शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

बदलाव - एक भारतीय मुस्लिम का करारा जवाब - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

एक दिन नारद जी वाल्मीकि जी के आश्रम में पहुंच गए। उन्होंने महर्षि से प्रश्न किया कि वेदों में कहा गया है कि मनुष्य बनो। पर समझ नहीं आता कि वेदों को पढ़ने वाला मनुष्य ही होता है, फिर मनुष्य कैसे मनुष्य बने? वह तो पहले से ही मनुष्य है। महर्षि ने नारद जी को समझाते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति मानव नहीं होता। एक आकृति या जन्म प्रक्रिया किसी को मानव नहीं बनाती, मानव की सार्थकता उसके मानवीय आचरण में है।

इस पर नारद जी ने पुन: प्रश्न किया कि ऐसा कौन सा मानव है, जिसमें मानव होने के समस्त गुण हों? जो गुणवान, वीर्यवान, कृतज्ञ, सत्यव्रत को धारण करने वाला हो व सबके हित में लगा हो? क्रोध को जीतने वाला तथा अपने शत्रु को भी आदर देने वाला कौन हो सकता है? इस पर महर्षि वाल्मीकि ने कहा कि इक्ष्याकु कुल में उत्पन्न राम एक आदर्श मानव हैं। वह सहज, सरल, संयमी, परोपकारी और धैर्ययुक्त है। वह शत्रु को भी आदर देते हैं। वह विनम्र है और आस्थावान है। पाप का विनाश शत्रुता से नहीं, कर्तव्य मानकर करते हैं। जो उसके आचरण को अपने जीवन में उतार लेगा, वही मानव कहलाएगा।

देखा जाए, तो महर्षि वाल्मीकि की रामायण के राम आदर्शो के प्रतीक हैं। महर्षि अपने राम को प्रत्येक मानव में देखना चाहते हैं, ताकि उसका मानव जीवन सफल हो सके। महर्षि वाल्मीकि ने मानव बनने के लिए गुणों का वर्णन किया है।

अथर्ववेद भी महर्षि वाल्मीकि के इस चिंतन की पुष्टि करता है। उसमें लिखा है, हे मनुष्य तू वीर्यवान है, तेजस्वी है, अपनों में आनन्दमय और ज्योतिर्मय है। तू श्रेष्ठा प्राप्त कर सब ही प्राणियों के हित में कार्य कर।

भारतीय चिंतन में बुद्धि के परिमार्जन को आवश्यक तत्व माना गया है। बुद्धि भी हमें असत्य और सत्य का भेद कराती है, अत: उसका परिमार्जन आवश्यक है। अहंकार और स्वयं को विशिष्ट दिखाने की भावना, ये दोनों बातें मानव बनने में बाधक हैं।

धर्म आत्मकल्याण का साधन तभी बनता है, जब प्राणिमात्र के कल्याण के लिए कार्य किया जाए। महर्षि वाल्मीकि ने मनुष्य बनने के लिए मानव हित में आचरण करने को प्राथमिकता दी है। 22 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती है। हमें महर्षि के विचारों का अनुसरण कर मनुष्य बनने की कोशिश करनी चाहिए।

आइये अब चलते आज की ब्लॉग वार्ता की ओर....

सादर आपका

शिवम् मिश्रा

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ब्लॉग 4 वार्ता के मंच से आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक .....अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......

जय हिंद !!

21 टिप्पणियाँ:

वाल्मीकि जयंती की बधाई एवं शुभकामनाएँ.

बहुत बढ़िया चर्चा रही.

बहुत मेहनत से अपने काम को अंजाम देते हैं आप, चर्चा देखने से ही मालूम चलता है।
शुभकामनायें शिवम जी।

इतनी लंबी चर्चा हमारे लिए तो लगता है कुछ नहीं छोड़ा है आपने

बहुत कुछ एक ही स्थान पे मिल गया. धन्यवाद्

बहुत बढिया वार्ता है शिवम भाई।

बधाई हो........बहुत सार्थक चर्चा,,,,,,,,,,

मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए शुक्रिया !

अच्छी चर्चा प्रस्तुत की है ... शिवम् जी कई सारे लिंक मिले.....आभार

बढ़िया चर्चा शिवम भाई।

शिवम भाई, आपकी चर्चा सबसे अलग हटकर होती है, आप चाहे मानें या न मानें।
वाल्मीकि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ।

बहुत बढिया वार्ता है ।

22 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती है। हमें महर्षि के विचारों का अनुसरण कर मनुष्य बनने की कोशिश करनी चाहिए।
बहुत बढिया संदेश दिया है आपने .. महत्‍वपूर्ण पोस्‍टों के लिंक तो आप उपलब्‍ध कराते ही हैं .. हमारे लिए ऐसा ही मेहनत करते रहें .. शुक्रिया शिवम जी !!

बहुत बढ़िया चर्चा

वाल्मीकि जी का प्रसंग बहुत अच्छा लगा | मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद | आज आपके वन लाइनर की कमी खल रही है |

बहुत ही उम्दा प्रस्तुति शिवम भाई ..कमाल के लिंक्स सहेजे हैं ।

वाल्मीकि जयंती की बधाई एवं शुभकामनाएँ.

बहुत बढ़िया चर्चा रही

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