रविवार, 22 जुलाई 2012

ये जिंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... जिंदगी को ज़िन्दादिली और भरपूर उत्साह से  जीना जरूरी है, उत्साह के  बिना जिंदगी एकदम खाली बर्तन की तरह है, यह तो आप मानते ही होंगे. चलिए, हम सब मिलकर एक बार फिर जीवन का अर्थ तलाशने की कोशिश में जुट जाते हैं और दोहराते हैं वही सनातन मंत्र — "ये जिंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया... " किसी का होने का सच्चा अर्थ है - दूसरों के होंठों पर खुशी के गीत पिरोने की खूबसूरत सी ऐसी कोशिश, जिसका अंजाम किसी के लिए भी मुस्कुराहटों की लहलहाती फसल उगाना हो. अब वक्त आ गया है कि हम परस्पर स्नेह और भाईचारे की बोली को समझें और एक मुस्कान के बदले ढेर सारी हंसी देने को तैयार रहें. लीजिए, मैं मुस्कुरा रही हूं, अब आप भी अपनी हंसी की गठरी खोलिए न झट से... अब प्रस्तुत है, आज की ब्लॉग 4 वार्ता...

अनिश्चितता के बादल ! *तुम्हारे वादे , * *तुम्हारी कसमें !* *कितनी गहराई छुपी हैं न इनमें ? * *तुम...हारे.....! ...... तुम... हारी........ !!* *और मैं हूँ कि** * *न **उन्हें** झूठा करार पाता हूँ * *और न सच मानने को तैयार, ... भोर की पहली किरण *भोर की पहली किरण * अँधेरी रात की काली चादर को चीर भोर की पहली किरण जब धरती पर आई सारी धरती सुंदूरी रंग में रंगी नव वधु सी शरमाई शीतल मंद पवन ने छेड़ा फिर जीवन का राग सुहाना हिम शैल शिखर से फिसलती किरणें ...कैसे कोई बच सकता है कैसे कोई बच सकता है पलकों पे थमे झट से न गिरे वे दो कतरे आँसू के झरे मन भीग गया.. प्राची में जब फूल उगे हिम शिखरों पर चांदी बिखरे पिघले सोना सागर में जब अवाक् हुआ मन भीग गया..  

( rashifal ) क्‍या करें क्‍या न करें 21, 22 और 23 जुलाई 2012 को ?? मेष लग्नवालों के लिए 21 , 22 और 23 जुलाई 2012 बुद्धि ज्ञान के मामलों के लिए महत्वपूर्ण होंगे , संतान पक्ष के मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। धन की स्थिति मजबूत होगी , इसे मजबूत बनाने के...अबला कौन ?  अबला कौन ? बचपन में एक बार मुझे याद है की हमारे पड़ोसी के पोल्ट्री फार्म में एक बिल्ली घुस गयी थी , उस बिल्ली ने रात भर में दो मुर्गियां चट कर दी और एक मुर्गी अधमरी कर दी ! सब लोगों के कहने के अनुसार मेरे...मुझे आजादी चाहिए ** *मैं अपने ही घर में कैद हूँ मुझे अपनों से ही आजादी चाहिए रोती बिलखती सर पटकती रही मैं अब मेरी आवाज को एक आवाज चाहिए जी रही हूँ कड़वे घूँट पीकर न मेरी राह में कांटे उगाइये मैं अपने ही घर में कैद हूँ  ...

खेलों और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के परिणाम मिलना शुरू पांच वर्ष में मिले 1708 पदक साभार: खास-खबर फ़ोटो राज्य सरकार द्वारा खेलों और खिलाड़ियों को भरपूर प्रोत्साहन देने के साथ ही अधोसंरचना पर विशेषध्यान दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश का खेल बजट 4 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ से ऊपर किया गया है...कि कुछ नहीं हो सकता रात के कई पहर बीत जाने के बाद भी अजनबी आवाज़ें, सन्नाटे को तोड़ती रहती है. उदास थकी हुई करवट, पसीने से भीगी हुयी पीठ, तसल्ली की थपकियाँ देती रेगिस्तान की सूखी हवा. सो जाओ, रात जा रही है...विक्रम और वेताल  एक बार राजा विक्रम को वेताल ने चोर और ताले की कथा सुनार्इ वेताल ने पूछा चोर कौन है? जो पकड़ा गया या वह जो पकड़ा ही नहीं गया? घर पर ताला क्यों लगाया जाये? ताला किसके लिये लगाया जाये? ताला कब लगाया जाये? ...

लकड़बग्गों का विधानलकड़बग्गों का विधान नहीं बदला है वो आज भी द्रोपदी का चीरहरण नहीं चूकते तथस्ट धर्तराष्ट्रों की संख्या बढ़ गयी है और लकड़बग्गों का जीन पूल डोमिनेंट है निपूंसकों का विधान नहीं बदला है वो... बावरी सी हो तुम... तुम तो बावरी नदी सी हो कभी तो होती हो शांत फूलों की पंखुड़ियों सी, और कभी हो जाती हो चंचल, जैसे शाम में समुद्र की लहरें... तुम तो उस पतंग जैसी हो, जो उड़ना चाहती है आसमान में और थामे हो मुझे एक डोर की तरह.... ध्येय मेरा नहीं आसान इस लोक में दुर्गम मार्ग से जाना सकरी बीथिका में कंटकों से बच पाना पर एक लक्ष्य एक ध्येय देता संबल मुझे तुझ तक पहुँचने का तुझ में रमें रहने का मन में व्याप्त आतुरता खोजती तुझे दीखता जब ...

महिलाओं की अस्मिता पर चोट हमारी पूरी सामाजिक-पारिवारिक और प्रशासनिक व्यवस्था की विफलता है गुवाहाटी में एक छात्रा के साथ सडक़ पर हुई शर्मसार करने वाली बेहूदगी भरी छेडख़ानी और बागपत में महिलाओं के लिए घर से ना निकलने का फरमान । दोनों घटनाएं एक साथ ही हुई और फिर सामने ले आईं वही ...मौत  मौत कितनी आसान होती अगर हम जिस्म के साथ दफ़न कर पाते यादों को भी.... ...................................................... मौत कुदरत का तोहफा है ये मिटा देती हैं सभी दर्द... उसके, जो मरा है... रखते हैं लोग जिल्द में दिल की किताब को कांटों से भरी शाख पर खिलते गुलाब को. हमने क़ुबूल कर लिया कैसे अज़ाब को. दिल की नदी में टूटते बनते हुबाब को. देखा नहीं किसी ने मेरे इज़्तराब को. चेहरों से झांकते नहीं जज़्बात आजकल रखते हैं लोग जिल्द में दि...

सबब ... - सच ! मर्म को, तू मर्म अब रहने भी दे उन्हें देखे बिना, चैन अब मिलता नहीं ? ... 'उदय' ये आशिकी का कौन-सा सबब है कि - वो रात में अपने, और दिन में किसी ...चांदनी रात- मैं बहुत परेशान हूँ अपने देश के हालत पर, कोई लड़ रहा भाई- भतीजा कोई जातिवाद पर | सरहद पर खून शहीदों का जैसे वारि की धारी है , हर... एक पुनर्प्रस्तुति: शिलालेखों में अक्षर नहीं होते - *ताड़ पत्रों के लेख पढ़ते और पत्थरों के गीत सुनते * *बबूल के जंगलों से घिरी थोड़ी छाँव* *कुछ भाग्यशाली शिलायें रह रह जाती हैं झाँक। * *मन में तिरस्करिणियों ... 

लगता इसकी मति गई मारी बाबाजी - नीयत हो यदि साफ़ हमारी बाबाजी नियति भी तब लगेगी प्यारी बाबाजी पुस्तक, सी डी और दवायें बेच रहे सन्त नहीं, वे हैं व्यापारी बाबाजी कोई किसी का सगा ...गुवाहाटी से मानेसर तक ....बंटाधार - पिछले पखवाड़े देश में ऐसी दो घटनाएं हुई हैं जिन्होंने एक आम हिन्दुस्तानी को शर्मसार कर दिया है ..... हथियारों की यह होड हमें कहाँ ले जायेगी - ब्रिटेन की संस्था ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार हर साल दुनिया भर में छोटे हथियारों के लिए गोले-बारूद का चार अरब डॉलर से अधिक का कारोबार होता है. दुनिया भर... 

सैर कीजिये छत्तीसगढ के कर्ण प्रयाग की और मुझे दीजिये इजाजत मिलते हैं अगली वार्ता में तब तक के लिए नमस्कार ..........

8 टिप्पणियाँ:

संध्या जी काफ़ी सारे लिंक्स समेंट लिए आपने तो
सुंदर एवं बेहतरीन वार्ता के लिए साधुवाद, सुप्रभात kkkkk

वाह आज तो बहुत सा साहित्य है पढने के लिए |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा

बहुत सारे अच्‍छे लिंक्‍स ..

सुंदर वार्ता के लिए आपका आभार !!

पढने के लिए खूब सारी लिंक। बहुत ही श्रमसाध्‍य और सुन्‍दर वार्ता।

अच्छे लिंक्स... धन्यवाद...

बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स ... बेहतरीन चर्चा

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