शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

कहाँ आटा है कहाँ नमक, सुर्खियों में मिलता है सुख...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...जनता की जेब काटने की नयी योजना बन गयी है, टैक्स रिकवरी के नाम पर 7  राज्यों में पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ा दिए गए हैं. राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने शपथ ले ली है और "ट्रिकल डाउन थ्योरी " को नाकामयाब बताया  है. आइये चलते है ब्लॉग नगरी के समाचार जानने मेरी पसंद की कुछ लिंक्स के साथ लीजिये प्रस्तुत है,  आज की ब्लॉग 4 वार्ता...
 ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी ! ऐ मेरे वतन् के लोगो! तुम खूब लगा लो नारा ! ये शुभदिन है हम सबका! लहरा लो तिरंगा प्यारा पर मत भूलो सीमा पर! वीरों ने है प्राण गँवाए! कुछ याद उन्हें भी कर लो -२! जो लौट के घर न आए -२ ऐ मेरे वतन के लोगो!  एक बातचीत एक बातचीत न आये थे अपनी मर्जी से न ही जायेंगे... तू ही लाया..ले भी जाना जब चाहे हम न आड़े आएँगे तेरी हवा से धौंकनी चलती है श्वासों की तेरी गिजा से देह.. मिला मौका सजदा करने का तेरी जमीं पर ..ओह ! मेरी तिलस्मी मोहब्बत ढूँढ सको तो ढूँढ लेना कोई ऐयार बनकर सुना था जो चले जाते हैं वापस नहीं आते मगर जो कभी गए ही नहीं वजूद पर अहसास बन कर तारी रहे अब रोज उनके साथ सुबह की चाय सूरज की पहली किरण पंछियों की चहचहाट और एक खुशनुमा सुबह का आगाज़ होता है और दोपहर की गु...

हमसफ़र कोई न था फिर भी सफ़र करता रहाअपनी सारी ख्वाहिशों को दर-ब-दर करता रहा. हमसफ़र कोई न था फिर भी सफ़र करता रहा. एक तुम जिसको किसी पर भी नहीं आया यकीं एक मैं जो हर किसी को मोतबर करता रहा. बेघरी ने तोड़ डाला था उसे अंदर तलक इसलिए वो हर कि...सिलसिला ... - बहुत कठिन है जीते-जी खुद को मार पाना 'उदय' न जाने कैसे तुमने, .... ये करतब दिखाया है ?? ... बस यूँ ही, मिलने-जुलने का सिलसिला बना रहे ये किसने कह द... सुर्खियों में मिलता है सुख (कविता) - कौन नहीं होना चाहेगा सुर्ख सुर्खियों में ही है सुख भला सृष्टि में कौन है मूर्ख इतना जो उठाना चाहेगा दुख। सुर्खियों में रहो तो मिलता है सुख सुर्खियों 

खिचडी....... (डिसक्लेमर - अपना इस पोस्ट में सिर्फ नमक है, आटा पीढ़ियों का है| कहाँ आटा  है और कहाँ नमक, ये...  "हिंसा" -समाधान या समस्या ? - कुछ लोगों ने ई-मेल के द्वारा मुझे मेरी पिछली पोस्ट "अबला कौन ?" पर विरोध जताया कि आप इस पोस्ट के द्वारा हिंसा को बढ़ावा दे रहे हो ! क्या हिंसा हर समस्या क...  बस्तर में खत्म हुआ प्रजातंत्र ,तानाशाह हुई सरकार, आपात काल-सा महौल ! आदिवासियों के नागरिक अधिकार अघोषित रूप से छिन लिये गये - कांकेर - बस्तर में खत्म हुआ प्रजातंत्र ,तानाशाह हुई सरकार, आपात काल-सा महौल ! आदिवासियों के नागरिक अधिकार अघोषित रूप से छिन लिये गये है। छत्तीसगढ सरकार .
 
कारगिल विजय दिवस 2012 - बस इतना याद रहे ... एक साथी और भी था ... - खामोश है जो यह वो सदा है, वो जो नहीं है वो कह रहा है , साथी यु तुम को मिले जीत ही जीत सदा | बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था || जाओ जो लौट के... कट चुके जो हाथ, उन हाथों में तलवारें न देख - आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख घर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख एक दरिया है यहाँ पर दूर तक फैला हुआ आज अपने बाजुओं को देख पतवारें न देख अ... खुली चर्चा होनी चाहिए: दैनिक छत्तीसगढ़ में ‘आरंभ’ - 25 जुलाई 2012 को दैनिक छत्तीसगढ़ के नियमित स्तंभ ‘चौपाल’ में आरंभ चर्चा का...

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जब मैंने तुमसे कुछ ना कहा था - ख़्वाब बहुत खूबसूरत होते हैं, पर हमे जल्दी होती है, उन्हें सच में बदलने की, और इस कोशिश में हम तोड़ देते हैं उन्हें कच्ची कलियों की तरह, कच्चे घड़ों की तरह, क... तेरी होंद , रिश्ता दर्द और उडारी ...... - *तेरी होंद , रिश्ता दर्द और उडारी ...... बात की औकात ... - बात औकात की नहीं, बात हिम्मत की है, साहस की है ; लेकिन हाथों में पत्थर लिए लोग पहले से तैयार दीखते हैं और छाती ठोंककर पूछते हैं सवाल-- 'इतना सहस कोई कैसे कर ...मिसफिट Misfit दो जून की रोटी को मोहताज सांस्कृतिक दूत ये सपेरे : फ़िरदौस ख़ान .....

चलते चलते एक व्यंग्य चित्र
लेते हैं विराम मिलते हैं अगली वार्ता में तब तक के लिए नमस्कार ...........

6 टिप्पणियाँ:

आज का चयन तो 'गागर में सागर' है। 'वार्ता' पढते-पढते ही तीन-चार ब्‍लॉग पढ लिए।

आभार संध्या जी आपका कि आपने 'सुधीनामा' की मेरी पोस्ट को अपनी वार्ता में स्थान दिया ! सभी सुधी पाठकों का ध्यान उस पोस्ट की ओर आकर्षित करना चाहती थी ! आज की पीढ़ी के लिए शायद उनमें से ही कोई सबल, सक्षम प्रेरणास्त्रोत बन सके और उन्हें सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सके !

... बेहतरीन लिंक्‍स .. लिए हुये अच्‍छी प्रस्‍तुति

बहुत अच्छी वार्ता..अच्छे लिंक्स के साथ.

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