बुधवार, 13 अक्तूबर 2010

पत्‍थर मारो, पैसा पाओ यारो-पीछा करेगी जर्मन भाषा -- ब्लॉग4वार्ता-- ललित शर्मा

नमस्कार, कल से एक दुखद समाचार है कि महफ़ूज अली को किसी ने गोली मार दी है, लेकिन घटना कब, कैसे और क्यों हुई, इसके विषय में पूर्ण रुप से जानकारी नहीं मिल पाई है। पाबला जी के बज्ज पर ही अपडेट चल रहा है। शिवम जी और पाबला जी की महफ़ूज से फ़ोन पर बातें हुई है। ब्लॉग जगत के इष्ट मित्र उसके स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं। हम भी ईश्वर से कामना करते हैं कि महफ़ूज जल्द ही स्वाथ्य लाभ कर हमारे बीच हों। परसों ही महफ़ूज से मेरी लम्बी बात चीत हुई थी। वह हंसी मजाक करता रहा और हम ठहाके लगाते रहे। अब फ़िर उन ठहाकों का इंतजार है। अभी बज्ज पर पता चला की शिखा जी की भी महफ़ूज से बात हूई है, और गिरीश बिल्लोरे जी ने बताया है कि महफ़ूज़ खतरे से बाहर है । अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर...

सबसे पहली पोस्ट लेते हैं जील याने दिव्या जी की, आज की पोस्ट में वे पूछती है कि क्या किन्नरों  को सपने देखने का हक है? किन्नर हमारी तरह ही इंसान हैं। फिर समाज में इनके साथ इतना भेद-भाव क्यूँ है। ये हमारी तरह ही एक दिल और दिमाग रखते हैं, जिससे वो हमारी तरह ही सोच सकते हैं और प्यार कर सकते हैं। फिर क्यूँ नहीं हम उनकी भावनाओं को समझने का प्रयत्न करते हैं। क्यूँ नहीं हम उनके दुखों को महसूस कर पाते हैं । क्यूँ हम उनको समाज के एक निचले स्तर पर जीवन यापन करते हुए देख रहे हैं और सहज ही असंवेदनशील होकर आगे बढ़ जाते हैं। किन्नर हमारे सम्माज का एक बड़ा हिस्सा हैं। हम उनके प्रति बेरुखी का रवैय्या नहीं अपना सकते।

फ़िर आगे कहती  हैं हमारे देश में करीब दस लाख किन्नर हैं। मुलभुत सुविधाओं से वंचित ये समुदाय अनेकानेक बीमारियों जैसे एड्स आदि से ग्रस्त हो जाता है। पैसों की कमी तथा समाज में भेद-भाव के चलते इन्हें समुचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलती और ये समय से पहले ही काल-कवलित हो जाते हैं। मुझे लगता है किन्नरों को स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी सेवाएं मिलनी चाहिए । ये संकोच-वश चिकित्सा करवाने में भी हिचकते हैं।किन्नरों में- ' जेंडर आईडेंटीटी क्राईसिस ' के कारण अवसाद , फ्रस्टेशन, असहायता, तथा पीड़ा-जनित क्रोध भी पनपता है। लेकिन ये ' जेंडर आईडेंटीटी क्राईसिस ' कोई मानसिक रोग नहीं है और इसके बहुत से सरल उपाय , चिकित्सा विज्ञान में मौजूद हैं।

अब चलते हैं ज्ञानवाणी  पर जहां वाणी जी रामचरितमानस से चुन लिए कुछ मोती...लेकर आई हैं।वाल्मीकि को संसार का आदि कवि माना जाता रहा है क्यूंकि उनके सम्मुख कोई ऐसी रचना नहीं थी जो उनका पथ प्रदर्शन कर सके ...इसलिए रामायण महाकाव्य उनकी मौलिक कृति है और इसलिए ही इस महाकाव्य को आदिकाव्य भी कहा जाता है ...वाल्मीकि रामायण संस्कृत का महाकाव्य है जिसमे वाल्मीकि ने राम को असाधारण गुणों के होते हुए भी उन्हें एक मानव के रूप में ही चित्रित किया है ...जबकि रामचरितमानस में तुलसीदास ने राम को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में 

जों बालक कह तोतरी बाता सुनहिं मुदित मन पित अरु माता
हंसीहंही पर कुटिल सुबिचारी जे पर दूषण भूषनधारी

जैसे बालक तोतला बोलता है , तो उसके माता पिता उन्हें प्रसन्न मन से सुनते हैं किन्तु कुटिल और बुरे विचार वाले लोंग जो दूसरों के दोषों को ही भूषण रूप से धारण किये रहते हैं , हँसेंगे ही ...

मनि मानिक मुकुता छबि जैसी . अहि गिरी गज सर सोह तैसी
नृप किरीट तरुनी तनु पाई . लहहीं सकल संग सोभा अधिकाई ...

मणि, मानिक और मोती जैसी सुन्दर छवि है मगर सांप , पर्वत और हाथी के मस्तक पर वैसी सोभा नहीं पाते हैं ...राजा के मुकुट और नवयुवती स्त्री के शरीर पर ही ये अधिक शोभा प्राप्त करते हैं ..
शरद कोकास जी नवरात्र कविता उत्सव - पाँचवा दिन - मैथिली कवयित्री शेफालिका वर्मा की कविता लेकर आए हैं, उनका यह प्रयास पसंद आता है। हमेशा नवरात्रों में नौ कवियत्रियों को पढने मिलता है। 

सार्थकता उद्देश्य नहीं
जीवन की प्रक्रिया है
अपनों का साथ
एक दूसरे के सुख दुख में साँस लेना
एक – दूसरे के आँसू पोंछने में ही जीने की
सार्थकता है
अपने लिए तो सभी जीते हैं
पर तुम जिओ
उस सूरज की तरह
जो कभी अस्त नहीं होता
धरती के इस छोर से उस छोर तक
परिक्रमा करता रहता है
सबों को रोशनी बाँटता है


स्वराज्य करुण जी बता रहे हैं कि और अब पीछा करेगी जर्मन भाषा ? अखबार में खबर है कि भारत सरकार ने केन्द्रीय विद्यालयों को संस्कृत के स्थान पर जर्मन भाषा पढ़ने के इच्छुक बच्चों की सूची तैयार करने का आदेश दिया है . खबर पर सच्चाई की मुहर एक केन्द्रीय विद्यालय के उप-प्राचार्य के उस वक्तव्य से भी लग जाती है ,जो इसी समाचार के साथ है ,जिसमे उन्होंने बताया है कि उनकेयहाँ केन्द्रीय विद्यालय संगठन का एक परिपत्र आया है कि ऐसे विद्यार्थियों की सूची तैयार की जाए , जो संस्कृत के बदले जर्मन भाषा सीखना चाहते हैं . यह खबर भारतीय भाषाओं को देश की अनमोल धरोहर समझने वाले किसी भी भारतीय को व्यथित और विचलित कर सकती है

जब हम हिन्दी , पंजाबी , गुजराती , मराठी . तमिल, ओड़िया बंगाली , असमिया जैसी अनेकानेक भारतीय भाषाओं में से दो-चार भाषाओं को भी ठीक से समझ और बोल नहीं पाते , तब अपने देश के विद्यालयों में (केन्द्रीय विद्यालयों के सन्दर्भ में )जर्मन भाषा की पढ़ाई करवाने का प्रयास कहाँ तक जायज कहा सकता है ,इस पर गंभीरता से विचार करने की ज़रुरत है . अंग्रेजों के  जाने के साठ साल बाद भी अंग्रेज़ी का भूत हमारा पीछा नहीं छोड़ रहा है और अब केन्द्रीय विद्यालयों के जरिए जर्मन भाषा की घुसपैठ होने जा रही है .हमारी संस्कृत भाषा और हमारी भारतीय संस्कृति वैसे भी अंग्रेजियत के हमले से कराह रही है , अब उस पर जर्मन भाषा के हमले का अंदेशा सर उठाने लगा है .विदेशी नागरिकों की घुसपैठ रोकने का तो क़ानून है , यह सबको मालूम है  लेकिन  विदेशी भाषाओं की घुसपैठ रोकने के किसी क़ानून की आपको जानकारी हो  तो मुझे कृपया ज़रूर बताएं , ताकि मेरे सामान्य ज्ञान के छोटे से भण्डार में कुछ इजाफा हो सके .

सोनल रस्तोगी जी नवरात्र पर बता रही हैं कि देवी के दिन इन दिनों का अलग ही उत्साह रहता है एक नारी के जीवन में ,इतनी शक्ति महसूस होती है इनदिनों पूछो मत हर उम्र में अलग रंग लाता है ये त्यौहार ,साल में दो बार, बचपन में जहाँ हलवा पूरी,दही जलेबी,रंगीन चुनरी और चमचमाते और खनखनाते सिक्को का आकर्षण ,तरुणाई में नौ दिन के व्रत ,देवी उपासना और दुरगा सप्तशती का पाठ.

अविनाश वाचस्पति जी नया बिजनेश बता रहे हैं पत्‍थर मारो, पैसा पाओ यारो पत्‍थर का बाजार गर्म है। पत्‍थर में धंधे ही धंधे हैं जो अभी भी बेरोजगार हैं, समझ लीजिए, वे अंधे हैं। खबर आपने पढ़ी होगी कि पत्‍थरबाजी के लिए एक दिन के 800 रुपये दिए जा रहे हैं। पत्‍थर मारना भी एक हुनर हो गया। जाहिल हैं वे लोग जो अब तबीयत से पत्‍थर भी नहीं उछालेंगे। पत्‍थर मारो , नोट कमा लो। इससे पत्‍थर भी खुश हुए हैं, बस खुशी उनके पत्‍थरी फेस पर दिखलाई नहीं देती। पत्‍थरों को भगवान ने बनाया है। इंसान पत्‍थर को भगवान बनाने में तल्‍लीन है। 

रायटोक्रेट कुमारेन्द्र से सुनिए व्यंग्य कविता -- सन्देश का प्रभाव 

सड़क पर पड़े
घायल को देख कर
कतरा कर, आँखें बचाकर
निकलते लोग।
याद आता है
मानवता का संदेश
पर....
सहायता के लिए
बढ़े कदमों को,
विचारों को
रोक देते हैं
नगर के किसी
‘विशेष इमारत’ के सामने लगे
‘बोर्ड़ों’ के ‘संदेश’
‘पुलिस आपकी मित्र है’
सदैव
‘आपकी सेवा’
को तत्पर। 

चलते चलते काजल कुमार जी का एक व्यंग्य चित्र

हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है ...


और मित्रों से एक अपील!!! एवं यहाँ भी मिल सकते हैं ब्लागर्स से, देखिये कलकत्ता की दुर्गा पूजा

वार्ता को देते हैं विराम--मिलते हैं एक ब्रेक के बाद--सबको राम राम

30 टिप्पणियाँ:

बहुत से समाचार मिले ...........आभार ....महफूज़ जल्दी ही ठीक हों ...यही कामना......

महफूज को महफूज बने रहने की दुहाई हम भी दे रहे हैं ..

एक ब्लॉग पोस्ट पर धमा चौकड़ी मची हुयी है जहाँ पुराणोक्त किन्नरों को हिजड़ा बताया जा रहा है,
जबकि हिमाचल प्रदेश में आज भी किन्नर एक उपजाति है जैसे मिथकीय कुबेर के गण होते थे वैसे ही किन्नर भी थे
आज के हिजड़ों को कोई नामकरण देना ही है तो वृहन्नला सबसे उपयुक्त है ...

महफूज़ जल्दी ही ठीक हों ...यही कामना......

अभी पता चला इस घटना का , जानकर बहुत दुख हुआ | पर राहत भी कि महफूज अब खतरे बाहर है |
वे जल्द स्वस्थ हो यही कामना है !

ईश्वर महफूज़ को महफूज़ रखे ...!
चर्चा में शामिल किये जाने का बहुत आभार ...
अच्छे लिंक्स ...!

बढ़िया लिंक दिए हैं ललित भाई , महफूज़ कि सलामती के लिए दुआ करते हैं ! हार्दिक शुभकामनायें !

सुन्दर प्रस्तुति ,धन्यवाद.

महफूज को गोली मारी गई!!!??


यह क्या हो रहा है?

जल्द स्वस्थ हो...

अच्छे लिंक्स से सजी अच्छी वार्ता

अछे लिंक्स मिले आभार.

मैं बिल्‍कुल नई हूं ब्‍लॉगर्स की श्रेणी में, लेकिन आपकी ब्‍लॉग वार्ता के जरिये सबको जोडने का,लोगों को लिंक्‍स बताने का, एक दूसरे को जानने का मौका देने का ये तरीका बेहद शानदार है. really impressive.

ललित भाई, मेरी पोस्ट को इस बेहद उम्दा ब्लॉग वार्ता में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

महफूज़ भाई के लिए दुआएँ.


अच्छी चर्चा.

बढ़िया लिंक दिए हैं ललित भाई !बेहद शानदार!

कामना करते हैं कि महफ़ूज जल्द ही
स्वास्थ्य लाभ कर हमारे बीच हों।
--
बढ़िया लिंकों को समेंट सुन्दर रहा यह अंक!

ईश्वर महफूज़ को जल्द महफूज़ करिये.

बहुत सुंदर चर्चा, धन्यवाद

महफूज़ भाई की खबर तो बहुत ही ग़मज़दा करने वाली है, उनका फ़ोन भी नहीं मिल रहा है. आजकल कार्यालय में अत्यंत व्यवस्तता के कारण खबर ही नहीं हो पाई. खुदा करें वह खैरियत से हों, या रब महफूज़ भाई को जल्दी सेहत और तंदरुस्ती अता फरमा, आमीन!

समाचार प्राप्त हुए तो बहुत दुःख हुआ ....लेकिन अब सुधार है महफूज़ भाई की तबियत में यह जान कर कुछ धैर्य हुआ .....ईश्वर उन्हें जल्द से जल्द ठीक करे !
बहुत अच्छे लिंक्स....धन्यवाद !

महफूज भाई को गोली मारी गई, विश्‍वास नहीं हो रहा है। आखिर उन्‍होंने ब्‍लॉगिंग में ऐसा तो कुछ नहीं किया है। हां, उनकी टी शर्ट वाली कविता और टी शर्ट की ख्‍याति से खफा होकर, कोई बैरी कूदा हो तो कहा नहीं जा सकता। जब इतनी पुष्टियां की जा रही हैं फिर तो विश्‍वास करना ही होगा। पर मन है कि मानता नहीं कि ऐसा हुआ होगा अथवा हो सकता है।

महफूज भाई को गोली मारी गई, आखिर उन्‍होंने ब्‍लॉगिंग में तो ऐसा कुछ नहीं किया है। हां, अगर उनकी टी शर्ट वाली कविता और टी शर्ट की ख्‍याति से खफा होकर किसी ने यह हरकत की हो तो ... पर मन है कि मानता नहीं। महफूज का फोन भी न जाने क्‍यों, दरवाजे बंद करके बैठा है। जब सब कह रहे हैं तो मान लेता हूं परन्‍तु ... अविश्‍वसनीय लगता है। विश्‍वास नहीं कर पा रहा हूं, सपना लग रहा है एक कड़वा सा। सपना ही हो।

क्या अविनाश जी मैं समझा नहीं "ब्लाग की वज़ह का कयास क्यूं...? "

यदि ये घटना सच है तो मुझे भी हार्दिक दुःख है.
उम्मीद है कि अब आप इसका विवरण भी अगली पोस्ट पर
अवश्य देंगे.
हम महफूज भाई के स्वास्थ्य होने की कामना करते हैं.
- विजय हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर

महफूज भाई के बारे में जानकार दुःख पहुंचा !
महफूज भाई के स्वास्थ्य लिए ईश्वर से अनंत शुभकामनाएं !

महफूज भाई को गोली मारी गई, विश्‍वास नहीं हो रहा है। आखिर उन्‍होंने ब्‍लॉगिंग में ऐसा तो कुछ नहीं किया है।...

अविनाश भाई , मुझे ये समझ में नहीं आ रहा कि आप इतने कैजुअल वे में इस बात को क्यों ले रहे हैं ..चलिए मान भी लिया कि शायद आपको तब तक यकीन न आए जब तक कि आप खुद उन्हें घायल हालत में न देख सुन लें ....वैसे मेरे ख्याल से आपको खुद ही बात कर लेनी चाहिए उनसे ..। इन सबके बाद एक बात और कह रहा कि अभी हिंदी इंग्लिश ब्लॉगिंग में किसी की भी इतनी औकात नहीं हुई है कि वो किसी ब्लॉगर को गोली बम से उडा सके ...और फ़िर जरूरी नहीं कि घूम फ़िर के हर बात ब्लॉगिंग से ही जुडी हो या जोडी जाए ...आप खुद सोचिए कि कल को जब खुद महफ़ूज़ भाई ..आकर आपके इन विचारों को पढेंगे तो उन्हें कितना सुकून मिलेगा ...भाड में गई ब्लॉगिंग और ब्लॉगर्स ...इंसानियत भी कोई चीज़ होती है महाराज ..यहां तो लोग आशंका को भी हाईप कर के ...बवेला खडा कर देते हैं ..। अब इससे ज्यादा समझ नहीं है मुझमें ...इसलिए फ़िर कह रहा हूं कि इन सबसे बेहतर है कि आप खुद बात कर लें ..उनसे ..और सारी विस्तृत रिपोर्ट लें लें ..फ़िर चाहे उन्हें डा. ने आराम को ही क्यों न कहा हो

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