शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

बिना माँ -बाप के साए : वाला भी महफूज़ होता है मियाँ



[narad.bmp]http://4.bp.blogspot.com/_infBoSjqkhw/TLCHDRyn8bI/AAAAAAAABY0/UdoG5-QYdPI/s1600/tornedo-%E0%A5%A8.jpgकल बड़ी कराहती किन्तु विश्वासी आवाज में महफूज़ ने कहा कि :- बिना माँ -बाप के साए के लोगों ने मुझे बहुत कमजोर समझा और मेरे साथ ये वारदात हुई. सच  है  कितने भाग्यवान हैं होते हैं जिनके मां-बाप होते हैं. महफ़ूज़ को मैने कहा :-”सच है किंतु एक सच ये भी है सृष्टि-सर्जक भी तो मां-बाप का पर्याय है जिसने कोसों दूर बैठे आपकी मदद की लोग तो आधा देखते हैं महफ़ूज़ आप तो  पूरा देखो भाई  ”.दुनियां में बवंडर तो उठते ही रहते हैं. उसमें दु:ख को कोई ज़गह न होनी चाहिये.ईश्वर बड़ा दयालू है बेशक़ इसमें कोई दो मत नहीं. सब पर कृपा करता है बस हमारी आत्मा के तार जुड़े हों तो हमारी मुलाक़ात भी हो जावेगी तय है बवंडर के बारे में बता रहें है दर्शन बावेजा साहब..."क्या होता है बवंडर ?" बवंडर को थामता जब से कान फ़ुंकाए पटवारी, तब से मजा करे गिरधारी।"लेकिन पटवारी की ताक़त को कोई भी नही डिगा पाया आज़ तक , ये वो ही बता सके है जिसके कने खेत हो धान का हो तो वाह क्या कहने परंतु आज़ उनके उस ब्लाग की चर्चा दशहरे के पहले समीचीन है ब्लाग है रामचरित मानस कथा ..इस ब्लाग पर रामायण है मर्यादा तो होगी ही एक चटका ज़रूर लगाओ भैया जी भेन जी  राम तो रोम रोम में है और रहेगें. . अब गोविन्द गोयल जी यानी अपने नारद मुनि जी आफ़ द रिकार्ड खबरें पढ़वा रहें हैं तो क्या बुरा है पढ़िये वे तो दिन भर में सैकड़ों बार उसे ब्लाग जगत पे हो आतें हैं मुझे मालूम है...  कुछ हम कहें परआनिता कुमार जी ने कहा  है. वर्धा यात्रा ने..... वरना हम भी आदमी थे काम के ... सिद्धार्थ जी शायद शीर्षक देखा ही होगा अच्छा हुआ हम....!! आज प्रवीण जाखड, पंकज सुबीर, राजीव जैन का जनमदिन है को  जिसने भी जन्म दिन पर विश न किया हो अब कर दें देर आयद दुरुस्त आयद . स्पंदन पर धूप पर पर्दा डाला जा रहा है .अग्नि पाखी भी  एक प्रभाव शाली ब्लाग है डोरोथी जी का  उधर छुटकी अनुष्का बड़े-बड़े आचार्यों के लिये खतरा बन गई है.और ये क्या दीपक बाबू गुलज़ार से मिले वाह भाई वाह क्या बात है. गुलज़ार साहब को बधाई ओह सारी दीपक जी को बधाईयां.

इन नव उदित चिट्ठों को सराहिये  सराहना ओउर संवेदना दौनों जीवन की ज़रुरत जो है
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सच कहूं झूठ नहीं है अभी मैने इन चिट्ठों को नहीं देखा सच कल देखूंगा.
ये रहे वे दौनों
इधर एक नया एग्रीगेटर उभर रहा है देखिये अपने चिर परिचित "ब्लाग प्रहरी को "

.  मेरे एक जीजा श्री हैं वे नव दुर्गा की साधना कुछ यूं कर रहे हैं दीदी ने स्वयम पहली बार उनकी इस काम के लिये तारीफ़ की  उनकी साधना का सातवां दिन देखिये तो ज़रा. . एक उम्दा संकल्प लिये बहुभाषी कवयत्री सम्मेलन कर शरद कोकास जी ने जो किया काबिल-ए-तारीफ़ है जी.  


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काजल भैया का कमाल
अंत में कामन वेल्थ के सफ़ल  समापन पर हर एक हिंदुस्तानी को बधाई आयोजन में भ्रष्टाचार मचाने वालों को छोड़ कर पर एक बात है कलमाड़ी को रेस्टारेंट में बे इज्ज़त कर भगाना अनुचित था. किसी हत्यारे को भी खाना खाने के अधिकार से वंचित मत रखिये .आत्म नियंत्रण भी कोई चीज़ है भई ? अब आप सबसे कल मिलूंगा शुभ रात्री

20 टिप्पणियाँ:

मारने वाले से बचाने वाला बहुत बड़ा है ....महफूज़ भाई
सुन्दर चर्चा ......आभार

महफूज भाई जल्द आयेंगे स्वस्थ होकर हमारे बीच...


अच्छी चर्चा.

जल्द स्वस्थ होने की कामना के साथ.... बस यही कहूँगी की ईश्वर
हमेशा आपके साथ हैं... गिरीश जी , महफूज़ जी बारे में हम सबको अवगत करवाया...
आपका आभार ....
आज बड़े अच्छे ब्लोग्स को प्रस्तुत किया... आपने

बहादुर बच्चा है ....अभी आयेगा वापस....हारने वालो मे से नहीं हैं हम...क्यों महफ़ूज़....सही है न..

बहुत बढ़िया चर्चा की गिरीश जी ... अच्छे लिंक मिले. दशहरा पर्व पर हार्दिक शुभकामनाये...

कुछ अपनों ने भी किनारा कर लिया
कभी अपनों के हम भी थे काम के .

राम राम

महफ़ूज़ जल्द से जल्द ठीक होकर हमारे बीच आयें यही कामना है।

सुन्दर चर्चा अच्छे लिंक्स के साथ्।

बहुत बढ़िया वार्ता.

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पहली टिप्पणियों में वर्तनी की कुछ गलतियाँ रह गई थीं!
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आशा है कि अब महफूज भाई अब पहले से बेहतर होंगें!
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वे जल्दी हमारे बीच में आयें यही कामना करता हूँ!
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आज का ब्लॉग4वार्ता का प्रस्तुतिकरण बढ़िया रहा!

महफ़ूज़ के बारे अगर किसी को पुरी बात पता हो तोलिखे कि आखिर क्या हुआ था?, खुदा, भगवान महफ़ूज़ मियां को हजारो साल महफ़ूज़ रखे, ओर जल्द ही यह बच्चा हम सब के बीच फ़िर से आये अपनी शरारते ले कर, मेरी तरफ़ से शुभकामनाये, दुयाऎ

उम्दा वार्ता गिरीश भाई ...आभार !

धन्यवाद भैया , देवी की और उसके पुजारी की फोटो लगाने के लिए ।

गिरीश जी हम पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद, चर्चा सच में बहुत अच्छी रही।

बढिया वार्ता लगाई दादा आपने।
सुबह से कमेंट करने की कोशिश करते रात हो गई।
नेट महाराज रुठे हुए हैं, पत्र पुष्प से इनकी अर्चना की जा रही है।

देर से आया लेकिन एक बेहतरीन चर्चा को पढ़ तो लिया समय कि ज़रा सी इज़ाज़त से.. शुक्रिया गिरीश जी..

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