शनिवार, 5 मई 2012

ख्वाब पूरे हो जायें यूं जिंदगी के....ब्लॉग 4 वार्ता .......केवल राम

वार्ता के इस अंक में आप सबका स्वागत है . मैं हूँ आपका दोस्त केवल राम . हिंदी ब्लॉगिंग के इस सफ़र में वार्ता का साथ हमें निरंतर उर्जा प्रदान करता है . जीवन का सफ़र भी एक वार्ता ही है . जहाँ कई प्रकार के पन्ने लिख गए हैं ना जाने कब किस पर क्या लिखा हो , हर दिन एक नया अध्याय है और हर लम्हा एक कहानी कहता है . फिर भी हम कहते हैं जीवन अनिश्चित है , तो निश्चित क्या है ? यहाँ एक गहन प्रश्न है . हम जीवन में अंधकार से प्रकाश की और , सुख से दुःख की और , अज्ञान से ज्ञान की और , आत्मा से परमात्मा की और सफ़र तय करते हैं . तो आइये हम भी सफ़र शुरू करें पोस्ट से वार्ता की और ....! 

गणेश पाण्डेय जी अपने ब्लॉग http://ganeshpandeyyatra.blogspot.in/ पर लिख रहे हैं  भरभराकर ढ़ह गया है  ढलान पर चलते हुए /सोचता हूं कि यह कैसी तेजी है /  भागते हैं पैर आप से आप / कहां पहुंचकर चाहते हैं /  सुस्ताना /  धरती के किस भाग पर /  होना चाहते हैं मुझसे अलग. और ऐसे हालत में पूनम जी अपने झरोखे http://jharokha-jharokha.blogspot.in/ के माध्यम से एक सफ़र की शुरुआत करतीं हैं : जिंदगी का सफ़र आसान है मगर / मुश्किलों की भी कोई कमी तो नहीं। / फ़ूलों से भरी ये डगर है मगर,/  कांटों की भी कोई कमी तो नहीं। ऐसे सफ़र में जीवन एक गीत बन जाता है और संध्या शर्मा जी इस भाव को अपने ब्लॉग http://sandhyakavyadhara.blogspot.in/ पर मासरोवर के गीत के माध्यम से अभिव्यक्त करती हैं / चातक की तरह / स्वाति बूंदों को तरसती  /  खुली सीप जैसी निर्जल आँखें  / मस्तिष्क में चलती रेतीली आंधियां / ह्रदय में चुभते यादों के कांटे यह यादों के कांटे भी एक बंधन की तरह ही हैं व्यक्ति ना जी सकता है न मर सकता है उसे जीवन की आकांक्षा http://akanksha-asha.blogspot.in/ फिर किसी बंधन से मुक्त होने में ही नजर आती है :  ये घुंघरू बंधन  पैरों के / ना पहले बजे ना आज / डाले गए  पायलों में / फिर भी बेआवाज / हें ना जाने क्यूँ मौन ? जिन्दगी की राह में यह मौन कभी कभी बड़ी भूमिका निभाता है और हम पढ़ते - पढ़ते http://padhte-padhte.blogspot.in/ जैक एग्यूरो की कविता को यूँ गुनगुना लेते हैं : यह हमेशा होता है मेरे साथ-- कारोबार / तेज होता है और मंदा मगर मैं नींद नाम के /  तेज गति के करतब में लिपटे यो यो की तरह हूँ  / जिस तरह मैं कसकर खड़ा हूँ इस कतार में अभी. जहाँ धन के लिए तरस रहा है व्यक्ति और मेरी आरजू http://aarzoodeepaksaini.blogspot.in/ है कि आप न तरसें क्योँकि पैसा तो हाथ का मैल है : बड़े वी आई पी मैल  हो ? / दिखाई  ही नहीं देते, / किस  हाथ  पर कितने चढ़े हो / पता भी नहीं लग पाता . 

आज युवा सोच युवा खयालात http://www.yuvarocks.com/ हमें समझा रहे हैं कि यह भी कोई जिन्दगी है : जमीन पर सोने वालों की भी भला कोई जिंदगी होती है। हजारों दुख होते हैं उन्हें, मगर बयां किस से करें? हजारों तकलीफों से जूझते हैं और जिंदगी की पटरी पर उनकी गाड़ी कभी सरपट नहीं दौड़ती, हिचकौले खाती है, कभी टकराती है, कभी गिर जाती है। एक दिन ऐसा आता है जब जिंदगी हार जाती है। और उस हारी हुई जिन्दगी का आधा सच http://aadhasachonline.blogspot.in/ तो यूं सामने आता है , जब लोकतंत्र के गुनाहगार बाबा रामदेव ... मेरे साथ ही आज देश में करोडों लोग ऐसे हैं जिन्हें रामदेव के आगे बाबा लिखने पर आपत्ति है। मुझे तो उनके भगवा वस्त्र पहनने पर भी कड़ी आपत्ति है, लेकिन मैं अपने विचार किसी पर भला कैसे थोप सकता हूं। जी हाँ हर किसी का अपना विचार है और अपना समाज है और अपना समाज http://apnasamaj.blogspot.in/  कह रहा है आओ चुनें राष्ट्र का पति! राष्ट्र बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। वैसे कोई दौर ऐसा नहीं होता, जब हमारा राष्ट्र नाजुक दौर में नहीं होता। हमारे राष्ट्र के लिए हर दौर नाजुक रहा है। खैर, नाजुकता के तमाम आर्थिक, सामाजिक, सामरिक, भौगोलिक, प्राकृतिक, मानसिक, शारीरिक कारणों के साथ इस समय एक नाजुक कारण ये भी है कि राष्ट्र को अपना नया पति चुनना है, और यह सब एक पोलिटिकल जोक्स http://politicaljokesbyme.blogspot.in/ की तरह चलता है और तब कहने वाला कहता है : पूरा देश कन्फूजिया गवा है : जो अभिनेता है वो क्रिकेट खेल रहा है / जो क्रिकेटर है वो नेता बन रहा है / जो नेता है वो पॉर्न स्टार बन गया है ... ऐसी हालत में मेरे सामने एक विचार http://www.testmanojiofs.com/  आता है , सबको भाई के नाम से संबोधन का : उन दिनों दक्षिण अफ़्रीका में डेढ़ लाख भारतीय बसते थे। 54-96 ज़्यादातर लोग खदानों में काम करते थे। कई गन्ने के खेतों में मज़दूरी करते थे। इन्हें गिरमिट कहा जाता था। इन भारतीयों की स्थिति ग़ुलामों के समान थी। वह एक ऐसा ज़माना था जब भारत में कुछ लोगों को अस्पॄश्य माना जाता था।

लेकिन अब अगर नया जमाना http://jagadishwarchaturvedi.blogspot.in/ आ गया है तो हम कह रहे हैं कि सोशल नेटवर्कः सामाजिक संबंधों के अंत का वर्चुअल राग :   यह सामाजिक संबंधों के अंत का दौर है। इसमें नए किस्म के सामाजिक संसार की सृष्टि सोशल नेटवर्किंग साइट पर हो रही है। एक सर्वे में अनुमान व्यक्त किया गया है कि सन् 2014 तक इंटरनेट पर सोशल नेटवर्क का आकार कल्पना के दायरों का अतिक्रमण कर जाएगा। सोशल नेटवर्क के बढ़ने से सामाजिक समुदायों के बीच पुख्ता संबंधों की संभावनाओं को व्यक्त किया जा रहा है। यह सब तो चलता ही रहेगा लेकिन व्यक्ति अपनी रोज की रोटी  http://rozkiroti.blogspot.in/  के लिए प्रयासरत रहेगा और इसके लिए उसे समर्पण से काम लेना होगा : अंग्रेज़ी लेखक थौमस कार्लय्ल का विवाह जेन वैल्श से सन १८२६ में हुआ था । विवाह के समय जेन भी एक प्रसिद्धि प्राप्त लेखिका थीं, किंतु विवाह के बाद उन्होंने अपने पति की सफलता के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया और उन की सेवा में लगी रहीं। चलिए यह सब कुछ भी कहीं भी http://ajaykumarjha1973.blogspot.in/ किया जा सकता है और हम जरा इस तरफ भी ध्यान दें कि कोल्ड-बोल्ड ब्लॉगिंग और फ़ास्ट फ़्युरियस फ़ेसबुक : हिंदी अंतर्जाल का चेहरा , अपने पैदा होने से अब तक लगातार इतना तेज़ी से बदलता रहा है कि , कभी तो उसको साहित्य अपने निशाने पर लेता है ,ये कह कर कि इस पर जो कुछ भी उपलब्ध कराया जाता है वो स्तरहीन है , जबकि उन्हें भलीभांति मालूम होता है कि अब तो अंतर्जाल पर पूरा साहित्य इतिहास समग्र उपलब्धता की ओर अग्रसर है । और ऐसे में मेरा विचार MY THOUGHTS http://geetachandna.blogspot.in/ है कि देवरहा बाबा जी का प्रासाद ले लिया जाये . 

चलिए अब आप सभी को चलते-चलते केवल राम की राम - राम मिलते हैं फिर .....!

10 टिप्पणियाँ:

हम जीवन में अंधकार से प्रकाश की और , सुख से दुःख की और , अज्ञान से ज्ञान की और , आत्मा से परमात्मा की और सफ़र तय करते हैं
सार्थक चिंतन के साथ वार्ता की शुरूआत हुई ..
और महत्‍वपूर्ण लिंक्‍स मिले ..

आभार !!

दुआ है ख्वाब पूरे हो जाएं जिन्दगी के…… उम्दा वार्ता के लिए आभार

बेहतरीन वार्ता के प्रस्तुति करने के लिए आभार

सफर बहुत सुहाना लगा सुन्दर सन्देश के साथ पोस्ट से वार्ता को ओर का... शुभकामनाएं, आभार...

इतने
बारीक
वार्ताकार
केवल..
राम
ही
हो
सकते
हैं...!!
जय
हो
केवल..
"राम जी की"
और "जै हो केवलराम जी की..!!"

कई बहुरंगी लिंक्स से सजी ब्लोग४वार्ता |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार

सुन्दर व रोचक वार्ता

प्रिय केवल राम जी,
बधाई और शुभकामनाएँ।

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