गुरुवार, 30 सितंबर 2010

मंदिर-मस्जिद का क्या बहाना बनाना - चल तू खैनी घिस - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

प्रिय ब्लॉगर मित्रो,
प्रणाम !

जैसा मैंने आपसे कहा था .......जब इस समय में यह ब्लॉग वार्ता लिख रहा हूँ .......आप सब अब तक आज की ब्लॉग वार्ता का आनंद ले चुके होंगे .......ब्लॉग 4 वार्ता  मंच की २०० वी पोस्ट का जश्न ललित भाई ने एक बिलकुल ही अनोखे अंदाज़ में मनवाया ! 

अक्सर ही आप सब की टिप्पणियों में एक बात होती है....."इतनी महेनत कैसे कर लेते है आप ??"

सिर्फ़ एक ही जवाब दे सकता हूँ इस बात का ....और यह केवल मेरे दिल की बात नहीं बल्कि हर चर्चाकार के दिल की बात है चाहे वह किसी भी मंच से ब्लॉग पोस्टो की चर्चा क्यों ना करता हो .......

यह सब आप सब के प्यार से ही संभव है !! 

बस इसी तरह अपना स्नेह बनाये रहे ........और हम आपके लिए रोज़ बढ़िया बढ़िया लिंक्स खोज कर लाते रहेंगे !

अब आइये चलते है आज की ब्लॉग वार्ता की ओर .....

सादर आपका 

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उफ़ .... तुम भी न :- बड़े वोह हो !


उफ़ ये सरकारी दहशत - - - - - - - mangopeople :- दहशत तो दहशत है .....क्या सरकारी ...क्या गैर सरकारी !!

राहुल गाँधी के नाम एक खुला पत्र --- दिव्या :- यह तो हिंदी पढ़ ही लेंगे ....है ना !!


बुरे काम का बुरा नतीज़ा [इस्पात नगरी से - 30] :- समझे चाचा ? अरे हाँ भतीजा !!

वो तो राम के भरोसे है न ...!! :- यहाँ तो सब ही राम के भरोसे है !

लो इक्कीसवीं सदी आयी :- कब.... कहाँ.... कैसे....?

इतिहास :- गौरवशाली है ! 


आज रश्मि स्वरूप का जनमदिन है :- हार्दिक शुभकामनाएं ! 




बेसब्री का आलम! :- छाया है !

गूंगा ! :- देश है मेरा !


शीशे के घर ! :- में रहते हम !

बाढ़ का कवरेज बिलकुल लाइव :- अब पानी कहाँ तक पहुंचा ??

सप्ताह है "देने के सुख का", कही आप भी मेरे जैसा ही कुछ तो नहीं दे रहे दूसरों को? :-  सोचना होगा !

हैती के बाद नवंबर 2010 के मध्‍य में एक और भूकम्‍प की आशंका :- बच के रहना !

साधना की अवधि पूरी हो गई :- ‘ अजब सी छटपटाहट, घुटन, कसकन, है असह पीड़ा, समझ लो साधना की अवधि पूरी है | '

मंदिर-मस्जिद का क्या बहाना बनाना???? :-  बात में दम है !

जय हिन्द........... :-देव :- जय हिंद !!

आईये ..हम आपको खबर को ठीक से पढने का एक ठो नयका तरीका बताते हैं .........अरे आईए तो ... :- अरे बताइए तो !!

तन सुन्दर हो तो मन भी सुन्दर होना चाहिए --- :- सत्य वचन !

अचानक सभी को "न्यायालय के सम्मान"(?) की चिंता क्यों सताने लगी है?... Ram Janmabhoomi Court Verdict, Ayodhya Secularism :- राम जाने !

कबीर के दोहे, कॉमनवेल्थ खेल के परिप्रेक्ष्य में.. :-  सटीक बैठे है !


लगेंगे हर बरस मेले (शहीद भगत सिंह )! :- शत शत नमन !

नई ग़ज़ल/बिन खिलौने के फिर से जो घर जाएगा... :- रोते हुए 'खुदा' को कैसे मनायेगा !?

मेरी ब्लॉग यात्रा - जोधपुर ब्लोगर मिलन की तैयारी :- अरे वाह लगे रहिये !

झूम झूम उठे नागपुर के काव्यप्रेमी हिन्दी कविताओं पर :- खूब जमा होगा रंग फिर तो !!

उन्हें आग लगाने का मौका मत दीजिए :- अपने दामन को बचा लीजिये !

"पश्चाताप : आत्म-कथ्य" :- देर आमद, दुरुस्त आमद !

प्लीज़ रिंग द बेल : एक अपील :- इस से पहले कि देर हो जाए !

देसिल बयना - 49 : नदी में नदी एक सुरसरी और सब डबरे... :- सैय्याँ में सैय्याँ एक हमरे और सब लबरे.... !

लीजिये आज फिर मन कर रहा है सो अपनी डफली आप बजा रहा हूँ ....अपनी २ पोस्टो के लिंक दिए जा रहा हूँ !

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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ....... अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......

जय हिंद !!

बुधवार, 29 सितंबर 2010

200 वीं पोस्ट की विशेष वार्ता पर स्वागत है------ललित शर्मा

ब्लॉग 4 वार्ता की 200 वीं पोस्ट पर आपका स्वागत हैं,ब्लॉग पर जाने के लिए चित्र पर चटका लगाएं














































मंगलवार, 28 सितंबर 2010

१९९ वी ब्लॉग वार्ता :- शहीद् ए आजम सरदार भगत सिंह जी के जन्मदिन पर - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

प्रिय ब्लॉगर मित्रो,
प्रणाम !

आज जब यह ब्लॉग वार्ता लिख रहा हूँ तो मन में केवल एक विचार आ रहा है .........जिस तरह हम लोगो ने कुछ लोगो को एकदम भुला दिया है ........क्या एक दिन हम लोगो को भी ऐसे ही भुला दिया जायेगा ?? 

वैसे इस सवाल का जवाब भी है मेरे पास .......जी हाँ ठीक इसी तरह ........बिलकुल इसी तरह से हम सब भी भुला दिए जाने वाले है !! अरे जब बड़े बड़े कारनामे करने वाले वीरो को हम लोग ने भुला दिया तो फिर हमारी तो औकात ही क्या है ?? क्यों कर याद रखा जाए हम लोगो को ......ऐसा क्या कर रहे है हम किसी के लिए भी जो हमे याद रखा जाए ?? 

आइये एक ख़त पढवाता हूँ आप सब को .....

22 मार्च,1931,

“साथियो,
 
स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए, मैं इसे छिपाना नहीं चाहता। लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूँ, कि मैं क़ैद होकर या पाबंद होकर जीना नहीं चाहता। मेरा नाम हिंदुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है और क्रांतिकारी दल के आदर्शों और कुर्बानियों ने मुझे बहुत ऊँचा उठा दिया है – इतना ऊँचा कि जीवित रहने की स्थिति में इससे ऊँचा मैं हर्गिज़ नहीं हो सकता। आज मेरी कमज़ोरियाँ जनता के सामने नहीं हैं। अगर मैं फाँसी से बच गया तो वो ज़ाहिर हो जाएँगी और क्रांति का प्रतीक-चिन्ह मद्धिम पड़ जाएगा या संभवतः मिट ही जाए. लेकिन दिलेराना ढंग से हँसते-हँसते मेरे फाँसी चढ़ने की सूरत में हिंदुस्तानी माताएँ अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरज़ू किया करेंगी और देश की आज़ादी के लिए कुर्बानी देनेवालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना साम्राज्यवाद या तमाम शैतानी शक्तियों के बूते की बात नहीं रहेगी. हाँ, एक विचार आज भी मेरे मन में आता है कि देश और मानवता के लिए जो कुछ करने की हसरतें मेरे दिल में थी, उनका हजारवाँ भाग भी पूरा नहीं कर सका. अगर स्वतंत्र, ज़िंदा रह सकता तब शायद इन्हें पूरा करने का अवसर मिलता और मैं अपनी हसरतें पूरी कर सकता. इसके सिवाय मेरे मन में कभी कोई लालच फाँसी से बचे रहने का नहीं आया. मुझसे अधिक सौभाग्यशाली कौन होगा? आजकल मुझे ख़ुद पर बहुत गर्व है. अब तो बड़ी बेताबी से अंतिम परीक्षा का इंतज़ार है. कामना है कि यह और नज़दीक हो जाए.
 

आपका साथी,
भगत सिंह ”

यह है शहीद् ए आजम सरदार भगत सिंह जी का अंतिम पत्र अपने साथियों के नाम |  

शायद अब कुछ कहने कि जरूरत नहीं है ..........और अगर अब भी है तो यह हम सब का दुर्भाग्य है |

ब्लॉग ४ वार्ता  इस मंच से  मैं पूरे वार्ता दल और आप सभी की ओर से शहीद् ए आजम सरदार भगत सिंह जी को उनके १०४ वे जन्म दिवस पर शत शत नमन करता हूँ !

आइये चलते है आज की ब्लॉग वार्ता की ओर ......

सादर आपका

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हम नहीं सुधरेंगे.... :- जो सुधर जाए वह हम नहीं !

नंदन जी के नहीं होने का अर्थ..... :- मैं तो सोच भी नहीं सकता !


चलो मैं बे-वफ़ा हो जाती हूँ :- यह भी कोई बात हुयी भला !


अकेला घर करीम का..... :- दिया गाँव जगमगाए !



4.2 जापान पर अणुबम :- एक दुखद घटना !


एक अलग अनुभव... :- बुरा या भला ?



 भाजपा का अनूठा सच :- अगर सच है तो अनूठा तो होगा ही !




राजधानी दिल्ली में अभूतपूर्व निर्माणकार्य -सतीश सक्सेना :- बढ़िया है !

मेल द्वारा पोस्ट को जबरन पढ़वाने वालों के लिए प्रत्स्तावित एक जवाबी उत्तर। कृपया अपने बुद्धि कौशल से इसे संशोधित/संवर्धित करने की कृपा करें। :- सही है भाई !


कुत्ता :- एक वफादार जीव है !

असमज ! :- दांव पर लगी है आज गुडविल देश की !!

नई ग़ज़ल/ प्यार बड़ा बेमज़ा लग रहा :- पर क्यों ?

पगली दीदी :-  प्यारी दीदी !

सिर्फ़ २ बाते .... आपसे !! :- ज्यादा बातों के लिए वक़्त किस के पास है !?

पहले प्यार का गम...... :- सताए हर दम !

एक (अ)हिंदी प्रेम :- प्रेम तो प्रेम है ....क्या हिंदी क्या (अ) हिंदी !!

कुआँ खोदकर पानी पीना :- हर बार ठीक नहीं !

हमने छोड़ा शहर ज़माने के लिए....... :- अब जमाना ना छोड़ देना किसी फ़साने के लिए !

आन बसो हिय मेरे..... :- पहले यहाँ से निकलना तो हो !

परमार्थ करने वालों के पास संसाधनों की कमी नहीं होती ... :- सत्य वचन !

देशसेवा करते शहीद होना अच्छा है या जहरीली दारु पीकर मरना…?...... :- आज के दौर में तो यह देखा जायेगा मुआवजा किस में ज्यादा मिलेगा !

सी डब्ल्यू जी की सी.आई.डी. जाँच – भाग २ :- बच के रहना !

मेरा आगरा-२ :- हमारा कहिये ...ज्यादा दूर नहीं है हम !

पुलिस और क़ानून व्यवस्था - अंग्रेज़ी राज से अब तक :- ना सुधरी है ना सुधरेगी !

जलियांवाला बाग :- शहीदों को शत शत नमन ! !

एहसास :- जीवन का !

मानसिक क्रियाकलाप तथा उनके भेद (मनोविज्ञान भाग-2) :- बेहद जटिल है !

हसीन सपना... :-  सोते हुए आया या जागते हुए ?

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 : अब कुछ ऐसी पोस्टे जो लिखी गई है शहीद् ए आजम के जन्मदिन के शुभ अवसर पर :








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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ....... कल ललित शर्मा जी ले कर आ रहे है २०० वी ब्लॉग वार्ता एक ख़ास अंदाज़ में ....... मैं अगली बार फिर मिलता हूँ आप सब से एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......

जय हिंद !!

सोमवार, 27 सितंबर 2010

ब्‍लॉग जगत के प्‍यारे प्‍यारे बच्‍चों में अब शामिल है पंखुरी भी ..ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

पिछले एक सप्‍ताह से तबियत खराब होने की वजह से ब्‍लॉग जगत से दूर ही रही , पोस्‍ट लिख पाने का मौका तो बिल्‍कुल न मिला , कुछ पोस्‍ट्स पढें अवश्‍य , पर एकाध को छोडकर बाकी को टिपपणी किए बिना ही बंद करना पडा। आज तबियत थोडी अच्‍छी लगी तो नए ब्‍लोग्‍सों को पढने बैठ गयी। पिछले सप्‍ताहों की तुलना में इस सप्‍ताह कुछ कम लिक्‍खाड ही ब्‍लॉग जगत में उतरे , प्रस्‍तुत हैं उनमें से कुछ चिट्ठे और उसमें प्रकाशित सामग्रियां .....

मोहन गोकुल में हुआ एक साल का आज 

सदा माताकी गोद जो खेलत रहे अब भी



बड़ी प्यारी लगे माता की प्यारी नजर्य
सदा रहत यशोदा का हाथ मोहन शीर
ननद रानी सूनवे मीठी मीठी कहानी
फरते ही मीठी निंद्रा में डूब जावे प्यारी



पंखुरी बेटी अभी खुद पौने दो साल की हैं लेकिन उनके लिये एक दिन से दस साल तक के सारे बच्चे बाबू होते हैं.यहाँ तक कि अगर अपनी भी तस्वीर देख लें तो कहती हैं - बाबू ए (बाबू है).ऐसे में जब पडोस में रहने वाला एक साल का प्रथम उनके घर आया तो बाबू को देख कर पंखुरी खूब खुश हो गयीं.

वो देखो फिर एक सपना जल रहा हैं..
उठते हुए धुँए में इंसां नया पल रहा हैं
देखा था जो सपना उस रात को
सोचा, समझा और जाना उस बात अनजानी बात को,
कि कहीं जिसे समझा सूरज जीवन का, क्या अब वो ढल रहा हैं ?
वो देखो फिर एक सपना जल रहा हैं.......
मैं उसे देखकर व्यथित था 
उसकी उम्र और देह गोलाइयों से 
उसमे क्या कोई भी कमी थी 
बस वह चल ही तो नहीं सकती थी 
हाँ वह विकलांग थी पैरों से 
मुस्कुराती थी बहुत बातें बनाती थी 
रोज़ मिलती थी मुझे बस स्टैंड पर 
वह वैसाखियों से चलती थी 
हाँ वह वैसाखियों से सिर्फ चलती थी

विश्वामित्र  और मेनका की कहानी का ज़िक्र तो अक्सर सुनने में आ जाता है | जब भी कोई व्यक्ति किसी और व्यक्ति को कमज़ोर करने के लिए नारी सौंदर्य का प्रयोग करता है| तब तो यह कहानी उपमा अलंकार बनकर समक्ष खड़ी  हो जाती है| आखिरकार देवो के राजा देवराज इन्द्र ने धरती के एक सन्यासी राजा के तप से भयभीत हो स्वर्ग की सबसे सुन्दर अप्सरा की मद्दद से उसका तप भंग किया| विश्वामित्र मेनका के रूप,सोन्दर्य के जादू से अपनी वासना पर नियंत्रण नहीं रख पाए और उनका कठोर तप भंग हो गया| बस इतनी सी कहानी है एक ध्येय और ध्येय प्राप्ति कहानी समाप्त |
जीवन अनमोल होता है, जीवन भगवान के द्वारा हमें दिया गया सबसे बेहतरीन तोहफा है, और भी न जाने कितने शब्द जीवन की महत्ता को दर्शाने के लिए कवियों की कलम से निकले. लेकिन जब कभी जीवन की सुंदरता के पीछे छुपे बदसूरत चेहरे को देखा तो लगा कि यह तो वही बात है कि बदसूरती छुपाने के लिए परमात्मा ने भी प्लास्टिक सर्जरी कर रखी है जिन्दगी की. कभी-कभी तो लगता है कि प्रकृति के नियम अच्छे हैं, हर रात के बाद सवेरा कर ही देता है, लेकिन कुछ लोगों की जिन्दगी में भगवान ने सिर्फ रात ही क्यों लिखी है?
 ब गूंजे स्वर एक साथ
बोलो जय बाबा अमरनाथ,
शोले भड़के हिम के ह्रदय में
हुआ अम्लाछादित घाट घाट ।

क्या भूल गए वह जन सागर
जो उमड़ पड़ा था सड़कों पर ,
काश्मीर जब बंद हुआ था ,
हिन्दू शक्ति के दम पर
इतिहास परीक्षा थी उस दिन चिंता से ह्रदय धड़कता था ,
थे शगुन बुरे घर से चलते वक़्त दाया नयन फड़कता था।

जितने प्रशन मैंने याद किये उनमेसे आधे याद हुए ,

आधे में से बचे हुए    स्कूल जाते जाते बर्बाद हुए ।
तुम बीस मिनट हो लेट गेट पर द्वारपाल चिल्लाई ,
मै मेल ट्रेन की तरह दौड़ कर कक्षा के भीतर आई ।
खुद को कश्मीरी जनता का हमदर्द बताकर इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा के तौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने का दम भरने वाला पाकिस्तान शायद यह भुल गया है कि कश्मीर का कुछ हिस्सा उसके पास भी है। जिसे संभाल पाने में वह पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है, जहां लोग आजादी की मांग कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि पीओके की जनता को मूलभूत जरूरतें मुहैया कराने में नाकाम रही पाकिस्तान सरकार क्या कश्मीरी जनता का ख्याल रख पाएगी।
सच पूछो तो जीवन मे बस प्यार ही प्यार था
जब हमारे समाज मे संयुक्त परिवार था
दादा दादी , चाचा चाची,
ताऊ ताई , बहन भाई ,
किसी एक की ख़ुशी मे पूरे परिवार का चेहरा खिलता था
और हर एक बच्चे को कई कई माताओं का प्यार मिलता था
अँधेरे  के सौदागर करते हैं 
जहाँ रोशनी की तिजारत ,
डाकू और लुटेरे रखवाले हैं |
वहां क्या दुखड़ा रोना रोज -रोज व्यवस्था का
देश ही समूचा जब नियति के हवाले है |
अब यहाँ कोई बीमारी से नहीं
भूख से या फिर हादसों में बेमौत मरते हैं |

रोजगारपरक हिंदी भाषा प्रशिक्षण संसथान , दिल्ली

वर्तमान संपर्क पता -14/455, प्रथम तल,वसुंधरा कॉलोनी , गाज़ियाबाद (उ.प्र.)
ई-मेल:- rojgarihindi@gmail.com http://www.rojgarparakhindi.blogspot.com
Mobile No.09958416677.संस्थापक:- जीतेंद्र जीत

आइए सीखें रोजगारपरक हिन्दी
दोस्तों ! यह वह हिन्दी है जिसे सीखकर आपको 100 % काम मिलेगा ही मिलेगा . 
 संत कुलभूषण कवि रैदास उन महान् सन्तों में अग्रणी थे जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान किया। इनकी रचनाओं की विशेषता लोक-वाणी का अद्भुत प्रयोग रही है जिससे जनमानस पर इनका अमिट प्रभाव पड़ता है। मधुर एवं सहज संत रैदास की वाणी ज्ञानाश्रयी होते हुए भी ज्ञानाश्रयी एवं प्रेमाश्रयी शाखाओं के मध्य सेतु की तरह है।
पिछले कुछ सालों से भारत में बाबा रामदेव के प्राणायाम और योगासनो ने एक लहर सी चला रखी है। क्यों न चले जब इससे असाध्य रोगो में लोगों को फायदा हो रहा हो. कैन्सर,मधुमेह, ब्लड प्रेशर, बढा वजन और ढेड सारी बिमारिया जिसका आपने शायद नाम भी न सुना होगा, मे लोगो को इससे लाभ हो रहा है.
दूसरी सब से बडी बात जो हमने देखी है कि बाबा के प्राणायाम बहुत ही आसान है. मुख्यत: कपालभाति और अनुलोम-विलोम तो बहुत ही आसान और जल्द ही असर दिखाने वाले है. बाबा के सात प्राणायाम ,सात सूक्ष्म व्यायाम और सात आसन जो अति सरल है करने मे करीब १ घन्टा समय लगता है.


अब आप सबसे विदा लेती हूं .. मिलती हूं अगले सप्‍ताह फिर से नए चिट्ठों के साथ |

रविवार, 26 सितंबर 2010

सैंया सुणो तो सरी --वो सुबह हमीं से आयेगी - ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

पितृपक्ष प्रारंभ हो गए हैं,पौराणिक मान्यता के अनुसार इन 15 दिनों में हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं, तर्पण करते हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती कहते हैं-तर्पण का अर्थ है"अपनी सेवा से पूर्वजों को तृप्त करना। जो कार्य उनके जीते जी किया जाना चाहिए, उसे उनके दुनिया से जाने के बाद करते हैं।"जीवित पिता से दंगम दंगा, मरे पिता को पहुंचाए गंगा।" - जिन्दे को दिया न अनाज, मरे का कर दिया काज।" जीवित माता पिता की सेवा करके उनकी आत्मा को तृप्त करके आशीष लेना चाहिए। अब चलते हैं हम ब्लॉग4वार्ता पर....

सबसे पहले चलते हैं अल्पना की आर्ट गैलरी पर आज आर्ट गैलरी की वर्षगांठ हैं, अल्पना जी को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं, वे कहती हैं--आर्ट गैलरी की पहली वर्षगांठआज 26 सितम्बर है आर्ट गैलरी को एक वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। मेरा उद्देश्य हस्त निर्मित ग्रीटिंग कार्ड "बधाई संदेश" कला के कद्रदानों तक पहुंचाना था। जिसमें मुझे आशातीत सफ़लता प्राप्त हुई, इस अवधि में मेरे ग्र...हरकीरत जी ने लिखा है कुछ मोहब्बत के ख्यालउम्मीद का इक उड़ता पंछी न जाने कब मेरी खिड़की पे आ बैठा .....पेड़ों के पत्ते हरे हो गए ....सबा ने झोली से कई सारे फूल निकाले ....और बिखेर दिए मेरे सामने..... मैंने देखा उसमें तुम्हारा वो सुर्ख फूल भी था ....म...


कन्हैयालाल नंदन का निधनहिंदी के जाने माने साहित्यकार और पत्रकार कन्हैयालाल नंदन का शनिवार तड़के यहां नई दिल्ली में निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे। नंदन के परिवारिक सदस्यों ने बताया कि उन्हें बुधवार शाम ब्लडप्रेशर कम होने और सां...महिलाएँ भी श्राद्ध कर सकती हैंपितृ पक्ष के दौरान पितरों की सदगति के लिए कुछ खास परिस्थितियों में महिलाओं को भी विधिपूर्वक श्राद्ध करने का अधिकार प्राप्त है। गरूड़ पुराण में बताया गया है कि पति, पिता या कुल में कोई पुरुष सदस्य नहीं हो...गुनाह क़ुबूल है मुझेट्रिंग-ट्रिंग…ट्रिंग-ट्रिंग… “हैलो".. “इज इट फ़ादर डिकोस्टा स्पीकिंग?"… “यैस…माय सन..मे आई नो हूज ऑन दा लाइन?”.. “सर!…मैं राजीव…दिल वालों की नगरी दिल्ली से"… “व्हाट कैन आई डू फॉर यू…...

आज कविता वर्मा जी बहुत दिनों की छुट्टी के बाद अपने ब्लॉग कासे  कहूँ ? पर लिख रही हैं दौटेर्स डे के बहाने\कल दौटेर्स डे है ,वैसे तो हमारे यहाँ ये दिन साल में दो बार ९-९ दिन के लिए मनाया जाता है ,पर वैश्वीकरण ने हमें अपने रीति- रिवाजों के अलावा भी कई दिन त्यौहार मानाने का मौका दिया है। अब में इस फेर में नहीं पड...हमने भी एक चित्र लिया है एक बेटी का देखिए--तेरे जैसा प्यार कहाँ-कितनी प्यारी है तू बहनाबिल्हा स्टेशन में रेल्वे प्लेटफ़ार्म पर ट्रेन का इंतजार कर रहा था, तभी मेरी निगाह बच्चों पर पड़ी। पास ही उनके माँ बाप किसी बात पर तू तू - मैं मैं कर रहे थे। शायद बच्चों की माँ रुमाल में बंधे कुछ रुपए कहीं गि...
 
आज कवि योगेन्द्र मौदगिल का जनमदिन है आज, 25 सितम्बर को कवि योगेन्द्र मौदगिल का जनमदिन है बधाई व शुभकामनाएँ आने वाले जनमदिन आदि की जानकारी, अपने ईमेल में प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें। अपने मोबाईल फोन पर SMS के द्वारा जनमदिनों की जा...भारतीय संस्कृति और एकात्म मानव दर्शनपंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती (२५ सित.) पर विशेष* पं. दीनदयाल उपाध्याय ने व्यक्ति व समाज ” “स्वदेश व स्वधर्म ” तथा परम्परा व संस्कृति ” जैसे गूढ़ विषय का अध्ययन , चिंतन व मनन कर उसे एक दर्शन के रूप मे...फैसले में देरी दुर्भाग्यपूर्णराम जन्मभूमि पर फैसले को लेकर जिस तरह सर्वोच्च न्यायालय में गतिरोध उत्पन्न किया जा रहा है, उसे लेकर देश भर के साधु संतों में व्यापक क्षोभ है। राम जन्मभूमि पर निर्णय का राष्ट्र अरसे से प्रतीक्षा कर रहा है। ...

हूं एक प्रवासी हूं एक प्रवासी , आया हूं बहुत दूर से , साथियों को साथ ले , भोजन की तलाश में , अपना देश छोड़ आया , मौसम था विपरीत वहां , यहाँ अभी मौसम अच्छा है , लगता है अनुकूल हमें , भोजन भी मिल ही जाता है , कभी कम तो कभी अध... जिन्होंने विवाह के आधे फेरे धरती पर व आधे फेरे स्वर्ग में लिए- फेरां सुणी पुकार जद, धाडी धन ले जाय | आधा फेरा इण धरा , आधा सुरगां खाय || उस वीर ने फेरे लेते हुए ही सुना कि दस्यु एक अबला का पशुधन बलात हरण कर ले जा रहे है | यह सुनते ही वह आधे फेरों के बीच ही उठ खड़ा हुआ ...सैंया सुणो तो सरी !सैंया सुणो तो सरी ! रामजी दयालु जणे क्यूं बिछड़ी गाय दूजता गोडा फूटा भैंस दूवता ढकणी फूटी घर में जाता सासू रो दुख लागो घर में जाता बारै वांता! वातां पाणी जातां धरमराज री पोळ आगे जमड़ा मारसी लातां राती जोगा ...

ताऊ पहेली - 93 प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम. ताऊ पहेली *अंक 93 *में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं क...सही तैराक हो तो धार से नफरत नहीं करता..*ग़ज़ल* : किसी दरिया,किसी मझदार से नफरत नहीं करता सही तैराक हो तो धार से नफरत नहीं करता । यक़ीनन शायरी की इल्म जिसके पास होती वह - किसी नुक्कड़,किसी किरदार से नफरत नहीं करता। परिन्दों की तरह जिसने गुजारी...देश को शर्मसार न करें: कपिलभारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव ने मैच फिक्सिंग पर कहा कि खिलाडिय़ों को देश को शर्मसार नहीं करना चाहिए। गलत काम का नतीजा हमेशा गलत होता है, इससे बचने का प्रयास करें। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टे...

"वो सुबह हमीं से आयेगी" या "वो सुबह कभी तो आयेगी"? साहिर साहब ने एक गीत लिखा था "वो सुबह हमीं से आयेगी" किन्तु फिल्म "फिर सुबह होगी" में उन्होंने अपने उसी गीत को "वो सुबह कभी तो आयेगी" के रूप में बदल दिया था। प्रस्तुत हैं दोनों गीतः साहिर लुधियानवी वो सु...झगड़ही टंटही बारात .........हदर बदर करती मोटर साईकिलें........खड़खड़ाते पत्तल...... छुछुआती ललक......हत्त तेरे की.....धत्त तेरे की...... ...सतीश पंचमअक्सर शादी विवाह में झगड़ा टंटा होना लगा ही रहता है। कभी किसी बात पर तो कभी किसी बात पर। और जहां तक मुँह फूलौअल की बात है तो वह तो जैसे एक जरूरी रस्म की तरह है। जिस शादी-विवाह में मुंह फूला-फूली न ...शोक का पुल और तालाब की पाल पर बैठे, विसर्जित गणेशये हमारी यात्रा की समापन कड़ी है. सड़क एक पुल में बदल गई है. यह पुल चार साल पहले आई एक नदी की स्मृति है और सैंकड़ों परिवारों का शोकगीत है. इसे आश्चर्य कहते हैं कि रेगिस्तान में सौ साल में एक बार नदी ...

तुम कही न उलझ जाओ ..उलझता है हर धागा इस गोले का कुछ तो उतावलापन अपना कुछ अपनी लालसा तरह तरह की डिजाईन के लिए सलाई बड़ी छोटी नुकीली फिर तेजी से चलते हाथ झाडे की बढती आहट उपर से नौकरी ,घर का काम महानगर की बसों के धक्के मेट्रो क...अछूत कुत्ता!! हम दुनिया मे आज कहां है, यह तो पता नही लेकिन कई बाते आज भी हमे हेरान करती है... ओर हमारे लोग, हमारी पंचायते भी इन गलत प्रथा का साथ देती है,ऎसी बकवास सुन कर कोन नही हमे पिछडा कहेगा?? पुरी ओर शर्मनाक खबर यह...जीवन का सौदा या शादीराजधानी में धडल्ले से बेची जा रही नाबालिक लड़कियां भूमिका कलम मप्र सरकार लाड़लियों के लिए भले कितनी ही योजनाएं संचालित करें, लेकिन "अगले जनम मोहे बिटीया ही किजो" धारावाहिक की "लाली" जैसी सैकड़ों नाबालिग राजधान...

सेना के सरकार चलाने में फिर क्या बुराईकल लैपटॉप की बैट्री और एडॉप्टर दोनों एक साथ बेवफा हो गए...आज दोनों को रुखसत कर बैट्री और एडॉप्टर के नए नवेले जोड़े को घर लाया हूं...तभी आप से मुखातिब हो पा रहा हूं...वहीं से शुरू करता हूं जहां छोड़ा था...क...अयोध्या का इतिहासपिछले कुछ समय से मंदिर-मस्जिद विवाद के चलते अयोध्या लगातार सुर्ख़ियों में है। इसलिए अयोध्या के इतिहास से परिचित करवाने के लिए हम आपके लिए लेकर आये है पुस्तक - अयोध्या का इतिहास । इसमें अयोध्या के प्राचीन समय...कहते हैं तस्वीरें बोलती हैं, पर कौन सी भाषा कहते हैं तस्वीरें बोलती हैं। लो कर लो बातआप तो आनंद लीजिए इन बेंगलुरू तस्वीरों का। समझ में आए तो समझाने का कष्ट करें :-) आज इतनी ही पचाईये कल कुछ और गरीष्ट का इंतजाम करता हूँ। 

ये पथरी की दवा है-पिछली पोस्ट में मैंने पथरी से बचने का तरीका सुझाया था अगर आपके शरीर में पथरी नहीं बनी है या आप एक बार पथरी का आपरेशन करा चुके हैं तो वह तरीका जरूर अपनाएं ,किन्तु अगर शरीर में पथरी है तो उसकी दवा---- एक ग...आम के आम और गुठलियों के दाम के साथ एक बार फिर सभी ब्लोगर मित्रों से अलबेला खत्री का विनम्र निवेदनप्यारे ब्लोगर मित्रो ! एक बार फिर सादर नमस्कार ! एक बार फिर इसलिए क्योंकि अब तक के नमस्कार अपेक्षित परिणाम नहीं दे सके । लिहाज़ा ये मेरा एक और प्रयास है, कदाचित इस बार सफलता मिलेगी, ऐसा मेरा विश्वा...बेढंगे समाधान देने वालों अपनी जुबान बंद रखो, अपनी औकात में रहोमीडिया की कृपा से अयोध्या का मामला सभी की निगाह में आ गया और सभी लोग फिर अपने-अपने हिसाब से इसका समाधान खोजने में लग गये है। अदालत ने अपनी कार्यवाही के बाद दिन भी तय कर दिया था किन्तु कोई त्रिपाठी जी बीच ...

तो फिर बताओ समंदर सदा को क्यूँ सुनतेकिसी मित्र ने आज शहरयार की ये ख़ूबसूरत ग़ज़ल पढ़वाई . वहीं से उतार रही हूँ , सलीका न होते हुए भी गुनगुना रही हूँ ...अपनी जगह सहेज रही हूँ . धुन- सुनी सुनाई कटेगा देखिए दिन जाने किस अज़ाब के साथ कि आज धूप न.....आज उसके घर की भी लेकिन बनावट देखिये.पने दरवाजे किसी क़दमों की आहट देखिये। * *ज़िन्दगी में धूप की फिर गुनगुनाहट देखिये।* *गलियाँ यूँ फैलीं शहर में, जैसे की दिल में नसें, * *इन में बसकर आप दुनिया की बसाहट देखिये।* *आपने तो यूँ हमेशा रूह के सज़... मार्केट और मार-काट ! दोस्तों ! मेरा सामान्य ज्ञान बहुत कमजोर है . इसलिए मै अंग्रेजी के 'मार्केट ' और हमारी हिन्दी के 'मार-काट' शब्द में कोई खास फर्क महसूस नहीं कर पा रहा हूँ . उच्चारण में भले ही फर्क लगे ,लेकिन दुनियादारी के ...

चलते चलते  दुबे जी के व्यंग्य चित्र

  दुबे जी



वार्ता को देता हूँ विराम सभी को ललित शर्मा का राम राम --मिलते हैं ब्रेक के बाद

शनिवार, 25 सितंबर 2010

बंदिशें जाने कितनी, हम बिरासत में ले आये हैं - हिन्दू-मुस्लिम दंगा न भी होता हो किन्तु मीडिया अवश्य ही दंगा करवा दे - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

प्रिय ब्लॉगर मित्रो,
प्रणाम !

एक चीता सिगरेट का सुट्टा लगाने ही वाला था की अचानक एक चूहा वहां आया और बोला :

" मेरे भाई छोड़ दो नशा , आओ मेरे साथ भागो देखो ये जंगल कितना खुबसूरत है , आओ मेरे साथ दुनिया देखो "
चीते ने एक लम्हा सोचा फिर चूहे के साथ दौड़ने लगा .

आगे एक हाथी अफीम पी रहा था , चूहा फिर बोला ,
" हाथी मेरे भाई छोड़ दो नशा , आओ मेरे साथ भागो , देखो ये जंगल कितना खुबसूरत है , आओ मेरे साथ दुनिया देखो "
हाथी भी साथ दौड़ने लगा .

आगे शेर व्हिस्की पीने की तैयारी कर रहा था , चूहे ने उसे भी वही कहा .
शेर ने ग्लास साइड पर रखा और चूहे को 5- 6 थप्पड़ मारे .

हाथी बोला , " अरे ये तो तुम्हे ज़िन्दगी की तरफ ले जा रहा है , क्यों मार रहे हो इस बेचारे को ?"
शेर बोला , " यह कमीना पिछली बार भी भांग पी कर मुझे 3 घंटे जंगल मै घुमाता रहा..

आइये अब चलते है आज की ब्लॉग वार्ता की ओर .... ब्लॉग ४ वार्ता  मंच की यह १९६ वी ब्लॉग वार्ता है !

सादर आपका 

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पति,पत्नी और वो!!! :- जो समझ रहे है आप वह नहीं है 'वो' !! 



हर पल जगमग ! :- बना रहे !

बंदिशें जाने कितनी, हम बिरासत में ले आये हैं .... :- कहाँ से ?

सर्पदंश से कैसे बचा जा सकता है? :- सांप से दूर रहिये !

अपेक्षा !  :- किस से और कितनी ?

जाने क्या समझा वो मुझे, :- यह तो वही जाने !

दुनियां भी कूछ कूछ कहती है............. :- कितने समझते है ....उसकी बातों को ?

“समय-चक्र” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) :- चलता जाए !

हिन्दी ब्लॉगिंग में आया भूकम्प, देखिए चपेट में आने वालों की सूची :- हे राम ! यह क्या हुआ ?

परहित सरिस धर्म नहिं भाई ... :- साधू .... साधू !!

किस किस का नाम लूं मैं मुझे हर किसी ने चाहा..------>>>दीपक मशाल :- आप हो ही ऐसे !

नई ग़ज़ल/ काश मिले मंदिर में अल्ला.... :- अरे भाई जी, इस का ही तो सब बवाल है !!

ऊफ़्फ़ कितनी जोर से दरवाजा बंद कर रखा है…मेरी कविता…विवेक रस्तोगी :- खुलता नहीं तो तोड़ दो !

वटवृक्ष: '' तीन छोटी कवितायेँ '' :- बड़ी क्यों नहीं है ?

मातृत्व को तो बख्श दो मेरे भाई.. :- बात तो ठीक है आपकी !

बेटी ऐसी है तो बहू वैसी क्यों...? :-  बहू और बेटी के फर्क की नहीं.... परवरिश की बात है जी ।

जैसलमेर में १८० मिलियन वर्ष पुराने पथरीले जंगल के अवशेष -सतीश सक्सेना :- कुछ दिनों में अपने भी सिर्फ़ अवशेष ही मिलेगे - बाकी तो सब नेता लूट ही चुके होंगे !

मुलाकात अभी बाकी है :- संभल कर जनाब...... मुलाकात में मुक्का लात ना हो जाए !

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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ....... अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......

जय हिंद !!

शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

लाउडस्पीकर होना--तीन तार की चाशनी--बी.बी.सी.--ब्लॉग4वार्ता---ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, चलते हैं ब्लॉग वार्ता पर

पारुल कह रही हैं 

क्वार की आहटों में
तुम गा रही हो फाग

आबिदा,
मौसम-बेमौसम
एक तुम्हारी ही आवाज़ भली
एक तुम्हारी ही लाग…

जाने
कैसे गुहारती हो
वो
ह़र हाल सुन ही लेता है...

खनन- खन खनकता है
तब ही
तुम्हारा ह़र लफ्ज़ ,
तुम्हारी ह़र बात…

बाक़ी तो

तीन तार की चाशनी ,झूठे बोल पिया के

अरुण राय लिख रहे हैं समय घड़ी के बंद होने से नहीं रुकता समय ना ही आँख बंद कर लेने से समय चलता रहता है अपनी गति से समय के साथ बदलता रहता है परिवेश परिवेश में होते हैं परिवर्तन कुछ सार्थक निरर्थक भी कुछ नहीं भी लेकिन समय...दे्खिए कॉमनवेल्थ का सच दिखाएंगे कार्टूनिस्ट इरफ़ान- मतलब मामला गंभीर है खुशदीप जी कह रहे हैं जरुर देखिए--अगर आप दिल्ली में हैं और रविवार २६ सितंबर को कुछ सार्थक देखना चाहते हैं तो प्रेस क्लब पहुंचे...आपको वहां कार्टूनिस्ट इरफान की कूची से कॉमनवेल्थ गेम्स की गफ़लत, भ्रष्टाचार, सरकारी काहिली का हर रंग देखने को .

बी.बी.सी. को यह क्या हो गया ...... सवाल है धीरु सिंग जी का, हम तो यही कहते हैं ये तो बीबीसी वाले ही जाने उनका क्या इरादा है, हां अवधिया जी जरुर जान सकते हैं भारत में आलू का इतिहास, आलु कचालु कहां गए थे।

जाकिर अली पोयम सुना रहे हैं बच्चों का मन बहला रहे हैं रेनी डे भई रेनी डे।छुट्टी के हैं हथकंडे, रेनी डे भई रेनी डे। बरखा नहीं निगोड़ी है, गरमा गरम पकौड़ी है। इक्के एक, न दुक्के दो सोमू बोले छक्के छे। पानी बरसे छम छम छम छोड़ो भी अगड़म-बगड़म। बड़ी-बड़ी बौछारों के बादल बरसाता डं..रविन्द्र प्रभात जी ने पूछा है,.क्या ठीक हों जाएगा ? हमें तो पता नहीं, ठीक करने वाला ही जाने।जब -* *बीमार अस्पताल की बीमार खाट पर पडी* *मेरी बूढ़ी बीमार माँ खांस रही थी बेतहाशा * *तब महसूस रहा था मैं * *कि, कैसे - मौत से जूझती है एक आम औरत । * *कल की हीं तो बात है * *जब लिपटते हुये माँ से * *मै...

मैं लाउडस्पीकर होना चाहता हूँ हो जाओ भैया-एम्पलीफ़ायर जरा तगड़ा रखना,हे राम, हा राम - चैनलों पर रामभक्तों का प्रस्तुतिकरणहर चैनल पर इस तरह से दिखाया जा रहा है जैसे कि राम का नाम लेना गुनाह हो गया हो. बड़ी शर्मिन्दगी का अहसास कराया जाता है हर राम भक्त को. रामभक्तों की आस्था पर जैसे प्रश्न उठाये जा रहे हैं, क्या किसी अन्य धर्मा..

शुक्ल पक्ष से भी ज़्यादा धवल ये कृष्णपक्ष है सच है अलबेला भाई-न सत्तापक्ष है न प्रतिपक्ष है अब पन्द्रह दिन तक केवल पवित्र पितृपक्ष है ये वो उज्ज्वल मुहूर्त है जब हमारे पुरखे हमें उम्मीद से देखते हैं ये वो पावन पखवाड़ा है जब हम हमारे मूल को करीब से देखते ह...विद्यालय का अर्थ जानिए अंतर सोहिल से, हम तो कभी गए ही नहीं विद्यालय में, हमारे समय में तो पाठशाला थी, उर्वशी दूसरी कक्षा में है। उसकी हिन्दी पाठ्य पुस्तक "बरखा" के एक पाठ में *विद्यालय का अर्थ स्कूल बताया गया है। * क्या यह सही है। क्या *“पाठशाला”* नहीं होना चाहिये? क्या स्कूल शब्द "हिन्दी" का शब्द है? या ...

शुक्र है संकट टला--अच्छा हुआ टल गया कल *24 सितम्बर है. इसे मीडिया की मेहरबानी कहें या सरकारों और नेताओं की कि इसे एक ऐसा कुहासे से आशंकित दिन बना दिया गया है मानों कोई एक बड़ी घटना होने वाली है जिसके होने की सशंक प्रतीक्षा में कई लोग दुबले ...

शाहनवाज भाई कह रहे हैं मंदिर-मस्जिद बहुत बनाया

मंदिर-मस्जिद बहुत बनाया, आओ मिलकर देश बनाए
हर मज़हब को बहुत सजाया, आओ मिलकर देश सजाएं

मंदिर-मस्जिद के झगड़ों ने घायल कर दिए लाखों दिल
अपने खुद को बहुत हंसाया, आओ मिलकर देश हसाएँ

मालिक, खालिक, दाता है वो, सदा बसा है मन-मंदिर में
फिर भी उसका घर है बसाया, आओ मिलकर देश बसाएँ

गाँव, खेत, खलिहान उजड़ते, आँखे पर किसकी नम है?
अपने घर को बहुत चलाया, आओ मिलकर देश चलाएं

अपने घर का शोर मचाया, दुनिया के दिखलाने को
इतना प्यारा देश हमारा, आओ मिलकर देश दिखाएँ

नफरत के तूफ़ान उड़ा कर, देख चुके हैं जग वाले
प्रेम से पार ना कोई पाया, आओ मिलकर प्रेम बढाएँ

मत लूटो अब मंदिर-मस्जिद, जीने दो हर इंसा को
'साहिल' भारत की गलियों में, चलो ख़ुशी के दीप जलाएं

एक हास्य कविताकौन घड़ी में भैया हम घर में टीवी लाये, केबल वाले ने भी आकर झटपट तार लगाये, झटपट तार लगाये , टी वी हो गया चालू, दोसो रुपये में बिक रहा दस रूपये का आलू, दस रूपये का आलू हमने कान लगाये, अंकल चिप्स...

 

शर्म के मायने !भगवान् का शुक्रिया अदा कीजिये कि "कॉमन वेल्थ" के नाम पर आज सुबह से अभी तक भ्रष्टों द्वारा बिछाई गई देश के करदाता के खून पसीने की रकम का कोई हिस्सा सरसरी तौर पर टूटकर या ढह कर बेकार नहीं गया। वो कह रहे है क...जब सिगरेट के कारण मोतीलालजी को फ़िल्म छोड़नी पड़ीपहले के दिग्गज फिल्म निर्देशकों को अपने पर पूरा विश्वास और भरोसा होता था। उनके नाम और प्रोडक्शन की बनी फिल्म का लोग इंतजार करते थे। उसमे कौन काम कर रहा है यह बात उतने मायने नहीं रखती थी। कसी हुई पटकथा और स...

रोटी पहले या खुदानिर्णय जो भी कोर्ट का मिल सब करें प्रणाम। खुदा तभी मिल पायेंगे और मिलेंगे राम।। मंदिर-मस्जिद नाम पर कितने हुए अधर्म। लोग समझ क्यों न सके असल धर्म का मर्म।। हुआ अयोध्या नाम पर धन-जन का नुकसान। रोटी पहले या ...खुश्क हवा तंग नमी फूल कैसे खिलेंसामने मुँह फेरे हुए हैं अपने देखो गैरों से कहाँ किये जाते हैं गिले सवाल नज़रों का है दूर-पास की पहचान न पाए हम जब-जब मिले दरख़्त साँस भी नहीं लेते अब तो शाख जन्मों से स्थिर पल भर न हिले उनके एहसास हो चले ब...

चलते चलते एक पेंटिंग आर्ट गैलरी से

 
अनाज से बनी पैंटिग
ब्लाग वार्ता को देते हैं विराम-- एक वीडियो देखिए

गुरुवार, 23 सितंबर 2010

गधा सम्मेलन के शुभारंभ सत्र--हाइपोथायरायडिज्म--ब्लॉग4वार्ता---ललित शर्मा

गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ के उद्घोष के साथ आज गणेश भगवान को विदाई दी गयी। हमारे यहां जोर शोर से गणेश पूजा का त्यौहार मनाया जाता है। लेकिन वर्तमान में गणेश पूजा का स्वरुप बदल चुका है। पहले 11 दिनों तक गणेश स्थापना के पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे। कवि सम्मेलन होते थे, लोग भरपुर मनो रंजन करते थे। लेकिन अबकि बार कुछ इस तरह की सुगबुगाहट भी देखने नहीं मिली। चलिए अब अगले बरस तक गणपति महाराज के आने का इंतजार करते हैं और चलते हैं आज की ब्लाग4वार्ता पर.......

सबसे पहले चलते हैं शिखा जी के ब्लाग  स्पंदन पर जहां बताया जा रहा है गणपति आये लन्दन में .राष्ट्र मंडल खेल खतरे में हैं क्यों? क्योंकि एक जिम्मेदारी भी ठीक से नहीं निभा सकते हम .बड़े संस्कारों की दुहाई देते हैं हम. " अतिथि देवो भव : का नारा लगाते हैं परन्तु अपने देश में कुछ मेहमानों का ठीक ... आगे नारदमुनि बता रहे हैं गणपति विसर्जन श्रीगंगानगर में गोविंद गोयल के परिवार में आज गणेश उत्सव का समापन समारोह पूर्ण हुआ। गणपति की विसर्जन यात्रा में राजस्थान के कृषि विपणन मंत्री गुरमीत सिंह कुनर,पूर्व विधायक महेंद्र सिंह बराड़ ,गोयल ...........

गणपति बाप्पा मोरया की जय कर रही हैं श्रीमती आशा जोगलेकर स्व प्न रं जि ता पर आज गणेश विसर्जन का दिवस है । दस दिन के बाद गणपति का वापिस लौट जाना कितना खलता है पर वे तो जाते हैं क्यूं कि अगले साल लौट सकें । हमें अपनी आंखों से जतन करने वाले, सूंड से सहलाने वाले, हमारे अपराधों को अपन...बड़ों की पहचान छोटे कार्य से होती है .बता रही हैं वाणी शर्मा जी बड़ों की पहचान छोटे कामों से होती है ... महाभारत के बाद पांडवों ने यज्ञ में संतों , महात्माओं और राजाओं को बुलाया तथा सभी पांडवों को सेवा हेतु अलग -अलग कार्य सौंप दिए । सभी सेवा में लीन थे । इसी बीच कृष्ण .....

गधा सम्मेलन की शुरुवात हो चुकी है "अपने अपनों को रेवडी कैसे बांटे?" : गधा सम्मेलन के शुभारंभ सत्र का विषयताऊ महाराज धृतराष्ट्र और ताई महारानी गांधारी के बारे में आप अथ: श्री ताऊभारत कथा महाराज ताऊ धृतराष्ट्र द्वारा गधा सम्मेलन 2010 आहूत और ताई गांधारी कोपभवन में, गधा सम्मेलन खतरे मे, ताऊ धृतराष्ट्र ने मांगी...शब्दों की ज़मीन पर जिंदगी के दो चित्र !आंसुओं की खामोशी में , कोलाहल के बीच जिंदगी , उगा रही है फसल दर्द की ,खून-पसीना सींच ज़िंदगी ! जानवरों की...दुनिया का सबसे बड़ा फोटो मेलाजर्मनी के कोलोन शहर में दुनिया का सबसे बड़ा फोटो मेला 'फोटोकीना' आज से शुरू हो गया है. यह मेला छह दिन तक चलेगा. पिछले साल जर्मनी में करीब 85 लाख कैमरे बिके थे. छह दिन तक चलने वाले फोटोकीना मेले में 45 द...

कुरूक्षेत्र का अधूरा कार्य करना अभी बाकी हैबडे बॉंधों का विरोध करो ,पर्यावरण बचाने की बातें या भष्ट्राचारों का नाश सम्बन्धी कई कदम ,ये सभी आज फालतू या विकास विरोधी समझा जाता है। बडे एक युवा कवि सेमहमूद दरवेश की कविताएं - १एक युवा कवि सेहमारी आकृतियों पर ध्यान न देनाऔर शुरू करना हमेशा अपने ही शब्दों सेजैसे कि तुम पहले ही हो कविता लिखने वालेऔर अन्तिम कविअगर तुम हमारी रचनाएं पढ़ो, यूं करना कि वे हमारी हव...पलायन (कहिनी)हमर छेत्र म बियासी होय के बाद विधाता ह रिसागे तइसे लागथे। बरसा के अगोरा म हमर आंखी पथरागे, बरस बे नई करीस। सब्बो धान-पान ह मरगे। गांव के जम्मो किसान बनिहार -भूतिहार मन रोजी-रोटी के तलास म गांव ले पलायन करग...

विरक्ति पथ { अंतिम भाग }(अब तक : शालिनी और शची वर्षों के बाद दिल्ली में फिर से मिले है लेकिन इतने सालों में काफ़ी कुछ बदल चूका है ....दोनों सखियाँ शेष दिवस साथ बिता कर सुख दुःख बाटने लगती है । बातों ही बातों में पता चला शची अकेली...निधि तिवारी हत्याकांड - मामला तूल पकड़ने लगा सामाजिक संगठन भी आगे आये...  जल विहार कालोनी में निधि तिवारी को उसके पति व ससुराल वालों द्वारा कथित मार डालने का मामला अब तूल पकडने लगा है। निधि के मायके वालों के साथ सामाजिक संगठनों के सामने आने से मामला गं...

बाजरे का एक पौधा जिसके 35 सिट्टेअगर प्रकृति देती है तो छप्पर फाड़ के देती इस पौधे को देखने से यही कहावत चरितार्थ होती है। जी हां यह मजाक नहीं सच है हमारे खेत में जो हमारे गांव मालीगांव में है। उसमें इस प्रकार के तीन चार पौधे है। जिनको 1...छबीस दूहा पूंछ आळा--ओम जी पुरोहित"कागद"1 चरका मरका चाबतां चंचल होगी चांच । फीका लागै फलकिया अकरा सेकै आंच । करमां रो कीट लागै । 2 नेता नाटक मांडिया ले नेता री ओट । नेता नै नेता चुणै जनता घालै बोट ।। लोक सिधारो परलोक ।। 3 लोक घालै बोटड़ा नेता...

बिना हीरोइन के बन रही है फिल्म ”पिंजरा”पिछले दिनों नॉएडा के ब्रह्मा स्टूडियो में फ़िल्म ''पिंजरा'' का मुहूर्त शॉट हुआ, निर्देशक बिजेश जयराजन, निखिल और ज्योति डोंगरा के उपस्थिति में फ़िल्म का पहला सीन शूट हुआ. फ़िल्म के पहले ही सीन में फ़िल्म ...मैं गुनगुनाता हूं..मैं गुनगुनाता हूं , गीत गाता हूं , कभी अपनों के लिए , कभी गैरों के लिए , जब किसी दिल को छू जाता है , एक आह निकलती है , सर्द सर्द होंठों से , यूँ सुनाई नहीं देती , पर खो जाती है नीलाम्बर में , घुल मिल जाती है.

देथा की 'सपनप्रिया' का रसास्वादशाम ढल रही है। दिया-बत्ती की तैयारी होने लगी। अंधेरा घिरने लगा, लेकिन आंखों में नींद और नींद में सपने के लिए अभी देर है। एक बूढ़े ने जरूर खुली आंख का सपना बुनना शुरू कर दिया है। ओसारे में उकडू बैठा, अस्थि...बस इतना याद रहे ....जब जब सीमा पर लड़ते हुए या शांति काल में भी आतंकवाद का सामना करते हुए कोई सेन्य अधिकारी शहीद होता है तो अपने पीछे वह छोड़ जाता है बहुत से सवाल .....जिन का जवाब किसी के पास नहीं होता ! जब युद्ध का माहौल हो तो..

हाइपोथायरायडिज्म---मोटापे का एक कारण ---हमारे देश में मोटा होने को सेहतमंद और पतला होने को कमज़ोर होना समझा जाता है । लेकिन यदि आपका वज़न बढ़ता ही जा रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप की सेहत बेहतर होती जा रही है । ज़रा गौर कीजिये --हो सकता है आ...भेडियों से सावधान...सफ़ेद खरगोशो, भेडियों से सावधान...* *(ज़रूरी नहीं, कि ये साफ़ किया जाये कि भेडिये कौन है. * *मीडिया, धर्म या मज़हब और समाज के कुछ भेडिये...? बड़ा व्यापक है यह शब्द...खतरनाक है यह शब्द भेड़िया...* *देखा जाय त...

यह केसी आस्था कि हम अपने इष्ट को, अपने ईश्बर को पेरो मै रोंदे?मैने देखा है कि सभी लोग जो चाहे किसी भी धर्म को माने , अपने इष्ट की पुजा अपने अपने ढंग से करते है, लेकिन कुछ मेरे जेसे भी है जो अपने भगवान को तो मानते है लेकिन गलत करने वाले को एक्क दो बार जरुर रोकते भी ...कामनवेल्थ खेल? नहीं जी, कामन-वेल्थ यानी सार्वजनिक धनलगता है राष्ट्रमंडल खेलों को आयोजित करने की जबरन कोशिश गले की हड़्ड़ी बन गयी है। ठीक सांप-छछुंदर की दशा हो गयी है ना निगलते बनता है ना उगलते। हड़बड़ी का काम शैतान का होता है कहावत सही होती लग रही है। कभी कोई क...

चलते चलते व्यंग्य चित्र


 

वार्ता को देते हैं विराम--सभी को मेरा राम राम--क्षमा पर लेख पढने यहां पर जाएं..

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