मंगलवार, 14 सितंबर 2010

कुत्तों से भी अंगरेजी में बोलते हैं--हिंदी दिवस पर---ब्लॉग4वार्ता---ललित शर्मा

सबसे पहले हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं एवं बधाई---जलवायु में होता हुआ परिवर्तन अब दृष्टिगोचर होने लगा है और स्पष्ट रुप से भी दिखने लगा है। गर्मी बढ रही है, जल का स्तर लगातार कम होता जा रहा है। होली के बाद पानी के लिए त्राहि त्राहि मचने लगती है। बरसात भी विलंब से आने लगी है। गर्मी भी जोरों से पड़ती है। कुल मिलाकर बदलाव जारी है। वायु की शुद्धता कम होने लगी है।फ़सल की पैदावार भी कम होने लगी है। पर्यावरण दुषित होने का परिणाम है। इसलिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी है।पर्यावरण को बचाने के लिए पानी और बिजली का कम से कम उपयोग करें। अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर......
"जल जो न होता तो ये जग जाता जल"जल संरक्षण महाभियान पर विशेष ** चांदी सा चमकता ये नदिया का पानी , पानी की हर बूंद देती जिंदगानी ! अम्बर से बरसे जमीन पर मिले , नीर के बिना तो भैय्या काम ना चले ! ओ मेघा रे.......... जल जो न होता तो ये जग... कुत्तों से भी अंगरेजी में बोलते हैं.१४ सितम्बर...हिंदी दिवस...हिंदी का उत्सव... इस पर वर्षों से कुछ न कुछ लिखता ही रहा हूँ. लिखे बिना मन भी तो नहीं मानता. कुछ लिखना शुरू करूंगा तो बात लम्बी हो जायेगी इसलिए अपनी बात कहने के लिये दो कविताएँ प..

अस्पताल -अस्पताल जहाँ , आशा निराशा की आँख मिचौली में झूलती है जिंदगी । कभी, भंवर से निकल साहिल से मिल झूमती है जिंदगी । कभी, मंझधार में फंसी डगमगाती कश्ती सी लगती है जिंदगी । जहाँ , उम्मीदों की हज़ारों ख्वाहिश...मोहब्बत ...दर्द...और हँसी ज़िन्दगी अपनी चीखों से निजात पाने के लिए कई बार मुस्कराहट का नकाब ओढ़ लेती है ......और जब कभी तन्हाई में ये नकाब उतारती है तो हंसी मुआवजा मांगने लगती है ...ऐसे में भला मैं उसे क्या देती ....बस ये नज्में उत....

सबसे पहली पोस्ट लेते हैं डॉक्टर महेश परिमल की वे कहते हैं क्या कहती है प्रधानमंत्री की सख्ती?अक्सर यह कहा जाता है कि जो खामोश तबियत के होते हैं, उनके गुस्से से बचना। इसे सच कर दिखाया है हमारे प्रधानमंत्री ने। इस बार तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं छोड़ा। इससे लगता है कि अब ह...घर आये गणपति बाबाफिर से आये हमारे द्वार गणपति बाबा जी, आरती उतारूँ बारम्बार गणपति बाबा जी। आप आये तो रौनक लागी रोज मनाये त्यौहार गणपति बाबा जी। हम तो बालक भोले भाले कैसे कर सत्कार गणपति बाबा जी। 

चकल्लस.आज कल सब कुछ फिक्स हे बैसे ये फिक्सिंग शब्द क्रिकेट से शुरू हुआ कॉमनवेअल्थ गेम से होता हुआ इस साहित्य में भी आ पहुंचा जहाँ तक प्रोफ़ेसिओनलिस्म कि बात हे वहा तक तो ठीक हे, लेकिन जहा सिर्फ लोग शौक पूरा ...अच्छे ब्लॉग लेखन के लिए जरूरी हैपिछले दो पोस्ट में मैंने ब्लॉग लेखन से संवंधित कुछ महत्वपूर्ण पहलूओं पर प्रकाश डाला, किन्तु जब अनुशासन की बात आई तो एक ब्लोगर जिनके नाम का उल्लेख उचित नहीं है, ने बेनामी टिपण्णी करके तर्कहीन बातें की . उ...

मुन्नी बदनाम और बाम की बिक्रीआयटम सांग से फिल्में हिट होती हैं इसका ताजा उदाहरण दबंग फिल्म है। मुन्नी बदनाम हुई, मलायका अरोड़ा के प्रोमो से दबंग का जिस तरह क्रेज बढ़ा उसका नतीजा है कि सिनेमाहॉल में शुक्रवार को भारी भीड़ इक_ा हुई जो सल...बारिशकभी तो ये आंगन छिडकती है बारिश कभी पेड-पौधे धुलाती है बारिश । कभी तो झमाझम बरसती है बारिश और मोर छमाछम नचाती है बारिश । बादल के ढोलक बजाती है बारिश कभी बिजली में नाचती है ये बारिश । पवन में कभी सनसनाती है ब...

कुछ शामें और आज का दिनमालूम तो था ही कि आ रहे हैं मगर कहाँ और कब मिलेंगे, यह आकर बताने वाले थे. गुरुवार की सुबह बात हुई कि शुक्रवार की शाम को ७ बजे सिनेमा देखकर फुरसत होंगे, तब आ कर ले जाईये. टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्...ताऊ पहेली - 91 (Bhoram Dev Temple-Chattisgarh) विजेता : श्री समीरलाल ’समीर’प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 91 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है Bhoram Dev Temple-Chattisgarh और इसके बारे मे संक्षिप्त ...एक निवेदन महेन्द्र मिश्र जी का

कह ना सकेंगापलकें उठी उठ कर झुकी पल में सावल करती कई न मिली नज़र कभी कही पर नज़र में बस हरसू वही न नाम तो लिया मगर हर बात में वही वही दिल जाने वो नहीं कहीं फिर भी ढूंढे उसे इधर उधर उसके नाम से हर शाम ढले उसी...दिल्ली, बाढ़ और अटल बिहारी बाजपेई की सरकार...अटल बिहारी बाजपेई जी की सरकार के समय एक बड़ी महत्वाकांक्षी योजना बनाई गयी थी और वह योजना थी नदियों के आपस में जोड़ने की. जिसका यह उद्देश्य था कि देश की सभी बड़ी नदियों को आपस में जोड़ दिया जाता जिससे कि पूरे द...

राजभाषा एक वचन लेना ही होगा एक वचन लेना ही होगा संगीता स्वरुप आज हम स्वतंत्र भारत के नागरिक जब स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं ध्वज में चन्द पुष्प रख राष्ट्रध्वज फहराते हैं यह देख अक्सर एक ख्याल आता---गीत मेरे मैं पूर्ण हुई ...सम्पूर्ण हुईगीत मेरे मैं पूर्ण हुई ..सम्पूर्ण हुई मिचमिचाती अधमुंदी पलकों में सपनीले मोती जमागाये मेरी सूनी गोद भर आई जब यह नन्ही कली मुस्कुराई मैं अकिंचन हुई वसुंधरा ब्रह्माण्ड मेरी गोद में समाया रीता था

चलते चलते एक व्यंग्य चित्र


अब देते हैं वार्ता को विराम--अगर दांत दर्द ठीक कराना है तो डॉक्टर का रास्ता यहां से है:)

17 टिप्पणियाँ:

ललित भाई जी सादर नमस्कार
आप सभी को भी हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं एवं बधाई
काफी सफल चर्चा रही और सुरुआत में दिए सन्देश ने एक नया आयाम दिया है ब्लॉग ४ वार्ता को
उड़न तस्तिरी का लेख बहुत दी मार्मिक रहा
यूँ लगा की समीर जी बैठ के सुना रहे हो
समीर जी बहुत बहुत धन्यवाद

हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं एवं बधाई

बढ़िया वार्ता

हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं एवं बधाई

सभी मित्रों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

बहुत बढ़िया चर्चा की है ललित जी ... यहाँ पर समयचक्र ब्लॉग की एक पोस्ट के पोडकास्ट की जानकारी मिली है ... आभार

हिंदी दिवस पर बधाई और शुभकामनाएं ....

बहुत बढ़िया वार्ता ...हिंदी दिवस की शुभकामनायें ...हिंदी भाषा को नमन

हिंदी दिवस पर बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं ....इस बेहद उम्दा ब्लॉग वार्ता के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

ये वार्ता भी शानदार रही .....हिंदी दिवस की शुभकामनाए !
जय हिंद जय हिंदी

आजकल कार्टून जबर्दस्त्त होते हैं :) बढ़िया वार्ता

हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं एवं बधाई

कुत्तों से अंग्रेजी में ही बोलते हैं।

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