संध्या शर्मा का नमस्कार... मन की डाली पर कभी कोई फूल खिलता है, कभी दामन काँटों में उलझ जाता है. लेखक हो या कवि उसके मन का विश्वास कुछ करने की कुछ लिखने की इच्छा रखता है और भावनाओं की अभिव्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कर ही देता है. अधिक न कहकर इतना ही कहूँगी रचनाएं बोलती हैं, पाठकों को जोड़ती हैं आपस में.. तो आइये शुरू करते है, भावनाओं का सफ़र...
स्वामी नारायण संप्रदाय द्वारा संचालित कॉलेजगुजरात की राजधानी गांधी नगर में प्रवेश करने पर कीकर के पेड ही दिखाई दिए। हमारा उद्धेश्य था स्वामी नारायण सम्प्रदाय के अक्षरधाम मंदिर को देखना। हम 4 बजे मंदिर के ...
जीवन ही आग ....आग ही जीवन
जीवन ही आग ....आग ही जीवन रुग्ण मन व्याकुल ह्रदय नंगी पीठ पर बरसती जेठ की दुपहरी में दहकती आँखों के सामने सुर्ख लाल भट्टी पर तापित करों से यंत्रवत सा सेंकता है रोटियां रोटियों पे रोटियां..... उदरंतर में ती...
रेत के महल
नींद कभी आती है क्या नीद तो कही आसपास ही छुपी होती है और गाहे बगाहे आगोश में ले लेती है बिना तुमसे पूंछे तुम्हे सोना है क्या....? कोई और पूंछता है सो गए हो क्या ? और तुम खोल देते हो आँख नहीं मै ...
ब्लागिंग के इस प्रांगण में
यूँ तो हम सब भाई भाई, ब्लागिंग के इस प्रांगण में मगर सहजता की मँहगाई, ब्लागिंग के इस प्रांगण में नमन सभी रचनाकारों को, जो प्रायः ब्लागिंग करते बरसों उनसे प्रीत लगाई, ब्लागिंग के इस प्रांगण में जिस रचना मे...
Mera Bhopal ?
भोपाल की सुहानी शाम भोपाल की झील में सेलिंग भोपाल की झील का विंहगम दृश्य भोपाल नगरनिगम कार्यालय राजेशा का ब्लॉग - हैलो जिन्दगी
तुम्हारा आना !!!
*कल खलाओं से एक सदा आई कि ,** तुम आ रही हो... सुबह उस समय , जब जहांवाले , नींद की आगोश में हो; और सिर्फ़ मोहब्बत जाग रही हो.. मुझे बड़ी खुशी हुई ... कई सदियाँ बीत चुकी थी ,तुम्हे देखे हुए !!! मैंने आज सुबह ज...
कई शरीर जिंदा होते हैं ! ...
साँसों के जिंदा होने का सुकून बहुत बड़ा होता है यूँ जीना तो बस एक मुहर है - वो भी नकली ! आत्महत्या आसान नहीं गुनाह भी है तो जबरदस्ती जीना - क्या गुनाह नहीं ? जाने कितने लोग गुनहगार बन कतरा कतरा साँसें .
खिजाँ का मौसम
*टूटे हुए दिल से भला क्या पाओगे खिजाँ का मौसम किस तरह निभाओगे इक कदम भी भारी है बहुत जंजीरों में उलझ , न चल पाओगे रुका है वक्त क्या किसी के लिए सैलाब मगर ठहरा हुआ ही पाओगे ठण्डी साँसें हैं पुरवाई नह...
आज महीने भर बाद अपने ब्लॉग पर आना हुआ है । अपने देश, अपने घर जाकर वापस लौटी हूँ । इस बीच ब्लॉग्गिंग से पूरी तरह दूरी बने रहने के चलते एक ओर जहाँ कुछ खालीपन का लगा वहीँ अपनों का साथ पाकर मन नयी ऊर्जा से भर...
वेदों में उसी स्त्री को नारी कहा है जो पतिवल्लभा तथा पति का अनुगमन करने वाली है। ऐसी नारी ही सद-गृहिणी कहलाती है और ऐसी गृहिणी से संपन्न घर ही गृह कहलाता है। लकड़ी पत्थर आदि से निर्मित स्थ...
*कविता लिखना शायद ,* *होता है कीमोथीरेपी जैसा,* *दर्द और बहुत दर्द के बीच, * *झूलती ज़िन्दगी, * *पर हाँ ! उम्र मिल जाती है,* *थोड़ी साँसों को और,* *साथ ही साथ, * *उस "कैंसर" को भी ।* उनका मिलना, न मिलना, ब...
घना कोहरा धूप चांदनी लगे ढूंढें तपिश सर्द रात में फुटपाथ आबाद जिंदा हैं लाशें .
हे देव! तुम्हारी बाँसुरी में आखिर कैसा जादू है, मै हरदम सोई रहती हूँ,नशे में खोई रहती हूँ। जब भी तुम मेरे मन के उपवन में हौले से आते हो, और अपनी नटखट अदाओं से मुझे दिवाना बनाते हो। ऐसा लगता है कि मै कोई नही...
एक ही फरमा में भली-भांति कसकर कितनी कुशलता से सभी सम्पादित करते हैं दैनंदिन दैनिक-चर्या सेंटीमीटर , इंच से नाप - नाप कर.. कांटा - बटखरा से तौल - तौल कर.. रात को शुभरात्रि कहने से पहले ही करते हैं हिसाब-...
कैसी शय है यार मोहब्बत, बारिश सूखी लगती है... धूप ज़रा ठंडी लगती है, सर्दी गर्मी लगती है... कैसे कह दूं नाम तुम्हारा, और किसी से वाह सुनू... कुछ ग़ज़लें तो बस सीने मे, उलझी अच्छी लगती हैं... कहाँ मोहब्...
*आज एक बार पुनः पढ़िये मम्मी की 2 नवीनतम कविताएं ---* * * *खुशहाली* हाथ खाली,पेट खाली,थाली खाली। जेब खाली,आना खाली,जाना खाली। फिर क्यों करते हो गैरों की दलाली। फिर क्यों करते हो चोरों की रखवाली। क्यों...
आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि अंडमान में बन्दर नहीं पाए जाते. कानपुर में तो हमारे लान में खूब सारे बन्दर आते थे और पेड़ों और फूलों की डाली पर खेलते और उन्हें तोड़कर भाग जाते थे. जब मैं यहाँ अंडमान में नई-नई आई ...
*छंट गया धरा से शिशिर का सघन कुहा ,* ** *सितारों से सजीला तिमिर में गगन हुआ।* *भेदता है मधुर कुहू-कुहू का गीत कर्ण, * *आतप मंदप्रभा का हो रहा अपसपर्ण।* *लाली ने छोड़ दी अब ओढ़नी पाख्ली, * *मधुकर * *ने...
छंट ही जाते हैं बादल तो हालात के ज़ख्म भरते नहीं दोस्तों बात के, अपनी तकदीर की प्यास बुझ न सकी छींटे हम तक भी आए थे बरसात के, साकी की नज़रें भी धोखा देने लगीं ख़त्म होने लगे साँस भी रात के, इस जफ...
सर्दी का मौसम: सर्दी का मौसम अमीरों को ही है भाया,बेचारे गरीब की तो वैसे ही लाचार है काया गर्मी की मार तो वो झेल ही जाता है ,गिरते छप्पर में टूटी झोपडी म...
*मैं निष्पक्ष,निस्वार्थ हमेसा तुम्हारे साथ रहती हूँ..... * *इसलिए नही कि ...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........* *बल्कि इसलिए....तुम पर **विश्वास ** करती हूँ....* * * *मैं तुम्हारी हर बात पर,* *तुम...
आज एक ख्याल ने जन्म लिया स्त्री मुक्ति को नया अर्थ दिया ना जाने ज़माना किन सोचो में भटक गया और स्त्री देह तक ही सिमट गया या फिर बराबरी के झांसे में फँस गया मगर किसी ने ना असली अर्थ जाना स्त्री मुक्ति के वा...
जज्बा-ए-दिल का हाल मत पूछो यारो एक बार उतरकर देखो मत सोचो यारो रात घिर आएगी तो कहाँ जाऊंगा फिर कोई पनाह-गाह हमारे लिए तो ढूड़ो यारो सर-ज़मीं पर मचा है तबाही का आलम चादर फेंककर अब तो तुम जागो यारो मु...
मिलते हैं अगली वार्ता में, नमस्कार...
7 टिप्पणियाँ:
बहुत उम्दा लिनक्स ...शामिल करने का आभार
अच्छी वार्ता भावपूर्ण लिंक्स |
कुछ पढीं पर बाकी दोपहर के लिए |
आशा
behtareen .........
उम्दा लिंक के साथ बेहतरीन वार्ता
आज दिन की शुरुवात इन्ही ब्लॉग से करते हैं। आभार
बल्ले बल्ले
बेहतरीन वार्ता
बधाई
बेहतरीन वार्ता
बधाई
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