गुरुवार, 19 जुलाई 2012

होनी पे किसका बस चला है बाबू मोसाय, अलविदा,अलविदा ----- ब्लॉग4वार्ता ----- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, सावन का महीना फ़िल्म कलाकारों के लिए भारी पड़ रहा है। पहले दारा सिंग चले गए और अब सदाबहार हीरो राजेश खन्ना जी। फ़ेसबुक पर संजय महापात्र ने राजेश खन्ना को श्रद्धांजलि देते हुए कहा - बाबू मोसाय , हम सब रंग मंच की कठपुतलियाँ है और सबकी डोर उपर वाले के हाथ में हैं । होनी पे किसका बस चला है बाबू मोसाय , अलविदा पर तुम्हे भूल नहीं पायेंगे । ईश्वर तुम्हे शांति दे बाबू मोसाय :(……… हम भी राजेश खन्ना को विन्रम श्रद्धाजंलि देते हैं। आज छत्तीसगढ का प्रमुख त्यौहार "हरेली तिहार" है। सभी को हरेली तिहार की हार्दिक शुभकामनाएं। अब प्रस्तुत है आज की वार्ता………

मुझसे ये आसू नहीं देखे जाते, आई हेट टीयर्सबाबू मोशाय, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलिया हैं ... जिसकी डोर उस ऊपर वाले के हाथों में है जहाँपनाह , कब कौन कहाँ कैसे उठेगा ये कोई नहीं जानता ... हा हा हा ....बेटियों को पटने दो गांव वालोदेखिये साहब इस तरक्की शुदा इंडिया के उपर ये पिछड़ी सोच के गांव वाले किसी कलंक से कम नही। आदर्श इंडिया की राह में हिंदुस्तान रोड़े अटका रहा है। अचानक इंडिया कैसा हो यह नजारा मेरी आंखो के सामने तैर गया। चार ...एक मंज़र  उफक के दरीचों से किरणों ने झाँका फ़ज़ा तन गयी रास्ते मुस्कुराए सिमटने लगी नर्म कोहरे की चादर जवाँ शाखसारों ने घूँघट उठाये परिंदों की आवाज़ से खेत चौंके पुर असरार लय में रहट गुनगुनाये हंसी शबनम आलूद ...

‘कुल’ का ‘खेल’म नुष्य शुरू से ही समूह में रहने का आदी रहा है । मानव समूह ही *‘समाज’*कहलाता है । मानव के घुमक्कड़ समूहों से शुरुआती समाजों की रचना हुई । समाज शब्द में ही यायावरी है । हिन्दी का समाज बना है...मणिकर्ण, एक पवित्र तीर्थ-स्थलमणिकर्ण, हिमाचल मे पार्वती नदी की घाटी मे बसा एक पवित्र तीर्थ-स्थल है। हिन्दु तथा सिक्ख समुदाय का पावन तीर्थ, जो कुल्लू से 35 कीमी दूर समुंद्र तट से 1650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां आराम से बस या टै.क्योंकि मैं हूं सोनिया गांधी ...मैं *चाहे ये करुं, मैं चाहे वो करुं मेरी मर्जी। अरे अरे आप सब तो गाना गुनगुनाने लगे। ऐसा मत कीजिए मै बहुत ही गंभीर मसले पर बात करने जा रहा हूं। मैं इस बात को मानने वाला हूं कि देश की कोई भी संवेधानिक संस...

पेज नेविगेशन में अगली-पिछली पोस्ट का शीर्षक दिखायेंब्लॉगर में डिफ़ाल्ट सेटिंग के अंतर्गत जब आप पोस्ट पढ़ते हैं तो अगली पोस्ट पर जाने के लिए अगली पोस्ट और पिछली पोस्ट पर जाने के लिए पिछली पोस्ट पर क्लिक करके जाते हैं यदि ऐसा हो कि अगली और पिछली पोस्ट की जगह प...जो लोग हँसते हैं , वे अपना तनाव हटाते हैंइस रविवार से हास्य का हमारा पसंदीदा कार्यक्रम आरंभ हुआ .हालाँकि इसे घर में बस हम ही देखते हैं . लेकिन पहले दिन की ओपनिंग देखकर निराशा हुई . सबसे कमज़ोर कड़ी तो लगी -- एंकर . कहाँ पहले वाली परिज़ाद और कहाँ...'समय' होत कमजोरसमय सुना था हर दूरियाँ पाट देता है बहुत बलवान होता है पाया ठीक उल्टा, सुना था हर ज़ख्म भर देता है ... मैं जब भी ऐसा सोंचता हूँ मुस्करा पड़ता हूँ मैं खुश हूँ कि ऐसा नहीं कर पाया वो और इसीलिये मैंने ...

जड़ से चेतन की ओर जग त्यक्त कर ही .... तुममें अनुरक्त हुई ... तुम्हारी छब हृदय में रख .. स्वयं से भी प्रेम में .. आसक्त हुई ...... प्रेम का वर्चस्व ... है तुममे ही सर्वस्व ..... प्रसन्नता से चहकती ... अल्हड़ सी ..खि...'गटारी' सेलिब्रेशनगटारी फेस्टिवल नजदीक है, शराबी प्राणी अपनी-अपनी सेटिंग में लगे हैं , प्लान बना रहे हैं कि इस बार की गटारी कहां हो, किसका घर खाली है, किसके छत पर महफिल जमाई जा सकती है, कहां से सस्ती पेटी मिल सकती है.....अधमुंदी पलकों में मुट्ठी भर ख्वाब ज़रूरी हैसागर की वंशज की आँखों में ख्वाब भागीरथ की गंगा बन धरती पर आया पंछियों से उड़ने का ख्वाब राईट बंधुओं की हकीकत बन आया चाँद को पा लेने का ख्वाब पला कितनी आँखों में मानव चाँद पर भी हो आया इन बड़े- बड़े ख...

बस्तर पर टीका-टिप्पणीएकबारगी लगा कि यह मार्च महीने में लक्ष्य प्राप्त कर लेने की आपाधापी तो नहीं, जब वित्‍तीय वर्ष 2012 की समाप्ति के डेढ़ महीने में बस्तर पर चार किताबें आ गईं। 15 फरवरी को विमोचित राजीव रंजन प्रसाद की 'आमचो बस...बगल में छोरा याने इस उम्र में सीखनाकल का सवेरा वल्कल के फोन से हुआ। मेरी, कलवाली पोस्ट पढ़ते ही उसने फोन किया था। बोला - ‘‘पापा! फोन में आप ‘गेलेरी’ में जाकर, अपना मनपसन्द फोटो छाँटकर, जरा ध्यान से, फोन पर, फोटू के आसपास देखना। आप फोटो क...लौ-ए-उम्मीदवो कौफ-ऐ-सज़ा में बांधते रहें हैं तुझे,* *तू माफ़ी की खुली हवाओं में मिलता रहा है मुझे* a * * * * *तेरे नाम के कई ठेकेदार हैं, ऊँची इमारतों में रहते हैं,* *तू सर्दी में ठिठरती रूहों में मिलता रहा है मुझे*...

शssssssss डरना मना है जादू-टोना-*टोनही* शब्द ही भय उत्पन्न करने के लिए काफ़ी होता है। बचपन से सुनते आए हैं कि* तंत्र-मंत्र *से प्राप्त शक्ति द्वारा किसी का भी अहित किया जा सकता है। अहित करने वाला *टोनहा-टोनही* कहलाता है। इन *त... ख्वाब क्यों ??? आप सभी को *सदा *का नमस्‍कार .... इस रविवार यदि आप *फिल्‍म देखने से चूक गये हों *तो आज की हलचल में आपको एक साथ मिलेंगी दो फिल्‍मों की समीक्षा ... बेहतर कौन ? ये तो आपको ही बताना होगा ... तो चलें *आज के लि... उर्वशी, एक परिक्रमा उर्वशी पुस्तक दस वर्ष पहले खरीदी थी, बिलासपुर में, किताबघर से। प्रतीक्षित पुस्तकों की सूची में पड़ी रही वह, दस वर्षों तक। बक्सों में भरकर न जाने कितने स्थानान्तरण झेले, उतने ही घरों की मुख्य अल्मारियों मे...

1989 की कवितायें - कबाड़घर के सामने से जब भी कोई रद्दीवाला या कबाड़ी गुजरता है ,आवाज़ देता हुआ ..लोहा, टीना ..प्लास्टिक .. रद्दी पेपर .. तो मुझे लगता है काश कोई कबाड़ी ऐसा भी होता जो इस पुरानी सड़ी - गली व्यवस्था को ले लेता और बद...संख्या का महत्वहमारे जीवन और इस दृश्यमान प्रकृति में संख्याओं का बहुत महत्व है . संख्या के इस चक्कर से कोई भी अछूता नहीं . सृष्टि के प्रारंभ से आज तक हम जो कुछ भी सहेज पाए हैं उसमें सख्या की भूमिका को किसी भी सूरत में न...बचपन छूटता नहीं मुझसे...बहुत लुभाते हैं आइसक्रीम पे लगी लाल हरी चेरी के टुकड़े की सारे रंग मेरे बचपन के सिमट गए हैं इन चंद टुकड़ों में बुढ़िया के गुलाबी बाल लिपटे हुए हैं आज भी उँगलियों पे लार मीठी ह़ो गयी साईकिल पे रखे बर्तन म...

प्राकृतिक संसाधनों का नियंत्रित दोहन जरूरी हैआज समाचार पत्र में दो ख़बरें पढ़ीं .दोनों ही ख़बरें अगर सोचा जाये तो बहुत गंभीर चेतावनी देती हैं नहीं तो सिर्फ ख़बरें हैं. पहली खबर है नॅशनल जियोग्राफिक सोसायटी के एक सर्वे के बारे में है जो बताती है कि ह...अस्तित्वअस्तित्व * मैं स्वयं में '' मैं '' को तलाश रही थी पर मेरा '' मैं '' कब का हम बन चुका था जुड़ चुका था रिश्तों की डोर से बंध चुका था अपनों की ओर से निकलने की तड़प बार-बार उठती फिर दबी रह जाती अपनों क... जीवन के मोड़ , डिफरेंशियल और परिवारसाइकिल के आगे पीछे के दोनों पहिये एक सीध में होने के कारण उसे मोड़ पर घुमाने पर कोई समस्या नहीं होती | परन्तु चार पहिये के किसी भी वाहन को जब सीधी दिशा में चलाना हो तब तो सभी पहियों की गति एक समान होती ...

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद ……… राम राम

11 टिप्पणियाँ:

शुभप्रभात ललित जी ..आभार मेरी रचना को स्थान दिया ...
नश्वर शरीर का अंत तो होगा ही ....!!मन दुखी है ....राजेश खन्ना जी को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि...

सुंदर वार्ता ..

बहुत अच्‍छे अच्‍छे लिंक्‍स ..

राजेश खन्‍ना जी को हार्दिक श्रद्धांजलि ..
वार्ता के पाठकों को हरेली की शुभकामनाएं !!

बेहतर वार्ता ....राजेश खन्ना को विनम्र श्रद्धांजलि ....!

रोचक वार्ता, कई अनपढ़े सूत्र मिल गये।

राजेश खन्ना जी को सभी मैनपुरी वासियों की ओर से शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि |

बढ़िया वार्ता अच्छे लिंक्स ललित जी...
शुक्रिया.

राजेश खन्ना जी को श्रद्धासुमन.

अनु

क्या ही जबरदस्त सामूहिक ब्लॉग चर्चा का मंच आपने बनाया है.ब्लॉग वार्ता का अंदाज बड़ा दिलचस्प है.आज पहली बार यहाँ आना हुआ.आकर काफी अच्छा महसूस हुआ.अपनी इस वार्ता में कभी मुझे भी शामिल कर लीजिये.

मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स

बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स लिये उम्‍दा चर्चा ...आभार

बढ़िया वार्ता... राजेश खन्‍ना जी को विनम्र श्रद्धांजलि ..

हरेली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं...

अडतालीस घण्‍टों से अधिक समय तक फोन और नेट बन्‍द रहा। अभी मिला तो मालूम हो रहा है कि नदियों में कितना पानी बह गया।

आपने ढेर सारे सन्‍दर्भ दे दिए हैं। किन्‍तु लगता नहीं कि इस बार सारे के सारे खंगाले जा सकेंगे। देखता हूँ, कितना कुछ कर पाता हूँ।

मुझे शामिल करने केलिए धन्‍यवाद। आभार।

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