प्रणाम !
राम और रावण को धर्मग्रंथों ने भी क्रमश: अच्छाई और बुराई का प्रतीक माना है। जहा राम को हमारे समाज में मर्यादा पुरुषोत्तम का दर्जा हासिल है, वहीं रावण ऐसी बुराइयों का संगम है, जिसकी अच्छाइयां भी उसके तले दब जाती हैं। दशहरा या विजय पर्व हमें याद दिलाता है कि हम और हमारा समाज इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर मनाएं। इस पर्व के बहाने यह संदेश भी जाता है कि अंतत: बुराई की हार ही होती है। सत्य परेशान हो सकता है, किंतु पराजित नहीं। यह पर्व हमें एक मौका आत्ममंथन का भी देता है। अपने अंदर के रावण को पहचानने का मौका भी देता है।
रावण अर्थात बुराई। आज अगर हम अपने अंदर झाक कर देखें, तो हमारे भीतर भी रावण के दस सिर हैं। ये दस सिर हैं ईष्र्या, लोभ या लालच, क्रोध, अविवेक, भय, अनाचार, क्रूरता, मद, व्यामोह और संवेदनहीनता। जब-जब ये बुराइयां सिर उठाने लगती हैं, रावण प्रबल होने लगता है। हमें रावण के इन सभी सिरों का मर्दन करना होगा। तभी विजय पर्व सार्थक होगा। मजे की बात यह है कि रावण का प्रत्येक सिर अपने दूसरे सिर को प्रबल करता रहता है। जैसे ईष्र्या प्रबल हुई, तो व्यक्ति विवेक खोने लगता है। वह अनाचार और भ्रष्टाचार की ओर प्रवृत्त होने लगता है। ईष्र्या किसी भी इंसान के शात चित्त को अस्थिर कर देती है। परिवार में भी तनाव के हालात पैदा हो जाते हैं। अविवेक और क्रोध के कारण हम बिना विचारे कुछ भी कर बैठते हैं। संवेदनहीनता हमें अपराधों की ओर प्रवृत्त करती है। जल्द से जल्द सफलता की बुलंदी को हासिल करना भी इसी अविवेकी प्रवृत्ति का परिणाम है। ऐसा व्यक्ति अपने गुणों में अभिवृद्धि के प्रयासों को छोड़कर शॉर्ट कट तलाशता है। महात्वाकंक्षी होना गलत नहीं, लेकिन शॉर्ट कर्ट से सफलता की सीढि़यों पर चढ़ने की दौड़ इंसान के मन-मस्तिष्क से अच्छे-बुरे का भेद खत्म कर देती है। दशहरा और विजयपर्व के मौके पर अगर हम रावण के इन दस सिरों का मर्दन करके अपने भीतर के रावण का वध करें, तो न केवल हम एक बेहतर इंसान बन सकते हैं बल्कि एक बेहतर समाज और बेहतर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान कर सकते हैं |
ब्लॉग 4 वार्ता के इस मंच से मैं पूरे वार्ता दल की ओर से आप सब को और आपके परिवार में सभी को दशहरे की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं देता हूँ !
सादर आपका
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दुर्गा पूजा - पटना, बैंगलोर..कुछ तस्वीरें और विडियो. :- एक जो सबसे बड़ी शिकायत रही है मुझे दक्षिण भारत के शहरों से वो ये की यहाँ दशहरा पर्व उस उत्साह से नहीं मनाया जाता जैसा की उत्तर भारतीय लोग मानते हैं। माय्सुर को छोड़ दें तो बाकी कहीं भी दशहरे का वैसा उत्साह...
जीवन ! भाव, शब्द विन्यास है..... :- जीवन ! भाव, शब्द विन्यास है अर्थ-अनर्थ, अज्ञ-विज्ञ राग-द्वेष, रुदन-परिहास है उत्कर्ष-अपकर्ष, उग्र-सौम्य कोप-कृपा, अनंत जिज्ञास है भक्ति-विरक्ति, अधम-उत्तम अर्जन-वर्जन, आस-निराश है कठिन-आसान, जय-पराजय ...
मात खाने का मलाल नहीं :- काम का सिलसिला जब काफी वक़्त तक चलता है तो इंसान मशीन बन जाता है। फिर मशीन के अन्दर न तो सोचने की ताकत होती है और न ही महसूस करने की. आजकल कुछ ऐसा ही है. काम में दोहराव और बेवजह बेकार की बातों पर बवाल...
क्या रावण सचमुच मर चुका ? :- युग बीते, समय बदला लेकिन आज भी राम और रावण की सेनाएं आमने-सामने खडी हैं। एक ओर सदाचार एवं सदवृति, दूसरी ओर अनैतिकता, भ्रष्टाचार, अज्ञान, अहंकार और तमस. विरथ राम और रथी रावण में आज भी युद्ध हो रहा है...
आज खुशदीप सहगल की वैवाहिक वर्षगाँठ है :- आज, 17 अक्टूबर को देशनामा वाले खुशदीप सहगल की वैवाहिक वर्षगाँठ है। बधाई व शुभकामनाएँ ....
विजयादशमी की शुभकामनाएं... :-देव :- मित्रों, आप सभी को विजयादशमी की ढेरो शुभ-कामनाएं.... एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूं..... लीजिए क्रोध का रावण मरे । अन्याय का रावण मरे. सत्य की और धर्म की चहुँ ओर पताका लहरे... जय श्री राम...................
“…व्यर्थ सारे ही उपदेश हैं।” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) :- *झूठ पर सत्य की जीत होती सदा, विजयादशमी के पावन ये सन्देश हैं। पाप-आचार मन में अगर हों भरे, ज्ञान के व्यर्थ सारे ही उपदेश हैं। वेद और शास्त्र रावण को कण्ठस्थ थे, किन्तु उसने चुनी राह....
मेरे बाबूजी जगमोहन कोकास के जन्मदिन विजया दशमी पर उनके पत्रों की किताब के बारे में :- विजयादशमी का दिन मेरे लिये मेरे बाबूजी प्रो। *जगमोहन कोकास *का जन्मदिन है । वैसे तो उनका जन्म दो अक्तूबर को हुआ था लेकिन हम लोग दशहरे के दिन ही उनका जन्मदिन मनाते थे । ऐसे ही माँ का जन्मदिन दिवाली के दिन...
इस पिक्चर को हिट होने से कोई नहीं रोक सकता ..ट्रेलर ही सुपर हिट है जी ....देखिए न एक प्रिव्यू :- * * ** * * * * * * * ** पहले ही कहा था कि , इस बार ये सफ़र बहुत कमाल का रहने वाला है , पूरे छ: सौ बार कैमरा बोला "क्लिक " और जुडती गई एक नई कहानी ...हर तस्वीर के साथ ...। और बहुत ही अनोखा अनुभव रहा ॥
दशहरे के बहाने दशानन की याद :- नवरात्रि के नौ दिन भले ही देवी और श्रीराम के नाम हों, दशहरा तो महर्षि विश्रवा पौलस्त्य और और कैकसी के पुत्र महापंडित रावण ने मानो हर ही लिया है। और हो भी क्यों न? इसी दिन तो अपने अंतिम क्षणों में श्रीराम के ...
कितना आसान होता है --उंच नीच और छोटे बड़े का भेद भाव मिटाने की बात करना-- :- कल शनिवार था । साथ ही नवमी भी थी । शनिवार को आधी छुट्टी होती है । अस्पताल से निकला तो सड़कों पर जगह जगह शामियाने गड़े मिले । वहां सैकड़ों की तादाद में पत्तल के डोंगों में लोग पूरी भाज़ी और हलवा खा रहे थे ...
अनोखी बारात विदाई! - इस श्रृंखला का अन्तिम किन्तु अत्यन्त रोचक पोस्ट :- पिछले चार दिनों से हम *आचार्य चतुरसेन* जी के उपन्यास *"सोना और खून"* का एक बहुत ही रोचक अंश को श्रृंखलाबद्ध रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। आज प्रस्तुत है इस श्रृंखला का अन्तिम किन्तु अत्यन्त रोचक पोस्ट...
बनाओगे दल तो "दलदल" निर्मित होना अवश्यम्भावी है :- मेरी आवाज कौन सुनता है वही न जो मेरे गुट का हो । यानी कि हम व्यापक हो ही नहीं सकते हम सुन तो सकते ही नहीं। हम एल दल बना लेते हैं फ़िर दूसरा भी यही करता है तीसरा भी ....अनंत लोग जब बनातें हैं दल तो "दलदल" निर्मित होना अवश्यम्भावी है...
भ्रष्टाचारी रुपी रावण कब हमारे भारत देश से विदा होगा, कब हम इस रावण को जलायेंगे … :- पिछली पोस्ट *आज भ्रष्टाचार की नदी में नहाकर आये हैं॥ आप ने कभी डुबकी लगाई ..* से आगे… रोज के ६० पंजीयन करवाये जाते हैं इस भूपंजीयन कार्यालय द्वारा और बताया गया कि हर पंजीयन पर लगभग १५०० रुपयों की...
गाँव की रामलीला--प्यासा पनघट और बरसाती सत्यानाश ---- ललित शर्मा :- एक समय था जब गाँव-गाँव में रामलीला की जाती थी। जिसमें गाँव के लोग बढ-चढ कर हिस्सा लेते थे। छोटे-बड़े सभी लोग राम लीला के पात्र बनते थे और लगातार 11 दिनों तक राम लीला का आयोजन होता था। शाम 6 बजे से ही सभी ...
प्रति प्रसव -- पूर्व जन्म पुनरागमन -- past life regression. :- प्रायः ऐसा देखा गया है की कुछ लोगों में कुछ मानसिक रोग ऐसे होते हैं जो किसी भी प्रकार की चिकित्सा से नहीं ठीक हो पाते हैं। इसके लिए चिकित्सकों ने सम्मोहन का सहारा लिया। सम्मोहन के द्वारा व्यक्ति को उसके ...
"दस तोला" :- हाल में कई राजनीतिक दलों का प्रस्ताव आया कि मैं उनके लिए बिहार चुनावों में प्रचार करुं। लेकिन, मन माना नहीं। मीडिया के अलग-अलग चैनलों और अखबारों के जरिए मैंने अपना संदेश बिहार की जनता तक पहुंचाने की कोशिश ...
नई ग़ज़ल/करेगा रावन शासन कब तक? :- *दशहरा..... इस दिन बुराइयों का प्रतीक रावन मरता है। और भी कुछ असुर मरेंगे. इनको मरना ही चाहिए. समाज की खुशहाली के लिये ज़रूरी है इनकी मौतें. मैं ही क्या, बहुत-से लोग इस बारे में लिखेंगे. पिछले दो दशक से इस...
एक रि पोस्ट :- बॉस को शुक्रिया कहने का दिन - 16 अक्टूबर :- बॉस को शुक्रिया कहने का दिन - 16 अक्टूबर यदि बॉस ने आपकी तरक्की या आपके कल्याण के लिए कुछ किया है तो 16 अक्टूबर का दिन उसका शुक्रिया अदा करने के लिए सबसे उपयुक्त दिन है, क्योंकि इस तारीख को बॉस दिवस जो ...
क्यूँ मेरे प्यार को ठुकराया था इस , सोंच में हूँ .... :- नवमी की सभी को शुभकामनाएं और बधाईयाँ ! ये गीत गुरु देव को समर्पित करते हुए आप सभी के सामने रख रहा हूँ ! उनकी बमुश्किल परेशानियां जीतनी जल्दी ख़त्म हो बस इसी की प्रार्थना करता हूँ ! तरही का मौसम आ गया है ...
चिड़ियों की चहक और फूलों की महक के बिना जीवन नीरस: डॉ. रमन सिंह :-** जलवायु परिवर्तन प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा : बृजमोहन अग्रवाल *अभियान का मुख्य उद्देश्य बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की भावना को संस्कार के रूप में विकसित करना है : अशोक बजाज* ** *जलवायु परिवर्तन रोकन...
काल का ढालः सिर्फ एक नाम! :- पुराना जमाना में बच्चा लोग का नाम भगवान के नाम पर रखा जाता था. राम, किसन, बिस्नु, सिव, सम्भु आदि. कारन पूछे त हमरी एगो सबसे बुजुर्ग फूआ बताईं कि आखिरी समय में आदमी के जुबान पर भगवान का नाम बहुत मोस्किल से...
मेरे पाप ग्रह. :- आजकल नवरात्रों का जोर है. चारों तरफ देवी कि पूजा हो रही है. आज अष्टमी थी. सुबह सुबह छः बजे पड़ोस कि एक महिला ने मेरे घर का दरवाजा खटखटाया और बिटिया को कंजिका के लिए भेजने को कहा. मेरी बिटिया पिछले एक सप्ताह...
खेल खत्म, पैसा हज़म ? :- कल की शाम तो कामनवैल्थ खेलों का समापन देखते बीती. 60,000 दर्शकों से भरे नेहरु स्टेडियम की भव्यता में, 40 करोड़ का गुब्बारा पायाति जी से हुये पिछले वार्तालाप के बाद कुछ देर तो चुभा, पर जब बॉलीवुडी मनोरंजन ...
बुराई का अंत :- आज मारना है रावण को, पर आज ही क्यूं यहां तो रावण अब भरे पडे हैं रोज ही मनाओगे दशहरा तब शायद हो बुराई का अंत तब ही मन करेगा अयोध्या लौटने को मेरे आने तक भरत ने तो निष्कलंक रखी थी अयोध्या तुम क्यों तुले ...
हे माँ दुर्गे सकल सुखदाता :- ** *हे माँ दुर्गे सकल सुखदाता हे जगदम्बा भाग्य विधाता हे माँ शक्ति भव भयहरणी हे चामुंडे सर्व मंगल करणी दुर्बुद्धि निवारणी हे ममतामयी वरदा, विद्या, धात्री, त्रयी * *दिव्य प्रकृति तेरा स्वरुप है वन, उपवन,सागर...
हैप्पी बर्थडे चाचा कलाम !! :- *कल हम सब के चहेते, भारत के पूर्व राष्ट्रपति **डॉ।ऐ।पी।जे.अब्दुल कलाम का जन्मदिन था * पर नेट की समस्या के कारण समय पर पोस्ट नहीं कर पाए ! खैर, देर आमद .... दुरुस्त आमद ! डॉ.ऐ.पी.जे.अब्दुल कलाम का जन्म तमिल...
मानव-अधिकारों का हनन क्यों ? :- भड़ास वाले ब्लॉगर यशवंत जी की माता जी के साथ जो भी हुआ है उचित कदापि नहीं. अब एक माँ को चाहिए न्याय...एक बेटी से अपेक्षा है कि वे यशवन्त जी ने पूरे आत्म नियंत्रण के साथ जो पोस्ट लिखी घटना के 72 घंटे बाद देखिये क्या हुई थी घटना :-"वो मायावती की नहीं, मेरी मां हैं....
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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक .....अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......
जय हिंद !!
12 टिप्पणियाँ:
सुंदर वार्ता शिवम भाई
आभार
शुक्रिया शिवम भाई
एक दम मस्त चर्चा मुझे शामिल करने का आभार
सुन्दर वार्ता रही.
इस बार मेरे नए ब्लॉग पर हैं सुनहरी यादें...
एक छोटा सा प्रयास है उम्मीद है आप जरूर बढ़ावा देंगे...
कृपया जरूर आएँ...
सुनहरी यादें ....
बहुत अच्छी लगी वार्ता..
संवेदनहीनता हमें अपराधों की ओर प्रवृत्त करती है। जल्द से जल्द सफलता की बुलंदी को हासिल करना भी इसी अविवेकी प्रवृत्ति का परिणाम है। ऐसा व्यक्ति अपने गुणों में अभिवृद्धि के प्रयासों को छोड़कर शॉर्ट कट तलाशता है। ...
सहमत हूँ आपसे। सुन्दर वार्ता के लिए आभार।
Happy Dussehra.
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अति सुंदर चर्चा, धन्यवाद
वाह वाह शिवम भाई ..मैं कह नहीं रहा था प्रयोग से और भी निखार आएगा चर्चा में ..लगे रहिए शुभकामनाएं बहुत बहुत
आप सब का बहुत बहुत आभार !
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़
गजब की वार्ता रही इस बार की.....
सुन्दर प्रयोग और अति सुन्दर शैली।
बहुत सुन्दर.....
॥जय श्री राम॥
बहुत सुन्दर.....
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