शनिवार, 25 सितंबर 2010

बंदिशें जाने कितनी, हम बिरासत में ले आये हैं - हिन्दू-मुस्लिम दंगा न भी होता हो किन्तु मीडिया अवश्य ही दंगा करवा दे - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

प्रिय ब्लॉगर मित्रो,
प्रणाम !

एक चीता सिगरेट का सुट्टा लगाने ही वाला था की अचानक एक चूहा वहां आया और बोला :

" मेरे भाई छोड़ दो नशा , आओ मेरे साथ भागो देखो ये जंगल कितना खुबसूरत है , आओ मेरे साथ दुनिया देखो "
चीते ने एक लम्हा सोचा फिर चूहे के साथ दौड़ने लगा .

आगे एक हाथी अफीम पी रहा था , चूहा फिर बोला ,
" हाथी मेरे भाई छोड़ दो नशा , आओ मेरे साथ भागो , देखो ये जंगल कितना खुबसूरत है , आओ मेरे साथ दुनिया देखो "
हाथी भी साथ दौड़ने लगा .

आगे शेर व्हिस्की पीने की तैयारी कर रहा था , चूहे ने उसे भी वही कहा .
शेर ने ग्लास साइड पर रखा और चूहे को 5- 6 थप्पड़ मारे .

हाथी बोला , " अरे ये तो तुम्हे ज़िन्दगी की तरफ ले जा रहा है , क्यों मार रहे हो इस बेचारे को ?"
शेर बोला , " यह कमीना पिछली बार भी भांग पी कर मुझे 3 घंटे जंगल मै घुमाता रहा..

आइये अब चलते है आज की ब्लॉग वार्ता की ओर .... ब्लॉग ४ वार्ता  मंच की यह १९६ वी ब्लॉग वार्ता है !

सादर आपका 

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पति,पत्नी और वो!!! :- जो समझ रहे है आप वह नहीं है 'वो' !! 



हर पल जगमग ! :- बना रहे !

बंदिशें जाने कितनी, हम बिरासत में ले आये हैं .... :- कहाँ से ?

सर्पदंश से कैसे बचा जा सकता है? :- सांप से दूर रहिये !

अपेक्षा !  :- किस से और कितनी ?

जाने क्या समझा वो मुझे, :- यह तो वही जाने !

दुनियां भी कूछ कूछ कहती है............. :- कितने समझते है ....उसकी बातों को ?

“समय-चक्र” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) :- चलता जाए !

हिन्दी ब्लॉगिंग में आया भूकम्प, देखिए चपेट में आने वालों की सूची :- हे राम ! यह क्या हुआ ?

परहित सरिस धर्म नहिं भाई ... :- साधू .... साधू !!

किस किस का नाम लूं मैं मुझे हर किसी ने चाहा..------>>>दीपक मशाल :- आप हो ही ऐसे !

नई ग़ज़ल/ काश मिले मंदिर में अल्ला.... :- अरे भाई जी, इस का ही तो सब बवाल है !!

ऊफ़्फ़ कितनी जोर से दरवाजा बंद कर रखा है…मेरी कविता…विवेक रस्तोगी :- खुलता नहीं तो तोड़ दो !

वटवृक्ष: '' तीन छोटी कवितायेँ '' :- बड़ी क्यों नहीं है ?

मातृत्व को तो बख्श दो मेरे भाई.. :- बात तो ठीक है आपकी !

बेटी ऐसी है तो बहू वैसी क्यों...? :-  बहू और बेटी के फर्क की नहीं.... परवरिश की बात है जी ।

जैसलमेर में १८० मिलियन वर्ष पुराने पथरीले जंगल के अवशेष -सतीश सक्सेना :- कुछ दिनों में अपने भी सिर्फ़ अवशेष ही मिलेगे - बाकी तो सब नेता लूट ही चुके होंगे !

मुलाकात अभी बाकी है :- संभल कर जनाब...... मुलाकात में मुक्का लात ना हो जाए !

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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ....... अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......

जय हिंद !!

25 टिप्पणियाँ:

Shivam ji,
bahut acchi cahrcha...meri pravishthi ko sthan diya uske liye aabhaari hun..!

शिवम् भाई, आपकी चुटकियों वाली चर्चा हमें तो बहुत भाती है. साथ में जोड़ने के लिए आभार..

बहुत सटीक औए अच्छी चर्चा के लिए बधाई |
आशा

शेर बोला , " यह कमीना पिछली बार भी भांग पी कर मुझे 3 घंटे जंगल मै घुमाता रहा..

हा हा हा बहुत बढिया दिल खुश वार्ता शिवम भाई

शिवम मिश्रा जी!
आपने बहुत ही बढ़िया लिंकों से ब्लॉग4वार्ता को सजाया है!

चूहा तो बहुत बदमाश निकला... :)


बढ़िया वार्ता!

हा...हा...हा...हा...आनंद आ गया !
ऐसे चूहे यहाँ भी हैं शिवम् भाई सावधान !

आप लिंक के साथ ब्‍लागर का नाम भी देते तो ज्‍यादा प्रभावकारी लगता। इस देश को चूहेनुमा पत्रकार ही दौड़ा रहे हैं। हा हा हाहा।

बहुत बढ़िया चर्चा मिश्र जी......

बहुत अच्छी चर्चा के लिए बधाई |

यहाँ भी आये और अपनी बात कहे :-
क्यों बाँट रहे है ये छोटे शब्द समाज को ...?

शिवम भाई, आपकी दृष्टि का जवाब नहीं। कहाँ कहाँ से खोज कर ले आते हैं इतनी सार्थक पोस्टें?
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प्यार का तावीज..
सर्प दंश से कैसे बचा जा सकता है?

चूहा प्रकरण मजेदार रहा ..वार्ता हमेशा के समान बढ़िया ..

लतीफें नें तो वार्ता में समाँ बाँध दिया...मनभावन!

बढ़िया लिंकों से ब्लॉग4वार्ता को सजाया है!----आभार.

वाह शिवम भाई कमाल कर दिया आप ने तो, बहुत सुंदर

हा हा हा उद्घाटन ही शानदार रहा तो फ़िर आगे तो सब शानदार होना ही था ..और वैसा ही हुआ है ..बहुत ही गजब की कास्टिंग है महाराज

ये शेर कुछ जाना पहचाना सा लगता है.:)

रामराम.

बहुत सुन्दर चर्चा।

बहुत अच्छी चर्चा शिवम् जी !----आभार.

चूहा कांड बढ़िया था ..एक लाइना भी बढ़िया लगी.

really superb and informative write up here, Thanks a lot for sharing this great write up.
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