ललित शर्मा का नमस्कार, फ़ेसबुक पर स्वराज करुण कह रहे हैं - मेरे जैसे कई लोगों को कपड़े सिलना नहीं आता और कपड़े सिलने में माहिर दर्जियों को हम जैसों की तरह कम्प्यूटर चलाना. कई पढ़े-लिखे डाक्टर ,वकील ,पत्रकार ,अफसर और प्रोफ़ेसर आदि आसानी से कार ,स्कूटर और मोटरसायकिल चला सकते हैं लेकिन उनके बिगड़ने पर उन्हें बनाना नहीं जानते इसके लिए उन्हें आठवीं फेल छोटू मिस्त्री के ही पास जाना पड़ता है .और ज्यादा दूर क्यों जाएँ ? हम जैसे कई लोग घरों में केवल खाना जानते हैं लेकिन खाना बनाना नहीं , जबकि अधिकाँश घरों की गृहणियां अपने-अपने रसोई घरों की विशेषज्ञ होती हैं . वह काम जो हम कर सकते हैं ,कोई दूसरा नहीं कर सकता और जो काम दूसरे कर सकते हैं उन्हें हम नहीं कर पाते . कई बार स्वयं से यह सवाल पूछता हूँ कि इनमे से कौन सबसे बड़ा है ? जवाब नहीं मिलता . क्या आपके पास है कोई जवाब ? आप दीजिए जवाब तब तक हम चलते हैं ब्लॉग नगरिया की सैर पर…………
कनाडा में फूलों का मौसम है और मेरा घर भी अछूता नहीं.इनदिनों कानाडा में फूलों का मौसम है और मेरा घर भी अछूता नहीं.....घर के आँगन में फूल ही फूल खिल रहे हैं. ..देखिये... वैसे हम बता देते हैं...ई अभी ट्रेलर है पिक्चर अभी बाकी है... :)यूपी विधान सभा का दंगलजिस बात की आशंका थी की प्रदेश में शुरू हो रहे नयी विधान सभा के पहले सत्र में काम काज को प्रभावित करने की कोशिशें विपक्ष द्वारा की जायेंगीं ठीक वैसा ही सदन के शुरू होते ही दिखाई दिया. प्रदेश में स...सालगिरह और भीड़सालगिरह... आँख की छत से बारिश की झालर लटका दी है... काग़ज़ का फ्लोर लगा दिया है... कुछ गुज़रे लम्हों की फ्लैश लाइट लगा दी है थोड़ा ओल्ड फैशंड हूँ न इसलिए... पुरानी गुरुदत्त वाली प्यासा के किसी गाने पर.....
गर्मी पे चढा शबाब , और आदमी भुन के हुआ कबाबगर्मी की मार से हो सकती है आपकी सेहत खराब , सेहत खराब , अजी यहां तो दिमाग का दही हो गया जनाब , (गर्मी पे चढा शबाब , और आदमी भुन के हुआ कबाब ) पीएम पर भ्रष्टाचार के आरोप गलत हैं , ऐसा कह रही है सरकार , अ..अश्रुमालनाथ तुम्हारी क्षुद्र सेविका लाई यह रत्नों का हार , तुम पर वही चढ़ाती हूँ मैं करना मेरे प्रिय स्वीकार ! मेरा मुझ पर नाथ रहा क्या जो कुछ है वह तेरा है , मुझे निराशा अरु आशा की लहरों ने प्रभु घेर..ब्लोगिंग के उत्थान में शानदार भूमिका है फेसबुक कीफेसबुक पर अक्सर हिंदी ब्लॉग लेखकों की टिप्पणियाँ पढ़ने को मिली कि- "फेसबुक ब्लोगिंग के लिए खतरा है|" दरअसल ज्यादातर ब्लॉग लेखकों द्वारा फेसबुक पर ज्यादा समय देने से ब्लॉगस् पर लेख आने की फ्रिक्वेंसी कम ह...
मन चंचलमन चंचल है नहीं कुछ करने देता तब सफलता हाथों से कोसों दूर छिटक जाती है उस चंचल पर नहीं नियंत्रण इधर उधर भटकता और अधिक निष्क्रिय बनाता भटकाव यह मन का नहीं कहीं का छोड़ेगा बेचैनी बढ़ती जायेगी अंतर ...समय कठिन आंखें मत फेर प्राण-सखा -वीरेन डंगवालसमय कठिन प्राण सखा आंखें मत फेर टोक-टोक जितना भी जी चाहे टोक पर आंखे मत फेर !इन दुबले पांवों को हाथों को पकड़-जकड़ चढ़ी चली आती है अकड़ भरी लालच की बेल शुरू हुआ इस नासपीटे वसन्ता का स...याद आये रात फिर वही अहद तेरा यूँ लेकर दिल में याद आये रात फिर वही बदगुमान बन तेरी चाहत में अपने हर एहसास लिये मुझे * *याद आये रात फिर वही अनछुये से उस ख़्वाब का बेतस बन पुगाने में मुझे याद आये रात फिर वही उनवान की खा...
जिजीविषा (लघुकथा)एक-दो रोज की बात होती तो इतना क्लेश न होता लेकिन जब ये रोज की ही बात हो गई तो एक दिन बहूरानी भड़क गई. ''देखिये जी आप अपनी अम्मा से बात करिए जरा, उनकी सहेली बूढ़ी अम्मा जो रोज-रोज हमारे घर में रहने-खाने चल...वैष्णो देवी यात्रा.सफर का आनंद माता के दरबार जाने की इच्छा पिछले कई महीनों से मन में थी। सोचा, इस बार बच्चों की गर्मी की छ़ुट़टियां जैसे ही शुरू होंगी, निकल पड़ेंगे। सो सीटें आरक्षित करवा कर हम निश्चिंत हो गए क...बगड़ के कुछ धार्मिक, शैक्षिक, दर्शनीय स्थलबगड़ की शान पीरामल गेट * आज आपको दिखाते है बगड़ नगर जहा मेरी दुकान हैं वहा के कुछ धार्मिक, ऐतिहासिक,शैक्षिक व दार्शनिक स्थल* * बगड़ की शान पीरामल गेट* चावो वीरो सती मन्दिर का प्रांगण* * चावो वीरो...
एक बार फिर मौसम ने ली अँगड़ाईविदेशी गर्मियों का एक और सुनहरा दिन वह भी कई दिनों की बारिश और ठंड के बाद, यहाँ सूर्य नारायण का अपने रोद्र रूप में निकलना यानि खुशियों का त्यौहार जैसे धूप न निकली हो कोई महोत्सव हो रहा हो। या फिर इस संदर...
नन्हें कन्धों पर जीवन का बोझ आज नवभारत, 26 जुलाई 1984 अंक में प्रकाशित यह रपट : आज जब सारे के सारे जंगल काट लिये जा रहे हैं, न केवल बड़े शहरों में बल्कि सुदूर गाँवों में भी ईंधन के लिये लकड़ी की भारी कमी से लोगों को दो-चार होना पड़...करुणा भगवत जी से असल परिचय तब हुआ जब उनके जाने की ख़बर मिली. अनूप सेठी के ब्लॉग पर उनके हिस्से के भगवत के बारे में जाना, समझा. जीवट से भरे भगवत जी ने जैसे मृत्यु पर विजय पा ली हो. यहां भगवत...
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद……… राम राम
11 टिप्पणियाँ:
ललित भाई को राम राम ,
बिजली हो रही है गुल आ सूरज का मुंह गया है फ़ूल , आदमी कर रहा त्राहि माम , कह के कूल कूल
चकाचक वार्ता सजाई ललित भाई । अभी लिंक सब पर टहल टिकोरा कर के आते हैं । :) हमरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार ।
achhi warta hai... mombatti jala kar likha hai kya , jb batti gul hai to ........:))
गुल बत्ती के बीच लिखी बढ़िया वार्ता के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया ललितजी...
प्रकृति में मौजूद एक एक कण का अलग अलग महत्व है .. यहां के प्रत्येक बीज में असीम संभावनाएं छुपी हुई हैं .. एक दूसरे का सहारा लिए बिना मनुष्य का काम नहीं चल सकता .. आपके प्रश्न का जबाब नहीं दिया जा सकता .. इस पोस्ट से बहुत ही अच्छे अच्छे लिंक्स मिले .. दो दिन से नेट गुल था .. अब पढती हूं सारे को .. अच्छी वार्ता के लिए आभार !!
अच्छी वार्ता सुंदर प्रस्तुति,,,,,
RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
अच्छी वार्ता
बहुत बहुत बढ़िया वार्ता......
शुक्रिया.
अनु
सुन्दर लिंक संयोजन्।
ललित जी आज की वार्ता बहुत अच्छी बहुत सार्थक |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बहुत सुन्दर वार्ता....
सार्थक लिंक्स के साथ सुन्दर वार्ता ललित जी ! 'उन्मना' से मेरी माँ की रचना के चयन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !
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