मंगलवार, 28 सितंबर 2010

१९९ वी ब्लॉग वार्ता :- शहीद् ए आजम सरदार भगत सिंह जी के जन्मदिन पर - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

प्रिय ब्लॉगर मित्रो,
प्रणाम !

आज जब यह ब्लॉग वार्ता लिख रहा हूँ तो मन में केवल एक विचार आ रहा है .........जिस तरह हम लोगो ने कुछ लोगो को एकदम भुला दिया है ........क्या एक दिन हम लोगो को भी ऐसे ही भुला दिया जायेगा ?? 

वैसे इस सवाल का जवाब भी है मेरे पास .......जी हाँ ठीक इसी तरह ........बिलकुल इसी तरह से हम सब भी भुला दिए जाने वाले है !! अरे जब बड़े बड़े कारनामे करने वाले वीरो को हम लोग ने भुला दिया तो फिर हमारी तो औकात ही क्या है ?? क्यों कर याद रखा जाए हम लोगो को ......ऐसा क्या कर रहे है हम किसी के लिए भी जो हमे याद रखा जाए ?? 

आइये एक ख़त पढवाता हूँ आप सब को .....

22 मार्च,1931,

“साथियो,
 
स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए, मैं इसे छिपाना नहीं चाहता। लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूँ, कि मैं क़ैद होकर या पाबंद होकर जीना नहीं चाहता। मेरा नाम हिंदुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है और क्रांतिकारी दल के आदर्शों और कुर्बानियों ने मुझे बहुत ऊँचा उठा दिया है – इतना ऊँचा कि जीवित रहने की स्थिति में इससे ऊँचा मैं हर्गिज़ नहीं हो सकता। आज मेरी कमज़ोरियाँ जनता के सामने नहीं हैं। अगर मैं फाँसी से बच गया तो वो ज़ाहिर हो जाएँगी और क्रांति का प्रतीक-चिन्ह मद्धिम पड़ जाएगा या संभवतः मिट ही जाए. लेकिन दिलेराना ढंग से हँसते-हँसते मेरे फाँसी चढ़ने की सूरत में हिंदुस्तानी माताएँ अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरज़ू किया करेंगी और देश की आज़ादी के लिए कुर्बानी देनेवालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना साम्राज्यवाद या तमाम शैतानी शक्तियों के बूते की बात नहीं रहेगी. हाँ, एक विचार आज भी मेरे मन में आता है कि देश और मानवता के लिए जो कुछ करने की हसरतें मेरे दिल में थी, उनका हजारवाँ भाग भी पूरा नहीं कर सका. अगर स्वतंत्र, ज़िंदा रह सकता तब शायद इन्हें पूरा करने का अवसर मिलता और मैं अपनी हसरतें पूरी कर सकता. इसके सिवाय मेरे मन में कभी कोई लालच फाँसी से बचे रहने का नहीं आया. मुझसे अधिक सौभाग्यशाली कौन होगा? आजकल मुझे ख़ुद पर बहुत गर्व है. अब तो बड़ी बेताबी से अंतिम परीक्षा का इंतज़ार है. कामना है कि यह और नज़दीक हो जाए.
 

आपका साथी,
भगत सिंह ”

यह है शहीद् ए आजम सरदार भगत सिंह जी का अंतिम पत्र अपने साथियों के नाम |  

शायद अब कुछ कहने कि जरूरत नहीं है ..........और अगर अब भी है तो यह हम सब का दुर्भाग्य है |

ब्लॉग ४ वार्ता  इस मंच से  मैं पूरे वार्ता दल और आप सभी की ओर से शहीद् ए आजम सरदार भगत सिंह जी को उनके १०४ वे जन्म दिवस पर शत शत नमन करता हूँ !

आइये चलते है आज की ब्लॉग वार्ता की ओर ......

सादर आपका

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हम नहीं सुधरेंगे.... :- जो सुधर जाए वह हम नहीं !

नंदन जी के नहीं होने का अर्थ..... :- मैं तो सोच भी नहीं सकता !


चलो मैं बे-वफ़ा हो जाती हूँ :- यह भी कोई बात हुयी भला !


अकेला घर करीम का..... :- दिया गाँव जगमगाए !



4.2 जापान पर अणुबम :- एक दुखद घटना !


एक अलग अनुभव... :- बुरा या भला ?



 भाजपा का अनूठा सच :- अगर सच है तो अनूठा तो होगा ही !




राजधानी दिल्ली में अभूतपूर्व निर्माणकार्य -सतीश सक्सेना :- बढ़िया है !

मेल द्वारा पोस्ट को जबरन पढ़वाने वालों के लिए प्रत्स्तावित एक जवाबी उत्तर। कृपया अपने बुद्धि कौशल से इसे संशोधित/संवर्धित करने की कृपा करें। :- सही है भाई !


कुत्ता :- एक वफादार जीव है !

असमज ! :- दांव पर लगी है आज गुडविल देश की !!

नई ग़ज़ल/ प्यार बड़ा बेमज़ा लग रहा :- पर क्यों ?

पगली दीदी :-  प्यारी दीदी !

सिर्फ़ २ बाते .... आपसे !! :- ज्यादा बातों के लिए वक़्त किस के पास है !?

पहले प्यार का गम...... :- सताए हर दम !

एक (अ)हिंदी प्रेम :- प्रेम तो प्रेम है ....क्या हिंदी क्या (अ) हिंदी !!

कुआँ खोदकर पानी पीना :- हर बार ठीक नहीं !

हमने छोड़ा शहर ज़माने के लिए....... :- अब जमाना ना छोड़ देना किसी फ़साने के लिए !

आन बसो हिय मेरे..... :- पहले यहाँ से निकलना तो हो !

परमार्थ करने वालों के पास संसाधनों की कमी नहीं होती ... :- सत्य वचन !

देशसेवा करते शहीद होना अच्छा है या जहरीली दारु पीकर मरना…?...... :- आज के दौर में तो यह देखा जायेगा मुआवजा किस में ज्यादा मिलेगा !

सी डब्ल्यू जी की सी.आई.डी. जाँच – भाग २ :- बच के रहना !

मेरा आगरा-२ :- हमारा कहिये ...ज्यादा दूर नहीं है हम !

पुलिस और क़ानून व्यवस्था - अंग्रेज़ी राज से अब तक :- ना सुधरी है ना सुधरेगी !

जलियांवाला बाग :- शहीदों को शत शत नमन ! !

एहसास :- जीवन का !

मानसिक क्रियाकलाप तथा उनके भेद (मनोविज्ञान भाग-2) :- बेहद जटिल है !

हसीन सपना... :-  सोते हुए आया या जागते हुए ?

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 : अब कुछ ऐसी पोस्टे जो लिखी गई है शहीद् ए आजम के जन्मदिन के शुभ अवसर पर :








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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ....... कल ललित शर्मा जी ले कर आ रहे है २०० वी ब्लॉग वार्ता एक ख़ास अंदाज़ में ....... मैं अगली बार फिर मिलता हूँ आप सब से एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......

जय हिंद !!

39 टिप्पणियाँ:

शहीद भगत सिंह को शत शत नमन

-उम्दा वार्ता..

शहीद भगत सिंह को शत शत नमन.
..अभी कोई पोस्ट नहीं पढ़ सका हूँ,,,

बहुत मेहनत की है आपने इस वार्ता में ..
शहीद भगत सिंह को शत शत नमन !!

शहीद भगत सिंग को शत शत नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि।

शिवम भाई वार्ता देख कर ज्ञात हो रहा है कि आपने देर रात तक वार्ता की है। मेहनत भरी इस वार्ता के लिए आपको सैल्युट।

समय पर याद करने और दिलाने के लिए आभार । भगत सिंह को शत शत नमन ।

कृपया शहीद भगत सिंह पढ़ा जाए ।

इस खोज में आप एक और आलेख कैसे भूल गए - लगेंगे हर बरस मेले ( शहीद भगत सिंह )!
www.merasarokar.blogspot.com

क्षमा कीजियेगा मैंने आपके संकलन पर सवाल उठा दिया. पूरे ब्लॉग से इंतना सारा खोज कर लायें हैं, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद!

शहीदे आजम को श्रद्धांजलि

आभार इन कई सारी अनपढ़ी लिंक्स यहाँ संकलित किए जाने का

शहीद भगत सिंह को नमन ...बहुत अच्छे लिंक्स से सजी अच्छी वार्ता ..

शहीदेआज़म स.भगतसिंह को नमन करते हुए यही कह सकता हूँ कि आज की ब्लॉग4वार्ता को आपने बहुत सुन्दर ढंग से सजाया है!

शहीदे भगत सिंह को मेरा शत शत नमन और श्रधांजलि!
बहुत सुन्दर और शानदार वार्ता रहा ! मेरी कविता का लिंक शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!

अमर शहीद भगत सिंह को विनम्र श्रद्धांजलि।

देश के इस वीर सपूत को शत शत नमन

सुंदर चर्चा ,विशेषतया आप की टिप्पणियां बहुत मज़ेदार होती हैं

सरदार भगत सिंह का पत्र पढवाने के लिए आभार। कैसे भुला सकते हैं हम इन शहीदों को ?। ये ही तो चंद देश-भक्त हैं , जिन्होंने एक गौरवमयी इतिहास रचा है।

आभार इस सुन्दर चर्चा का।

शिवम भाई, आपकी पारखी दृष्टि का मुरीद हा गया हूँ। गजब गजब के नगीने चुन चुन कर लाते हैं आप।

बहुत सुन्दर चर्चा की है मिश्र जी ... स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी सरदार भगत सिह को शत शत नमन ...

शहीद भगत सिंह और सभी शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि समर्पित है ! हम भारतवासी उनकी शहादत का मान रख सकें और ऐसा कुछ ना करें कि उनकी रूह पशेमान हो कि उनके स्वप्नों के भारत को हमने कितने पतन के गर्त में धकेल दिया यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी ! आमीन ! बहुत बढ़िया चौपाल !

शहीद भगत सिंह को शत शत नमन ...

बहुत सुन्दर ढंग से आपने शहीदे आजम को श्रद्धांजलि दी...मन भावुक हो गया पत्र पढ़कर...

चर्चा भी सार्थक रही..
बहुत बहुत आभार आपका...

शहीद भगत सिंह को शत शत नमन .उम्दा वार्ता.

साधना जी ,
आप थोडा ध्यान दें यहाँ हम लोग 'चौपाल' नहीं 'ब्लॉग वार्ता' शब्द का प्रयोग करते है ....हर मंच की अपनी शब्दावली है ....विनम्र निवेदन है कृपया इस का मान रखें !
आप ने हमारी वार्ता को पढ़ा और इसे पसंद किया इस लिए के हम सब आपके बहुत बहुत आभारी है !
आपने बेहद सटीक लिखा है कि हम सब को यह कोशिश करनी चाहिए कि हमारे शहीदों की क़ुरबानी बेकार नहीं जानी चाहिए ! आपसे बिलकुल सहमत हूँ !

meri is kavita ko shaamil karne ke liye dhanyawaad....

एक उम्दा वार्ता के लिए बधाई स्वीकारें!
शहीद-ए-आजम को विनम्र श्रद्धांजली....

एक सौ निन्यावने के आंकड़े को हम १९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९९ से भी आगे ले जावेगा

सिर झुका है अभी तक,वीरों के सम्मान में और देश की एहसान फरामोशी पर!!

बहुत मेहनत की है आपने इस वार्ता में ..
शहीद भगत सिंह को शत शत नमन !!

शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह का जन्मदिन याद जरूर किया लेकिन अफ़सोस कि उनपर कोई पोस्ट नहीं लिख पाया.. शिवम् भाई यदि आप आदेश दें तो इस पत्र को आवाज़ देने की कोशिश करुँ जैसा कि अर्चना चावजी मासी ने कहा है..

शहीद भगत सिंह को शत शत नमन !!
शानदार वार्ता

दीपक भाई .....शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह जी जितने मेरे है उतने ही आपके भी है .....आपको उनके पत्र को अपनी आवाज़ देने के लिए आपको मेरी या किसी की भी अनुमति की कोई जरूरत नहीं है ! बस जब भी आप पोस्ट लगायें सूचित जरूर करें ! इस ख़ास पोस्ट को पढने / सुनने का इंतज़ार रहेगा !

इन सभी लिंक्स को यहाँ देख कर मज़ा आ गया ।

मुझे लगता है अप लोगो का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है किसी प्रख्यात मनोचिकित्सक को दिखाओ नहीं तो आप यह मत सोचो की हम क्षत्रिय समाप्त हो गए है हम सुस्ता रहे है,,,,,,,,,,आप लोग अपना काल क्यों बुला रहे है ,,,,,,मूर्खो त्रेता में ५०००० वर्ष उम्र होती थी ,द्वापर में १००० वर्ष और कलियुग में १०० वर्ष होती है ,इसलिए आपलोगों के इस मानसिक विकृति के लिए कोई जोड़-तोड़ नहीं बैठ पायेगा और बंसल तुम उलटे सीधे तरीके से अनुवाद कर रहे हो फिर वैश्य तो वैश्या के बड़ा निकट शब्द है तो फिर क्या सभी वैश्या की संतान है वैश्य ,,,,,,,अरे नहीं समझ सकते तो कोई जरुरी नहीं की ऊट-पटांग लिखो ,,,,बंद करो यह बकवास,,,,,,,,,,नहीं तो कोई नहीं बचा पता है कृष्ण और राम के द्रोहियी को,,,,,,,,,,,

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