शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

विश्वव्यापी चक्रवात के मध्य में , समन्वय और सुख शांति की खोज जारी है ! फ़िर भी अकारण भय क्यों ?

अयोध्या राम जन्म भूमि बावरी मस्ज़िद उच्च न्यायालय का निर्णय आज़ का दिन आम आदमी के लिये चिंता का विषय था जो आज़ शाम ढलते  ढलते  चिन्तन का विषय बन गया. और फ़िर भारत वर्ष की आम जनता ने एक बार फ़िर बता दिया कि हम शांति के कपोत अपने साथ रखते हैं हमेशा सलीम संजय इक़बाल क़ासिफ़ सब शांत थे क्योंकि वे निर्भय थे . अल्लामा सही कह गये बकौल ललित शर्मा "सारे जहां से अच्छा..." सबके मन में  विश्वास जागा की ईश्वर तो एक ही है अलग अलग होते तो आज़ जैसा अदभुत फ़ैसला न आता पंच के मुंह से सच पर्मेश्वर बोलते है  यक़ीन कीजिये भारत गम्भीर गौरव शाली सांस्कृतिक विरासतों वाला देश है . गंगा शर्मा साहब की अलग सा पर जो पोस्ट आई वो आज की आकार की छोटी किंतु मायनों की सबसे बड़ी पोस्ट नहीं तो और क्या है....? जब ध्येय एक तो विवाद क्यों सबसे बड़ी बात तो यह हुई कि सारा देश और विश्व जिस चिंता में था  उससे हटकर फ़ैसला(बी बी सी से साभार ) आया सर्वत्र अमन -चैन था इस बीच छपास कुमार जी के हत्थे चढ़ गये खबरिया चैनल वे दुनिया भर को सबसे पहले के चक्कर में पड़े खबर घरानों पर गुस्सा दिखाते नज़र आ रहे हैं.उधर अवधिया जी बताने लगे कि अलाहबाद हाई कोर्ट की साईट नहीं खुल रही सही  खबर थी  अब शायद खुल रही हो 
                          अरुण जैमिनी ने रचनाएं ब्लाग पर हिंदी हत्या कविता पेश की है उम्दा है. अजय झा साब के ब्लाग पर जो है उसे पाबला जी नोट करें. मैं न पंडित, न राजपूत, न शेख सिर्फ इन्सान हूँ मैं, सहमा हूँ - सतीश सक्सेना ठीक ही तो कह रहे हैं हां फ़ैसले के बाद भाई संजीव वर्मा सलिल की आशंका भी मायने रखतीं हैं . . अगर आपने ग़लत फ़हमी पाल ली है कि आप स्टार ब्लागर हैं तो पाले रखिये क्रिएटिव मंच पर आते ही सब साफ़ हो जाएगा वहां बड़ॆ सितारे आपकी बाट जोह रहे हैं ये तो सुश्री शुभम जैन की गज़ब प्रस्तुति है. राजीव तनेज़ा साहब हंसते हुए एक गुनाह क़बूल कर रहे हैं. समीर भाई की सांकेतिक पोष्ट "मैं, अंधेरों का आदमी!!! "वज़नदार है जी. चलिये राज़ भाटिया जी के पास वे बता रहे हैं चित्र बोलते है जी हैं मैने देखा है . दिव्या जी ने राहुल को एक ख़त भेजा है श्रीमान पता नही राहुल जी ने बांचा कि नहीं..? जिस ब्लागर मित्र मित्राणी ने अब तक हैप्पी बर्थडे .टू. मन का पाखीनहीं कहा ज़रूर कहें  . खबर तो पुरानी है पर फ़िर भी अलबेला भईया की साईट वापस  गई है. आज शरद जीजू (मेरे हैं) का जन्म दिन है. पर वे भीख देने के पहले विचार करने की बात कर रहें हैं. तो अपने पाबला जी "फ़ोटो पहचनवा रहे हैं ?" कहीं मीरा के भजन हैं तो कहीं .... कोई कह रहा है थोडा मुस्कुरा कर देखोसच आज़ का दिन चिंता का दिन था शाम होते होते चिंतन का और अब निश्चिंतता का  सही कहा न लावण्या जी ने हज़ूर "विश्वव्यापी चक्रवात के मध्य में , समन्वय और सुख शांति की   खोज जारी है ! फ़िर  अकारण भय क्यों ? " अमिताभ बच्चन जी का भय मेरी तो समझ से परे है .
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कुत्ते भौंकते क्यों हैं इस बात की जानकारी हिंदी लोक पर तो है किंतु वास्तव में उसका भौंकना असुरक्षा  भाव से प्रतिक्रिया मात्र है. कुत्ते की स्वामी भक्ति से पहले हम इस तथ्य को जान लें कुत्ता आपका वफ़ादार साथी है वास्तव में  कुत्ते की प्रवृत्ति क्या है इस बात का खुलासा परसाई जी के अलावा और कौन करेगा ? आज़ परसाई ज़िंदा होते तो सबसे पहला फ़ोन ज्ञानरंजन या हनुमान वर्मा को ज़रूर लगाते ये देख कर :"दलित की रोटी खाने पर कुत्ते को अछूत करार दिया"
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कल पश्चाताप का दिन था देखिये तो दो लोगों का अलग  अलग पश्चाताप
और इधर भी न लिंक न दूंगा कल शिवम दे गए थे
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14 टिप्पणियाँ:

बहुत शानदार गूथा है लिंक्स को. आभार.

अरे वाह आ भी गये दादा
गुड मार्निंग

बहुत अच्‍छी वार्ता .. आभार !!

उम्दा चर्चा और उम्दा लिंक
खींच दिया आपने सुंदरतम चित्र

बहुत सारे लिंक ले आए गिरीश जी
मेहनत भरी चर्चा है।

शुभाशीष है हमारा लगे रहो

.

आदरणीय गिरीश जी ,

बहुत ख़ूबसूरती से पिरोया है मोतियों को इस माला में।

बस इतना ही कहूँगी--

हम डरते तभी हैं , जब कुछ गलत करते हैं। इसलिए अगर अपनी आत्मा पवित्र है तो डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। और शान्ति ...वो तो मन के अन्दर रहती है। ढूँढने की नहीं पहचानने की आवश्यकता है।

इतनी मेहनत से लिखे इस खूबसूरत लेख के लिए आपको दिव्या का प्रणाम ।

.

बेहद उम्दा ब्लॉग वार्ता ....दादा आपका बहुत बहुत आभार!

बडी ज़बरदस्त वार्ता लगाई है।

बहुत बढ़िया वार्ता ... आभार!

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