के शरीर का अधिकांश हिस्सा सदैव ही खोल में बंद रहता है। जब इसे आहार आदि कार्यों के लिए विचरण करना होता है तो यह शरीर का...
वाणी जी लिख रही हैं - परिवार वही बेहतर हैं जहाँ आपस में प्रेम , विश्वास और अपनापन है , संयुक्त परिवार हो या एकल !समाजशास्त्र की किताबों में पढ़ा था कि मनुष्य एक सामाजिक पशु है . पशु समूह में रहना पसंद करते हैं , मनुष्य के लिए भी विभिन्न कारणों से अकेले रहना संभव नहीं . वह परिवार , कबीला ,गाँव आदि बनाकर एक समूह म.. बैठे ठाले पढें- अफ़सोस ! अपनी जान का सौदा न कर सके विकास शर्मा 'राज़' जिस वक़्त रौशनी का तसव्वुर मुहाल था उस शख़्स का चिराग़ जलाना कमाल था रस्ता अलग बना ही लिया मैंने साहिबो हालाँकि दायरे से निकलना मुहाल था उसके बिसात उलटने से मालूम हो गया अपनी शिकस्त का उ.. अन्तर्मंथन पर पढें - हम बुलबुल मस्त बहारों की श्री सतीश सक्सेना जी की प्रथम पुस्तक -- मेरे गीत -- प्रकाशित होकर हमारे बीच आ चुकी है । ज्योतिपर्व प्रकाशन द्वारा प्रकाशित १२२ प्रष्ठों की इस पुस्तक में सतीश जी के ५८ गीत शामिल किये गए हैं । हालाँकि अधिक...
अनिता जी लिख रही हैं - कविता अपनी मर्जी से आयेगी कविता अपनी मर्जी से आयेगी कभी उगाएगी फूल कभी दर्द जगायेगी उसे लाया नहीं जा सकता उस तरह जैसे बाजार से लाते हैं सामान वह उतरती है तब जब भीतर मौसम गाते हैं कभी सुख के कभी दुःख के कुछ पल याद आत... दशक का चिट्ठाकार : हर एक ब्लॉगर जरूरी होता है ।कल अचानक जाल भ्रमण के दौरान दिव्या जी की एक पोस्ट पर मेरी नज़र पड़ी । उन्होने हर विषय पर बड़ी साफ़गोई के साथ अच्छी और सच्ची टिप्पणियाँ करके मेरा मार्गदर्शन कर दिया । मैं हतप्रभ हूँ और उत्साहित भी इस सारगर..कुत्ते की दूमछत्तीसगढ़ में राहुल गांधी आये अपनों से मिले और चले गये। तीन दिनों के जद्दोजहद के बाद कांग्रेस किस तरह से सत्ता हासिल करेगी यह तो वहीं जाने लेकिन इन तीन दिनों का आखिरी अध्याय कांग्रेस के बड़े नेताओं के लिए कि..
वार्ता को देते हैं विराम - मिलते हैं ब्रेक के बाद -राम राम, चलते चलते पढिए आकांक्षा
8 टिप्पणियाँ:
बहुत ही अच्छे सूत्र, प्रभावी प्रस्तुति..
यह पोस्ट देखकर ख़ुशी हुई.
अच्छी वार्ता....
बढ़िया लिंक्स.......
शुक्रिया.
सही है "हर एक ब्लॉगर जरूरी होता है"... बढ़िया लिंक संकलन... रोचक वार्ता के लिए आभार
बढ़िया.
BAHUT BADHIYA OR UPUKT LIKHA JI !!
सुन्दर लिंक संयोजन
bahut hi sundar links
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