आप सभी पाठकों को संगीता पुरी का नमस्कार .. अभी देशभर में धूमधाम से नवरात्र का त्यौहार चल रहा है। आप सबों को नवरात्र की बधाई और शुभकामनाएं। भगवान शंकर द्वारा यज्ञ देखने की अनुमति मिलने से सती पिता के घर चली तो गयी , पर वहां सबके मन में गवान शंकर के प्रति तिरस्कार का भाव देखा , जिससे सती का मन ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा था। वह अपमान न सह सकीं और उन्होंने अपने आपको यज्ञ में जला कर भस्म कर लिया। अगले जन्म में सती ने नव दुर्गा के रूप धारण कर के जन्म लिया , जिनके नाम हैं:
1.शैलपुत्री 2. ब्रहमचारिणी 3. चन्द्रघंटा 4. कूष्मांडा 5. स्कन्दमाता 6. कात्यायनी 7. कालरात्रि 8. महागौरी 9. सिद्धिदात्री।
देवताओं द्वारा आदि शक्ति का आवाहन किए जाने पर एक एक करके उपरोक्त नौ दुर्गाओं ने युद्ध भूमि में उतरकर अपनी रणनीति से धरती और स्वर्ग लोक में छाये हुए दानवों का संहार किया। देवताओं ने धरती पर चैत्र और आश्विन मास में नवरात्रों में पूजा अर्चना की व्यवस्था की , ताकि इनकी इस अपार शक्ति को स्थायी रूप में समझा जा सके। वैदिक युग की यही परम्परा आज भी बरकरार है। फसले कट जाने के बाद अन्न नवरात्रों में इन्हीं देवियों के नाम से अर्पित किया जाता है। प्रतिपदा से लेकर नवमी तक आदि शक्ति दुर्गा के इन नौ रूपों को देवी के मण्डपों में क्रमवार पूजा जाता है। अब इस सप्ताह जुडे कुछ नए ब्लॉग्स की नई प्रविष्टियां......
नहीं जाता माँ मैं वैष्णव देवी
क्योंकि वैष्णव सबरूप मेरी जन्मदाती मेरी माँ मेरे घर पे है,
नहीं जाता मैं हरिद्वार कांवड़ लेने
क्योंकि शंकर सबरूप मेरे पिता मेरे घर पे हैं,
नहीं जाता मैं गुरूद्वारे इसके लिए भी मांगता माफ़ी मैं,
क्योंकि मेरे गुरु ने जो मंत्र दिया उसका सिमरन ही काफी है,
तेरे दर पे झुका हूँ देना हो तो इतना मान देना
कि श्रवण कुमार की तरह माँ बाप की सेवा कर पाऊं
बस यही वरदान देना
क्योंकि वैष्णव सबरूप मेरी जन्मदाती मेरी माँ मेरे घर पे है,
नहीं जाता मैं हरिद्वार कांवड़ लेने
क्योंकि शंकर सबरूप मेरे पिता मेरे घर पे हैं,
नहीं जाता मैं गुरूद्वारे इसके लिए भी मांगता माफ़ी मैं,
क्योंकि मेरे गुरु ने जो मंत्र दिया उसका सिमरन ही काफी है,
तेरे दर पे झुका हूँ देना हो तो इतना मान देना
कि श्रवण कुमार की तरह माँ बाप की सेवा कर पाऊं
बस यही वरदान देना
दोस्ती
कितनी अजीब है , ये दोस्ती !
दो आत्माओ के बीच , एक शरीर है , ये दोस्ती !
एक अनोखा बन्धन है , दोस्ती
मेरे शरीर की धमनियों का स्पंदन है , ये दोस्ती !
मेरी मित्र है वो पर , दुनिया से थोडी विचित्र है , वो
जिस पर दुनिया की नज़र है, उसके लिए वो बिल्कुल बेअसर है|
हर चीज़ पर उसकी पकड़ है , हर किसी पर उसकी जकड है|
मैं देखकर उसे जी लेती हूँ !
"न लुटता दिन को तो, रात को क्यों बेखबर सोता
रहा खटका न चोरी का, दुआ देता हूँ रहजन को "
"ग़ालिब"
सच ही है,रात को चैन से सोया ही जाएगा जो लुटेरे दिन को ही लूट गए सब.और अधिक आशा लगाना बेमानी है.खैर...!!!
कहा जाता है, आस्था पर तर्क नहीं,लेकिन जितने तर्क आस्था के लिये दिए जा रहे हैं,जितने प्रमाण जुटाए जा रहे हैं, आस्था दर्शन के किसी सिद्धांत की तरह प्रतिपादित करने की कोशिश सी लगती है.और आस्था तर्क से ही नहीं बस बहुमत से भी तय होगी.
हालात पर लिखूं या ज़ज्बात पर लिखूं
दुनिया के वाहियात खयालात पर लिखूं
या लिखूं मैं यार-तुम और जाम की बातें,
काली सुबह लिखूं, उजाली रात पर लिखूं
या लिखू कि देश घायल सा पड़ा है,
या कहूँ कि नौजवां है नींद में,
या कि कुछ पल फिर तकूँ मैं राह में
एक नए सूरज कि इक उम्मीद में...
दुनिया के वाहियात खयालात पर लिखूं
या लिखूं मैं यार-तुम और जाम की बातें,
काली सुबह लिखूं, उजाली रात पर लिखूं
या लिखू कि देश घायल सा पड़ा है,
या कहूँ कि नौजवां है नींद में,
या कि कुछ पल फिर तकूँ मैं राह में
एक नए सूरज कि इक उम्मीद में...
कि डेली पैंट शर्ट पहनने वाला पीलू
आज स्किन टाइट पहने
पीछे वाली गली मे खड़ा था
काफ़ी देर से गुप्ता जी के दरवाजे अड़ा था
नीचे गेट के जंगले से कोई झाँक रही थी
बाहर खड़े पीलू की पोज़िशन आंक रही थी
मुझे लगा अपने मोहल्ले की चिर परिचित पूसी है,
अरे नही दोस्तों यह तो गुप्ता जी की लूसी है.
बेरोजग़ारी देश की एक बड़ी समस्या है। बेरोजगारी की वजह से जहां पढ़े लिखे युवा दर-दर भटक रहे हैं। वहीं कुछ युवा लोगों को रोजगार दिलाने में सहायता करने के साथ ही अपना भी रोजगार चला रहे हैं और कुछ दूसरे लोगों को भी रोजगार दे रहे हंै। हलांकि इस जिम्मेदारी को सरकारी स्तर पर भी निभाने के लिए सरकारी अफसरों और बाबूओं की एक बहुत बड़ी फौज खड़ी की गई है। ये अधिकारी और बाबू राज्यों की राजधानी से लेकर मंडल और फिर जिला स्तर तक फैले हुए हैं।
नैनीताल का ऐतिहासिक कलेक्ट्रेट अब इतिहास बन गया है. जिला प्रशासन की नाकामियों के चलते धूं-धूं कर जलते कलेक्ट्रेट की हैरिटेज बिल्डिंग को कोई नहीं बचा सका. चार घन्टे के अन्तराल पूरा कलेक्ट्रेट परिसर जल कर राख हो गया. स्थिति यह रही कि लकड़ी से बने परिसर को बचाने के लिये मौके पर एक भी फायर हाइड्रेन्ट नहीं पाया गया. जिसके चलते पूरा प्रशासन लाचार होकर इस ऐतिहासिक भवन को जलते हुए देखता रहा.काबिले गौर है कि नैनीताल के ऐतिहासिक कलेक्ट्रेट का निर्माण अंग्रेजों के शासनकाल में 1898 में हुआ था.
राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) आरएएस R.A.S परीक्षा 2010
इतिहास उतर तालिका ( HISTORY KEY)
1 द्वितीय आंग्ल मैसूर युध्द के समय ब्रिटिश गवर्नर जनरल कौन था ?
लार्ड मैकार्टन
2 निम्न में किसने रैयतवाडी व्यवस्था प्रारंभ की ?
थॉमस मुनरो
3 दिल्ली की प्रसिध्द जामा मस्जिद का निर्माण इनमें से किसने किया ?
शाहजहां
4 बक्सर के युध्द में मीर कासिम की सेना को पराजित करने वाली अंग्रेजी सेना का अध्यक्ष था ?
मेजर मुनरो
इतिहास उतर तालिका ( HISTORY KEY)
1 द्वितीय आंग्ल मैसूर युध्द के समय ब्रिटिश गवर्नर जनरल कौन था ?
लार्ड मैकार्टन
2 निम्न में किसने रैयतवाडी व्यवस्था प्रारंभ की ?
थॉमस मुनरो
3 दिल्ली की प्रसिध्द जामा मस्जिद का निर्माण इनमें से किसने किया ?
शाहजहां
4 बक्सर के युध्द में मीर कासिम की सेना को पराजित करने वाली अंग्रेजी सेना का अध्यक्ष था ?
मेजर मुनरो
कौन हूँ मैं?
मैं व्यक्ति नहीं हूँ
जिसे लोग जानते और पहचानते हैं
मैं व्यक्तित्व हूँ
जिसे लोग मानते और सराहते हैं
मैं जूता नहीं हूँ
जो पुराना होकर
किसी नेता के गले की शान बढाता है
मैं जुराब हूँ
जो फट जाने पर
किसी बच्ची की गुड़िया बन जाता है
मैं आह नहीं हूँ
जो किसी के मुंह से निकलती है
मैं दर्द हूँ
जीवन के लिए प्रकृति के पांच तत्व अपरिहार्य कहे गए हैं - पृथ्वी, जल, वायु, आकाश और अग्नि. आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पृथ्वी का अर्थ ठोस पिंड रूपी वस्तुओं से है, जल का तात्पर्य द्रवित पदार्थों से है, तथा वायु गैसीय अवस्था वाले द्रव्यों से है. अग्नि ऊर्जा है तथा आकाश सर्व-व्यापक रिक्त स्थान है
मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है
सबसे ख़तरनाक नहीं होता
कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है
जुगनुओं की लौ में पढ़ना
मुट्ठियां भींचकर बस वक़्त निकाल लेना बुरा तो है
सबसे ख़तरनाक नहीं होता
उत्तर भारत के कितने ही धर्म स्थानों में गया हूँ,लेकिन जितनी धार्मिकता और यात्री का ख्याल दक्षिण भारत के तीर्थ स्थानों में जाने से देखने को मिलता है। बडौदा गुजरात से एक दम्पति रामेश्वरम की यात्रा के लिये आया था,माहेश्वरी धर्मशाला में वह परिवार रुका था दर्शन आदि करने के बाद उस परिवार ने कन्याकुमारी जाने और वापस आने के लिये जैनानी टूर कम्पनी से प्रोग्राम बनाया।
साधारण को एक बार पिफर सूचित किया जाता है कि हमारे मुहल्ले का पिछले कई महीनों से गुम हुआ प्रेम अभी भी गुम है। इस बारे में कई बार देश के प्रमुख समाचार पत्रों के माध्यम से इश्तहार भी दे चुका हूं। पर आज तक न तो सूचना पढ़कर प्रेम ही वापस आया और न ही किसी ने उसके बारे में कोई जानकारी दी। पुलिस स्टेशन रपट
लिखवाने जितनी बार भी गया उतनी बार अपना ही कुछ न कुछ गुम हुआ पाया। लिहाजा पुलिस स्टेशन के चक्कर लगाना अब मैंने छोड़ दिया है। हे प्रेम! अब मुहल्ले वाले तुम्हारे बिना बहुत बेचैन है, सच्ची को। जबसे तुम बिन बताए मुहल्ला छोड़ गये हो, मुहल्ले में रंजिश का दौर शुरू हो गया है।
एक सप्ताह से भी अधिक से बारिश हो रही थी,लगता है पूरा वातावरण ही धुंदला व उदास हो गया है।.आज मन रोज से भी ज्यादा बेचैन और उदास लग रहा है । उसने फोन किया और कहा कि वह आ रही है । यह तीसरी बार वह इस सप्ताह मे मुझे मिलने आ रही थी ।मैने हर बार कि तऱ्ह बहाना बनाया कि तुम्हे इस तऱ्ह मुझसे मिलने नही आना चाहिये।मै हर बार कि तऱ्ह उसे नजदीक के रेस्तौरांत मे ले जाना चाह रहा था ।वो वहाँ अकेली खडी थी उसने लाल छाता ले रखा था । उसका दोस्त उसे वही छोड कर चला गया था । बारिश हो रही थी और वह कांप रही थी । उस कठोर बारिश में वो और भी कमजोर और नाजुक दिख रही थी ,उसने गर्म रहने के लिए भी पर्याप्त कपडे भी नहीं पहने थे ।
संसद से लेकर शौचालय तक बिजली गुल है। सड़कों पर लोग बवाल काट रहे हैं। पुलिस उन्हें लठिया रही है। मुखिया से लेकर सुखिया तक बिजली की बर्बादी और चोरी के खेल में मोटी कमाई करके ऊर्जा क्षेत्र को खोखला कर रहे हैं। सरकार अपना वोट बैंक मजबूत करने के चक्कर में रोज नये और लुभावने वायदे कर रही हैं। बिजलीकर्मी पूरी ठिठाई से उपभोक्ता को तिगनी का नाच नचा रहे हैं। सूबा उप्र की सरकार ‘दलिततीर्थ’ को जगमग उजाले में रखने में इस कदर बजिद है कि उसे अंधेरे में डूबा, समूचा सूबा और भयानक गर्मी से बिलबिलाते उसके करोड़ों लोग दिखाई नहीं दे रहे हैं। पूरे सूबे में बिजली को लेकर जहां हाहाकार मचा है, वहीं शान्ति भंग के नाम पर आईपीसी की धारा 151 के तहत सैकड़ों लोगों को पुलिस प्रताड़ित कर रही है। इसके बावजूद बिजली दरें बढ़ाने की कवायद की जा रही है।
मूलत: बौद्ध धर्म जीवन का एक दृष्टिकोण अथवा दर्शन है। संसार के प्रमुख धर्मों में से एक है बौद्ध धर्म। अपने मूल रूप में बौद्ध धर्म बुद्ध के उपदेशों पर आधारित है। महात्मा बुद्ध ही बौद्ध धर्म के संस्थापक हंै। उनकी शिक्षाएं व उपदेश बौद्ध धर्म ग्रंथों में संकलित है। इनके उपदेश मुख्यत: 'सुत्रपिटकÓ में संग्रहित है। उनका प्रथम उपदेश (धर्मचक्र-प्रवर्तन) सारनाथ में हुआ था। इसमें मध्यम मार्ग का प्रतिपादन किया गया है। अर्थात् अधिक भोग-विलास एवं अधिक तप-त्याग के बीच का मध्यम रास्ता अपनाना ही उचित है। ईश्वर और धर्मविज्ञान के लिए कोई स्थान नहीं था। भारत ही एक ऐसा अद्भूत देश है जहां ईश्वर के बिना भी धर्म चल सकता है। ईश्वर के बिना भी बौद्ध धर्म को सद्धर्म माना गया है।
एक ही जगह बने, एक ही डिबिया में भरे गए
अक्षर बनने को तत्पर, दो बूँद स्याही के विदा हुए
एक ही तत्व, एक ही रंग, बचपन से सदा रहे संग
कितना अच्छा हो यदि, एक ही शब्द के बने अंग
अंकित होकर एक पृष्ठ पर, यह साथ अमर हो जाएगा
दो अलग वर्ण, अपूर्ण मगर, मिलकर एक अर्थ नया दे जाएगा
मन में ही यह बात थी, अभी स्वर भी न उसे मिल पाया था
पर दूर कहीं चौंका एक स्वप्न, और नियति थोडा मुस्काया था
अक्षर बनने को तत्पर, दो बूँद स्याही के विदा हुए
एक ही तत्व, एक ही रंग, बचपन से सदा रहे संग
कितना अच्छा हो यदि, एक ही शब्द के बने अंग
अंकित होकर एक पृष्ठ पर, यह साथ अमर हो जाएगा
दो अलग वर्ण, अपूर्ण मगर, मिलकर एक अर्थ नया दे जाएगा
मन में ही यह बात थी, अभी स्वर भी न उसे मिल पाया था
पर दूर कहीं चौंका एक स्वप्न, और नियति थोडा मुस्काया था
हिचकियाँ आ रही थी लगातार....नानी ने कहा," बेटा! लगता है तुझे कोई याद कर रहा है .एक- एक कर उन लोगों के नाम ले जो यहाँ पर नहीं हैं.जैसे ही उसका नाम आएगा जो तुझे याद कर रहा है हिचकियाँ बंद हो जाएँगी.." .नानी की वह बात याद कर अचानक जब मेरे होठों पर मुस्कान तैरने लगी तब तपाक से दद्दू ने मुझसे पूछ लिया ," क्या बात है... अपने आप मुस्कुराये जा रहे हो? " कुछ नहीं. दद्दू ये तो बस यादें है जिनके दरीचे खुल जाने पर न जाने कहाँ खो जाते हैं.हम लोग.!
त्यौहार जो अपने आप में ही एक ऐसा अर्थ छुपाये होते है जिसका मतलब होता है ख़ुशी, क्यूंकि त्यौहार का मकसद ही तभी पूरा होता है जब आप के दिल में ख़ुशी हो, उत्साह हो, फिर चाहे उस दिन या उस वक़्त कोई त्यौहार हो या ना हो. मगर जब आप किसी भी कारण से बहुत खुश होते हो, तो आप को अपने आप में ही इतना अच्छा लगता है कि आप उस दिन को खुद-ब-खुद त्यौहार के जैसा महसूस करने लगते हो...ये तो रही मेरे हिसाब से त्यौहार की परिभाषा और यदि मैं बात करूँ साधारण शब्दों में त्यौहार के मतलब की, तो वो तो आप सब जानते ही हैं कि हर एक प्रांत में अलग-अलग धर्म में अपने-अपने धर्म और सभ्यता के हिसाब से त्यौहार मनाये जाते हैं जैसे हिन्दू दीपावली, दशहरा, होली, राखी इत्यादि, मुसलमानों में रमजान, ईद, मुहर्रम इत्यादि, वैसे ही सिखों में गुरुनानक जयंती, लोहड़ी, बैसाखी इत्यादि और इसाईयौं में क्रिसमस, ईस्टर , गुड फ्रायडे इत्यादि.
सूचना अधिकार के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये लिख रहे हैं ... रमेश सूथर जी ....
पिछले 60 वर्षों में देश की प्रगति एवं समृद्धि के लिये सैकड़ों कानून और हजारों योजनायें बनी और लागू की गयीं और इसमें भी कोई शक नहीं कि इन वर्षों में देश ने बड़ी प्रगति की एवं एक विश्व शक्ति के रूप में न सिर्फ ख्याति अर्जित की बल्कि अपने आप को स्थापित भी कर लिया है। लेकिन यह भी सच है कि अनेक महत्वपूर्ण योजनायें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयीं। अच्छे-अच्छे और आदर्श कानून क्रियान्वयन के स्तर पर दिखावे की चीज बन जाएं यह लोकतन्त्र के लिये अच्छा शगुन नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा कानूनों के क्रियान्वयन के बारे में अनुश्रवण का कोई प्रभावी ढांचा विकसित नहीं किया गया और न ही प्रशासनिक सुधारों की समीक्षा के लिये उच्च स्तर पर कोई ढांचा विकसित किया गया है।
ईश्वर की सत्ता में यकीन रखने वाले मित्रों से एक अपील!!! .. आनंद सिंह जी लिखते हैं ....
सर्वशक्तिमान,सर्वज्ञानी, सर्वत्र परमपिता परमेश्वर
जिनकी मर्ज़ी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता,
उनकी सत्ता में यकीन रखने वाले मेरे धार्मिक मित्रों!
मेरी तरफ़ से अपने परमपिता से कुछ सवाल करोगे क्या?
मुझे तो अधर्मी, काफ़िर होने के संगीन जुर्म में
बिना सुनवाई के, हिटलरशहाना अंदाज़ में
नरक के कंसन्ट्रेशन कैम्प में भेज दिया जायेगा.
इसलिए जब कभी तुम्हे अपने परमपिता के
दुर्लभ दर्शन होने का सौभाग्य प्राप्त हो,
या फिर जब तुम्हे आलीशान स्वर्ग की ओर ले जाया जा रहा हो,
उस समय मेरी तरफ़ से कुछ सवाल करोगे क्या?
उनकी सत्ता में यकीन रखने वाले मेरे धार्मिक मित्रों!
मेरी तरफ़ से अपने परमपिता से कुछ सवाल करोगे क्या?
मुझे तो अधर्मी, काफ़िर होने के संगीन जुर्म में
बिना सुनवाई के, हिटलरशहाना अंदाज़ में
नरक के कंसन्ट्रेशन कैम्प में भेज दिया जायेगा.
इसलिए जब कभी तुम्हे अपने परमपिता के
दुर्लभ दर्शन होने का सौभाग्य प्राप्त हो,
या फिर जब तुम्हे आलीशान स्वर्ग की ओर ले जाया जा रहा हो,
उस समय मेरी तरफ़ से कुछ सवाल करोगे क्या?
17 टिप्पणियाँ:
नए ब्लागों से मुलाकात कराने के लिए आभार.
आभार इस चर्चा का...
एपिटाइजर की तरह यह चिट्ठा वार्ता पूरी पोस्ट पढने का निमंत्रण देती हुई सी लगी । पढूंगी जरूर ।
उम्दा वार्ता के लिए बधाई संगीता जी
पढने की शुरुवात आज यहीं से करते हैं।
आभार
नए ब्लागों से मुलाकात कराने के लिए आभार.
आभार इस वार्ता के लिए!!बहुत अच्छी प्रस्तुति।
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
दुर्नामी लहरें, को याद करते हैं वर्ल्ड डिजास्टर रिडक्शन डे पर , मनोज कुमार, “मनोज” पर!
sundar vaarta -- aabhar
सार्थक लिंकों भरी सार्थक चर्चा
बढ़िया वार्ता
कई नए चिट्ठों से परिचय हुआ..आभार.
वार्ता बहुत अच्छी रही |बधाई
आशा
काफ़ी अच्छे और सार्थक ब्लोग लगाये हैं……………सुन्दर और सटीक चर्चा।
काफी लिंक्स मिल गए ..आज यहीं से शुरुआत करते हैं .वैसे भी २ दिन से छुट्टी पर थे:)
बहुत सुंदर चर्चा जी, धन्यवाद
आज पूरे दिन नेट बाबा नाराज़ रहे है .... अभी भी पूरी तरह से माने नहीं है ...सो आज आने में देर हो गई ! आज आपने बहुत बढ़िया वार्ता सजाई है ....आभार .....यहीं से शुरू करता हूँ ब्लॉग जगत का चक्कर !
sundar varta..vibhor ji ki kavita khoob hai!
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