वार्ता के इस अंक में आपका स्वागत है . मैं हूँ आपका दोस्त केवल राम . हिंदी ब्लॉगिंग आजकल पूरी तरह से नए रूप में नजर आ रही है . तुम मुझे पन्त कहो, मैं तुम्हें निराला की प्रवृति जोरों पर है . ऐसे में मन असमंजस की स्थिति से गुजर रहा है , कहीं पर पोस्ट सामने आ रहीं हैं तो कहीं पर पोस्टनुमा टिप्पणियाँ भी अपना महत्व सिद्ध करती जा रही हैं . ऐसे में एक नया मनोवैज्ञानिक स्वरूप उभर कर सामने आया है लेखन का , बिना कुछ जाने बहुतों को नामांकित किया जा रहा है .....किसी ख़ास सम्मान के लिए, कोई उसकी चयन प्रक्रिया पर अंगुली उठा रहा है तो किसी को वह सम्मान तथाकथित लगा रहा है, हालाँकि हम इस बात के पक्षधर हैं कि लेखक किसी सम्मान का मोहताज नहीं होता . अगर वह ही ऐसे किसी चुंगल में फंस जाता है तो उसके लेखन का क्या होगा ? यह एक यक्ष प्रश्न की तरह बार - बार मन को कुरेद रहा है ......चलिए आप सब अपना काम अनवरत गति से कर रहे हैं यही एक संतोषका विषय है .....चलिए आज वार्ता का सफ़र आप मेरे साथ तय करेंगे कुछ चुनिन्दा लिंक्स के साथ ......!
शिखा जी अपने ब्लॉग स्पंदन http://shikhakriti.blogspot.in/ पर लिख रहीं हैं "मैं" बनाम "हम"...इस पार से उस पार / जो राह सरकती है / जैसे तेरे मेरे बीच से / होकर निकलती है और फिर अनुपमा जी अपने ब्लॉग अनुपमा सुकृति http://anupamassukrity.blogspot.in/ पर लिख रहीं हैं , चल मन ....लौट चलें अपने गाँव .....!! जेठ कि तपती है.. / जब दुपहरी ..../ कहीं झिर झिर.../ कुछ झरता है ....बिन बदरा भी बरसता है .....ऐसे माहौल में गिरिजेश राव अपने ब्लॉग एक आलसी का चिटठा http://girijeshrao.blogspot.in/ पर लिखते हैं , शक, शर्म और आलस छोड़िये... सबसे प्रिय ब्लॉग की खोज के अभियान में लोगों से सम्पर्क करने पर कुछ बातें पता चली हैं। उन पर अपनी बात रख रहा हूँ: डॉ जे. पी. तिवारी अपने ब्लॉग pragyan - vigyan http://pragyan-vigyan.blogspot.in/ पर लिखते हैं न इतना गम मनाओ तुम! एक करारी हार पर / न इतना गम मनाओ तुम! / वीर हो, तुम धीर हो / पग दूसरा फिर बढाओ तुम. संतोष कुमार अपने ब्लॉग beloved life http://belovedlife-santosh.blogspot.in/ पर चाँद की उलझन ! में हैं ....आज फिर / शाम ने / रात के साथ मिलकर / कसम खाई है../ सुबह .. होने ना देगी / मुझे जाने ना देगी. एक तरफ चाँद की बातें हो रहीं हैं तो दूसरी तरफ दीपक शर्मा जी हिमधारा http://blog.himdhara.in/ पर लिख रहे हैं कि स्वर्ग से सुन्दर कुल्लू घाटी ....बच्चों को गर्मीं की छुटियाँ पड्नें वाली हैं I इसमें अधिकतर लोग बच्चों को साथ लेकर पहाड़ों पर घूमनें जाते हैं I जैसे शिमला,कश्मीर,कुल्लू मनाली I यह सभी पर्यटक स्थल खूबसूरत हैं I
अमित श्रीवास्तव अपने ब्लॉग बस यूं ही अमित..... http://amit-nivedit.blogspot.in/ पर लिख रहे हैं वो तिरछे होंठ बहुत पहले टी.वी. पर 'बलसारा' कंपनी के विज्ञापन में डा.माया अलग एक विशेष प्रकार से 'ओफ्फ ओ ' बोलती थीं ,जिसमे उनके होंठ एक ओर थोडा सा ऊपर उठ जाया करते थे. गिरीश पंकज जी सद्भावना दर्पण http://sadbhawanadarpan.blogspot.in/ पर दिल के हालत वयां कर रहे हैं .... दिल का क्या कब कौन सुहाए ..दिल का क्या कब कौन सुहाए / बात यही कुछ समझ न आए / सुबह सुहानी खूब सुहाए / उजियाला भीतर बस जाए . डॉ . निशा महाराणा अपने ब्लॉग My Expression http://nishakidisha.blogspot.in/ पर अगले मोड़ की बात कर रहीं हैं ....तुम्हें सूरज की किरणें चाहिए / मुझे चंदा की चांदनी ...../ तुम टकसाल के प्रहरी हो ??? / मैं वीणा की रागिनी ...छान्दसिक अनुगायन http://jaikrishnaraitushar.blogspot.in/ पर एक नवगीत -खुली हुई वेणी को धूप में सुखाना मत / खुली हुई वेणी को / धूप में सुखाना मत / बूंद -बूंद धरती पे गिरने दो | दिलीप जी अपने ब्लॉग ....दिल की कलम से http://dilkikalam-dileep.blogspot.in/ पर लिख रहे हैं....वो मुझसे पूछ रहा है, कहो ग़ज़ल क्या है...वो मुझसे पूछ रहा है, कहो ग़ज़ल क्या है.../ बीज को क्या बताऊं मैं कि ये फसल क्या है.../ सूद तन्हाइयों का इस कदर चढ़ा मुझ पर.../ शाश्वत शिल्प http://shashwat-shilp.blogspot.in/ पर दो कवितायें लिखीं हैं : मैं ही / सही हूँ / शेष सब गलत हैं....मुझे / एक अजीब-सा / सपना आया ...संध्या शर्मा जी मैं और मेरी कवितायें http://sandhyakavyadhara.blogspot.in/ पर ठिकाने के बारे में लिख रही हैं ....रफ़्ता रफ़्ता घर को सजाना होगा, / सपनों की जन्नत को बसाना होगा. / कभी तो आएगा चलकर यहाँ वो, / सफ़र में जो मुसाफ़िर बेगाना होगा.
अब आज की वार्ता को देते हैं विराम ....मिलते हैं फिर चलते-चलते .....आप सबको राम - राम ...
शिखा जी अपने ब्लॉग स्पंदन http://shikhakriti.blogspot.in/ पर लिख रहीं हैं "मैं" बनाम "हम"...इस पार से उस पार / जो राह सरकती है / जैसे तेरे मेरे बीच से / होकर निकलती है और फिर अनुपमा जी अपने ब्लॉग अनुपमा सुकृति http://anupamassukrity.blogspot.in/ पर लिख रहीं हैं , चल मन ....लौट चलें अपने गाँव .....!! जेठ कि तपती है.. / जब दुपहरी ..../ कहीं झिर झिर.../ कुछ झरता है ....बिन बदरा भी बरसता है .....ऐसे माहौल में गिरिजेश राव अपने ब्लॉग एक आलसी का चिटठा http://girijeshrao.blogspot.in/ पर लिखते हैं , शक, शर्म और आलस छोड़िये... सबसे प्रिय ब्लॉग की खोज के अभियान में लोगों से सम्पर्क करने पर कुछ बातें पता चली हैं। उन पर अपनी बात रख रहा हूँ: डॉ जे. पी. तिवारी अपने ब्लॉग pragyan - vigyan http://pragyan-vigyan.blogspot.in/ पर लिखते हैं न इतना गम मनाओ तुम! एक करारी हार पर / न इतना गम मनाओ तुम! / वीर हो, तुम धीर हो / पग दूसरा फिर बढाओ तुम. संतोष कुमार अपने ब्लॉग beloved life http://belovedlife-santosh.blogspot.in/ पर चाँद की उलझन ! में हैं ....आज फिर / शाम ने / रात के साथ मिलकर / कसम खाई है../ सुबह .. होने ना देगी / मुझे जाने ना देगी. एक तरफ चाँद की बातें हो रहीं हैं तो दूसरी तरफ दीपक शर्मा जी हिमधारा http://blog.himdhara.in/ पर लिख रहे हैं कि स्वर्ग से सुन्दर कुल्लू घाटी ....बच्चों को गर्मीं की छुटियाँ पड्नें वाली हैं I इसमें अधिकतर लोग बच्चों को साथ लेकर पहाड़ों पर घूमनें जाते हैं I जैसे शिमला,कश्मीर,कुल्लू मनाली I यह सभी पर्यटक स्थल खूबसूरत हैं I
अमित श्रीवास्तव अपने ब्लॉग बस यूं ही अमित..... http://amit-nivedit.blogspot.in/ पर लिख रहे हैं वो तिरछे होंठ बहुत पहले टी.वी. पर 'बलसारा' कंपनी के विज्ञापन में डा.माया अलग एक विशेष प्रकार से 'ओफ्फ ओ ' बोलती थीं ,जिसमे उनके होंठ एक ओर थोडा सा ऊपर उठ जाया करते थे. गिरीश पंकज जी सद्भावना दर्पण http://sadbhawanadarpan.blogspot.in/ पर दिल के हालत वयां कर रहे हैं .... दिल का क्या कब कौन सुहाए ..दिल का क्या कब कौन सुहाए / बात यही कुछ समझ न आए / सुबह सुहानी खूब सुहाए / उजियाला भीतर बस जाए . डॉ . निशा महाराणा अपने ब्लॉग My Expression http://nishakidisha.blogspot.in/ पर अगले मोड़ की बात कर रहीं हैं ....तुम्हें सूरज की किरणें चाहिए / मुझे चंदा की चांदनी ...../ तुम टकसाल के प्रहरी हो ??? / मैं वीणा की रागिनी ...छान्दसिक अनुगायन http://jaikrishnaraitushar.blogspot.in/ पर एक नवगीत -खुली हुई वेणी को धूप में सुखाना मत / खुली हुई वेणी को / धूप में सुखाना मत / बूंद -बूंद धरती पे गिरने दो | दिलीप जी अपने ब्लॉग ....दिल की कलम से http://dilkikalam-dileep.blogspot.in/ पर लिख रहे हैं....वो मुझसे पूछ रहा है, कहो ग़ज़ल क्या है...वो मुझसे पूछ रहा है, कहो ग़ज़ल क्या है.../ बीज को क्या बताऊं मैं कि ये फसल क्या है.../ सूद तन्हाइयों का इस कदर चढ़ा मुझ पर.../ शाश्वत शिल्प http://shashwat-shilp.blogspot.in/ पर दो कवितायें लिखीं हैं : मैं ही / सही हूँ / शेष सब गलत हैं....मुझे / एक अजीब-सा / सपना आया ...संध्या शर्मा जी मैं और मेरी कवितायें http://sandhyakavyadhara.blogspot.in/ पर ठिकाने के बारे में लिख रही हैं ....रफ़्ता रफ़्ता घर को सजाना होगा, / सपनों की जन्नत को बसाना होगा. / कभी तो आएगा चलकर यहाँ वो, / सफ़र में जो मुसाफ़िर बेगाना होगा.
अब आज की वार्ता को देते हैं विराम ....मिलते हैं फिर चलते-चलते .....आप सबको राम - राम ...
10 टिप्पणियाँ:
bhawnao ki abhivyakti karti sunder rachnao se saji warta aur yatra ki khubsurt tasweer ke sath piroi gai is warta ke liye aapko badhai ....
अच्छे लिंक्स,बढिया स्टाइल ..
सुंदर वार्ता के लिए आभार !!
वार्ता का रोचक अंदाज़ !
achchi wartaa kaafi mehnat ki hai lalitji wo bhi sarthak..
बहुत ही सुंदर ढंग से आपने अपनी वार्ता प्रारंभ करके समाप्त भी कर दी ....
:)
क्या बात है.सच्ची बात कही है..और बढ़िया लिंक्स भी दिए. व्रावो....
बहुत सुन्दर लिंक संयोजन
बढ़िया वार्ता... सुन्दर लिंक संयोजन...
अरे वाह ....बहुत बढ़िया वार्ता ....!!
आभार केवल राम जी ...!!
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